शब्द का अर्थ
			 | 
		
					
				| 
					वरक					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० वर√कन्] १. कपड़ा। वस्त्र। २. नाव के ऊपर की छाजन। ३. बन-मूँग। ४. जंगली बेर। ५. झड़बेरी। ५. प्रियंगा कँगनी। पुं० [अ०] १. पृष्ठ। पन्ना। २. धातु विशेषतः सोने या चाँदी का पतला पत्तर जो मिठाइयों, मुरब्बों आदि पर लगाकर खाया जाता है।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					वरक-सजा					 :
				 | 
				
					पुं० [अ+फा०] सोने-चाँदी के पत्तर अर्थात् वरक बनानेवाला।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					वरका					 :
				 | 
				
					पुं० [अ० वरक] पुस्तक आदि का पृष्ठ। पन्ना।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					वरकी					 :
				 | 
				
					वि० [अ०] जिसमें कई या बहुत से वरक हो। परतदार।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 |