| शब्द का अर्थ | 
					
				| साठ					 : | वि० [सं० षष्ठि] जो गिनती में पचास में दस अधिक हो। पुं० उक्त की सूचक संख्या जो इस प्रकार लिखी जाती है—६॰। स्त्री०=साटी।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) पुं०=साथ (संग)। | 
			
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				| साठ-नाठ					 : | वि० [हिं० साँठि+नाठ (नष्ट)] १. जिसकी पूँजी नष्ट हो गई हो। निर्धन। दरिद्र। २. फीका या रूखा। नीरस। २. छिन्न-भिन्न। तितर-बितर। स्त्री० १. मेल-जोल। २. अनुचित संबंध। ३. षडयंत्र। | 
			
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				| साठसाती					 : | स्त्री०=साढ़ेसाती।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| साठा					 : | वि० [हिं० साठ] जिसकी अवस्था साठ वर्ष की हो गई हो। साठ वर्ष की उम्र वाला। जैसे—साठा सो पाठा। (कहा०) पुं० [देश०] १. बहुत बड़ा या लंबा चौड़ा खेत। २. ईख। गन्ना। ३. एक प्रकार की मधुमक्खी जिसे सठपुरिया भी कहते हैं। पुं०=साठी (धान)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| साठी					 : | पुं० [सं० षष्टिक] एक प्रकार का धान जो लगभग ६॰ दिन में पककर तैयार हो जाता है। | 
			
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