| शब्द का अर्थ | 
					
				| रंगद					 : | पुं० [सं० रंग√दा (काटना)+क] १. सोहागा। २. खदिर सार। | 
			
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				| रंगदा					 : | स्त्री० [सं० रंगद+टाप्०] फिटकरी, जिससे रंग पक्का होता है। | 
			
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				| रंगदानी					 : | स्त्री० [हिं० रंग+फा० दानी] वह प्याली जिसमें चित्रकार आदि किसी चीज पर लगाने के लिए अपने सामने रंग रखते हैं। | 
			
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				| रंगदुनी					 : | पुं० [?] खरगोश की तरह का एक प्रकार का पहाड़ी जन्तु जो हिमालय के ऊँचे पर्वतों पर रहता है। रँगरूट। | 
			
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				| रंगदृढ़ा					 : | स्त्री० [सं० उपमि० स०] फिटकरी, जिससे रंग पक्का होता है। रंगदा। | 
			
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