| शब्द का अर्थ | 
					
				| सुंखड़					 : | पुं० [?] साधुओं का एक संप्रदाय। | 
			
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				| सुंग					 : | पुं० [सं०] एक प्रसिद्ध प्राचीन राजवंश जो अंतिम मौर्य सम्राट बृहद्रथ के प्रधान सेनापति पुष्यमित्र ने ईसा से प्रायः दो सौ वर्ष पूर्व प्रतिष्ठित किया था। | 
			
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				| सुँघनी					 : | स्त्री० [हिं० सूँघना] तम्बाकू को पीसकर तथा छानकर तैयार किया हुआ चूर्ण जिसे लोग सूँघते हैं। तथा दाँतों आदि पर भी मलते हैं। | 
			
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				| सुँघाना					 : | स० [हिं० सूँघना का प्रे०] किसी को कुछ सूँघने मे प्रवृत्त करना। मुहा०—(किसी को) कुछ सुँघाना=ऐसी चीज सुँघाना जिससे कोई बेहोश हो जाय। | 
			
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				| सुंठि					 : | स्त्री०=सोंठ।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुंड					 : | पुं० १.=शुंड। २. सूँड़।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुंड-दंड					 : | पुं०=शुंडादंड।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुंड-भुसुंड					 : | पुं० [सं० शुंड भुशुंडि] जिसका अस्त्र सूँड़ हो। हाथी। वि०=संड-भुसंड | 
			
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				| सुंडस					 : | पुं० [?] लद्दू गधे की पीठ पर रखने की गद्दी। | 
			
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				| सुंड़ा					 : | पुं० [सं० शुंडि] [स्त्री० अल्पा० सुंडी] हरे रंग का एक प्रकार का कीड़ा जो प्रायः तरकारियों, फलियों आदि में लगकर उन्हे कुतरता है। पुं० [?] लद्दू गधे की पीठ पर रखने की गद्दी या गद्दा। पुं०=सूंड़। | 
			
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				| सुंडाल					 : | पुं० [सं० सुंडा+लच्] हाथी। | 
			
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				| सुंडाली					 : | वि० [सं० शुंडाल=सूँड़वाला] सूँड़वाला। स्त्री० एक प्रकार की मछली। | 
			
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				| सुंडी-बेंत					 : | पुं० [सुंडी ?+हिं० बेंत] एक प्रकार का बेंत जो बंगाल, असम और खसिया की पहाड़ियों पर होता है। | 
			
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				| सुंद					 : | पुं० [सं०√सुद् (नष्ट करना)+अप्] १. एक प्रसिद्ध असुर जो निसुंद का पुत्र और उपसुंद का भाई था। २. विष्णु। | 
			
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				| सुंन्दर					 : | वि० [सं०] [स्त्री० सुन्दरी, भाव, सुन्दरता, सौन्दर्य] १. जो गठन, रंग, रूप आदि के विचार से देखने में सुखद लगता हो। २. इंद्रियों को भला प्रतीत होने वाला। जैसे—सुन्दर बात, सुन्दर विचार, सुन्दर समाचार। ३. शुभ। जैसे—सुन्दर मुहुर्त। पुं० १. काम देव। २. लंका का एक पर्वत। ३. एक प्रकार का वृक्ष। | 
			
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				| सुंदरक					 : | पुं० [सं० सुन्दर+कन] एक प्रचीन तीर्थ। | 
			
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				| सुंदरता					 : | स्त्री० [सं० सुन्दर+तल्-टाप] १. भौतिक या शारीरिक रचना, प्रकार या रूप रंग जो नेत्रों को भला प्रतीत होता हो। २. लाक्षणिक अर्थ में कोई सुन्दर वस्तु। | 
			
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				| सुंदरताई					 : | स्त्री० [सं० सुंदर+हिं० ताई (प्रत्य०)]=सुंदरता।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुंदरत्व					 : | पुं० [सं० सुंदर+त्व] सुन्दरता। सौन्दर्य। | 
			
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				| सुंदरम्मन्य					 : | वि० [सं० सुंदर√मिन (मानना)+खश पक्-मुम] जो अपने आपको बहुत सुंदर मानता या समझता हो। अपने आपको सुन्दर समझनेवाला। | 
			
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				| सुंदराई					 : | स्त्री०=सुन्दरता।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुंदरापा					 : | पुं० [सं० सुन्दर+हिं० आपा (प्रत्य०)] सुंदरता। सौंदर्य। | 
			
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				| सुंदरी					 : | वि० स्त्री० [सं०] सुंदर रूपवाली। अच्छी सूरत शक्ल वाली। रूपवती। स्त्री० १. सुंदर रूप वाली स्त्री। खूबसूरत औरत। २. त्रिपुर सुंदरी देवी। ३. एक योगिनी का नाम। ४. सवैया नामक छंद का दसवाँ भेद जिसके प्रत्येक चरण में आठ सगण और एक गुरु होता है। ५. एक प्रकार का समवृत्त वर्णिक छंद जिसके प्रत्येक चरण में चार भगण होते हैं। इसका एक प्रसिद्ध नाम मोदक भी है। ६. तेईस अक्षरों की एक प्रकार की वर्ण वृत्ति। ७. द्रुत-विलंबित नामक छंद का दूसरा नाम। ८. हलदी। ९. एक प्रकार की मछली। १॰. एक प्रकार का बड़ा जंगली वृक्ष जिसकी लकड़ी बहुत मजबूत होती है। और नाव बनाने तथा इमारत के काम आती है। ११. पूतल आदि के वे लंबे टुकड़े जो बीन, सारंगी, सितार आदि के दंड पर बँधे रहते हैं और जो स्वर उतारने-चढाने के लिए ऊपर नीचे खिसकाये जाते हैं। १२. शहनाई की तरह का एक प्रकार का बाजा। | 
			
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				| सुंदोपसुंद					 : | पुं० [सं० द्व० स०] सुंद और उपसुंद नाम के दो भाई जो तिलोत्तमा (अप्सरा) को प्राप्त करने के लिए आपस में लड़ मरे थे। विशेष—इन दोनों भाइयों ने यह वर प्राप्त किया था कि हम तब तक नहीं मरें जब तक स्वयं एक दूसरे को न मारें। अतः इन्द्र द्वारा प्रेषित तिलोत्तमा अप्सरा की प्राप्ति के लिए ये आपस में लड़ मरे थे। | 
			
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				| सुंदोपसुंद न्याय					 : | पुं० [सं०] एक प्रकार का न्याय जिसका प्रयोग ऐसे अवसरों पर होता है जहाँ दो शक्तिशाली व्यक्ति आपस में घनिष्ठ मित्र होने पर भी अंत में सुंद और उपसुंद नामक दैत्यों की तरह लड़ मरते हैं। | 
			
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				| सुँधाई					 : | स्त्री० [हिं० सोंधा] सोंधे होने की अवस्था, गुण या भाव। सोंधापन। | 
			
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				| सुँधावट					 : | स्त्री०=सुँधाई।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुँधिया					 : | स्त्री० [हिं० सोंधा+इया (प्रत्य०)] १. गुजरात में होने वाली एक प्रकार की वनस्पति जो पशुओं के चारे के काम में आती है। २. एक प्रकार का ज्वार। | 
			
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				| सुंबा					 : | पुं० [देश०] [स्त्री० अल्पा० सुंबी०] १. वह गीला कपड़ा या पुचारा जिसे तोप की गरम नाल पर उसे ठंढा रखने के लिए फेरते या फैलाते थे। २. तोप की नाल साफ करने का गज। ३. लोहे में छेद करने का एक प्रकार का औजार। ४. इस्पंज। | 
			
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				| सुंबी					 : | स्त्री० [हिं० सुंबा] लोहा काटने की छेनी। | 
			
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				| सुंबुल					 : | पुं०=संबुल।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुंभ					 : | पुं० १. =शुंभ। २. =सुभ। | 
			
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				| सुंभा					 : | पुं० [स्त्री० अल्पा० सुंभी]=सुंबा। | 
			
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				| सुंभी					 : | स्त्री०=सुंबी।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुंसारी					 : | स्त्री० [देश] अनाजों में लगने वाला एक प्रकार का काला कीड़ा। | 
			
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				| सु					 : | उप० [सं०] एक संस्कृत का उपसर्ग जो प्राया संज्ञाओं और विशेषणों के पहले लगकर उनमें नीचे लिखे अर्थों की वृद्धि करता है। १. अच्छा, उत्तम या भला। जैसे—सुगंधि, सुनाम, सुमार्ग। २. मनोहर या सुन्दर। जैसे—सुदर्शन, सुकेशि। ३. अच्छी या पूरी तरह से। भली-भाँति। जैसे—सुयोजित, सुव्यवस्थित। ४. सरलतापूर्वक या सहज में। जैसे—सुकर, सुगम, सुसाध्य। ५. बहुत अधिक। जैसे—सुदीर्घ, सुसम्पन्न। ६. मांगलिक या शुभ। जैसे—सुदिन, सुसमाचार। ७. उचित और अधिकारी। जैसे—सुपात्र। पुं० १. सुंदरता। खूबसूरती। २. उत्कर्ष। उन्नति। ३. आनन्द। प्रसन्नता। हर्ष। ४. अर्चन। पूजन। ६. अनुमति। सहमति। ७. कष्ट। तकलीफ। सर्व० [सं० स०] सो। वह।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) अव्य० [सं० सह] कुछ क्षेत्रीय भाषाओं मे चरण तथा अपादान कारको का और कहीं-कहीं संबंध सूचक चिन्ह। वि०=स्व (अपना)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुअ					 : | पु०=सुत (बेटा)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुअटा					 : | पुं० [सं० शुक० प्रा० सुअ, हिं० सुआ] तोता। | 
			
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				| सुअन					 : | पुं० [सं० सुत० प्रा० सुअ] पुत्र। बेटा। वि०=सोना (स्वर्ण)। जैसे—सुअन जरद=सोनजर्द।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुअना					 : | अ० [हिं० सुअन] १. उत्पन्न होना। २. उदित होना। उगना। पुं०=सुगना (तोता)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुअर					 : | पुं० हिं० सुअर का वह रूप जो उसे यौगिक शब्दों से पहले लगने पर प्राप्त होता है। जैसे—सुअरदंता। | 
			
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				| सुअर-दंता					 : | वि० [हिं० सुअर+दंता=दाँतवाला] सुअर के से दाँतो वाला। पुं० वह हाथी जिसके दाँत झुके हों। | 
			
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				| सुअर्ग					 : | पुं०=स्वर्ग।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुअर्ग-पाताली					 : | पुं० दे० ‘स्वर्ग-पताली’। | 
			
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				| सु-अवसर					 : | पुं० [स० क० स०] ऐसा अवसर या समय जिसमें कार्य साधन के लिए अनुकूल या उपयुक्त परिस्थितियाँ होती हों। | 
			
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				| सुआ					 : | स्त्री० [?] साफ पानी में रहने वाली हरे रंग की एक मछली जिसके दाँत अत्यंत मजबूत और लंबे होते हैं। पुं०=सुअटा (तोता)। २. सूआ (बड़ी सुई)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुआउ					 : | वि० [सं० सु+आयु] जिसकी आयु बड़ी हो। दीर्घायु।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुआद					 : | पुं० [?] स्मरण। याद। (ङि०) पुं०=स्वाद।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुआन					 : | पुं० [देश] एक प्रकार का बड़ा वृक्ष जिसके पत्ते प्रति वर्ष झड़ जाते हैं। इसकी लकड़ी इमारत और नाव के कांम में आती है। पुं०=श्वान। पुं०=सूनु (पुत्र)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुआना					 : | स० [हिं० सूना का प्रे०] सूने में प्रवृत्त करना। उत्पन्न या पैदा करना। स०=सुलाना। | 
			
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				| सुआयी					 : | पुं०=स्वामी। | 
			
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				| सुआर					 : | पुं० [सं०सूपकार] भोजन बनानेवाला, रसोइया। | 
			
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				| सुआरव					 : | वि० [सं० ब० स०] उत्तम शब्द करनेवाला। मीठे स्वर से बोलने या बजनेवाला। | 
			
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				| सुआसिन					 : | स्त्री०=सुआसिनी।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुआसिनी					 : | स्त्री० [सं० सुवासिनी] १. स्त्री०, विशेषतः आस-पास में रहने वाली स्त्री। २. सौभाग्यवती स्त्री। सधवा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुआहित					 : | पुं० [सं० सु+आहत?] तलवार के ३२ हाथों में से एक हाथ। | 
			
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				| सुइना					 : | पुं०=सोना (स्वर्ण)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुइया					 : | स्त्री० [हिं० सुआ] एक प्रकार की चिड़िया। स्त्री०=सूई।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुइस					 : | स्त्री० दे० ‘सूँस’।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुई					 : | स्त्री०=सूई।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुकंकवान् (वत्)					 : | पुं० [सं० सुकंक+मतुप्-म-व] मार्कण्डेय पुराण के अनुसार मेरु के दक्षिण का एक पर्वत। | 
			
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				| सुकंटका					 : | स्त्री० [सं० ब० स०] १. घीकुआर। २. पिंडखजूर। | 
			
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				| सुकंठ					 : | वि० [सं० ब० स०] १. जिसका कंठ सुंदर हो। सुंदर गले वाला। २. जिसके गले का स्वर कोमल और मधुर हो। पुं० सुग्रीव का एक नाम | 
			
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				| सुकंद					 : | वि० [सं० कर्म० स०] कसेरू। | 
			
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				| सुकंदक					 : | पुं० [सं० सुकंद+कन्] १. महाभारत काल का एक प्राचीन देश। २. उक्त देश का निवासी। ३. बाराही कंद। गेंठी। ४. प्याज। | 
			
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				| सुकंदन					 : | पुं० [सं० ब० स०] १. बैजयंती तुलसी। २. बबई तुलसी। वर्वरक। | 
			
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				| सुकंदा					 : | स्त्री० [सं०] १. लक्षणा कंद। पुत्रदा। २. बाँस ककोड़ा। | 
			
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				| सुकंदी					 : | पुं० [सं० सुकंद-ङीप्] सूरन। जमींकंद। | 
			
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				| सुक					 : | पुं० १. दे० ‘शुक’। २. दे० ‘शुक्रदेव’। पुं० १. दे० शुक्र। २. दे० ‘शुक्रवार’। | 
			
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				| सुकचण					 : | पुं० [सं० संकुचण] लज्जा। संकोच। (डि०) | 
			
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				| सुचकना					 : | अ०=सकुचना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुकचाना					 : | अ०=सकुचाना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुकटि					 : | वि० [सं० ब० स०] अच्छी कमर वाली। जिसकी कमर सुंदर हो। स्त्री० १. सुंदर कमर। २. सुन्दर कमरवाली स्त्री। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुकड़ना					 : | अ०=सिकुड़ना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुकदेव					 : | पुं०=शुकदेव।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुकन					 : | पुं०=शकुन। (ङि०)(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुकना					 : | पुं० [देश] एक प्रकार का धान जो भादों के अंत में होता है। स० सूखना। (पश्चिम)(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुक-नासा					 : | स्त्री० [सं० शुक+नासिका] १. तोते की ठोर जैसी नाक। २. स्त्री जिसकी नाक तोते की ठोर जैसी हों।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुकमार					 : | वि०=सुकुमार (कोमल)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुकर					 : | वि० [सं० सु√कृ (करना)+खल्] [भाव० सुकरता] (कार्य) जो सहज में किया जा सके। सरल। आसान। | 
			
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				| सुकरता					 : | स्त्री० [सं० सुकर+तल्-टाप] १. सुकर होने की अवस्था या भाव। सौन्दर्य। २. सुन्दरता। | 
			
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				| सुकरा					 : | स्त्री० [सं सुकर-टाप्] ऐसी अच्छी और सीधी गौ जो सहज में दुही जा सके। | 
			
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				| सुकरात					 : | पुं० एक प्रसिद्ध यूनानी दार्शनिक जो अफलातून (प्लेटो) का गुरू था। (साँक्रटीज़) | 
			
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				| सुकराना					 : | पुं०=शुकराना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुकरित					 : | वि० [सं० सुकृत] १. अच्छा। भला। २. मांगलिक शुभ। | 
			
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				| सुकरीहार					 : | [पुं०] गले में पहनने का एक प्रकार का हार।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुकर्णक					 : | वि० [सं० ब० स०]सुन्दर कानों वाला। पुं० हस्तिकंद। हाथीकंद। | 
			
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				| सुकर्णिका					 : | स्त्री० [सं० सुकर्ण+कन्-टाप्, इत्व] १. मूसाकानी नाम की लता। २. महाबला। | 
			
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				| सुकर्णी					 : | स्त्री० [सं० सुकर्ण-ङीप्] इन्द्रवारुणी। इन्द्रायन। | 
			
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				| सुकर्म					 : | पुं० [सं० कर्म० स०] १. अच्छा या उत्तम काम। सत्कर्म। २. देवताओं का एक गण या वर्ग। | 
			
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				| सुकर्मा (र्मन्)					 : | वि० [सं० सुकर्मन्+सु लोप दीर्घ नलोप] अच्छे कार्य करने वाला। सुकर्मी। पुं० १. विषकंभ आदि २७ योगों में से सातवां योग। २. विश्वकर्मा। ३. विश्वामित्र। | 
			
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				| सुकर्मी (र्मिन)					 : | वि० [सं० सुकर्म+इनि] १. अच्छा काम करने वाला। २. धर्म और पुण्य के काम करने वाला। ३. सदाचारी। | 
			
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				| सुकल					 : | वि० [सं० ब० स०] १. कोमल और मधुर परंतु अस्फुट स्वर करने वाला। २. वह जो धन के दान तथा व्यय करने में उदार तथा सुख्यात हो। वि०,पुं०=शुक्ल। पुं०=सुकुल (आम)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुकवाना					 : | अ० [?] अचंभे में आना। आश्चर्यान्वित होना। स०=सुखवाना। (पश्चिम)(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुकवि					 : | पुं० [सं० कर्म० स०] उत्तम कवि। | 
			
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				| सुकांड					 : | वि०[सं० ब० स०] सुन्दर कांड या डालों वाला। पुं० करेले का पौधा या बेल। | 
			
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				| सुकांडी					 : | वि० [सं० सुकांडिन्, सुकांड+इनि] सुन्दर कांड या शाखाओं वाला। पुं० भ्रमर। भौंरा। | 
			
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				| सुकाज					 : | पुं० [सं० सु+हिं० काज] उत्तम कार्य। अच्छा काम। सुकार्य। | 
			
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				| सुकातिज					 : | पुं० [सं० शक्तिज] मोती। (डिं०) | 
			
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				| सुकाना					 : | स०=सुखाना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुकानी					 : | पुं० [अ० सुक्कान=पतवार] मल्लाह। माझी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुकाम					 : | वि० [सं०] अच्छी कामनाएँ करने वाला। | 
			
