| शब्द का अर्थ | 
					
				| रिया					 : | स्त्री० [अं०] १. पाखंड। २. प्रदर्शन। ३. दिखावा। | 
			
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				| रियाकर					 : | वि० [अं०+फा] [भाव० रियाफरी] ढोंगी। मक्कार। | 
			
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				| रियाकारी					 : | स्त्री० [अं०+फा] पाखंड। | 
			
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				| रियाज					 : | पुं० [अं० रियाज] १. तपस्या। २. किसी काम या बात में प्रवीणता प्राप्त करने के लिए परिश्रमपूर्वक और नियमित रूप से किया जानेवाला उसका अभ्यास। जैसे—गाने-बजाने का रियाज करना। ३. ऐसा बढ़िया और बारीक काम जो उक्त प्रकार के यथेष्ट अभ्यास कर चुकने पर बहुत परिश्रम पूर्वक किया गया हो। जैसे—ताजमहल में नक्काशी का सारा काम बहुत रियाज का है। | 
			
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				| रियाजत					 : | स्त्री० [अं० रियाजत] १. उद्यम। परिश्रम। २. अभ्यास। ३. जप-तप। तपस्या। | 
			
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				| रियाजी					 : | वि० [अं० रियाजी] जिसका ज्ञान रियाज करने पर प्राप्त होता हो। पुं० गणित की विद्या। | 
			
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				| रियासत					 : | स्त्री० [अं०] १. रईस होने की अवस्था या भाव। अमीरी। वैभव। ऐश्वर्य। २. राज्य विशेषतः ब्रिटिश भारत में देशी नरेशों का राज्य। ३. आधिपत्य। स्वामित्व। | 
			
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				| रियासती					 : | वि० [अं०] रियासत सम्बन्धी। रियासत का। | 
			
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				| रियाह					 : | वि० [अं० रेह का बहु] शरीर के अन्दर की वायु जो विकृत होकर किसी रोग के रूप में प्रकट होती है। | 
			
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