शब्द का अर्थ
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					वस्ति					 :
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					स्त्री० [सं०] १. नाभि के नीचे का भाग। पेडू। २. मूत्राशय। (यूरिनरी ब्लैडर)। ३. पिचकारी। ४. दे० ‘वस्ति कर्म’।				 | 
			
			
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					वस्तिकर्म					 :
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					पुं० [सं०] १. लिगेंद्रिय, गुदेंन्द्रिय आदि मार्गों में पिचकारी देने की क्रिया। (वैद्यक) २. आज-कल आँते साफ करने के लिए या रेचन के उद्देश्य से गुदा-मार्ग से जल ऊपर चढ़ाने की क्रिया (एनिमा)।				 | 
			
			
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					वस्तिकुंडलिका					 :
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					स्त्री० [सं०] वैद्यक के अनुसार एक प्रकार का रोग जिसमें मूत्राशय में गाँठ सी पड़ जाती है, उसमें पीड़ा तथा जलन होती है और पेशाब कठिनता से उतरती है।				 | 
			
			
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					वस्तिवात					 :
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					पुं० [सं०] एक प्रकार का मूत्र रोग जिसमें वायु बिगड़कर वस्ति (पेड़) में मूत्र को रोक देती है।				 | 
			
			
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					वस्तिशोधन					 :
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					पुं० [सं०] १. मदन वृक्ष। मैनफल का पेड़। २. मैनफल।				 | 
			
			
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