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				| सुकाम-वृत					 : | पुं० [सं० चतु० स०] किसी उत्तम कामना से धारण किया जाने वाला व्रत। | 
			
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				| सुकामा					 : | स्त्री० [सं० सुकाम-टाप्] त्रायमाणा लता। त्रायनाम। | 
			
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				| सुकार					 : | वि० [सं० सु√कृ (करना)+अण्] [स्त्री० सुकारा] १. सहज साध्य। सहज में होने वाला (काम) जो सहज में हो सके। सुकर। २. (पशु) जो सहज में वश में किया जा सके। ३. (पदार्थ) जो सहज में प्राप्त हो सके। | 
			
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				| सुकाल					 : | पुं० [सं० कर्म० स०] १. अच्छा या उत्तम समय। २. ऐसा समय जब अन्न यथेष्ट होता हो। और सहज में मिलता हो। आकाल का विपर्याय। | 
			
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				| सुकाली (लिन्)					 : | [सं० सुकाल+इनि] मनु के अनुसार शूद्रों के पितरों का एक वर्ग। | 
			
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				| सुकावना					 : | स०=सुखाना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुकाशन					 : | वि० [सं० सु√काश् (चमकना)+ल्युट्—अन] अत्यन्त दीप्तिमान। बहुत चमकीला। | 
			
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				| सुकाष्ठ					 : | पुं० [सं० ब० स०] अच्छी लकड़ी वाला। (वृक्ष)। पुं० काष्ठाग्नि। | 
			
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				| सुकाष्ठक					 : | पुं० [सं० सुकाष्ठ+कन्] देवदारु। वि०=सुकाष्ठ। | 
			
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				| सुकाष्ठा					 : | स्त्री० [सं० सुकाष्ठ-टाप्] १. कुटकी। २. कठ-केला। | 
			
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				| सुकिज					 : | पुं०=सुकृत (अच्छा कर्म या कार्य)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुकिया					 : | स्त्री०= स्वकीया (नायिका)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुकी					 : | स्त्री० हिं० सुक (तोता) का स्त्री०। तोते की मादा। | 
			
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				| सुकीय					 : | स्त्री०= स्वकीया (नायिका)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुकुंद					 : | पुं० [सं० ब० स०] राल। धूना। | 
			
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				| सुकुंदक					 : | पुं० [सं० ब० स०] प्याज। | 
			
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				| सुकुआर					 : | वि०=सुकुमार।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुकुट्ट					 : | पुं० [सं० ब० स०] महाभारत के अनुसार एक प्राचीन जनपद। | 
			
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				| सुकुड़ना					 : | अ०=सिकुड़ना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुकुति					 : | स्त्री०=शुक्ति।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुकुमार					 : | वि० [सं० कर्म० स०] [स्त्री० सुकुमारी, भाव० सुकुमारता] १. (व्यक्ति या शरीर) जिसमें सौंदर्यपूर्ण कोमलता हो। २. (पदार्थ) जो सहज में कुम्हला या मुरझा सकता अथवा थोड़ी सी असावधानी से खराब हो सकता हो। पुं० १. सुन्दर कुमार। सुन्दर बालक। २. वह जो बालकों के समान कोमल अंगों वाला हो। ३. ईख। ४. वनचंपा। ५. चिचड़ा। ६. कँगनी। ७. मेरु पर्वत के नीचे का वन। | 
			
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				| सुकुमारक					 : | पुं० [सं० ब० स०] १. तम्बाकू का पत्ता। २. तेजपत्ता। ३. साँवा नामक अन्न। | 
			
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				| सुकुमारता					 : | स्त्री० [सी० सुकुमार+घल--टाप्] सुकुमारा होने की अवस्था, गुण या भाव। सौंदर्य-पूर्ण कोमलता। | 
			
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				| सुकुमारा					 : | स्त्री० [सुकुमार-टाप्] १. जूही। २. चमेली। ३. केला। ४. मालती। | 
			
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				| सुकुमारिका					 : | स्त्री० [सं० सुकुमारिक-टाप्] केले का पेड़। | 
			
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				| सुकुमारी					 : | वि० [सं० सु√कुमार (खेलना)+अच्-ङीप्] सं० सुकुमार का स्त्री०। कोमल और सुन्दर अंगो वाली। स्त्री० १. कुमारी कन्या। २. पुत्री। बेटी। ३.चमेली। ४. ऊख। ५. केला। ६. स्पृक्का। ७. शंखिनी नामक ओषधि। ८. करेला। | 
			
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				| सुकुरना					 : | अ०= सिकुड़ना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुकुर्कुर					 : | पुं० [सं० ब० स०] बालकों का एक प्रकार का रोग जिसकी गणना बाल ग्रहों में होती है। | 
			
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				| सुकुल					 : | वि० [सं०] जो अच्छे कुल या वंश में उत्पन्न हुआ हो। पुं० १. उत्तम या श्रेष्ठ कुल। २. एक प्रकार का बढ़िया आम जो उत्तर प्रदेश और बिहार में होता है। वि०, पुं० शुक्ल।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुकुलता					 : | स्त्री० [सं० सुकुल+तल्-टाप्] सुकुल होने की अवस्था या भाव। कुलीनता। | 
			
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				| सुकुल-वेद					 : | पुं० [सं० शक्ल+हिं० बेत] एक प्रकार का वृक्ष। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुकुवाँर (वार)					 : | वि० सुकुमार।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुकूत					 : | पुं० [अ०] १.मौन। चुप्पी। २. नीरवता। | 
			
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				| सुकूनत					 : | स्त्री० [अ० सकूनत] १. ठहरने की जगह। २. निवास। ३. निवास स्थान। | 
			
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				| सुकृत्					 : | वि० [सं० सु+√कृ (करना)+क्विप्-तुक] १. उत्तम और शुभ कार्य करने वाला। २. धर्म के और पुण्य काम करने वाला। ३. भाग्यवान। ४. धार्मिक, पवित्र तथा शुभ। पुं० निपुण कारीगर। दक्ष शिल्पी। | 
			
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				| सुकृत					 : | भू० कृ० [सं०] १. (काम) जो अच्छे ढंग से किया गया हो। जैसे—सुकृत कर्म अर्थात पुण्य का और शुभ काम। २. (कृति) जो बहुत बढिया बनाई गई हो। पुं० १. कोई भलाई का कार्य। सत्कार्य। पुण्य कार्य। २. धर्म शील और पुण्यात्मा व्यक्ति। ३. भाग्यवान व्यक्ति। मुहा०—सुकृत मनाना=अपने सुकृतों का स्मरण करते हुए यह मानना कि उनके फल स्वरूप हमारा संकट दूर हो। उदा०—लगी मनावन सुकृत, हाथ कानन पर दीन्हे।—रत्ना०। | 
			
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				| सुकृत-कर्मा					 : | पुं० [सं० सुकृतकर्मा कर्म० स०] धर्मात्मा या पुण्यात्मा व्यक्ति। | 
			
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				| सुकृत-व्रत					 : | पुं० [सं० मध्य० स०] एक प्रकार का व्रत जो प्रायः द्वादशी के दिन किया जाता है। | 
			
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				| सुकृतात्मा					 : | वि० [सं० सुकृतात्मन०, ब० स०] पुण्य कर्म करने की जिसकी वृत्ति हो। | 
			
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				| सुकृति					 : | स्त्री० [सं० सु√कृ (करना)+क्तिन] १. धर्म और पुण्य का काम। २. तपश्चर्या। ३. कोई अच्छी या सुन्दर कृति। सत्कर्म। | 
			
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				| सुकृतित्व					 : | पुं० [सं० सुकृति+त्व] सुकृति का भाव या धर्म। | 
			
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				| सुकृती (तिन)					 : | वि० [सं० सुकृत+इनि] १. सत्कर्म करने वाला। २. धार्मिक और पुण्यशील। ३. भाग्यवान। ४. बुद्धिमान। | 
			
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				| सुकृत्य					 : | पुं० [सं० सु√कृ (करना)+क्यप्-तुक] उत्तम कार्य। सत्कर्म। | 
			
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				| सुकेत					 : | पुं० [सं० ब० स०] आदित्य। सूर्य। | 
			
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				| सुकेतु					 : | वि० [सं० ब० स०] सुन्दर केशों या बालों वाला। पुं० १. चित्रकेतु राजा का एक नाम। २. ताड़का राक्षसी के पिता का नाम। ३. वह जो पशु-पक्षियों तक की बोली समझता हो। | 
			
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				| सुकेश					 : | वि० [सं० ब० स०] [स्त्री० सुकेशा] उत्तम केशों वाला। जिसके बाल सुन्दर हों पुं०=सुकेशि। | 
			
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				| सुकेशा					 : | वि० स्त्री० [सं० सुकेश-टाप] सुन्दर अर्थात घने लंबे बालों वाली (स्त्री)। | 
			
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				| सुकेशि					 : | पुं० [सं०] विद्यत्केश राक्षस का पुत्र तथा माल्यवान, सुमाली और माली नामक राक्षसों का पिता। | 
			
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				| सुकेशी					 : | स्त्री० [सं० सुकेश-ङीप्] १. सुन्दर अर्थात घने तथा लंबे बालों वाली स्त्री। २. एक अप्सरा का नाम। वि०=सुकेशा। | 
			
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				| सुकेसर					 : | पुं० [सं० ब० स०] सिंह। शेर। | 
			
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				| सुक्कान					 : | पुं० [अ०] नाव की पतवार। | 
			
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				| सुक्कानी					 : | पुं० [अ०] पतवार थामने वाला अर्थात मल्लाह। माझी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुक्की					 : | वि० [सं० स्वकीय] अपना। निजी। उदा०—ए बार सुर बंदहु नहिं बंधि लेहु सुक्की बधअ।—चन्दबरदाई। स्त्री० [सं० सुकीर्ति] नेकनामी। सुयश। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुक्ख					 : | पुं०=सुख।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुक्त					 : | पुं० [सं०] एक प्रकार की काँजी। | 
			
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				| सुक्ता					 : | स्त्री० [सं० सुक्त-टाप्] इमली। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुक्ति					 : | पुं० [सं० ब० स०] एक प्राचीन पर्वत। स्त्री०=शुक्ति।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुक्र					 : | पुं० [सं० सक्रतु] अग्नि। (ङि०) वि० पुं०=शुक्र।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुक्रत					 : | पुं०=सुकृत।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुक्रति					 : | पुं०=स्त्री०=सुकृति।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुक्रतु					 : | वि० [सं० ब० स०] सत्कर्म करने वाला। पुण्यशील। पुं० १. अग्नि। २. शिव। ३. इन्द्र। ४. सूर्य। ५. सोम। ६. वरुण। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुक्ल					 : | वि०=शुक्ल।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुक्षत्र					 : | वि० [सं० ब० स०] १. बहुत बड़ा धनवान्। २. बहुत बड़ा राज्यशाली। ३. बलवान। ४. शक्तिशाली। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुक्षिति					 : | स्त्री० [सं० कर्म० स, ब० स०] १. सुन्दर निवास स्थान। २. उक्त प्रकार के स्थान में रहने वाला व्यक्ति। ३. वह जो धन-धान्य और संतान से बहुत सुखी हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुक्षेत्र					 : | वि० [सं० ब० स०] जिसका जन्म अच्छे गर्भ में हुआ हो। पुं० ऐसा घर जिसके दक्षिण, पश्चिम और उत्तर की ओर दीवारें या मकान हों, और जो पूर्व की ओर खुलता हो। (ऐसा मकान बहुत शुभ माना जाता है)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुखंकर					 : | वि० [सं० सुख√कृ (करना)+रच्] सुकर। सहज। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुखंडी					 : | स्त्री० [हिं० सूखना] प्रायः बच्चों को होने वाला एक रोग जिसमें उनका शरीर अत्यंत क्षीण हो जाता है। वि० लाक्षणिक अर्थ में, अत्यंत क्षीण अशक्त और दुर्बल। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुखंद					 : | वि०=सुखद।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुख					 : | पुं० [सं०] १. वह प्रिय अनुभूति जो अनुकूल या अभीप्सित वाता-वरण या स्थिति की प्राप्ति पर होती है। जैसे—इस शुभ समाचार से उसे सुख मिला। २. साधारणतया व्यक्ति की वह स्थिति जिसमें वह आर्थिक, मानसिक तथा शारीरिक कष्टों से मुक्त रहता है। और उसे अपेक्षित सुविधाएँ प्राप्त होती हैं, अथवा प्राप्त सुविधाओं से संतोष होता है। मुहा—सुख की नींद सोना=निश्चिन्त होकर आनन्द से सोना या रहना। खूब मजे में समय बिताना। सुख मनान=किसी विशिष्ट परिस्थिति की अनुकूलता के कारण अच्छी तरह प्रसन्न और संतुष्ट रहना। जैसे—यह पेड़ सभी प्रकार की जमीनों में सुख मानता है। ३. कल्याण। मंगल। ४. धन-धान्य आदि की सम्पन्नता। ५. स्वर्ग। ६. सुखी नामक छंद का दूसरा नाम। वि० यौ० पदों के आरम्भ में, १. जो अनुकूल और प्रिय रूप में होता हो। जैसे—सुख-क्रिया। २. जहाँ या जिसमें सुख प्राप्त होता हो। जैसे—सुख-कंदर। ३. जो सहज में या सुभीते से होता हो। जैसे—सुख-दोहन। ४. स्वभावतः अच्छे रूप में होने वाला। उदा०—जाके सुख-मुख वास से वासित होत दिगंत।—केशव। क्रि० वि० सुखपूर्वक। आराम। सुखद रूप से। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुख-आसन					 : | पुं० [सं० मध्य० स०]=सुखासन। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुख-कंद					 : | वि० [सं० मध्य० स० सुख+कंद] सब प्रकार के सुख देनेवाला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुख-कंदन					 : | वि०=सुखकंद।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुख-कंदर					 : | वि० [सं० सुख+कंदरा] ऐसा स्थान जहाँ बहुत सुख मिलता हो । | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुखक					 : | वि० [हिं० सूखा] सूखा। शुष्क। वि०=सुखद।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुखकर					 : | वि० [सं०] १. सुख देने वाला। सुखद। २. जो सहज में किया जा सके। सुकर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुख-करण					 : | वि० [सं० ष० त० सुख+करण] सुख उत्पन्न करनेवाला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुखकरन					 : | वि०=सुख-करण। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुखकरी					 : | स्त्री० [सं०] संगीत में कर्नाटकी पद्धति की एक रागिनी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुखकारक					 : | वि० [सं०] सुख देनेवाला। सुखद। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुखकारी					 : | वि० =सुखकारक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुख-क्रिया					 : | स्त्री० [सं०] १. सुख प्राप्ति के लिए किया जाने वाला कार्य। २. ऐसा कार्य जिसे करते समय सुख मिलता हो। ३. ऐसा कार्य जिसे करने में किसी प्रकार का कष्ट न होता हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुख-गंध					 : | वि० [सं० ब० स०] अच्छी गंध वाला। सुगंधित। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुखग					 : | वि० [सं० सुख√गम् (जाना)+ड] सुख या आराम से चलने या जानेवाला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुख-गम					 : | वि० [सं० सुख√गम् (जानाः-अच्]=सुगम। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुख-चार					 : | पुं० [सं० सुख√चर् (चलना)+घज्ञ्] अच्छा या उत्तम घोड़ा। बढ़िया घोड़ा। वि०=सुख-गम। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुख-चाव					 : | पुं० [सं०+हिं०] १. ऐसा कार्य करने का शौक जिससे सुख मिलता हो। २. आनन्द-मंगल। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुख-जात					 : | वि० [सं० तृ० त०] सुखी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुख-जीवी (विन्)					 : | पुं० [सं०] १. वह जो सुखी जीवन बिता रहा हो अथवा सुखी जीवन बिताने का इच्छुक हो। २. वह जो परिश्रम न करना चाहता हो और पकी पकाई खाना चाहता हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुख-डैना					 : | पुं० [हिं० सूखना+डैना (प्रत्य०) बैलों का एक प्रकार का रोग। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुख-ढरन					 : | वि० [सं० सुख+हिं० ढरना] १. सुख देने वाला। सुखदायक। २. सहज में अनुकूल या प्रसन्न होने वाला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुखता					 : | स्त्री० [सं०] सुख का धर्म या भाव। सुखत्व। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुखथर					 : | पुं० [सं० सुख+स्थल] ऐसा प्रदेश जहाँ के लोग सुखी हों। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुखद					 : | वि० [सं०] [स्त्री० सुखदा] सुख देना वाला। जो सुख दे या देता हो। सुखदायी। आरामदेह। पुं० १. विष्णु। २. विष्णु का लोक या स्थल। ३. संगीत में एक प्रकार का ताल। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुखद-गीत					 : | वि० [सं० ब० स० सुखद+गीत] जिसकी बुहत अधिक प्रशंसा हो। प्रशंसनीय। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुख-दनियाँ					 : | वि०, स्त्री०=सुख-दानि।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुखदा					 : | वि० [सं० सुखद का० स्त्री] सुख देने वाली। सुख दायिनी। स्त्री० १. गंगा। २. अप्सरा। ३. शमीवृक्ष। ४. एक प्रकार का छंद। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुख-दाता (दातृ)					 : | वि० [सं०] सुख देने वाला। सुखद। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुख-दानि					 : | वि० [सं० सुखदायिनी] सुख देने वाला। सुखद। पुं०=प्रियतम। स्त्री० [सं०] सुंदरी नाम का छंद का दूसरा नाम। २. कुछ आचार्यों के मत से एक प्रकार का छंद जिसके प्रत्येक चरण में ८ मात्राएँ होती हैं। कुछ लोग अंत में गुरु और लघु रखना भी आवश्यक समझते हैं। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुख-दानी					 : | वि० स्त्री० [हिं० सुखदान] सुख देने वाली। आनन्द देने वाली। स्त्री०=सुख-दानि। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुखदायक					 : | वि० [सं० सुख√दा (देना)+ण्वुल्-अक-पुक्] सुख देने वाला। सुखद। पुं० एक प्रकार का छंद। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुखदायी (दायिन्)					 : | वि० [सं० सुख√दा (देना)+णिन्-युक्] [स्त्री० सुखदायिनी] सुख देने वाला। सुखद। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुखदायी					 : | वि०=सुखदायी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुखदाव					 : | वि०=सुखदायी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुखदास					 : | पुं० [देश०] एक प्रकार का अगहनी धान। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुखदेनी					 : | वि, स्त्री०=सुखदायिनी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुखदेव					 : | पुं०=शुकदेव।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुखदेन					 : | वि०=सुखदायी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुखदैनी					 : | वि० स्त्री०=सुखदायिनी। | 
			
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				| सुखदोह्या					 : | वि०, स्त्री० [सं०] (मादा पशु विशेषतः गाय) जिसे आसानी से दूहा जा सके। | 
			
