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			| शब्द का अर्थ |  
				| रसविरोध					 : | पुं० [सं० ष० त०] ऐसे रसों का मिश्रण या मेल जिससे स्वाद बिगड़ जाता है। (सुश्रुत) जैसे—तीते और मीठे में नमकीन और मीठे में कड़ुए और मीठे में रसविरोध है। २. साहित्य में एक ही पद्य में होनेवाली दो परस्पर प्रतिकूल रसों की स्थिति। |  
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं |  |