शब्द का अर्थ
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					वैध्य					 :
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					वि० [सं० विध्य+अण्] १. विंध्य पर्वत पर होनेवाला अथवा उससे संबंध रखनेवाला। २. विध्यवासी।				 | 
			
			
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					वैध					 :
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					वि० [सं० विधि+अण्] विधि-सम्मत। २. विधि की दृष्टि में ठीक। विधि के अनुकूल।				 | 
			
			
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					वैधता					 :
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					स्त्री० [सं०] वैध होने की अवस्था, धर्म या भाव।				 | 
			
			
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					वैधर्मिक					 :
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					वि० [सं० विधर्मी+कन्+अण्] १. ध्रर्म-विरुद्ध। २. विधर्मियों जैसा।				 | 
			
			
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					वैधर्म्य					 :
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					पुं० [सं० विधर्म+ष्यञ्] १. विधर्मी होने की अवस्था या भाव। २. नास्तिकता। ३. वह जो अपने धर्म के अतिरिक्त अन्यान्य धर्मों के सिद्धान्तों का भी अच्छा ज्ञाता हो।				 | 
			
			
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					वैधव					 :
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					पुं० [सं० विधु+अण्] विधु अर्थात् चन्द्रमा के पुत्र, बुध। वि० विधु-सम्बन्धी। विधु का।				 | 
			
			
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					वैधवेय					 :
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					वि० [सं० विधवा+ढक्—एय] विधवा के गर्भ से उत्पन्न।				 | 
			
			
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					वैधव्य					 :
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					पुं० [सं० विधवा+ष्यञ्] विधवा होने की अवस्था, या भाव। रँड़ापा।				 | 
			
			
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					वैधस					 :
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					पुं० [सं० वेधस्+अण्] राजा हरिशचन्द्र जो राजा वेधस के पुत्र थे। वि० वेधस संबंधी। वेधस का।				 | 
			
			
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					वैधात्र					 :
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					पुं० [सं० विधातृ+अण्] सनत्कुमार जो विधाता पुत्र माने जाते हैं।				 | 
			
			
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					वैधात्री					 :
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					स्त्री० [सं० वैधात्र+ङीष्] ब्राह्मी (जड़ी)।				 | 
			
			
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					वैधिक					 :
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					वि० [सं० विधि+ठक्-इक] वैध। विधि-सम्मत।				 | 
			
			
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					वैधी					 :
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					स्त्री० [सं० विधि+अण्+ङीष्] ऐसी भक्ति जो शास्त्रों में बतलाई हुई विधि के अनुसार या अनुरूप हो। जैसे—कीर्तन, भजन आदि।				 | 
			
			
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					वैधूर्य					 :
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					पुं० [सं० विधुर+ष्यञ्] १. विधुर होने की अवस्था या भाव। २. हताश या कातर होने की अवस्था या भाव। ३. भ्रम। धोखा। ४. सन्देह। ५. कंप।				 | 
			
			
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					वैधृति					 :
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					पुं० [सं० ब० स० पृषो० सिद्धि] १. ज्योतिष में विष्कंभ आदि सत्ताइस योगों में से एक जो अशुभ कहा गया है। २. पुराणानुसार विधृति के पुत्र एक देवता।				 | 
			
			
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					वैधेय					 :
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					वि० [सं० विधि+ढक्-एय या विधेय+अण्] १. विधि संबंधी। विधि का। २. संबंधी। रिश्तेदार। ३. मूर्ख। बेवकूफ।				 | 
			
			
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