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				| सुख-धाम					 : | पुं० [सं० ष० त०] १. एक ऐसा स्थान जहाँ सब प्रकार के सुख प्राप्त हों। २. वह जिसमें सब प्रकार के सुख वर्तमान हो। ३. स्वर्ग। | 
			
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				| सुख-ध्वनि					 : | पुं० [सं०] संगीत में कर्नाटकी पद्धति का एक राग। | 
			
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				| सुखन					 : | पुं० [फा० सखुन] १. बात-चीत २. कविता। विशेष—सुखुन के यौ० पदों के लिए दे० ‘सखुन’ के यौ०। | 
			
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				| सुखना					 : | अ०=सूखना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुख-नीलांबरी					 : | स्त्री० [सं०] संगीत में कर्नाटकी पद्धति की एक रागिनी। | 
			
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				| सुख-पर					 : | वि० [सं]=सुखी। | 
			
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				| सुख-पति					 : | स्त्री०=सुषुप्ति। (क्व०)(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुखपाल					 : | पुं० [सं० सुख+हिं० पालकी में का पाल] पुरानी चाल की एक प्रकार की पालकी जिसका ऊपरी भाग शिवालय में शिखर-सा होता है। | 
			
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				| सुखपूर्वक					 : | अव्य० [सं०] सुख से। जैसे—वे सुखपूर्वक वहाँ रहते हैं। | 
			
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				| सुखप्रद					 : | वि० [सं० सुख-प्र√दा+क] सुखदेनेवाला। सुखद। | 
			
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				| सुख-प्रश्न					 : | पुं० [सं०] किसी का सुख क्षेम जानने के लिए की जाने वाली जिज्ञासा। | 
			
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				| सुख-प्रसवा					 : | वि० स्त्री० [सं०] जिसे प्रसव करने के समय विशेष कष्ट न होता हो। | 
			
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				| सुख-प्रिय					 : | वि० [सं० ब० स०] जो सदा सुख से रहना चाहता हो। पुं० संगीत में कर्नाटकी पद्धति का एक राग। | 
			
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				| सुख-बोध					 : | वि० [सं०] (बात या विषय) जिसका बोध या ज्ञान सहज में हो सकता हो। | 
			
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				| सुखमंदिर					 : | पुं० [सं० मध्य० स०] महल का वह भाग जिसमें राजा लोग बैठकर नृत्य संगीत आदि देखते सुनते थे। | 
			
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				| सुकमणा					 : | स्त्री०=सुषुम्ना (नाड़ी)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुखमणि					 : | पुं० [सं० सुख+मणि] सिक्खों का वह छोटा धर्मग्रन्थ जिसका वे प्रायः नित्य पाठ करते हैं। | 
			
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				| सुखमन					 : | स्त्री० [सं० सुषुम्ना] सुषुम्ना नाम की नाड़ी। पुं०=शुख-मणि।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुखमा					 : | स्त्री० [सं० सुषमा] एक प्रकार का व्रत। २. सुषमा। शोभा। | 
			
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				| सुखमानी (मानिन्)					 : | वि० [सं०] १. किसी विशिष्ट अवस्था में सुख मानने वाला। २. हर अवस्था में सुखी रहनेवाला। | 
			
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				| सुख-मुख					 : | वि० [सं०] १. (शब्द या वर्ण) जिसका उच्चारण सरलता से किया जा सकता हो। २. सुन्दर बातें करने वाला। ३. जो मँहजोर न हो। | 
			
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				| सुख-राज					 : | पुं० दे० ‘मुहासुख’। | 
			
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				| सुख-रात					 : | स्त्री०=सुख-रात्रि।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुख-रात्रि					 : | स्त्री० [सं० ष० त०] १. दीपावली की रात। कार्तिक मास की अमावस्या की रात। २. वह रात जिसमें पति पत्नी सुख के लिए रति करते हैं। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुख-रात्रिका					 : | स्त्री० [सं०] लक्ष्मी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुख-रास					 : | वि० [सं० सुक+राशि] जो सर्वथा सुखमय हो। सुख की राशि।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुख-रासी					 : | वि०=सुख-रास।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुख-रूप					 : | वि० [सं०] सुहावने रूप वाला। | 
			
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				| सुख-रूपी					 : | वि०=सुख-रूप। | 
			
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				| सुख-रोग					 : | पुं० [हिं०] [वि० सुख रोगी] कोई ऐसा बे नाम का अथवा नाम मात्र का रोग जिसका बड़े आदमी प्रायः काल्पनिक रूप में अपने आप में आरोप कर लिया करते हैं। | 
			
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				| सुखलाना					 : | पुं०=सुखाना (पश्चिम)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुखवंत					 : | वि० [सं०] १.सुखी। प्रसन्न। खुश। २. सुख देने वाला। सुखद। | 
			
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				| सुखवत्					 : | वि० [सं० सुख+मतुप्-म=व] सुखयुक्त। सुखी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुखवती					 : | स्त्री० [सं० सुखवत-ङीष्] अमिताभ बुद्ध का स्वर्ग। वि०, सं० सुखवान का स्त्री०। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुखवत्ता					 : | स्त्री० [सं० सुखवत्+तल-टाप] १. सुख का भाव या धर्म। २. सुखी होने की अवस्था या भाव। | 
			
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				| सुखवन					 : | पुं० [हिं० सूखना] १. सुखाने की क्रिया या भाव। २. वह फसल जो सूखने के लिए धूप में डाली जाती है। ३. कोई चीज सूखने या सुखाने पर उसकी तौल या माल में होने वाली कमीं। ४. गीले अक्षरों को सुखाने के लिए उन पर छिड़का या छोड़ा जाने वाला बालू। | 
			
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				| सुखवाद					 : | पुं०[सं०] १. यह मत या सिद्धान्त कि इस दुःख पूर्ण संसार में रहकर भी मनुष्य को यथासाध्य सुखभोग करना चाहिए और भविष्य में भी सुख या शुभ फल की आशा तथा कामना बनाये रखनी चाहिए। इसमें केवल अर्थ और काम पुरुषार्थ माने जाते हैं। ‘दुःख वाद’ का विपर्याय। २. दे० ‘आशावाद’। | 
			
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				| सुखवादी					 : | वि० [सं०] सुखवाद-संबंधी। पुं० १. वह जो सुखवाद का अनुयायी हो। २. आशावादी। | 
			
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				| सुखवान् (वत्)					 : | वि० [सं० सुख+मतुप्-म=व-नुम-दीर्घ] [स्त्री० सुखवती] सुखी। | 
			
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				| सुखवार					 : | वि० [सं० सुख+हिं० वार (प्रत्य०)] [स्त्री० सुखवारी] १.सुखी। २. सहज। सरल। | 
			
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				| सुखवास					 : | पुं० [सं० मध्य० स०] वह स्थान जहाँ का निवास सुखकर हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुख-सलिल					 : | पुं० [सं० मध्य० स०] उष्ण जल। गरम पानी। | 
			
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				| सुख-साध्य					 : | वि० [सं० तृ० त०] [भाव० सुखसाध्यता] १. जिसे सुख पूर्वक प्राप्त किया जा सके। २. सुगम। सहज। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुख-सार					 : | पुं० [सं० सुख+सार] मुक्ति। मोक्ष। | 
			
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				| सुख-सुभीता					 : | पुं० [सं०+हिं०] ऐसी बातें जिनके होने पर मनुष्य सुखपूर्वक जीवन बिता सके। (एमेनिटी) २. सुख और सहूलियत। | 
			
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				| सुख-स्पर्श					 : | वि० [सं० मध्य० स०] जिसे छूने से सुख मिलता हो। | 
			
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				| सुख-स्वप्न					 : | पुं० [सं०] भावी सुख की ऐसी कल्पना जिसका कोई दृढ आधार न हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुख-स्वरावली					 : | स्त्री० [सं०] संगीत में कर्नाटकी पद्धति की एक रागिनी। | 
			
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				| सुखांत					 : | वि० [सं० ब० स०] १. जिसका अंत या समाप्ति सुखमय वातावरण में होती हो। २. (साहित्यिक रचना) जिसका अंतिम अंश मुख्य-पात्र के भावी सुखी जीवन की ओर इंगित करता हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुखांबु					 : | पुं० [सं० मध्य० स०] गरम पानी। | 
			
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				| सुखा					 : | स्त्री० [सं० सुख-टाप्] वरुण की पुरी का नाम। | 
			
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				| सुखाई					 : | क्रि० वि० [हिं० सुखी] १. सुखपूर्वक अच्छी तरह। २. बिना किसी परिश्रम के। सहज में। उदा०—प्रभु प्रताप मैं जाब सुखाई।—तुलसी। स्त्री० [हिं० सुखाना+आई (प्रत्य०)] सुखाने की क्रिया, भाव या मजदूरी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुखाकर					 : | पुं० [सं० ब० स०] बौद्धों के अनुसार एक लोक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुखाधार					 : | वि० [सं० ष० त०, ब० स०] जो सुख का आधार। पुं० स्वर्ग। | 
			
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				| सुखाधिकार					 : | पुं० [सं० सुख+अधिकार] विधिक क्षेत्र में, जमीन, मकान आदि के संबंध में सुख-सुभीते का वह अधिकार जो उसे पहले से या बहुत दिनों से प्राप्त हो, और इसीलिए दूसरों के द्वारा उसका अतिक्रमण दंडनीय अपराध माना जाता है। (राइट आफ ईजमेंट) जैसे—किसी मकान में पहले से यदि कोई खिड़की चली आ रही हो, तो उसे इस संबंध में सुखा-धिकार प्राप्त होता है। यदु कोई पड़ोसी उस खिड़की से ठीक सटाकर नई दीवार खड़ी करता है तो वह दूसरों के सुखाधिकार का अतिक्रमण करता है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुखाना					 : | स० [हिं० सूखना का प्रे०] १. ऐसी क्रिया करना जिससे किसी चीज की नमी दूर हो जाय। जैसे—धूप में बाल सुखाना। २. (शरीर के संबंध में क्षीण या दुर्बल करना)। ३. नष्ट करना। जैसे—खून सुखाना। अ० [सं० सुख+हिं० आना (प्रत्य०] १. सुखकर प्रतीत होना। अच्छा या भला लगना। २. शरीर के लिए अनुकूल तथा सह्य होना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुखानी					 : | पुं० [अ० सुस्कान] माँझी। मल्लाह। (लश०) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुखायत					 : | वि० [सं०] सहज में वश में आने वाला। सीखा और सधा हुआ। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुखारा					 : | वि० [सं० सुख+हिं० आरा (प्रत्य०)] [स्त्री० सुखारी] १. सुखी। २. सरल। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुखारि					 : | पुं० [सं० सुख√ऋ (गत्वादि)+अण्+इति] उत्तम हवि भक्षण करने वाले अर्थात देवता पुं०=सुखारि (देवता)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुखार्थी (थिन्)					 : | वि० [सं०] [स्त्री० सुखार्थिनी] सुख चाहने वाला। सुख की इच्छा करनेवाला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुखाला					 : | वि० [सं० सुख=हिं० आला (प्रत्य०)] [स्त्री० सुखाली] १. सुखी। २. सहज। सुगम। (पश्चिम)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुखालोक					 : | वि० [सं० ब० स०] सुन्दर। मनोहर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुखावत्					 : | वि०=सुखवत्।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुखावती					 : | स्त्री० [सं०] बौद्धों के अनुसार एक स्वर्ग। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुखावतीश्वर					 : | पुं० [सं० ष० त०] १. बुद्ध देव। २. बौद्धों के एक देवता। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुखावह					 : | वि० [सं० सुख-आ√वह् (ढोना)+अच्] सुख देने वाला। सुखद। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुखाश					 : | वि० [सं० सुख+अश् (खाना)+अच्] जो खाने में बहुत अच्छा जान पड़े। पुं० १. वरुण। २. तरबूज। वि० जिससे सुख प्राप्त होने की आशा हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुखाशा					 : | स्त्री० [सं० ष० त०] सुख पाने की आशा। आराम की उम्मीद। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुखाश्रय					 : | वि० [सं० ष० त०] जिस पर सुख अवलम्बित हो। सुख का आधार पुं० ऐसा स्थान जहाँ सुख मिलता हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुखासन					 : | पुं० [सं० मध्य० स०] १. वह आसन जिस पर बैठने से सुख हो। सुखद आसन २. पालकी। ३. आजकल-आराम कुर्सी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुखिआ					 : | वि०=सुखी।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुखित					 : | वि०=हि० सूखना] सूखा हुआ। शुष्क। वि० [हिं० सुख] सुखी।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुखिता					 : | स्त्री० [सं० सुख+इतच्-टाप्] सुखी होने की अवस्था या भाव। सुख। आनन्द। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुखित्व					 : | पुं० [सं० सुखी+त्व]=सुखिता। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुखिया					 : | वि०=सुखी। उदा०—नानक दुखिया सब संसार। सोई सुखिया जिन राम अधार।—गुरु-नानक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुखिर					 : | पुं० [सं० सुषिर ? ] साँप के रहने का बिल। बाँबी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुखी (खिन्)					 : | वि० [सं० सुख+इनि्] १. जिसे सुख की अनुभूति हो रही हो। २. जिसे सुख प्राप्त हो। सुखपूर्ण वातावरण में रहने या पलने वाला। ३. सुखों से भरा। जैसे—सुखी जीवन। स्त्री० सवैया छंद का चौदहवाँ भेद जिसके प्रत्येक चरण में आठ सगण और तब लघु और गुरु वर्ण होता है। इसमें १२ और १४ वर्णों पर यति होती है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुखीन					 : | पुं० [देश०] एक प्रकार का पक्षी जिसकी पीठ लाल, छाती और गर्दन सफेद तथा चोंच चिपटी होती है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुखेतर					 : | पुं० [सं० पंच० त०] सुख से इतर या भिन्न अर्थात दुःख, क्लेश, कष्ट आदि। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुखेन					 : | अव्य० [सं०] १. सुखपूर्वक। सुख से। २. बहुत ही सहज में बिना विशेष प्रयास के । उदा०—(क) लरहिं सुखेन कालकिन होऊ।—तुलसी। (ख) जो कविवर मुख मूक ही गिरा नचाव सुखेन।—दीनदयाल। पुं०=सुषेण (करमर्द)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुखेलक					 : | पुं० [सं० सु√खेल (लना)+ण्वुल्-अक] एक प्रकार का वृत या छंद। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुखेष्ठ					 : | पुं० [सं० सुख+इष्ठन] शिव। महादेव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुखैना					 : | वि० [सं० सुख+हिं० ऐना (प्रत्य०)] १. सुखी। २. सुख देने वाला। ३.सहज में प्राप्त होनेवाला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुखोदक					 : | पुं० [सं० मध्य० स०] गरम पानी। उष्ण जल। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुखोदय					 : | वि० [सं० ष० त०] जिसका परिणाम सुखद हो। पुं० १. ऐसी स्थिति जिसमें सुख समृद्धि का आरंभ हो रहा हो। २. सुख की होने वाली अनुभूति। ३. कोई मादक पेय। ४. पुराणानुसार एक वर्ष या भू-खंड। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुखोष्ण					 : | वि० [सं० मध्य० स०] जो इतना उष्ण हो कि सुखद प्रतीत होता हो। गुनगुना। पुं० कुनकुना जल। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुख्य					 : | वि० [सं०√सुख्+पत् सु√ (प्रसिद्ध करना) सुख-संबंधी। सुख का। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुख्यात					 : | वि० [सं० सु√ख्या (प्रसिद्ध करना)+क्त] [भाव० सुख्यात] जिसकी अच्छी या विशेष प्रसिद्धि हो। प्रसिद्ध। मशहूर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुख्याति					 : | स्त्री० [सं० सु√ख्या+क्तिन] सुख्यात होने की अवस्था या भाव। विशेष रूप से होने वाली प्रसिद्धि। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुगंध					 : | स्त्री० [सं०] १. ऐसी गंध जो प्रिय लगती हो। प्रिय महक। सुवास। खशबू। २. वह पदार्थ जिसमें से अच्छी गंध निकलती हो। खुशबुदार चीज। ३. अगिया घास। गंधतृण। ४. श्रीखंड चन्दन।। ५. गंधराज। ६. नील कमल। ७. काला-जीरा। ८. गठिवन। ९. चना। १॰. भूतृण। ११. लाल सहिजन। १२. मरुआ। १३. माधवी लता। १४. कसेरु। १५. सफेद ज्वार। १६. केवड़ा। १७. रूसा घास। १८. शिलारस। १९. राल। धूना। २॰. गंधक। २१. एक प्रकार का कीड़ा। वि० १. गंधयुक्त। २. सुगंध से युक्त। सुगंधित। ३. यशस्वी। उदाहरण—गंध्रपसेन सुगंध नरेसू।—जायसी। स्त्री०=सौगंध।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुगंधक					 : | पुं० [सं० ब० स०] १. द्रोण पुष्पी। गूमा। २. साठी धान। ३. धरणी कंद। कंदालु। ४. लाल तुलसी। ५. गंध-तृण। ६. नारंगी। ७. ककोड़ा। ८. गंधक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुगंध केसर					 : | पुं० [सं०] लाल सहिजन। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुगंध-कोकिला					 : | स्त्री० [सं० मध्य० स०] गंधकोकिला नामक गंध द्रव्य। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुगंध-गंधा					 : | स्त्री० [सं० ब० स०] दारुहल्दी। दारुहरिद्रा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुगंध-गण					 : | पुं० [सं०] वैद्यक में सुगंधित द्रव्यों का एक गण या वर्ग। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुगंध-तृण					 : | पुं० [सं० मध्य० स०] गंध-तृण। रूसा घास। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुगंध-त्रय					 : | पुं० [सं० ब० स०] चंदन, बला और नागकेसर इन तीनों का वर्ग या समूह। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुगंध-त्रिफला					 : | स्त्री० [सं० ष० त०] जायफल, लौंग और इलायची अथवा जायफल, सुपारी तथा लौंग इन तीनों का समूह। (वैद्यक) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुगंधन					 : | पुं० [सं० सु√गन्ध् (गत्यादि)+ल्युट-अन] जीरा। | 
			
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				| सुगंधनाकुली					 : | स्त्री० [सं० मध्य० स०]=गंधनाकुली। | 
			
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				| सुगंध-पत्रा					 : | स्त्री० [सं० ब० स०] १. शतमूली। सतावर। २. अपराजिता। ३. घमासा। ४. कंठ जामुन। ५. बनभौंटा। ६. जीरा। ७. बरियारा। बबला। ८. विधारा। ९. रुद्रजटा। | 
			
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				| सुगंधपत्री					 : | स्त्री० [सं० सुगंधपत्र+ङीष्] १. जावित्री। २. फूल प्रियंगू। ३. रुद्र-जटा। ४. कंकोल। | 
			
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				| सुगंध-बाला					 : | स्त्री० [सं० सुगंध+हि० बाला] क्षुप जाति की एक बनौषधि। | 
			
