| शब्द का अर्थ | 
					
				| रोह					 : | पुं० [सं०√रूह (उद्भव)+अच्०] १. ऊपर चढ़ना। चढ़ाई। २. कली। ३. अंकुर। अँखुआ। पुं० [?] नील गाय। पुं० [सं० रोहित] अफगानिस्तान का मध्ययुगीन नाम। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| रोहक					 : | वि० [सं०√रुह्+ण्वुल-अक] चढ़नेवाला। पुं० वह जो किसी सवारी पर चढ़कर चलता हो। सवार। | 
			
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				| रोहग					 : | पुं० [सं०] सिंहल द्वीप का एक पहाड़। आदम चोटी। विदूराद्रि। | 
			
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				| रोहज					 : | पुं० [?] नेत्र। (डिं०) | 
			
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				| रोहण					 : | पुं० [सं०√रुह् (उद्भव)+ल्युट-अन] १. ऊपर की ओर बढ़ना। २. किसी पर चढ़ना। ३. सवार होना। ४. बीज या पौधे का उगना या जमना। अंकुरित होना। ५. वीर्य। शुक्र। ६. रोहग पर्वत। | 
			
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				| रोहन					 : | पुं० [देश०] एक तरह का वृक्ष। पुं० =रोहण। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| रोहना					 : | अ० [सं० रोहण] १. ऊपर की ओर जाना या बढ़ना। ऊपर चढ़ना। २. किसी के ऊपर चढ़ना। ३. सवार होना। स० १. ऊपर की ओर बढ़ाना। २. चढ़ाना। ३. सवार कराना। ४. अपने शरीर पर धारण करना या लेना। | 
			
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				| रोहा					 : | पुं० [हिं० रोहना] ऐसी नाली या और कोई चीज जिसका प्रवाह ऊपर की ओर होता हो। पुं० [सं० रोह=अंकुर] पलक के भीतरी भाग में होनेवाले एक प्रकार के दाने। | 
			
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				| रोहि					 : | पुं० [सं०√रुह्+इन्] १. वृक्ष। पेड़। २. बीज। ३. तपस्वी। | 
			
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				| रोहिण					 : | पुं० [सं०√रुह्+इनन्] १. पीपल। २. गूलर। २. रूपा घास। ३. दिन का दूसरा पहर। | 
			
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				| रोहिणिका					 : | वि० [सं० रोहिणी+कन्+टाप्, ह्रस्व] (स्त्री) जिसका मुँह, क्रोध, रोष के कारण लाल हो। | 
			
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				| रोहिणी					 : | स्त्री० [सं० रोहिण+ङीष्] १. गाय। गौ। २. बिजली। विद्युत। ३. सत्ताइस नक्षत्रों में से चौथा नक्षत्र जिसमें पाँच तारे हैं। ४. वसुदेव की स्त्री जो बलराम की माता थी। ५. जैनों की एक देवी। ६. स्मृतियों के अनुसार, ऐसी कन्या जो अभी हाल में रजस्वला होने लगी हो। ७. धैवत स्वर की तीन श्रुतियों में से दूसरी श्रुति। ८. रोहू की तरह की एक प्रकार की मछली। ९. करंज। १॰. रीठा। ११. मजीठ। १२. ब्राह्मी। १३. काश्मरी। १४. गंभारी। १५. कुटकी। १६. सफेद कौआ ठोंठी। १७. लाल गदहपूरना। १८. छोटी लंबी पीली हड़ जो गोल न हो। इसे वर्ण रोहिणी भी कहते हैं। १९. एक प्रकार का विकट संक्रामक रोग, जिसमें ज्वर के साथ गले में पीड़ा और सूजन होती है (डिपथीरिया) २॰. त्वचा की छठी परत। (वैद्यक) | 
			
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				| रोहिणी-अष्टमी					 : | स्त्री० [सं० मध्य० स०] भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी जिसमें चंद्रमा रोहिणी नक्षत्र में रहता है। | 
			
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				| रोहिणी-पति					 : | पुं० [सं० ष० त०] चन्द्रमा। | 
			
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				| रोहिणी-योग					 : | पुं० [सं० ष० त०] आषाढ़ के कृष्णपक्ष में रोहिणी का चन्द्रमा के साथ होनेवाला योग। | 
			
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				| रोहिणी-वल्लभ					 : | पुं० [सं० ष० त०] १. चंद्रमा। २. वसुदेव। | 
			
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				| रोहिणीश					 : | पुं० [सं० रोहिणी-ईश, ष० त०] १. चन्द्रमा। २. वसुदेव। | 
			
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				| रोहित					 : | वि० [सं०√रुह् (उद्भव)+इतन्] लाल रंग का। रक्तवर्ण। लोहित। पुं० १. लाल रंग का। २. रोहू मछली। ३. एक प्रकार की हिरन। ४. रोहितक वृक्ष। ५. इन्द्रधनुष। ६. कुसुम या बर्रे का फूल। ७. केसर। ८. रक्त। लहू। ९. वाल्मिकी के अनुसार एक प्रकार के गन्धर्व। | 
			
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				| रोहितक					 : | पुं० [सं० रोहित+कन्०] रोहित (पेड़)। | 
			
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				| रोहिताश्व					 : | पुं० [सं० रोहित-अश्व, ब० स०] १. अग्नि। २. महाराज हरिशचन्द्र के पुत्र का नाम। ३. आधुनिक रोहतास (गढ़ और बस्ती) का पुराना नाम। | 
			
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				| रोहित्र					 : | पुं० [सं०] दे० ‘परिणामित्र’। | 
			
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				| रोहिनी					 : | स्त्री०=रोहिणी। | 
			
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				| रोहिष					 : | पुं० [सं०√रुह्+इषन्] १. रूसा नामक घास जिसकी जड़े सुगंधित होती हैं। २. एक तरह का हिरन। ३. एक तरह की मछली। रोहू। | 
			
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				| रोही (हिन्)					 : | वि० [√रुह+णिनि] [स्त्री० रोहिणी] १. ऊपर की ओर जानेवाला। २. चढ़नेवाला। पुं० १. गूलर का पेड़। २. पीपल। ३. रोहिष घास। ४. एक प्रकार का हिरन। ५. रोहित या रुहेड़ा नामक वृक्ष। ६. रोहू मछली। पुं० [?] १. जंगल। वन। २. एक प्रकार का हथियार। (सिरोही)। पुं० [सं० रोहित] खून। रक्त। वि० लाल। सुर्ख। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| रोहू					 : | स्त्री० [सं० रोहिष] १. एक प्रकार की बड़ी मछली। २. एक प्रकार का पहाड़ी वृक्ष। | 
			
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