शब्द का अर्थ
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					विरस					 :
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					वि० [मध्य० स०] [भाव० विरसता] १. जिसमें रस या मिठास न हो। २. फलतः जो स्वाद में फीका हो। ३. जिसमें रुचि को आकृष्ट करने का कोई गुण या तत्त्व न हो। जिसमें रुचि न लगती हो। ४. (साहित्यिक रचना) जिसमें रस का परिपाक न हुआ हो। पुं० काव्य में होनेवाला रसभंग नामक दोष।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					विरसता					 :
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					स्त्री० [सं० विरस+तल्+टाप्] १. विरस होने की अवस्था या भाव। २. साहित्य का रस-भंग नामक दोष।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 |