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				| सुगंध-भूतृण					 : | पुं० [सं०] १. रूसा घास। अगिया घास। २. दे० ‘भूतृण’। | 
			
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				| सुगंध-मुख्या					 : | स्त्री० [सं० ब० स०] कस्तूरी। मृगनाभि। | 
			
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				| सुगंध-मूल					 : | पुं० [सं० ब० स०] हरफा-रेवड़ी। लवलीफल। | 
			
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				| सुगंध-मूला					 : | पुं० [सं० सुगंध-मूल-टाप्] १. स्थल कमल। स्थल पद्य। २. रासना। ३. आँवला। ४. कपूरकचरी। ५. हरफा-रेवड़ी। | 
			
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				| सुगंध-मूली					 : | स्त्री० [सं० सुगंधमूल+ङीष्] गंध पलाशी। कपूरकचरी। | 
			
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				| सुगंध-मूषिका					 : | स्त्री० [सं० मध्य० स०] छछूँदर। | 
			
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				| सुगंधरा					 : | पुं० [सं० सुगंध+हि० रा] एक प्रकार का क्षुप और उसका फूल। | 
			
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				| सुगंध-रौहिष					 : | पुं० [सं० मध्य० स०] रोहिष घास। अगिया घास। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुगंध-वल्कल					 : | पुं० [सं० ब० स०] दारचीनी। | 
			
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				| सुगंध-शालि					 : | पुं० [सं० मध्य० स०] वह चावल जिसमें से मीठी भीनी गंध निकलती है। बासमती चावल। | 
			
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				| सुगंध-षट्क					 : | पुं० [सं० ष० त०] जायफल, कंकोल (शीतल चीनी) लौंग, इलायची, कपूर और सुपारी का वर्ग या समूह। (वैद्यक)। | 
			
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				| सुगंध-सार					 : | पुं० [सं० ब० स०] सागोन। शाल वृक्ष। | 
			
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				| सुगंधा					 : | स्त्री० [सं०] १. रासन। रासना। २. काला जीरा। ३. कपूर कचरी। ४. रुद्रजटा। ५. सौंफ। ६. बाँझ। ककोड़ा। ७. नवमल्लिका। नेवारी। ८. पीली जूही। ९. नकुल-कंद। नाकुली। १॰. असबरग। ११. सलई। १२. माधवी लता। १३. अनंतमूल। १४. बिजौरा नींबू। १५. तुलसी। १६. निर्गुंडी। १७. एलुआ। १८. बकुची। सोमराजी। १९. एक देवी जिनका स्थान माधव वन में कहा गया है और जिनकी गणना बाइस पीठ-स्थानों में होती है। | 
			
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				| सुगंधाढ्य					 : | वि० [सं० तृ० त०] सुगंधित। खुशबूदार। | 
			
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				| सुगंधाढ्या					 : | वि० [सं०] १. त्रिपुरमाली। त्रिपुर मल्लिका। २. बासमती चावल। | 
			
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				| सुगंधि					 : | वि० [सं० तृ० त०] सुगंधित। खुशबू। वास। पुं० १. परमात्मा। २. आम। ३. कसेरु। ४. पिपरा मूल। ५. धनियाँ। ६. अगिया घास। ७. मोथा। ८. एलुआ। ९. वन तुलसी। १॰. गोरख ककड़ी। ११. चन्दन। १२. तुंबरू। १३. अनंतमूल। वि०=सुगंधित। | 
			
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				| सुगंधिक					 : | पुं० [सं० सुगंधि+कन्] १. गाँडर की जड़। उशीर। खस। २. बासमती चावल। ३. कुमुदिनी। कूईं। ४. पुष्करमूल। ५. काला जीरा। ६. मोथा। ७. एलुआ। ८. शिलारस। ९. कपित्थ। कैथा। १॰. पुन्नाग। ११. गंधक। | 
			
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				| सुगंधिका					 : | स्त्री० [सं०] १. कस्तूरी। मृगनाभि। २. केवड़ा। ३. सफेद अनंतमूल। ५. काली निर्गुडी। | 
			
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				| सुगंधि-कुसुम					 : | पुं० [सं० ब० स०] १. पीला कनेर। २. असबरग। | 
			
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				| सुगंधित					 : | भू० कृ० [सं०] १. सुगंध से युक्त किया हुआ। २. (पदार्थ) जिसमें से सुगंधि निकल रही हो। | 
			
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				| सुगंधिता					 : | स्त्री० [सं०] =सुगंधि। | 
			
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				| सुगंधि-त्रिफला					 : | स्त्री० [सं०]=सुगंध त्रिफला। | 
			
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				| सुगंधिनी					 : | स्त्री० [सं०] १. आराम शीतल नाम का शाक। सुनंदिनी। २. पीली केतकी। | 
			
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				| सुगंधि-पुष्प					 : | पुं० [सं०] धारा कदंब। | 
			
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				| सुगंधि-फल					 : | पुं० [सं०] शीतल चीनी। कबाब चीनी। | 
			
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				| सुगंधि-माता (तृ)					 : | स्त्री० [सं० ष० त०] पृथिवी। | 
			
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				| सुगंधि-मूल					 : | पुं० [सं०] खस। उशीर। | 
			
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				| सुगंधि-मूषिका					 : | स्त्री० [सं०] छछूँदर। | 
			
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				| सुगंधी (धिन्)					 : | वि० [सं० सुगंध+इनि] जिसमें अच्छी गंध हो। सुवासित। सुगंधयुक्त। खुशबूदार। पुं० एलुआ। स्त्री०=सुगंधि।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुग					 : | वि० [सं० सु+ग=गति] १. अच्छी तरह तेज या बहुत चलनेवाला। २. खूब जागते या सचेत रहनेवाला। ३. अच्छा गानेवाला। ४. सुगम। सहज। ५. सुगम। सहज। ६. सुबोध। पुं० १. सुमार्ग। २. सुख। ३. विष्ठा। मल। | 
			
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				| सु-गठन					 : | स्त्री० [सं० सु (उप)+हि० गठन] शरीर के अंगों की अच्छी गठन। वि०=सुगठित। | 
			
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				| सुगठित					 : | वि० [सं० सु+हि० गठित] १. अच्छी तरह से गठा हुआ। २. संघठित। | 
			
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				| सुगत					 : | पुं० [सं०] १. बुद्ध देव का एक नाम। २. बुद्ध देव का अनुयायी। बौद्ध। वि० [सं० सुगति] १. अच्छी गतिवाला। अच्छे आचरणवाला। २. जिसे सुगति अर्थात् मोक्ष प्राप्त हुआ हो। ३. सुगम। स्त्री०=सुगति।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुगतदेव					 : | पुं० [सं० कर्म० स०] गौतम बुद्ध। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुगतापतन					 : | पुं० [सं० ष० त०] बौद्ध मंदिर। | 
			
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				| सुगति					 : | स्त्री० [सं० कर्म० स०] १. अच्छी या उत्तम गति। २. सदाचरण। ३. मरने के उपरान्त होनेवाली उत्तम गति। मोक्ष। ४. एक प्रकार का छन्द या वृत्त। | 
			
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				| सुगन					 : | पुं० [देश] छकड़े में गाड़ीवान के बैठने की जगह के सामने आड़ी लगी हुई दो लकड़ियाँ जिनकी सहायता से बैल खोल लेने पर भी गाड़ी खड़ी रहती है। पुं०=सगुन।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुगना					 : | पुं० [सं० शुक, हि० सुग्गा] सुग्गा। तोता। पुं०=सहिंजन।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुगभस्ति					 : | वि० [सं० ब० स०] अत्यंत दीप्तिमान। बहुत चमकीला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुगम					 : | वि० [सं० स√गम् (जाना)+अच्] [भाव० सुगमता] १. (स्थान) जहाँ सरलता से पहुँचा जा सके। २. (मार्ग) जिस पर आसानी से चला और आगे बढ़ा जा सके। ३. (कार्य) जिसका संपादन या साधन सुखपूर्वक किया जा सके। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुगमता					 : | स्त्री० [सं० सुगम+तल्-टाप्] १. सुगम होने की अवस्था या भाव। सरलता। आसानी। जैसे—इससे आपके कार्य में बहुत सुगमता हो जायगी। २. वह गुण या तत्व जिससे कोई कार्य सरलता से और जल्दी से संपन्न हो जाता है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुगम्य					 : | वि० [सं० सु√गम (जाना ( यत्] स्थान जिसमें सहज में प्रवेश हो सके। सरलता से जाने योग्य। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुगर					 : | पुं० [सं० ब० स०] शिगरफ। हिगुल। वि०=सुघड़। वि०=सुगम। | 
			
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				| सुगरूप					 : | पुं० [देश] एक प्रकार की सवारी जो प्रायः रेतीले देशों में काम आती है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुगल					 : | पुं०=सुग्रीव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुग-सुग					 : | स्त्री० [अनु०] कानाफूसी।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुग-सुगाना					 : | अ० [अनु०] कानाफूसी करना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुगह					 : | वि० [सं०सु+गाह ] जो सहज में पकड़ा या ग्रहण किया जा सके। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुगहना					 : | स्त्री० [सं०] प्राचीन काल में यज्ञ-भूमि के चारों ओर बनाया जानेवाला घेरा जिसके परिणाम स्वरूप अस्पृश्यों का प्रवेश रुक जाता था। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुगाली					 : | स्त्री० [सं० ब० स०] १. सुन्दर शरीरवाली स्त्री। २. संगीत में कर्नाटकी पद्धति की एक रागिनी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुगाध					 : | वि० [सं० ब० स०] (नदी) जिसमें सुख से स्नान किया जा सके, अथवा जिसे सहज में पार किया जा सके। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुगाना					 : | अ० [सं० शोक] १. दुःखी होना। २. दुःखी होकर नाराज होना। बिगड़ना। स०=दुःखी करना। अ० [?] शक या सन्देह करना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुगाल					 : | पुं०=सुकाल (डि०)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुगीत					 : | पुं० [प्रा० स०]=सुगीतिका। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुगीतिका					 : | स्त्री० [सं० ब० स०] आर्या छंद का एक भेद। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुगुंडा					 : | स्त्री०[सुगुण्डा, ब० स०] गुंडासिनी तृण। गुंडाला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुगुरा					 : | वि० [सं० सुगुरु] १. जिसने अच्छे गुरु से मंत्र लिया हो। जिसने अच्छे गुरु से शिक्षा पाई हो।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुगृह					 : | पुं० [सं० प्रा० स०] सुन्दर घर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुगृही					 : | वि० [सं० सुगृह+इनि] १ . जिसके पास सुन्दर घर हो। २. जिसकी पत्नी सुन्दर और सुयोग्य हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुगेष्णा					 : | वि० स्त्री० [सं० ब० स०] सुन्दर रूप से गानेवाली स्त्री० किन्नरी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुगैया					 : | स्त्री० [हि० सुग्गा] अँगिया। चोली। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुगौतम					 : | पुं० [सं० प्रा० स०] गौतम बुद्ध। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुग्गा					 : | पुं० [सं० शुक्र] [स्त्री० सुग्गी] तोता।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुग्गा-पंखी					 : | पुं० [हि० सुग्गा+पंख] एक प्रकार का अगहनी धान। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुग्गा-साँप					 : | पुं० [हि० सुग्गा+साँप] एक प्रकार का साँप। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुग्गी					 : | स्त्री० [हि० सुग्गा का स्त्री] मादा तोता। तोती। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुग्द					 : | पुं० [?] वंक्षु और सीर नदियों के बीच के प्रदेश का पुराना नाम। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुग्दी					 : | वि० [सुग्द प्रदेश से] सुग्द प्रदेश का। सुग्द प्रदेश का निवासी। स्त्री० सुग्द प्रदेश की बोली। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुग्रंथि					 : | पुं० [सं० ब० स०] १ . चोरक नामक गंध द्रव्य २. पिपरामूल। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुग्रह					 : | पुं० [सं०] फलित ज्योतिष के अनुसार शुभ या अच्छे ग्रह। जैसे—वृहस्पति शुक्र आदि। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुग्रीव					 : | वि० [सं० ब० स०] अच्छी या सुन्दर ग्रीवा। (गरदन) वाला। पुं० १. विष्णु या कृष्ण के चार घोड़ों में से एक। २ .वानरों का राजा जो बलि का भाई और श्रीरामचन्द्र का सखा तथा सहायक था। ३ .वर्तमान अवसर्पिणी के नवें अर्हत के पिता का नाम। ४. इन्द्र। ५ .शिव। ६ . एक प्रकार का प्राचीन अस्त्र। ७ .शंख। ८. राज-हंस। ९ .एक प्राचीन पर्वत। १॰.वास्तु-कला में एक प्रकार का मंडप। ११. नायक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुग्रीवी					 : | स्त्री० [सं० सुग्रीव-ङीष्] दक्ष की एक कन्या तथा कश्यप की पत्नी जो घोड़ों, ऊँटों तथा गधों की जननी कही गई है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुग्रीवेश					 : | पुं० [सं० ष० त०] श्रीरामचन्द्र। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुघट					 : | वि० [सं०] १ जिसकी सुन्दर गछन या बनावट हो। सुड़ौल। २ जो अच्छी तरह और सहज में बन सकता हो।. | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुघटित					 : | वि० [सं० सुघट+इतच्] १. गठन या बनावट के विटचार से जो सुडौल फलतः सुन्दर हो। २. गठे हुए शरीरवाला। ३. संघटित। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुघट्य					 : | वि० [सं०] जिसे मनमाने ढंग से दबा या मोड़कर सभी प्रकार या रूपों में लाया जा सके (प्लैस्टिक) जैसे—सुघट्य मिट्टी। पुं० दे० ‘सुनम्य्’। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुघट्यता					 : | स्त्री० [सं० सुघट्य+तल-टाप्] सुघट्य होने की अवस्था, गुण या भाव। (प्लैस्टिसिटी)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुघड़					 : | वि० [सं० सुघट] [भाव० सुघड़ई, सुघड़पन] १. अच्छी तरह गढ़ा हुआ, फलतः सुडौल और सुन्दर। २. जो हर काम अच्छी तरह या ठीक ढंग से कर सकता हो। कुशल। निपुण। होशियार। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुघड़ई					 : | स्त्री०१.=सुघड़पन। २. =सुघरई (रागिनी)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुघड़ता					 : | स्त्री०=सुघड़पन। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुघड़पन					 : | पुं० [हि० सुघड़+पन (प्रत्यय)] सुघड़ होने की अवस्था गुण या भाव। सुघड़ई। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुघड़-भलाई					 : | स्त्री० [हि०] १. कौशल या चतुराई से भरी हुई चापलूसी की बातें। २. मीठी पर स्वार्थपूर्ण बातें करने का गुण या योग्यता। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुघड़ाई					 : | स्त्री०=सुघड़ई।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुघड़ापा					 : | पुं० [हि० सुघड़+आपा (प्रत्यय)] सुघड़पन। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुघड़ी					 : | स्त्री० [हि० सु+घड़ी] अच्छी शुभ घड़ी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुघर					 : | वि०=सुघड़।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुघई					 : | स्त्री०=सुघड़ई (सुघड़ापन)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुघरई-कान्हड़ा					 : | पुं० [हि० सुघरई+कान्हड़ा] संपूर्ण जाति का एक संकर राग। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुघरई-टोड़ी					 : | स्त्री० [हि० सुघरई+टोड़ी] संपूर्ण जाति की एक संकर रागिनी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुघरता					 : | स्त्री०=सुघड़ता (सुधड़पन)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुधरपन					 : | पुं०=सुघड़पन।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुघरी					 : | वि० हि० सुघर (सुघड़) का स्त्री। स्त्री० [हि० सु+घड़ी] अच्छी घड़ी। शुभ काल या समय। सुघड़ी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुघोष					 : | वि० [सं०] जो उच्च या मधुर घोष करता हो। सुन्दर घोष या स्वरवाला। पुं० चौथे पांडव नकुल के शंख का नाम। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुघोषक					 : | पुं० [सं० ब० स०] प्राचीन काल का एक प्रकार का बाजा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुचंग					 : | वि० [हि० सु+चंगा] १. अच्छा। बढ़िया। २. सुन्दर। पुं० घोड़ा। (डि०)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुचंद					 : | वि०=सुचंग। पुं० [हि० सु+चाँद] पूर्णिमा का चंद्रमा। उदाहरण—गुन ज्ञान मान सुचंद है।—पद्याकर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुचंदन					 : | पुं० [सं० ब० स० प्रा० स०] पतंग या बक्कम नाम की लकड़ी। जिसका व्यवहार औषधि और रंग आदि में होता है। रक्त सार सुरंग। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुचंद्र					 : | पुं० [सं० ब० स] १. एक गंधर्व का नाम। २. सिंहिका के पुत्र का नाम। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुचंद्रा					 : | स्त्री० [सं० सुचद्र-टाप्] एक प्रकार की समाधि। (बौद्ध)। | 
			
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				| सुच					 : | वि०=शुचि।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुचकना					 : | अ० =सकुचना। उदाहर—वो जब घर से निकले सुचकते-सुकचते। कुछ कदम भी उठाये झिझकते झिझकते।—नजीर।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुचक्षु स्)					 : | वि० [सं० ब० स०] १. सुन्दर चक्षुओं या नेत्रों वाला। पुं० १. शिव। २. पंडित। विद्वान। ३. गूलर। स्त्री० एक प्राचीन नदी। | 
			
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				| सुचरित					 : | वि० [सं०] सुचरित्र। | 
			
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				| सुचरिता					 : | स्त्री० [सं० सुचरित-टाप्] १. अच्छे आचरणवाली स्त्री। २. पतिव्रता स्त्री। | 
			
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				| सुचरित्र					 : | वि० [सं० ब० स०] [भाव० सुचरत्रिता] जिसका चरित्र शुद्ध हो। उत्तम आचरणवाला। सच्चरित्र। | 
			
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				| सुचरित्रा					 : | वि० [सं०] अच्छे चरित्र या शुद्ध आचरण वाली (स्त्री)। स्त्री० सुचरिता। | 
			
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				| सुचा					 : | स्त्री० [सं० सूचना] ज्ञान। चेतना। सुध। वि०=शुचि।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुचाना					 : | स० [हि० सोचना का प्रे०] १ .किसी को कुछ सोचने या समझने में प्रवृत्त करना। २. किसी का किसी बात की ओर ध्यान आकृष्ट करना। सुझाना। | 
			
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				| सुचार					 : | स्त्री० [सं० सु+हि० चाल] सुचाल। अच्छी चाल। वि० सदाचारी और सच्चरित्र। वि० [सं० सुचारु] मनोहर। सुन्दर। | 
			
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				| सुचारु					 : | वि० [सं० सु+चारु] अत्यन्त सुन्दर। अतिशय। मनोहर। बहुत खूबसूरत। | 
			
