| शब्द का अर्थ | 
					
				| संपात					 : | पुं० [सं०] [वि० संपातिक] १. एक साथ गिरना या पड़ना। २. संपर्क। संसर्ग। ३. संगम। समागम। ४. मिलने का स्थान। संगम। ५. वह स्थान जहाँ एक रेखा दूसरे पर पड़ती या उससे मिलती हो। ६. किसी पर झपटना या टूट पड़ना। ७. पहुँच। पैठ। प्रवेश। ८. घटित होना। ९. गाद। तलछट। १॰. उपयोग में आ चुकने का बाद किसी चीज का बचा हुआ अंश। | 
			
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				| संपाति					 : | पुं० [सं० सम√पत् (गिरना)+णिच्-इनि] १. एक गीध जो गरुण का ज्येष्ठ पुत्र और जटायु का भाई था। २. माली नामक राक्षस का एक पुत्र जो विभीषण का मंत्री था। | 
			
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				| संपाती (तिन्)					 : | वि० [सं०] [स्त्री० संपातिनी] १. एक साथ टूटने या झपटने वाला। २. उड़ने, कूदने आदि में होड़ लगाने वाला। पुं०=संपाति। | 
			
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