| शब्द का अर्थ | 
					
				| रेह					 : | स्त्री० [?] खार मिली हुई वह मिटटी जो ऊपर मैदानों में पाई जाती है। स्त्री०=रेख (रेखा)। उदाहरण—कुसुमवान विलास कानन केस सुन्दर रेह।—विद्यापति। | 
			
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				| रेहण					 : | पुं० =रेहन (सोने की मैल) उदाहरण—कायर रेहण कर गया, दीपै कनक दुरंग।—बाँकीदास। | 
			
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				| रेहन					 : | पुं० [फा० रिहन] रुपया उधार लेने की वह रीति, जिसमें महाजन के पास कुछ माल या जायजाद इस शर्त पर रखी रहती है कि जब ऋण चुका दिया जायगा, तब माल या जायदाद वापस मिलेगी। बंधक। गिरवी (प्लेज, मार्टगेंज)। क्रि० प्र०—करना।—रखना। पुं० =अरहन। पुं० [?] मिलावटी सोने में से निकली हुई तलछट या मैल। स्त्री० [हिं० रहना] रहने की क्रिया या भाव। | 
			
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				| रेहनदार					 : | पुं० [फा०] वह जिसके पास कोई जायदाद रेहन रखी गई हो। | 
			
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				| रेहननामा					 : | पुं० [फा०] वह कागज जिस पर चीज रेहन आदि रखने की शर्ते लिखी गई हों। | 
			
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				| रेहल					 : | स्त्री०=रिहल।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| रेहुआ					 : | वि० [हिं० रेह] (जमीन या मिट्टी) जिसमें रेह बहुत हो। | 
			
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				| रेहु					 : | पुं० =रोहू (मछली)। | 
			
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