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				| सुचाल					 : | स्त्री० [सं० सु+हि० चाल] उत्तम आचरण। अच्छी चाल। सदाचार। | 
			
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				| सुचालक					 : | वि० [सं०] वह वस्तु जिसमें विद्युत, ताप आदि का परिचालन सुगमता से हो सके। सुसंवाहक ।(गुड कंडक्टर) | 
			
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				| सुचाली					 : | वि० [सं० सु+हि० चाल+ई (प्रत्यय)] १. जिसकी चाल या गति अच्छी हो। २. अच्छे आचरणवाला। सच्चरित्र। स्त्री० पृथ्वी। (डि०)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुचाव					 : | पुं० [हि० सुचाना] १ .सुचाने की क्रिया या भाव। २. दे० ‘सुझाव’। | 
			
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				| सुचि					 : | स्त्री० [सं० सूची] सुई। वि०=शुचि। | 
			
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				| सुचित					 : | वि० [सं० सुचित] १. सुन्दर चित्तवाला। अर्थात् जिसके चित्त में विकार न हो। २. जिसे किसी प्रकार की चिंताग्रस्त न किये हुए हो। ३ .जो सब प्रकार का कामों, झगड़ों आदि से नियुक्त हो चुका हो। वि० शुचि (पवित्र)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुचितई					 : | स्त्री० [हि० सुचत+ई (प्रत्यय)] १. सुचित होने् की अवस्था या भाव। निश्चितता। बे-फिक्री। २. मन की एकाग्रता और शान्ति। ३. अवकाश। फुरसत। | 
			
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				| सुचिता					 : | स्त्री०=शुचिता (पवित्रता)। | 
			
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				| सुचिती					 : | वि०=सुचित। | 
			
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				| सुचित					 : | वि० [सं० ब० स०] [भाव० सुचित्तता] सुचित (दे०)। | 
			
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				| सुचित्र					 : | वि० [सं०] अनेक प्रकारों या रंगों का। पुं० सुन्दर चित्र। | 
			
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				| सुचित्रक					 : | पुं० [सं० सुचित्र+कप्] १. मधुरंग नामक पक्षी। मुरगाबी। २. चितला साँप। | 
			
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				| सुचित्रा					 : | स्त्री० [सं० सुचित्र-टाप्, ब० स०] चिर्भटा या फुट नामक फल। | 
			
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				| सुचिमंत					 : | वि० [सं० शुचि+मत्] शुद्ध आचरणवाला। सदाचारी। | 
			
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				| सुचिर					 : | वि० [सं० प्र० स०] १ .बहुत दिनों तक बना रहनेवाला। चिर-स्थायी। २. बहुत दिनों का। पुराना। प्राचीन। पुं० बहुत अधिक समय। दीर्घ काल। | 
			
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				| सुचिरायु (स्)					 : | वि० [सं० ब० स०] दीर्घ या लंबी आयुवाला। पुं० देवता। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुची					 : | वि०=शुचि (पवित्र)। स्त्री०=शची (इन्द्राणी)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुचीत					 : | वि० [सं० सुचित] १ .उत्तम। भला। शुभ। २. मनोहर। सुन्दर। ३. दे० ‘सुचित’। | 
			
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				| सुचुटी					 : | स्त्री० [सं० प्रा० स०] १.चिमटा। २. सँड़सी। | 
			
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				| सुचेत (स्)					 : | वि० [सं०] सचेत। सावधान। वि०=सुचित्त।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुचेतन					 : | पुं० [सं०] विष्णु। (डिं०) वि=सुचेता। | 
			
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				| सुचेता					 : | वि०=सुचेत। | 
			
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				| सुचेलक					 : | पुं० [सं० सुचेल+कन्] बढ़िया और बहुमूल्य कपड़ा। पट। वि० जो अच्छे कपड़े पहने हो। | 
			
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				| सुच्छंद					 : | वि०=स्वच्छंद।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुच्छ					 : | वि०=स्वच्छ।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुच्छत्र					 : | पुं० [सं० ब० स०] शिव का एक नाम। | 
			
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				| सुच्छत्री					 : | स्त्री० [सं०] पंजाब की सतलज नदी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुच्छद					 : | वि० [सं०] सुन्दर पत्तोंवाला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुच्छम					 : | पुं० [?] घोड़ा। (डि०)। वि०=सूक्ष्म।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुच्छाय					 : | वि० [सं० ब० स०] १. (वृक्ष) जिसकी छाया अच्छी और यथेष्ट हो। २. (रत्न) जो यथेष्ट चमकीला हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुजंघ					 : | वि० [सं० ब० स०] सुन्दर जाँघोंवाला। | 
			
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				| सुजड़					 : | पुं० [?] तलवार (डि०)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुजड़ी					 : | स्त्री० [?] कटारी। (डि०) | 
			
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				| सुजन					 : | वि० [कर्म० स०] [भाव० सुजना] १ .नेक। भला। २. कृपालु। दयालु। पुं० १. भला आदमी। नेक आदमी। २. दूसरों की सहायता करनेवाला। आदमी। पुं०=स्वजन। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुजनता					 : | स्त्री० [सं० सुजन+तल्-टाप्] १. सुजन अर्थात् भले आदमी होने की अवस्था या भाव। भलमनसत। २. कृपालुता। | 
			
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				| सुजन-रंजनी					 : | स्त्री० [सं०] संगीत में कर्नाटकी पद्धति की एक रागिनी। | 
			
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				| सुजनी					 : | स्त्री० [फा० सोजनी] एक तरह की बड़ी और मोटी बिछाने की चादर। | 
			
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				| सुजन्मा (न्मन्)					 : | वि० [सं० ब० स०] १. जिसका उत्तम रूप से जन्म हुआ हो। उत्तम रूप से जन्मा हुआ। सुजातक। २. जो विवाहित पुरुष और स्त्री से उत्पन्न हुआ हो फलतः जो जारज न हो। ३. अच्छे कुल में उत्पन्न। | 
			
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				| सुजय					 : | वि० [सं० सु√जी (जीतना)+अच्] जो सहज में जीता जा सकता हो। | 
			
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				| सुजल					 : | वि० [सं० ब० स०] [स्त्री० सुजला] जहाँ जल यथेष्ट हो और सहज में मिलता हो। पुं० कमल। पद्य। | 
			
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				| सुजल्प					 : | पुं० [सं० प्रा० स०] १. उत्तम या सुन्दर कथन। २. सुन्दर भाषण। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुजस					 : | पुं०=सुयश।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुजाक					 : | पुं०=सूजाक।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुजागर					 : | वि० [सं० सु=भली-भांति+जागर=प्रकाशित होना] प्रकाशमान। शोभन और सुन्दर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुजात					 : | वि० [सं० कर्म० स०] १. जो उत्तम कुल में जन्मा हो। २. जो औरस संतान हो, जलज न हो। ३. सुन्दर। पुं० साँड़ (बौद्ध)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुजातक					 : | पुं० [सं० सुजात+कन्] सौंदर्य। सुन्दरता। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुजाता					 : | स्त्री० [सं०] १. गोपी चन्दन। २. मगध की एक बौद्धकालीन ग्रामीण कन्या जिसने गौतम बुद्ध को बुद्धत्व प्राप्त करने के उपरांत अपने यहाँ निमंत्रित करके भोजन कराया था। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुजाति					 : | वि० [सं० प्रा० स०] अच्छी जाति का। स्त्री० अच्छी और उत्तम जाति। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुजातिया					 : | वि० [सं० सु+जाति+इया (प्रत्य)] उत्तम जाति का। अच्छे कुल का। वि० [सं० स्व+ जाति+इया (प्रत्य)] किसी व्यक्ति की दृष्टि से उसकी जाति का।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुजान					 : | वि० [सं० सज्ञान] [भाव० सुजानता] १. समझदार। चतुर। सयाना। २. कुशल। निपुण। प्रवीण। ३. सुविज्ञ। ४.सज्जन। पुं० १. पति या प्रेमी। २. परमात्मा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुजानता					 : | स्त्री० [हि० सुजान+ता (प्रत्य)] सुजान होने की अवस्था धर्म या भाव। सुजानपन। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुजानी					 : | वि०=सुजान।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुजाव					 : | पुं० [सं० सुजात] पुत्र (डि०)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुजावा					 : | पुं० [देश] बैलगाड़ी में की वह लकड़ी जो पैजनी और फड़ में जड़ी रहती है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुजिह्न					 : | वि० [सं० ब० स०] १. जिसकी जिह्वा या जीभ सुन्दर हो। २. मीठा बोलनेवाला। मधुर-भाषी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुजीता					 : | स्त्री० [सं० ब० स०] गोपी चंदन। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुजीर्ण					 : | वि० [सं० प्रा० स०] १ . (भोजन) अच्छी तरह पचा हुआ। (खाना) जो खूब पच गया हो। २. (पदार्थ) जो बहुत पुराना और जर्जर हो गया हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुजेय					 : | वि० [सं०√जी (जीतना)+यत्] जो सहज में जीता जा सकता हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुजोग					 : | पुं०=सुयोग।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुजोधन					 : | पुं०=सुयोधन।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुजोर					 : | वि० [सं० सु (या फा० शह)+फा० जोर] [भाव० सुजोरी] १. जोरदार। प्रबल। २. दृढ़। पक्का। मजबूत। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुज्ञ					 : | वि० [सं० सु√ज्ञा+क] सुविज्ञ। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुझाखा					 : | वि० [हि० सूझना] [स्त्री० सुझाखी] १. जिसे दिखाई देता हो। ‘अंधा’ का विपर्याय। २. चतुर। होशियार। (पश्चिम)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुझाना					 : | अ० [हि० सूझना का प्रे०] १. किसी के ध्यान में कोई नई बात लाना। नई तरकीब बताना। २. सुझाव के रूप में किसी के सामने कोई बात रखना। किसी को उसे सुझाये हुए ढंग से काम करने के लिए प्रवृत्त करना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुझाव					 : | पुं० [हि० सुझाना] १. सुझाने की क्रिया या भाव। २. वह नयी बात जो किसी को सुझाई गई हो या जिसकी ओर ध्यान आकृष्ट किया गया हो। (सजेशन)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुटंक					 : | वि० [सं०] कठोर, कर्कश या जोर का (शब्द)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुटकुन					 : | स्त्री० [हि० सुटका का अल्पा] पतली छोटी छड़ी। स्त्री०=सिटकिनी।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुटुकना					 : | स० [हि० सुटका+ना (प्रत्यय)] सुटका मारना। चाबुक लगना। अ० १. =सटकना। २. =सुड़कना। ३. =सिकुड़ना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुठ					 : | वि०=सुठि (सुन्दर)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुठहर					 : | पुं० [सं० सु+हि० ठहर=जगह] अच्छा ठिकाना। ठहरने का अच्छा स्थान।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुठार					 : | वि०=सुढार (सुडौल)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुठि					 : | वि० [सं० सुष्ठु] १. सुन्दर। २. बढ़िया अच्छा। ३. बहुत अधिक। ४. पूरा। समूचा। अव्य० निरा। बिलकुल। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुठोना					 : | वि०=सुठि (सुन्दर)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुठौन					 : | वि० दे० सुठि। स्त्री० [हि० सु+ठवन] सुन्दर ठवन या बैठने आदि का ढंग।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुड़क					 : | स्त्री० [हि० सुड़कन] १. सुड़कने की क्रिया या भाव। २. कोई चीज सुकड़ते समय होनेवाला शब्द। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुड़कना					 : | स० [अनु०] किसी तरल पदार्थ को नाक की राह, साँस के साथ भीतर खींचना। नास लेना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुड़-सुड़					 : | स्त्री० [हि० सुड़सुड़ाना] १. सुड़सुड़ाने की क्रिया या भाव। २. सुड़सुडाने पर उत्पन्न होनेवाला शब्द। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुड़सुड़ाना					 : | स० [अनु] कोई कार्य करते समय सुड़सुड़ शब्द उत्पन्न करना। जैसे—नाक सुड़सुड़ाना। हुक्का सुड़सुडाना। अ० सुड़सुड़ शब्द करना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुडीनक					 : | पुं० [सं० प्रा० स०] पक्षियों की एक विशेष प्रकार की उड़ान। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुडुकना					 : | स०=सुड़कना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुडौल					 : | वि० [सं० सु+हि० डौल] [भाव० सुडौलपन] १. सुन्दर डौल या आकारवाला। २. जिसके अंगों में आनुपातिक सामजस्य हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुड्ढा					 : | पुं० [देश] [स्त्री० अल्पा० सुढ्डी] धोती की वह लपेट जिसमें रुपया—पैसा रखते हैं। अंटी। आँट। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुढंग					 : | वि० [सं० सु+हि० ढंग] जिसका ढंग,प्रकार या रीति सुन्दर हो। पुं० अच्छा ढंग, प्रकार या रीति। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुढर					 : | वि० [सं० सु+हि० ढलना] प्रसन्न और दयालु होकर सहज में अनुकम्मा करने वाला। वि०=सुघड़।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुढार					 : | वि०=सुडौल।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुण-घड़िया					 : | पुं० [हि० सुण (सोना)+घड़िया (गढ़नेवाला)] सुनार। (डि०)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुणना					 : | स०१.=सुनना। २. =सुनाना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुतंत, सुतंतर					 : | वि०=स्वतंत्र।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुतंतु					 : | पुं० [सं० ब० स०] १. शिव। २. विष्णु। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुतंत्र					 : | वि०=स्वतन्त्र।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुतंत्रि					 : | पुं० [सं० ब० स०] १. वह जो तार के बाजे (वीणा आदि) बजाने में प्रवीण हो। वह जो तंत्र-वाद्य अच्छी तरह बजाता हो। २. वह जो कोई बाजा अच्छी तरह बजाता हो। वि० १. बढ़िया तारोंवाला। (बाजा) २. फलतः मधुर स्वरवाला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुत					 : | पुं० [सं०] [स्त्री० सुता] १. माता या पिता अथवा दोनों की दृष्टि से वह बालक जो उनके रज और वीर्य से उत्पन्न हुआ हो। पुत्र। आत्मज। बेटा। २. जन्म-कुंडली में लग्न से पाँचवाँ घर जहाँ संतान के सम्बन्ध में विचार किया जाता है। वि० १. उत्पन्न। जात। २. पार्थिव। पुं० बीस की संख्या। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुतकरी					 : | स्त्री० [हि० सुत+करी] स्त्रियों के पहनने की पुरानी चाल की जूती। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुत-जीवक					 : | पुं० [सं० सुत√जीव (जीवित करना)+ण्वुल-अक] पुत्रजीव (वृक्ष)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुतत्व					 : | पुं० [सं० सुत+त्व] सुत होने की अवस्था,धर्म या भाव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुतदा					 : | वि० स्त्री० [सं० सुत√दा (देना)+क-टाप्] सुत या पुत्र देनेवाली। स्त्री० पुत्रदा (लता)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुतधार					 : | पुं०=सूत्रधार।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुतनु					 : | वि० [सं० सु+तनु] १. सुन्दर शरीरवाला। खूबसूरत। २. सुकुमार शरीरवाला। नाजुक और दुबला पतला। स्त्री० १. सुन्दरी स्त्री। २. अक्रूर की पत्नी का नाम। ३. उग्रसेन की एक कन्या। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुतनुता					 : | स्त्री० [सं० सुतनु+तल्-टाप्] सुतनु होने की अवस्था, गुण या भाव। सुन्दरता। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुतप					 : | वि० [सं० सुत√पा (पीना)+क, ब० स०] सोमपान करनेवाला। | 
			
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				| सुतपा (पस्)					 : | वि० [सं० ब० स०] बहुत अधिक तपस्या करनेवाला। पुं० १ .सूर्य। २. विष्णु। | 
			
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				| सुत-पेय					 : | पुं० [सं०] यज्ञ में सोम पीने की क्रिया। सोमपान। | 
			
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				| सुत-याग					 : | पुं० [सं०] पुत्र की कामना से किया जानेवाला यज्ञ। पुत्रेष्टयज्ञ। | 
			
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				| सुतर					 : | वि० [सं० ब० स०] जलाशय जो सुख या आराम से तैरकर या नाव आदि से पार किया जा सके। पुं० शुतुर (ऊँट)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुतर-नाल					 : | स्त्री०=शतुरनाल। | 
			
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				| सुतरा					 : | अव्य० [सं० सुतराम] १ .अतः। इसलिए। २. और भी। अपितु। कि० बहुना। ३.विवश होकर। लाचारी की हालत में। ४. बहुत अधिक। अत्यन्त। ५. अवश्य। जरूर। | 
			
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				| सुतरा					 : | पुं० [हि० शुतुर] सूत की तरह का वह पतला चमड़ा जो प्रायः उँगलियों में नाखन की जड़ के पास उचड़कर निकलते लगता है। | 
			
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				| सुतरी					 : | पुं० [फा० शुतुर] ऊँट के से रंगवाला बैल। स्त्री० [?] १.करघे में की वह लकड़ी जो पाई में साँथी अलग करने के लिए साँथी के दोनों तरफ लगी रहती है। २. एक प्रकार की घास जिसे हर-बाल भी कहते हैं। स्त्री० १.=सुतारी। २. =सुतली।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुतर्द्दन					 : | पुं० [सं० ब० स०] कोकिल पक्षी। कोयल। | 
			
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				| सुतल					 : | पुं० [सं० ब० स०] पुराणानुसार सात पाताल लोकों में से एक जो किसी के मत से दूसरा और किसी के मत से छठा लोक है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुतली					 : | स्त्री० [हि० सूत+ली (प्रत्य)] रूई,सन या इसी प्रकार के और रेशों के सूतों या डोरों को एक में बटकर बनाया हुआ लंबा और कुछ मोटा खंड जिसका उपयोग चीजें बाँधने,कूएँ से पानी खींचने पलंग बुनने आदि कामों में होता है। डोरी। रस्सी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुत-वस्करा					 : | स्त्री० [सं०] वह स्त्री जिसने सात पुत्रों को जन्म दिया हो। | 
			
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				| सुतवान् (वत्)					 : | वि० [सं० सुत+मतुप-म=व-नम्-दीर्घ] पुत्रोंवाला। | 
			
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				| सुतवाना					 : | स०=सुलवाना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुत-स्थान					 : | पुं० [सं० ष० त०] जन्म-कुंडली में लग्न से पाँचवाँ स्थान जहाँ से सन्तान सम्बन्धी विचार होता है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुतहर					 : | पुं०=सुतार।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुतहा					 : | वि० पुं० [हि० सूत+हा (प्रत्यय)] [स्त्री० सुतही] १. सूत-संबंधी। सूत का २. सूत का बना हुआ। सूती। पुं० सूत का व्यापारी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुतहार					 : | पुं०=सुतार।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुतही					 : | स्त्री०=सुतुही।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुतहौनिया					 : | पुं०=सुथौनिया।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुता					 : | स्त्री० [सं०] १. पुत्री। बेटी। २. सखी। सहेली (डि०)। | 
			
