शब्द का अर्थ
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					विराग					 :
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					पुं० [सं० वि√रञ्ज् (राग करना)+घञ्, मध्यम० स०] १. मन में राग होनेवाला अभाव। किसी चीज या बात की चाह न होना। ‘अनुराग’ का विपर्याय। २. किसी काम, चीज या बात से मन उचट या हट जाना। विरक्ति। ३. सांसारिक सुख-भोग की चाह न रह जाना। वैराग्य। ४. संगीत में दो रागों के मेल से बना हुआ संकर राग।				 | 
			
			
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					विरागी (गिन्)					 :
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					वि० [सं० विराग+इनि] [स्त्री० विरागिनी] १. जिसके मन में राग (चाह या प्रेम) न हो। राग-रहित। २. दे० ‘विरक्त’।				 | 
			
			
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