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			| शब्द का अर्थ |  
				| संप्रदान					 : | पुं० [सं० सम्-प्र√दा (देना)+ल्युट्-अन] १. दान देने की क्रिया या भाव। २. दीक्षा के समय शिष्य को गुरु का मंत्र देना। ३. उपहार। भेंट। ४. व्याकरण में एक कारक जो उस संज्ञा की स्थिति का बोध कराता है जिसके निमित्त कोई कार्य किया गया होता है। इसकी निभक्ति ‘को’ तथा ‘के’ लिए है। ५. किसी की वस्तु उसे देना या उसके पास पहुँचाना। (डिलिवरी) |  
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं |  |