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				| सुतात्मज					 : | पुं० [सं० ष० त०] [स्त्री० सुतात्मजा] १. लड़के का लड़का। पोता। २. लड़की का लड़का। नाती। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुतान					 : | वि० [सं० ब० स०] अच्छे स्वरवाला। सु-स्वर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुताना					 : | स०=सुलाना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुता-पति					 : | पुं० [सं० ष० त०] किसी की दृष्टि से उसकी कन्या का पति। दामाद। जामाता। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुतार					 : | वि० [सं०] १. चमकीला। २. जिसकी आँखों की पुतलियाँ सुन्दर हों। पुं० १. एक प्रकार का सुगन्धित द्रव्य। २. गुरु से पढ़े हुए अध्यात्म शास्त्र का ठीक और पूरा ज्ञान जिसकी गिनती सांख्य-दर्शन में सिद्धियों में की गई है। पुं० [सं० सूत्रकार] [भाव० सुतारी] १ .बढ़ई। २. कारीगर। पुं० [?] १. सुख-सुभीता। २. हुद-हुद। (पक्षी)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुतारका					 : | स्त्री० [सं०] चौबीस शासन देवियों में से एक। (बौद्ध)। | 
			
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				| सुतारा					 : | स्त्री० [सं०] १.सांख्य के अनुसार (क) नौ प्रकार की तुष्टियों में से एक और (ख) आठ प्रकार की सिद्धियों में से एक। | 
			
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				| सुतारी					 : | स्त्री० [हि० सुतार+ई (प्रत्य)] १. सुतार या बढ़ई का काम। २. वह सूआ जिससे मोची चमड़ा सीते हैं। ३.पुरानी चाल का एक प्रकार का हथियार। पुं० कारीगर। शिल्पी। | 
			
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				| सुतार्थी (र्थिन्)					 : | वि० [सं०] पुत्र की कामना करनेवाला। जिसे पुत्र की अभिलाषा हो। | 
			
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				| सुताल					 : | पुं० [सं०] ताल का एक भेद (संगीत)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुताली					 : | स्त्री०=सुतारी।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुतावना					 : | स०=सुलाना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुतासुत					 : | पुं० [सं० ष० त०] पुत्री का पुत्र। दौहित्र। नाती। | 
			
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				| सुतिक्त					 : | पुं० [सं०] पित्त-पापड़ा। वि० बहुत अधिक तिक्त या तीता। | 
			
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				| सुतिक्तक					 : | पुं० [सं०] १. चिरायता। २. पारिभद्र। परहद। ३. पित्त-पापड़ा। | 
			
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				| सुत्तिका					 : | स्त्री० [सं०] १.तोरई। कोशातकी। २. शल्लकी। सलई। | 
			
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				| सुतिन					 : | स्त्री०=सुतनु (सुन्दर स्त्री)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुतिनी					 : | स्त्री० [सं०] पुत्रवती स्त्री जिसे पुत्र हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुतिया					 : | स्त्री० [देश] गले में पहनने का हँसुली नाम का गहना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुतिहार					 : | पुं०=सुतार। (बढ़ई)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुती (तिन्)					 : | पुं० [सं० सुति] [स्त्री० सुतिनी] जिसके आगे बेटा या बेटे हों,फलतः पिता। | 
			
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				| सुतीक्षण					 : | पुं०=सुतीक्ष्ण। | 
			
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				| सुतीक्षण					 : | वि० [सं०] १ .बहुत अधिक तीक्ष्ण या तीखा। २. बहुत अधिक तीता। ३. दरद-भरा। पीड़ा-युक्त। पुं० १. अगस्त्य मुनि के भाई जो बनवास के समय श्री रामचन्द्र जी से मिले थे। २. सहिजन। | 
			
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				| सुतीक्ष्णक					 : | पुं० [सं०] सुतीक्ष्ण। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुतीक्ष्णका					 : | स्त्री० [सं०] सरसों। सर्षप। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुतीखन					 : | पुं०=सुतीक्ष्ण।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुतीर्थ					 : | वि० [सं०] (जलाशय) जो सहज में पार किया जा सके। पुं० १.शिव। २. एक पौराणिक पर्वत। | 
			
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				| सुतुंग					 : | वि० [सं०] बहुत अधिक ऊँचा। पुं० १.नारियल का पेड़। २. ज्योतिष में ग्रहों का उच्चांश। | 
			
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				| सुतुहा					 : | पुं० [हि० सुतुही] बड़ी सुतुही।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुतुही					 : | स्त्री० [सं० शुक्ति] १. सीपी, जिससे प्रायः छोटे बच्चों को दूध पिलाते हैं। २. बीच में से घिसकर काटी हुई वह सीपी जिससे आम के छिलके छीले जाते हैं, पोस्ते में से अफीम खुरची जाती है, तथा इस प्रकार के कुछ और काम किये जाते हैं। | 
			
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				| सुतून					 : | पुं० [फा०] खंभा। स्तम्भ। | 
			
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				| सुतेकर					 : | पुं० [सं०] वह जो यज्ञ करता हो। ऋत्विक्। | 
			
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				| सुतेजन					 : | पुं० [सं०] १ .धामिन नामक वृक्ष। २. बहुत नुकीला तीर। वि० तेज धारवाला। २. नुकीला | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुतेजा (जस्)					 : | पुं० [सं०] १. जैनों के अनुसार गत उत्सर्पिणी के दसवें अर्हत का नाम। २. हुरहुर नाम का पौधा। | 
			
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				| सुतोष					 : | वि० [सं०] संतुष्ट। पुं० पूर्ण तुष्टि। २. संतोष। | 
			
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				| सुत्ता					 : | वि० [हि० सोना] [स्त्री० सुत्ती] सोया हुआ। (पश्चिम)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुत्तुर					 : | पुं० [हि० सूत या फा० शुतुर] जुलाहों के करघे का वह बाँस जिसमें कंधी बँधी रहती है। कुलबाँसा।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुत्थना					 : | पुं० [स्त्री० अल्पा० सुत्थनी] कुल खुली मोरीवाला एक तरह का पाजामा। सूथन (पश्चिम)(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुत्पा					 : | स्त्री० [सं०] १.सोमरस निकालना या बनाना। २. यज्ञ के लिए सोमरस निकालने का दिन। | 
			
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				| सुत्रामा (मन्)					 : | पुं० [सं०] १ .वह जो उत्तम रूप से रक्षा करता हो। २. इन्द्र। ३. पुराणानुसार तेरहवें मन्वंतर का एक देवगण। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुत्री					 : | स्त्री० [सं० सु+त्री] १. सुन्दरी स्त्री। १. औरत। स्त्री। (डि०)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुथना					 : | पुं०=सुत्थना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुथनिया					 : | स्त्री०=सुथनी।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुथनी					 : | स्त्री० [देश] १. स्त्रियों के पहनने का एक प्रकार का ढीला पाजामा। सूथन। २. पिडालू। रतालू। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुथरा					 : | वि० [सं० स्वस्थ] [स्त्री० सुथरी] स्वच्छ। निर्मल। साप। पुं० [सुथेरशाह] सुथेरशाह के पंथ का अनुयायी। साधु। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुथराई					 : | स्त्री० =सुथरापन।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुथरापन					 : | पुं० [हि० सुथरा+पन (प्रत्यय)] सुथरे अर्थात् साफ होने की अवस्था,गुण या भाव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुथरेशाह					 : | पुं० [भाव० सुथरेशाही] गुरु नानक के एक प्रसिद्ध शिष्य जिन्होंने अपना एक स्वतन्त्र संप्रदाय चलाया था। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुथरेशाही					 : | स्त्री० [सुथरेशाह (महात्मा)] १. सुथरे शाह का चलाया हुआ एक संप्रदाय। पुं० उक्त संप्रदाय का अनुयायी साधु। ऐसे साधु प्रायः सुथरेशाह के बनाये हुए पद गाकर भीख माँगते हैं। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुथौनिया					 : | पुं० [देश०] जहाज के मस्तूल के ऊपरी भाग में वह छेद जिसमें पाल लगाने के समय उसकी रस्सी पहनाई जाती है (लश०)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुदंड					 : | पुं० [सं० ब० स०] बेंत। बेल। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुदंडिका					 : | स्त्री० [सं०] १. गोरख इमली। गोरक्षी। २. अजदंडी। ब्रह्म-दंडी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुदंत					 : | पुं० [सं० ब० स०] सुन्दर दाँतोंवाला। पुं० १.अभिनेता। नट। २. नर्तक। ३. हाथी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुदंती					 : | स्त्री० [सं०] १.एक दिग्गज की हथिनी का नाम। २. मादा हाथी। हथिनी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुदंष्ट्र					 : | वि० [सं० ब० स०] सुन्दर दाँतोंवाला। पुं० श्रीकृष्ण का एक पुत्र। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुदक्षिणा					 : | स्त्री० [सं०] १ .राजा दिलीप की पत्नी का नाम। २. पुराणानुसार श्रीकृष्ण की एक पत्नी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुदत					 : | वि० [सं०] [स्त्री० सुदती] सुन्दर दाँतोंवाला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुदम					 : | वि०=दमदार।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुदमन					 : | पुं० [सं०] आम का पेड़ और फल। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुदरसन					 : | वि० पुं०=सुदर्शन। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुदर्भा					 : | स्त्री० [सं०] एक प्रकार का तृण जिसे ‘इक्षुदर्भा’ भी कहते हैं। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुदर्श					 : | वि० [सं०] सुदर्शन (दे०)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुदर्शक					 : | पुं० [सं०] एक प्रकार की समाधि। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुदर्शन					 : | वि० [सं०] [स्त्री० सुदर्शना] १. जो देखने में बहुत अच्छा और भला लगे। २. जिसके दर्शन सरलता से होते हों या हो सकते हों। पुं० १.विष्णु के हाथ का चक्र। २. शिव। ३. एक प्रकार का पौधा और उसके फूल। ४. वैद्यक में, एक प्रकार का चूर्ण जिसका प्रयोग विषम ज्वर में होता है। ५. कबीर पंथियों के अनुसार एक श्वपच भक्त जो कबीर का शिष्य था। ६. सुमेरु पर्वत। ७. इन्द्र की पुरी, अमरावती। ८. वर्तमान अवसर्पिणी के अठारहवें अर्हत के पिता का नाम (जैन)। ९. जैनों के नौ बलदेवों में से एक। १॰. दधीचि का एक पुत्र। ११. भरत का एक पुत्र। १२. मछली। १३.एक प्रकार की संगीत रचना। १४. जामुन। १५. जंबूद्वीप। १६. गिद्ध। १७. संन्यासियों का एक दंड जिसमें छः गाँठे होती हैं। १८. सोमलता। १९. मदनमस्त नामक पौधा और उसका फूल। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुदर्शन-पाणि					 : | पुं० [सं० ब० स०] विष्णु जिनके हाथ में सुदर्शन नामक चक्र रहता है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुदर्शना					 : | स्त्री० [सं०] १.सुन्दरी स्त्री। रूपवती नारी। १.इन्द्र की पुरी, अमरावती। ३. शुक्ल पक्ष की रात। ४. एक प्रकार की मदिरा। ५. कमलों का सरोवर। ६. सोमलता। ७. जामुन का पेड़। ८. आज्ञा। आदेश। वि० सं० ‘सुदर्शन’ का स्त्री। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुदर्शनी					 : | स्त्री० [सं०] इन्द्र की पुरी, अमरावती। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुदल					 : | पुं० [सं० प्रा० स०] १.अच्छा और बड़ा दल। २. मोरट या क्षीर नाम की लता। ३. मुचकुंद। वि० अच्छे दलवाला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुदला					 : | स्त्री० [सं० ब० स०] १. सरिवन। शालपर्णी। २. सेवती। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सु-दर्शन					 : | वि० [सं०] [स्त्री० सुदर्शना] सुन्दर दांतोंवाला। सुदंत। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुदांत					 : | वि० [सं०] बहुत अधिक शांत और सुशील। पुं० एक प्रकार की समाधि। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुदाम					 : | पुं० [सं०] १. श्रीकृष्ण के सखा, एक गोप। सुदामा। २. एक प्राचीन जनपद। (महाभारत)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुदामन					 : | वि० [सं०] उदारतापूर्वक देनेवाला। पुं० राजा जनक के एक मंत्री का नाम। २. देवताओं का एक प्रकार का अस्त्र। ३ .सुदामा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुदामा (मन्)					 : | पुं० [सं०] १. एक दरिद्र ब्राह्मण जो श्रीकृष्ण का सहपाठी और परम सखा था तथा जिसे श्रीकृष्ण ने ऐश्वर्यवान् बना दिया था। २. इन्द्र का हाथी, ऐरावत। ३.एक प्राचीन पर्वत। ४. समुद्र। ५. बादल। मेघ। स्त्री० १.रामायण के अनुसार उत्तर भारत की एक नदी। २. पुराणानुसार स्कंद की एक मातृका। वि० अच्छी तरह और बहुत दान देनेवाला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुदाय					 : | पुं० [सं०] १. उत्तम दान। २. उपहार के रूप में दिया जानेवाला सुन्दर पदार्थ। ३. यज्ञोपवीत संस्कार के समय ब्रह्मचारी को दी जानेवाली भिक्षा। ४. उपहार, दान या भिक्षा देनेवाला व्यक्ति। ५. विवाह के अवसर पर कन्या या जामाता को दिया जानेवाला दान। दहेज। ६. उक्त प्रकार का धन या चीजें देनेवाला व्यक्ति। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुदारु					 : | पुं० [सं०] १.देवदारु। देवदार। २. सरल नामक वृक्ष। ३.विन्ध्य पर्वत के पारिपात्र खंड का एक नाम। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुदारुण					 : | वि० [सं०] बहुत अधिक दारुण, भीषण या विकट। पुं० एक प्रकार का दिव्य या दैवी अस्त्र। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुदावन					 : | पुं०=सुदामन।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुदास					 : | पुं० [सं०] १.एक प्राचीन जनपद। २. वह जो सम्यक् रूप से ईश्वर की आराधना या उपासना करता हो। | 
			
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				| सुदि					 : | स्त्री० दे० ‘सुदी’। | 
			
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				| सुदिन					 : | पुं० [सं० सु+दिन्] १.अच्छा दिन। साफ दिन। विशेषतः जिस दिन सुबह-सुबह बादल न छाये हों। दुर्दिन का विपर्याय। २. शुभ दिन। | 
			
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				| सुदिव					 : | वि० [सं०] बहुत अधिक दीप्तिमान्। | 
			
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				| सुदिह					 : | वि० [सं०] बहुत तीखा। धारदार। नुकीला। २. बहुत चिकना। ३.बहुत उज्जवल। | 
			
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				| सुदी					 : | स्त्री० [सं० शुक्ल में का श+दिवस में का दि=शुदि] चान्द्र मास का शुक्ल पक्ष। जैसे—कार्तिक सुदी छठ। | 
			
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				| सुदीक्षा					 : | स्त्री० [सं०] लक्ष्मी। | 
			
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				| सुदीप्ति					 : | वि० [सं०] बहुत अधिक दीप्तिमान्। बहुत उज्जवल और चमकीला। अंगिरस गोत्र के एक ऋषि। | 
			
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				| सुदीर्घ					 : | वि० [सं०] [स्त्री० सुदीर्घा] [भाव० सुदीर्घता] बहुत अधिक लंबा-चौड़ा। खूब-विस्तृत। पुं० चिचड़ा। | 
			
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				| सुदीर्घा					 : | स्त्री० [सं०] चीना ककड़ी। | 
			
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				| सुदुघ					 : | वि०=सुदुध। | 
			
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				| सुदुघा					 : | वि० [सं०] १.अच्छा और बहुत दूध देनेवाली। २. जो सहज में दूही जाती हो। (गौ, बकरी, भैंस आदि)। | 
			
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				| सुदूर					 : | वि० [सं०] बहुत दूर। अति दूर। जैसे—सुदूर पर्व। पुं०=शार्दूल। उदाहरण—लंक देखि कै छपा सुदूरू।—जायसी।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुदृढ़					 : | वि० [सं०] [भाव० सुदृढ़ता] बहुत दृढ़। खूब मजबूत। जैसे—सुदृढ़ बंधन। | 
			
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				| सुदृष्टि					 : | वि० [सं०] १. अच्छी या शुभ दृष्टिवाला। २. दूरदर्शी। स्त्री० अच्छी और शुभ दृष्टि। पुं० गिद्धि। | 
			
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				| सुदेल्ल					 : | पुं०=सुदेष्ण। (पर्वत)। | 
			
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				| सुदेव					 : | पुं० [सं०] १.उत्तम देवता। २. विष्णु का एक पुत्र। वि० अच्छी क्रीड़ा या खेल करनेवाला। | 
			
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				| सुदेवस					 : | पुं० [हि० सु+देव=देवता] देवता का नाम लेकर किया जानेवाला (किसी काम या बात का) आरम्भ। जैसे—अब आप अपने काम का सुदेवस कीजिए। | 
			
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				| सुदेव्य					 : | पुं० [सं०] भले या श्रेष्ठ जनों का समुदाय। | 
			
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				| सुदेश					 : | पुं० [सं०] १.अच्छा और सुन्दर देश। २. किसी काम या बात के लिए उपयुक्त स्थान। वि० मनोहर। सुन्दर। | 
			
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				| सुदेशिक					 : | पुं० [सं०] अच्छा पथ-प्रदर्शक। | 
			
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				| सुदेष्ण					 : | पुं० [सं०] १. रुक्मिणी के गर्भ से उत्पन्न श्रीकृष्ण का एक पुत्र। २. एक प्राचीन जनपद। ३ .एक पौराणिक पर्वत। | 
			
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				| सुदेष्णा					 : | स्त्री० [सं०] १.बलि की पत्नी। २. विराट् की पत्नी। | 
			
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				| सुदेस					 : | वि० [सं० सु+दृश्] देखने में सुन्दर। पुं० [सं० सु+देश] अच्छा देश या स्थान। पुं०=स्वदेश।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुदेसी					 : | वि०=स्वदेशी।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुदेह					 : | पुं० [सं०] सुन्दर देह। सुन्दर शरीर। वि० सुन्दर देह या शरीर वाला। | 
			
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				| सुदैव					 : | पुं० [सं०] १.सौभाग्य। २. अच्छा संयोग। | 
			
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				| सुदोग्ध्री					 : | वि० [सं०] अधिक दूध देनेवाली। स्त्री० अधिक दूध देनेवाली गाय। | 
			
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				| सुदोघ					 : | वि० [सं०] दानशील। उदार। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुदोघा					 : | वि० स्त्री० [सं०] सुदोग्ध्री (दे०)। | 
			
