| शब्द का अर्थ | 
					
				| समान					 : | वि० [सं०] [भाव० समानता] १. गुण, मूल्य, महत्व आदि से विचार के से किसी के अनुरूप या बराबरी का। बराबर। तुल्य। (ईक्वल) जैसा—दोनों बातें समान हैं। २. आकार, प्रकार रूप आदि के विचार किसी की तरह का। सदृश। (मिसिलर)।—जैसा—ये दोनों गहने समान है। विशेष-सदृश, समान और तुल्य का अंतर जानने के लिए दे० सदृश का विशेष। पद—एक समान=एक ही जैसे। बराबर। समान वर्ण=ऐसे वर्ण जिनका उच्चारण एक ही स्थान से होता हो। जैसा—क,ख,ग,घ,समान वर्ण है। पुं० १. सत्। २. शरीर से नाभि के पास रहनेवाली एक वायु। स्त्री०=समानता। | 
			
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				| समानक					 : | वि० [सं०] १. =समान। २. =समानार्थक। | 
			
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				| समान-कालीन					 : | वि०=समकालीन। | 
			
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				| समान-गोत्र					 : | पुं० [सं०] सगोत्र। | 
			
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				| समान-तंत्र					 : | पुं० [सं०] १. सम-व्यवसायी। हमपेशा। २. बेद की किसी एक शाखा का अध्ययन करने तथा उनके अनुसार यज्ञ आदि करनेवाले व्यक्ति। | 
			
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				| समानता					 : | स्त्री० [सं० समान+तल्-टाप्] १. समान होने की अवस्था या भाव। तुल्यता। बराबरी। जैसा—इन दोनों में बहुत कुछ समानता है। २. वह गुण, तत्व या बात जो दो या अधिक वस्तुओं आदि में समान रूप से हो। | 
			
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				| समानत्व					 : | पुं० [सं० समान+त्व]=समानता। | 
			
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				| समाननाम					 : | पुं० [सं० समाननामन्] ऐसे व्यक्ति जिनके नाम एक से हों। एक ही नामवाले। नाम-रासी। | 
			
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				| समानयन					 : | पुं० [सं० सम-आ√नी (ढोना)+ल्युट—अन] [भू० कृ० समानीत] अच्छी तरह अथवा आदरपूर्वक ले आने की क्रिया। | 
			
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				| समानर्ष					 : | पुं० [सं० ब० स०] वे जो एक ही ऋषि के गोत्र या वंश में उत्पन्न हुए हों। | 
			
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				| समानस्थान					 : | पुं० [सं०] १. मध्यवर्ती स्थान। २. भूगोल में वह स्थान जहाँ दिन-रात बराबर हो। | 
			
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				| समाना					 : | अ० [सं० समावेशन] १. अंदर आना। भरना। अटना। जैसा—इस घड़े में २॰ सेर पानी समाता है। २. व्याप्त होना। जैसा—दिल में भय समाना। ३. कहीं से चलकर आना। पहुँचना। स० अंदर करना। भरना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| समानाधिकरण					 : | पुं० [सं० ब० स०] १. समान आधार। २. व्याकरण में वे दो शब्द या पद जो एक ही कारक की विभक्ति से युक्त हों। जैसा—राजा दशरथ के पुत्र राम कोवनवास मिला, यहाँ राजा दशरथ के पुत्र पद राम का समानाधिकरण है क्योंकि को विभक्ति समान रूप से उक्त दोनों पक्षो में लगती है। | 
			
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				| समानाधिकार					 : | पुं० [सं० कर्म० स०] १. जातीय, गुण, धर्म या विशेषता। २. बराबर का अधिकार। | 
			
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				| समानार्थ					 : | पुं० [सं० ब० स०] वे शब्द आदि जिनका अर्थ एक ही हो। पर्याय (सिनॉनिम्)। | 
			
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				| समानार्थक					 : | वि० [सं० ब० स०] (किसी शब्द के) समान अर्थ रखनेवाला। (दूसरा शब्द) पर्यायवाची (सिनॉनिमस)। | 
			
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				| समानार्थी					 : | वि० [सं०]=समार्थनाक। | 
			
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				| समानिका					 : | स्त्री० [सं०] एक प्रकार का वर्णवृत्त जिसके प्रत्येक चरण में क्रम से रगण, जगण और एक गुरु होता है। | 
			
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				| समानी					 : | स्त्री०=समानिका। | 
			
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				| समानुपात					 : | पुं० [सं० सम-अनुपात] [वि० समानुपातिक] किसी वस्तु के भिन्न-भिन्न अंगों में होनेवाला वह तुलनात्मक संबंध जो आकार, प्रकार, विस्तार आदि के विचार से स्थिर होता है और जिससे उन सब अंगों में संगति, सामंजस्य स्वरूपता जाती है। (प्रोपोर्शन)। | 
			
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				| समानुपातिक					 : | वि० [सं०] समानुपात की दृष्टि से ऐसे लोग जिनकी ग्यारहवीं से चौदहवीं पीढ़ी तक के पूर्वज एक हों। वि० साथ-साथ तर्पण करनेवाले। | 
			
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				| समानोपमा					 : | स्त्री० [सं० मध्यम० स०] उपमा अलंकार का एक प्रकार जिसमें उच्चारण की दृष्टि से एक ही शब्द भिन्न प्रकार से खंड करने पर भिन्न अर्थों का द्योतक होता है। | 
			
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