शब्द का अर्थ
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					वहि					 :
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					अव्य० [सं०√वह्+इसुन्] जो अन्दर न हो। बाहर। (इसके यौ० के लिए दे० ‘बहि’ के यौ०)				 | 
			
			
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					वहित					 :
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					भू० कृ० [सं० अव√हा (त्याग करना)+क्त, अलोप] १. बहन किया हुआ या ढोया हुआ। २. ज्ञात। ३. विख्यात। ४. प्राप्त।				 | 
			
			
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					वहित्र					 :
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					पुं० [सं०] वहन करने का उपकरण। जैसे–गाड़ी जहाज, नाव रथ आदि।				 | 
			
			
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					वहिनी					 :
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					स्त्री० [सं० वह+इनि+ङीष्] नौका। नाव।				 | 
			
			
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					वहिरंग					 :
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					वि० पुं०=वहिरंग।				 | 
			
			
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					वहिर्गत					 :
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					वि०=बहिर्गत।				 | 
			
			
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					वहिर्द्वार					 :
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					पुं०=बहिर्द्वार।				 | 
			
			
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					वहिर्भूत					 :
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					वि०=बहिर्भूत (बहिर्गत)।				 | 
			
			
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					वहिष्करण					 :
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					पुं०=बहिष्करण।				 | 
			
			
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					वहिष्कार					 :
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					पुं०=बहिष्कार।				 | 
			
			
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					वहिष्ठ					 :
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					वि० [सं० वह+इष्ठन्] अधिक भार वहन करनेवाला।				 | 
			
			
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