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				| सुदोह					 : | वि० [सं०] (मादा जंतु) जिसे दूहने में कोई कष्ट न हो। | 
			
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				| सुदौसी					 : | अव्य० [सं० सद्यस्=तुरन्त] उचित या ठीक समय से। कुछ पहले ही। कुछ जल्दी ही। (पश्चिम)। जैसे—रेल पकड़ने के लिए घर से कुछ सुदौसी ही चलना चाहिए। | 
			
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				| सुद्दा					 : | पुं० [सं० सुद्दा] [स्त्री० अल्पा० सुद्दः] वह मल जो पेट के अंदर सूखकर आँतों से चिपक गया हो, और बहुत कष्ट से बाहर निकलता हो। | 
			
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				| सुद्ध					 : | वि० [सं० शुद्ध] २. शुद्ध। खालिश। २. (उपकरण) जो प्रसम गति या स्थिति में हो अथवा ठीक तरह से काम कर रहा हो। जैसे—लहू सुद्ध चल रहा है। स्त्री०=सुध (चेतना) उदाहरण—होनहार हिरदे बसै बिसर जाय सुद्ध।—कहावत। | 
			
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				| सुद्धाँ					 : | अव्य० [सं० सह] सहित। समेत। मिलाकर। जैसे—उसके सुद्धाँ वहाँ चार आदमी थे।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुद्धाँत					 : | पुं०=सुद्धांत (अंतःपुर)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुद्धा					 : | अव्य०=सुद्धाँ।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुद्धि					 : | स्त्री० १.दे० ‘शुद्धि’। २. दे० ‘सुध’।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुद्युत					 : | वि० [सं० प्रा० स०] खूब प्रकाशमान्। | 
			
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				| सुद्युम्न					 : | पुं० [सं०] वैवस्वत मन का पुत्र जो इड के नाम से ख्यात है। | 
			
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				| सुद्रष्ट					 : | वि० [सं० सदृष्ट] दयावान्। कृपालु (डिं०)। | 
			
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				| सुधंग (गा)					 : | वि० [हि० सीधा+अंग या सु+ढंग] १.सरल या सीधे स्वभाववाला। २. सीधा। पुं० अच्छा या सुन्दर ढंग। | 
			
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				| सुध					 : | स्त्री० [सं० सुधी] १. अच्छी बुद्धि। २. सचेतनता। होश। क्रि० प्र—खोना।—बिसरना। ३. स्मृति। याद। मुहावरा-सुध दिलाना=याद दिलाना। सुध बिसारना या भूलना=याद न रखना। सुध लेना= (क) किसी का हाल-चाल पूछने के लिए उसके पास जाना। (ख) किसी बात की ओर ध्यान देना। | 
			
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				| सुधन् (स्)					 : | वि० [सं०] बहुत धनी। बड़ा अमीर। | 
			
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				| सुधनु					 : | पुं० [सं०] १.राजा कुरु का एक पुत्र जो सूर्य की पुत्री तपसी के गर्भ से उत्पन्न हुआ था। २. गौतम बुद्ध के एक पूर्वज। | 
			
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				| सुधन्वा (न्वन्)					 : | वि० [सं० ब० स०] १.उत्तम धनुष धारण करनेवाला। २. अच्छा धनुर्धर। होशियार तीरन्दाज। पुं० १.विष्णु। २. विश्वकर्मा। ३.अंगिरा। ऋषि। ५. पुराणानुसार एक प्राचीन जाति जिसकी उत्पत्ति व्रात्य वैश्य और सवर्णा स्त्री से कही गई है। ५. शेषनाग। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुध-बुध					 : | स्त्री० [सं० शुद्ध+बुद्धि] १.होश-हवाश। चेतना। संज्ञा। २. ज्ञान। क्रि० प्र०—ठिकाने न रहना।—भूलना।—मारी जानी। | 
			
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				| सुध-मना					 : | वि० [हि० सुध=होश+मना] [स्त्री० सुधमनी] जिसे होश हो। सचेत। | 
			
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				| सुधर					 : | पुं० [सं०] १.जैनों के एक अर्हत। २. बया पक्षी (डि०)। | 
			
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				| सुधरना					 : | अ० [हि० सुधारना] १. खराब होने या बिगड़ी हुई चीज का मरम्मत आदि होने पर ठीक होना। त्रुटि, दोष आदि का दूर होना। जैसे—हालत सुधरना। २. व्यक्ति के संबंध में अच्छे आचरणों की ओर प्रवृत्त होना तथा बुरे आचरणों की पुनरावृत्ति न करना। जैसे—लड़के का सुधरना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुधरमा					 : | वि० स्त्री०=सुधर्मा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुधराई					 : | स्त्री० [हि० सुधरना+आई (प्रत्यय)] सुधरने की क्रिया, भाव या मजदूरी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुधर्म् (न्)					 : | वि० [सं०] धर्मपरायण। धर्मात्मा। पुं० [सं०] १. अच्छा और उत्तम धर्म। २. जैन तीर्थकर महावीर के दस शिष्यों में से एक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुधर्मा					 : | वि० [सं० सुधर्मन्] अपने धर्म पर दृढ रहनेवाला। धर्म-परायण। पुं० १. कुटुब से युक्त व्यक्ति। गृहस्थ। २. क्षत्रिय। ३. जैनों के एक गणाधिप। स्त्री० देवताओं की सभा। देव-सभा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुधर्मी (र्मि्न्)					 : | वि० [सं०] धर्मपरायण। धर्मनिष्ठ। स्त्री० देवताओं की सभा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुधवाना					 : | स० [हि० सुधरना का प्रे०] १. सोधने या ठीक करने का काम किसी से कराना। ठीक या दुरुस्त कराना। २. मुहुर्त आदि के संबंध में निकलवाना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुधांग					 : | पुं० [सं० ब० स०] चन्द्रमा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुधांशु					 : | पुं० [सं०] १.चन्द्रमा। २. कपूर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुधांशु-रक्त					 : | पुं० [सं०] मोती मुक्ता। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुधा					 : | स्त्री० [सं०] १. अमृत। पीयूष। २. जल। पानी। ३. गंगा ४. दूध। ५. किसी चीज का निचोड़ा हुआ रस। ६. पृथ्वी। ७. बिजली। विद्युत। ८. जहर। विष। ९. चूना। १॰. ईंट। ११. रुद्र की पत्नी। १२. एक प्रकार का छन्द या वृत्त। १३. पुत्री। बेटी। १४ . वध। १५. शहद। १६. घर। मकान। १७. मकरन्द। १८. आँवला। १९. हर्रे। २॰ मरोड़ फली। २१. गिलोय। गुडुच। २२. सरिवन। शालपर्णी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुधाई					 : | स्त्री० [हि० सुधा+आई (प्रत्यय)] सिधाई। सरलता। स्त्री० [हि० सोधना] सोधने की क्रिया या भाव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुधा-कंठ					 : | वि० [सं०] मधुर-भाषी। पुं० कोकिल। कोयल। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुधाकर					 : | पुं० [सं०] चन्द्रमा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुधाकार					 : | पुं० [सं०] १. चूना पोतने या सफेदी करनेवाला मजदूर। २. मकान बनानेवाला मिस्तरी। राज। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुधा-क्षार					 : | पुं० [सं०] चूने का खार। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुधा-गेह					 : | पुं० [सं०] चन्द्रमा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुधा-घट					 : | पुं० [सं० सुधा+घट] चन्द्रमा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुधाजीवी (विन्)					 : | पुं० [सं०] सुधाकार (दे०)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुधाता (तृ)					 : | वि० [सं०] सुव्यवस्थित करनेवाला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुधातु					 : | पुं० [सं०] सोना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुधातु-दक्षिण					 : | पुं० [सं०] वह जो यज्ञादि में अथवा यों ही दक्षिणा में सुधातु अर्थात् सुवर्ण देता हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुधा-दीधिति					 : | पुं० [सं० ब० स०] सुधांशु। चन्द्रमा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुधाधर					 : | वि० [सं० ष० त०] चन्द्रमा जिसके अधरों में अमृत हो। पुं० चन्द्रमा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुधाधरण					 : | पुं० [सं० सुधाधर] चन्द्रमा डिं०)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुधा-धवल					 : | वि० [सं०] १. चूने के समान सफेद। २. जिस पर चूना पुता हुआ हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुधा-धाम					 : | पुं० [सं० सुधा+धाम] चन्द्रमा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुधाधार					 : | पुं० [सं०] १. वह बरतन जिसमें अमृत रखा हो। २. चन्द्रमा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुधाधी					 : | वि० [सं०] सुधा के समान। अमृत के तुल्य। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुधा-धौत					 : | वि० [सं०] चूना या सफेदी किया हुआ। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुधा-नजर					 : | वि० [हि० सुधा=सीधा+नजर] दयावान्। कृपालु। (डिं०)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुधाना					 : | स० [हि० सुध+आना (प्रत्य)] स्मरण कराना। याद दिलाना। स० सुधवाना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुधा-निधि					 : | पुं० [सं०] १. चन्द्रमा। २. कपूर। ३. समुद्र। सागर। ४. दंडक वृत्त का एक प्रकार का भेद। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुधा-पाणि					 : | वि० [सं० ब० स०] १. जिसके हाथ में अमृत हो। २. (चिकित्सक) जिसकी दवा से सबको तुरन्त लाभ होता हो। पुं० देवों के वैद्य। धन्वन्तरि। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुधापाषाण					 : | पुं० [सं०] सफेद खली। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुधा-भवन					 : | पु० [सं०] अस्तर, कारी किया हुआ मकान। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुधाभित्ति					 : | स्त्री० [सं०] दीवार,जिस पर चूना पुता हुआ हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुधाभुज					 : | पुं० [सं०] =सुधा-भोजी (देवता)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुधाभृत्रि					 : | पुं० [सं०] १. चन्द्रमा। २. यक्ष। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुधाभोजी (जिन्)					 : | वि० [सं०] अमृत भोजन करनेवाले। पुं० अमृत खानेवाला, देवता। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुधाम					 : | पुं० [सं०] अच्छा घर या स्थान पुं०=सुधामा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुधामय					 : | वि० [सं०] [स्त्री० सुधामयी] १. जिसमें अमृत हो। अमृत से युक्त। २. सुधा से भरा हुआ। अमृत-स्वरूप। ३.चूने का बना हुआ। पुं० राज-प्रासाद। महल। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुधा-मयूख					 : | पुं० [सं०] चन्द्रमा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुधामा (मन्)					 : | पुं० [सं०] चन्द्रमा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुधा-मूली					 : | स्त्री० [सं०] सालम मिस्री। सालब मिस्री। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुधा-योनि					 : | पुं० [सं०] चन्द्रमा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुधार					 : | पुं० [हि० सुधारना] १. वह तत्त्व जो किसी के सुधरने या सुधरे हुए होने पर लक्षित होता है। २. वह प्रक्रिया जो किसी के दोष विकार आदि दूर करने के लिए की जाती है। ३. वह काट-छाँट या संशोधन-परिवर्तन जो रचना को अच्छा रूप देने के लिए किया जाता है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुधारक					 : | वि० [हि० सुधार+क (प्रत्य)०] (कार्य) जो सुधार के उद्देश्य या विचार से हो। (रिफ़ार्मेटरी)। पुं० १. दोषों या त्रुटियों का सुधार करनेवाला। संशोधक। २. धार्मिक या सामाजिक सुधार के लिए प्रयत्न करनेवाला। (रिफ़ार्मर) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुधारना					 : | स० [सं० शोधन] १. बिगड़ी हुई वस्तु को इस प्रकार ठीक करना कि वह फिर से काम करने या काम में आने के योग्य हो जाय। २. दोषों विकारों आदि का उन्मूलन कर अथवा उनमें परिवर्तन लाकर किसी स्थिति में सुधार करना। ३. लेख आदि की गलतियाँ दूर करना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुधा-रश्मि					 : | पुं० [सं०] चन्द्रमा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुधारा					 : | वि०=सूधा (सीधा)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुधारालय					 : | पुं० [हि० सुधार+सं० आलय] वह स्थान जहाँ पर अपराधियों के जीवन सुधार की व्यवस्था की जाती है। (रिफ़ार्मेटरी)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुधारू					 : | वि० [हि० सुधारना+ऊ (प्रत्यय)] सुधारनेवाला। सुधारक।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुधा-लता					 : | स्त्री० [सं०] एक प्रकार की गिलोय। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुधाव					 : | पुं० [हि० सुधरना+आव (प्रत्य)] सोधने या सुधारने की क्रिया या भाव। सुधार। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुधा-वर्षी (र्षिन्)					 : | वि० [सं०] सुधा अर्थात् अमृत बरसानेवाला। पुं० १. ब्रह्मा। २. बुद्ध का एक नाम। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुधावास					 : | पुं० [सं०] १. चन्द्रमा। २. खीरा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुधाश्रवा					 : | वि० [सं० सुधा+स्रवण] अमृत बरसानेवाला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुधा-सदन					 : | पुं० [सं० सुधा+सदन] चन्द्रमा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुधासित					 : | भू० कृ० [सं०] जिस पर चूना पोतकर सफेदी की गई हो। | 
			
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				| सुधासू					 : | पुं० [सं०] चन्द्रमा। | 
			
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				| सुधासूति					 : | पुं० [सं०] १. चन्द्रमा। २. यज्ञ। ३. कमल। | 
			
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				| सुधा-स्पर्धी					 : | वि० [सं० सुधा-स्पर्धिन्] १. अमृत की बराबरी करनेवाला। २. अमृत के समान मधुर (भाषण आदि)। | 
			
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				| सुधास्रवा					 : | स्त्री० [सं०] १. गले के अंदर की घंटी। मोटी जीभ। कौआ। २. रुदंती या रुद्रवंती नामक वनस्पति। | 
			
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				| सुधाहर					 : | पुं० [सं०] गरुड़। | 
			
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				| सुधि					 : | स्त्री० [सं० सुद्ध या शोध] १. चेतना। होश। २. ज्ञान। ३. याद। स्मृति। विशेष दे० ‘सुध’। ४. ‘दोहा नामक’ छंद का दूसरा नाम। ५. दे० ‘सुध’। | 
			
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				| सुधित					 : | भू० कृ० [सं०] १. सुधा से युक्त किया हुआ। २. सुधा जैसा फलतः मधुर। ३. जो सुधा या अमृत के रूप में लाया गया हो। ४. सुव्यवस्थित। | 
			
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				| सुधी					 : | वि० [सं०] १. अच्छी बुद्धिवाला। २. बुद्धिमान्। समझदार। पुं० १. पण्डित। विद्वान। २. धार्मिक व्यक्ति। | 
			
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				| सुधीर					 : | वि० [सं०] जिसमें यथेष्ट धैर्य हो। बहुत धैर्यवान्। | 
			
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				| सुधुम्नानी					 : | स्त्री० [सं०] पुराणानुसार पुष्कर द्वीप के सात खंडों में से एक। | 
			
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				| सुधूपक					 : | पुं० [सं०] चन्द्रमा। | 
			
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				| सुधूम्र-वर्णा					 : | स्त्री० [सं०] अग्नि की सात जिह्वाओं में से एक। | 
			
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				| सुधोद्भव					 : | पुं० [सं०] धन्वन्तरि। | 
			
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				| सुधोद्भवा					 : | स्त्री० [सं०] हरीतकी। हर्रे। | 
			
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				| सुनंद					 : | पुं० [सं०] १. एक देव-पुत्र। २. बलराम का मूसल। ३. कुजृंभ नामक दैत्य का मूसल जो विश्वकर्मा का बनाया हुआ माना जाता है। ४. वास्तुशास्त्र में बारह प्रकार के राजभवनों में से एक। वि० आनंददायक। | 
			
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				| सुनंदन					 : | पुं० [सं०] कृष्ण के एक पुत्र का नाम (पुराण०)। | 
			
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				| सुनंदा					 : | स्त्री० [सं०] १. उमा। गौरी। २. श्रीकृष्ण की एक पत्नी। ३. सार्वभौम दिग्ज की हथिनी। ४. भरत की पत्नी। ५. एक प्राचीन नदी। ६. सफेद गौ। ७. गोरोचन। ८. अर्कपत्री। इसरौल। ९. औरत। स्त्री। | 
			
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				| सुनंदिनी					 : | स्त्री० [सं०] १. आराम शीलता नामक पत्रशाक। २. एक प्रकार का छन्द या वृत्त। | 
			
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				| सुन					 : | वि० १.=सुन्न। २.=शून्य। | 
			
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				| सुनका					 : | पुं० [देश०] चौपायों के गले का एक रोग। गरारा। घुरकवा। | 
			
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				| सुन-कातर					 : | पुं० [हिं० सोन+कातर] एक प्रकार का साँप। | 
			
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				| सुनकार					 : | वि० [हि० सुनना+कार (प्रत्यय)] जो गाना बजाना सुनने-समझनेवाला हो। अच्छी तरह ध्यानपूर्वक गुणों की परख करते हुए गाना सुननेवाला। उदाहरण–बसन्त बहार का खयाल था, और महफिल सुनकार थी।–अमृतलाल नागर। | 
			
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				| सुन-किरवा					 : | पुं०=सोन-किरवा।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सु-नक्षत्र					 : | वि० [सं०] १. उत्तम नक्षत्रवाला। २. भाग्यवान्। पुं० उत्तम नक्षत्र। | 
			
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				| सुनक्षत्रा					 : | स्त्री० [सं०] १. कर्म मास का दूसरा नक्षत्र। २. स्कंद की एक मातृका। | 
			
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				| सुन-खरचा					 : | पुं० [?] एक प्रकार का धान जो आश्विन के अंत और कार्तिक के आरंभ में होता है। | 
			
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				| सुन-गुन					 : | स्त्री० [हिं० सुनना+अनु, गुनना] १. किसी बात की बहुत दबी हुई चर्चा जो लोगों में होती है। जैसे–अविश्वास प्रस्ताव रखने की सुन-गुन इधर कुछ दिनों से होने लगी है क्रि०प्र–होना। २. वह बात या भेद जिसकी दबी हुई चर्चा सुनाई पड़ी हो। क्रि० प्र०–लगना। | 
			
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				| सु-नजर					 : | वि० [सं० सु+फा०नजर] दयावान्। कृपालु। (डि०)। | 
			
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				| सुनत(ति)					 : | स्त्री०=सुन्नत।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुनना					 : | स० [सं० श्रवण] १,. ऐसी स्थिति में होना कि कानों के द्वारा ध्वनि, शब्द आदि की अनुभूति हो। जैसे–वर्षों से इस घंटे की आवाज सुनता आया हूँ। २. सुनकर ज्ञान प्राप्त करना। जैसे–खबर सुनना। ३. किसी निष्कर्ष पर पहुँचने के लिए ध्यानपूर्वक लोग या लोगों की बातें सुनना। ४. किसी की प्रार्थना आदि पर विचार करने के लिए सहमत होना। जैसे–उन्होंने कहा है कि आपकी फरियाद सुनी जायगी। ५. कठोर वचनों का श्रवण करना। जैसे–तुम्हारे लिए दूसरों की बातें मुझे सुननी पड़ी। क्रि० प्र०–पड़ना। ६. रोग आदि के संबंध में, उपचार आदि से कम होना या बढ़ने से रुकना। | 
			
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				| सुनफा					 : | स्त्री० [सं०] ज्योतिष में ग्रहों का एक योग। | 
			
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				| सुन-बहरी					 : | स्त्री० [हि० सुन्न+बहरी] एक प्रकार का चर्म रोग जिसकी गिनती कुष्ठ रोग में होती है। | 
			
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				| सुनम्य					 : | वि० [सं०] १. जो सहज में झुकाया या दबाया जा सके। २. जो गीला होने पर मनमाने ढंग से और मनमाने रूप में लाया जा सके। (प्लैस्टिक)। जैसे–सुनम्य मिट्टी। पुं० आज-कल रासायनिक प्रक्रियाओं से तैयार किया हुआ गीला द्रव्य जो सभी प्रकार के साँचों में ढाला जा सकता है और जिससे खिलौने, जूते, तस्मे आदि सैकड़ों प्रकार की चीजें बनाई जाती हैं। (प्लास्टिक)। | 
			
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				| सुनय					 : | पुं० [सं०] उत्तम नीति। सुनीति। | 
			
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				| सुनयन					 : | वि० [सं०] [स्त्री० सुनयना] सुन्दर नेत्रोंवाला। पुं० मृग। हिरन। | 
			
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				| सु-नयना					 : | स्त्री० [सं०] १. सुन्दर स्त्री। सुंदरी। २. राजा जनक की एक पत्नी जिन्होंने सीता जी को पाला था। वि० सं० सुनयन का स्त्री। | 
			
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				| सुनर					 : | वि० [सं० प्रा०स०] नरों में श्रेष्ठ। पुं० अर्जुन। (डि.)। वि०=सुन्दर। स्त्री० [सं० सु+हि.नार]=सुनारि।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुनरिया					 : | स्त्री०=सुन्दरी (रूपवती स्त्री)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुनर्द					 : | वि० [सं०] बहुत गरजने या जोर का शब्द करनेवाला। | 
			
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				| सुनवाई					 : | स्त्री० [हिं० सुनना+वाई (प्रत्यय)] १. सुनने की क्रिया या भाव। २. मुकदमे या विवाद के विचार के लिए न्यायकर्ता के द्वारा दोनों पक्षों की बातें सुनने की क्रिया या भाव (हियरिंग)। ३. किसी तरह की शिकायत या फरियाद आदि का सुना जाना। जैसे–तुम लाख चिल्लाया करो, वहाँ कुछ सुनवाई नहीं होगी। | 
			
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				| सुनवैया					 : | वि० [हि० सुनना+वैया (प्रत्यय)] सुनानेवाला। वि० [हि० सुनाना+वैया (प्रत्य)] सुनानेवाला। | 
			
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				| सुनस					 : | वि० [सं०] सुंदर नाकवाला। | 
			
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				| सुनसर					 : | पुं० [?] एक प्रकार का गहना। | 
			
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				| सुनसन					 : | वि० [सं० शून्य+स्थान] १. जिसमें व्यक्तियों का वास न हो। जैसे–सुनसान कोठरी। २. जिसमें जीवों का आवागमन न हो। जैसे–सुनसान दोपहरी। पुं० निर्जन स्थान। उजाड़। | 
			
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				| सुनहरा, सुनहरी					 : | वि०=सुनहला। | 
			
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				| सुनहला					 : | वि० [हिं० सोना] [स्त्री० सुनहली] १. सोने का बना हुआ। २. चमक, रंग आदि में सोने की तरह। (गोल्ड्न) जैसे–सुनहले फूल, सुनहली आँखें। | 
			
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				| सुनहा					 : | पुं० [सं० श्वान] १. कुत्ता। उदा०–दरपन केरि गुफा में सुनहा पैठा आया।–कबीर। २. कोशी नामक जन्तु। | 
			
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				| सुनाई					 : | स्त्री० [हिं० सुनना+आई (प्रत्य०)] १. सुनने की क्रिया या भाव। २.सुनवाई। | 
			
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				| सुनाद					 : | वि० [सं०] सुन्दर नादवाला। पुं० शंख। | 
			
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				| सुनादक					 : | वि० [सं०] सुंदर शब्द करनेवाला। पुं० शंख। | 
			
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				| सुनाद-प्रिय					 : | पुं० [सं०] संगीत में कर्नाटकी पद्धति का एक राग। | 
			
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				| सुनाद-विनोदनी					 : | स्त्री० [सं०] संगीत में कर्नाटकी पद्धति की एक रागिनी। | 
			
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				| सुनाना					 : | स० [हिं० सुनना का प्रे०] १. दूसरों को सुनने में प्रवृत्त करना। विशेषतः उस दृष्टि से ऊँचे स्वर में पढ़ना कि दूसरे के कानों तक वह पहुँच जाय। २. कोई ऐसी क्रिया करना जिससे लोग कुछ सुन सकें। जैसे–ग्रामोफून या रेडियो सुनाना। ३. अपना रोष प्रकट करने के लिए खरी-खोटी बातें कहना। जैसे–(क) भरी सभा में उन्होंने मंत्री जी को खूब सुनाई। (ख) कोई कहेगा तो चार सुनाएँगे। सं० क्रि–डालना।–देना। | 
			
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				| सुनानी					 : | स्त्री०=सुनावनी।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुनाभ					 : | पुं० [सं०] १. सुदर्शन चक्र। २. मैनाक पर्वत। वि०=सुनाभि। | 
			
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				| सुनाभि					 : | वि० [सं०] १. सुन्दर नाभिवाला। २. जिसका केन्द्र-स्थल सुन्दर हो। | 
			
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				| सुनाम					 : | पुं० [सं०] लोक में होनेवाला अच्छा नाम जो कीर्ति या यश का सूचक होता है। | 
			
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				| सुनाम-द्वादशी					 : | स्त्री० [सं०] एक प्रकार का व्रत जो वर्ष की बारहों शुक्ला द्वादशियों को किया जाता है। | 
			
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				| सुनामा(मन्)					 : | वि० [सं०] जिसका अच्छा नाम या कीर्ति हो। कीर्तिशाली। पुं० १. कंस के आठ भाइयों में से एक। २. कार्तिकेय का एक परिषद। | 
			
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				| सुनामिका					 : | स्त्री० [सं०] त्रायमाणा लता। | 
			
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				| सुनार					 : | पुं० [सं० स्वर्णकार] [स्त्री० सुनारिन, भाव० सुनारी] १. वह जिसका पेशा सोने-चाँदी के आभूषण बनाना हो। २. जो सुनारों के वंश में उत्पन्न हुआ हो। पुं० [सं०] १. कुतिया का दूध। २. साँप का अंडा। ३. चटक पक्षी। गौरैया। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुनारि					 : | स्त्री० [सं०] सुंदर स्त्री। सुंदरी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुनारिन					 : | स्त्री० [हिं० सुनार+इन (प्रत्य०)] १. सुनार की पत्नी। २. सुनार जाति की स्त्री। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुनारी					 : | स्त्री० [हिं० सुनार+ई.(प्रत्य०)] १. सुनार का काम पेशा या भाव। २. दे० ‘सुनारिन’। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुनाल					 : | पुं० [सं०] लाल कमल। | 
			
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				| सुनालक					 : | पुं० [सं०] अगस्त्य का पेड़ या फूल। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुनावनी					 : | स्त्री [हिं० सुनाना] १. परदेश या विदेश से किसी सगे-संबंधी की मृत्यु का आया हुआ समाचार जो स्थानिक संबंधियों के पास सूचनार्थ भेजा जाता है। क्रि० प्र०–आना। २. उक्त प्रकार का समाचार आने पर सगे-संबंधियों आदि का होनेवाला सामूहिक शोक प्रकट, स्नान आदि। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुनासा					 : | स्त्री० [सं०] कौआ ठोढ़ी। काकनासा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुनासिक					 : | वि० [सं०] सुन्दर नाकवाला। सुनास। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुनासीर					 : | पुं० [सं०] १. इन्द्र। २. देवता। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुनाहक					 : | अव्य=नाहक(व्यर्थ)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुनिद्र					 : | पुं० [सं०] खूब सोना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुनिनद					 : | वि० [सं०] सुन्दर नाद या शब्द करने वाला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुनियाना					 : | अ० [हिं० सोना ? + इयाना(प्रत्य०)] पौधों,फसल आदि का शीतरोग आदि से नष्ट-प्राय हो जाना।(रूहेल खंड)(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुनिरुहन					 : | पुं० [सं०] वैद्यक के अनुसार एक प्रकार का वस्तिकर्म जिससे पेट और आँतें बिलकुल साफ हो जाती हैं। | 
			
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				| सुनिश्चय					 : | पुं० [सं०] १. पक्का निश्चय। २. सुंदर निश्चय। | 
			
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				| सुनिश्चित					 : | भू० कृ० [सं०] अच्छी तरह या दृढ़ता से निश्चय किया हुआ। भली भाँति निश्चित किया हुआ। पुं० एक बुद्ध का नाम। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुनिश्चित पुर					 : | पुं० [सं०] काश्मीर का एक प्राचीन नाम। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुनिहित					 : | भू० कृ० [सं०] अच्छी तरह से छिपा या दबा हुआ। उदा–था समर्पण में ग्रहण का एक सुनिहित भाव।–पन्त। | 
			
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				| सुनीच					 : | पुं० [सं०] ज्योतिष में, किसी ग्रह का किसी राशि में किसी विशेष अंश का होनेवाला अवस्थान। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुनीत					 : | वि० [सं०] [भाव० सुनीति] १. नीतिपूर्ण व्यवहार करनेवाला। २. उदार। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुनीति					 : | स्त्री० [सं०] १. उत्तम नीति । २. भक्त ध्रुव की माता। पुं० शिव। | 
			
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				| सुनीथ					 : | पुं० [सं०] १. कृष्ण का एक पुत्र। २. सुषेण का एक पुत्र। ३. शिशुपाल का एक नाम। ४. एक प्रकार का छन्द या वृत्त। वि० १. नीतिमान्। २. न्यायशील। | 
			
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				| सुनीथा					 : | स्त्री० [सं०] मृत्यु की पुत्री और अंग की पत्नी। | 
			
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				| सुनील					 : | वि० [सं०] १. गहरा नीला। २. गहरा काला। पुं० १. अनार का पेड़। २. लाल कमल। | 
			
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				| सुनीलक					 : | पुं० [सं०] १. नीलम नामक रल। २. काला भँगरा। | 
			
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				| सुनीला					 : | स्त्री० [सं०] १. चणिका तृणं। चनिका घास। २. नीली अपराजिता। ३. तीसी। | 
			
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				| सुनु					 : | पुं० [सं०] जल। | 
			
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				| सुनेत्र					 : | वि० [सं०] [स्त्री० सुनेत्रा] सुंदर नेत्रोंवाला। सुलोचन। पुं० १. घृतराष्ठ्रका एक पुत्र। २. बौद्धों के अनुसार मार एक पुत्र। ३. चकवा पक्षी। | 
			
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				| सुनेत्रा					 : | स्त्री० [सं०] सांख्य के अनुसार नौ तुष्टियों में से एक। | 
			
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				| सुनैया					 : | वि०=सुनवैया।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुनोची					 : | पुं० [देश०] एक प्रकार का घोडा़।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुन्न					 : | वि० [सं० शून्य] १. जिसमें कुछ न हो। शून्य। २. शरीर का अंग जिसमें रक्त का संचार बिलकुल शून्य होने के फल-स्वरूप स्पंदनहीनता हो। स्पंदनहीन। ३. शीत अथवा विशिष्ट उपचार के फलस्वरूप किसी अंग का संज्ञाहीन होना। जैसे–आपरेशन से पहले उनका हाथ सुन्न कर लिया गया था। ४. व्यक्ति के संबंध में, स्तब्ध और किंकर्तव्य-विमूढ़। जैसे–मित्र की मृत्यु का समाचार सुनते ही वह सुन्न हो गया। क्रि० प्र०–होना। | 
			
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				| सुन्नत					 : | स्त्री० [अ०] [वि० सुन्नती] लिंगेन्द्रिय के अगले भाग का चमडा़ काटन् की कुछ धर्मों की प्रथा जिसे मुसलमानों में मुसलमानी और सुन्नत कहते हैं। खतना। (सरकमसीजन) | 
			
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				| सुन्नती					 : | वि० [हिं० सुन्नत] जिसकी सुन्नत हुई हो। पुं० मुसलमान। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुन्नर					 : | वि०=सुंदर।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुन्नसान					 : | वि०=सुनसान। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुन्ना					 : | पुं० [सं० शून्य] बिंदी। सिफर। जैसे-एक (१) पर सुन्ना (०) लगाने से दस (१॰) होता है। स०=सुनना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुन्नी					 : | पुं० [अ०] मुसलमानों का एक वर्ग या संप्रदाय जो चारों खलीफाओं को प्रधान मानता है। चार-पारी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुन्नैया					 : | वि०=सुनवैया।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुपंख					 : | वि० [सं०] १. सुन्दर पंखों या परोंवाला। २. सुन्दर तीरोंवाला। | 
			
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				| सुपंथ					 : | पुं० [सं०] सन्मार्ग। | 
			
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				| सुपक					 : | वि०=सुपक्व।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुपक्व					 : | वि० [सं०] अच्छी तरह पका हुआ। पुं० बढिया और सुगंधित आम। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुपक्ष					 : | वि० [सं०] जिसके सुंदर पंख हों। सुंदर पंखोंवाला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुपच					 : | पुं०=श्वपच। वि०=सुपाच्य।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुपट					 : | वि० [सं०] सुंदर वस्त्रों से युक्त। अच्छे वस्त्रोंवाला। पुं० सुन्दर पट या वस्त्र। बढ़िया कपड़ा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुपठ					 : | वि० [सं०] जो सहज में पढ़ा जा सके। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुपड़ा					 : | पुं० [देश०] लंगर का वह अँकुडा़ जो जमीन में धँस जाता है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुपत					 : | वि० [सं० सु.+हिं० पत=प्रतिष्ठा] अच्छी पत या प्रतिष्ठावाला। प्रतिष्ठित। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुपतिक					 : | पुं० [डिं.] ऐसा डाका जो रात के समय पड़े। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुपत्थ					 : | पुं०=सुपथ।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुपत्नी					 : | स्त्री० [सं०] १. अच्छी पत्नी। २. स्त्री जिसका पति अच्छा हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुपत्र					 : | वि० [सं०] १. सुंदर पत्तोंवाला। २. सुंदर पंखों या परोंवाला। पुं० [सं०] १. तेजपत्र। तेजपत्ता। २. इंगुदी। हिंगोट। ३.हुरहुर। आदित्य-पत्र। ४. एक पौराणिक पक्षी। | 
			
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				| सुपत्रक					 : | पुं० [सं०] सहिजन। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुपत्रा					 : | स्त्री० [सं०] १. रूद्रजटा। २. शतावार। ३.शालपर्णी। सरिवन। ४. पालक का साग। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुपत्रिक					 : | भू० कृ० [सं०] १. सुन्दर पत्तों या पत्रों से युक्त। २. सुन्दर पंखों या परों से युक्त। ३. अच्छे तीरो से युक्त। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुपत्री (त्रिन्)					 : | वि० [सं०] पंखों या तीरों से भली-भाँति युक्त। स्त्री० गंगापत्नी नाम का पौधा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुपथ					 : | पुं० [सं०] १. उत्तम मार्ग। अच्छा रास्ता। सत्पथ। सदाचरण। २. एक प्रकार का छन्द या वृत्त। वि० सम-तल। हमवार। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुपथी(थिन्)					 : | वि० [सं०] सुपथ पर चलनेवाला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुपथ्य					 : | पुं० [सं०] १. ऐसा आहार या भोजन जो रोगी के लिए हितकर हो। अच्छा पथ्य। २. आम। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुपथ्या					 : | स्त्री० [सं०] बथुआ नामक साग। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुपद					 : | वि० [सं०] १. सुन्दर पैरोंवाला। २. तेज चलने या दौड़नेवाला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुपद्भा					 : | स्त्री० [सं०] बच। वचा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुपन					 : | पुं०=स्वप्न।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुपनक					 : | वि० [हिं० सपना=स्वप्न] स्वप्न देखनेवाला। जिसे स्वप्न दिखाई देता हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुपना					 : | पुं०=सपना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुपनाना					 : | स० [हिं० सुपना] १. सपना देखना। २. सपना दिखाना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुपरण					 : | पुं०=सुपर्ण।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुपरन					 : | पुं०=सुपर्ण।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुपरमतुरिता					 : | स्त्री० [सं०] एक देवी। (बौद्ध) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुपर रायल					 : | पुं० [अं.] छापे खाने में कागज आदि की एक नाप जो २२ इंच चौड़ी और २९ इंच लंबी होती है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुपरवाइजर					 : | पुं० [अं.]=पर्यवेक्षक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुपरस					 : | पुं०=स्पर्श।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुपरिंटेंडेंट					 : | पुं० [अं०]=अधीक्षक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुपर्ण					 : | वि० [सं०] १. सुंदर पत्तोंवाला। २. सुंदर पंखों या परोंवाला। पुं० १. विष्णु। २. गरुण। ३. देव–गन्धर्व। ४. सोम। ५. किरण। ६. एक वैदिक शाखा जिसमें १॰३ मंत्र हैं। ७. एक प्रकार की सैनिक व्यूह-रचना। ८. घोड़ा। ९. चिड़िया। पक्षी। १॰. मुरगा। ११. अमलतास। १२. नागकेसर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुपर्णक					 : | पुं० [सं०] १. गरूण या दिव्य पक्षी। २. अमलतास। ३. सप्तवर्ण। सतिवन। वि०=सुपर्ण। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुपर्णकुमार					 : | पुं० [सं०] जैनियों के एक देवता। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुपर्णकेतु					 : | पुं० [सं०] १. विष्णु। २. श्रीकृष्ण। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुपर्णराज					 : | पुं० [सं०] गरुण। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुपर्णसद्					 : | वि० [सं०] पक्षी पर चढ़नेवाला। पुं० विष्णु। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुपर्णांड					 : | पुं० [सं०] शूद्रा माता और सूत पिता से उत्पन्न पुत्र। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुपर्णा					 : | स्त्री [सं०] १. पद्मिनी। कमलिनी। २. गरुड़ की माता। ३. एक प्राचीन नदी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुपर्णिका					 : | स्त्री० [सं०] १. स्वर्ण जीवंती। पीली जीवंती। २. रेणुका नामक गन्ध द्रव्य। २. पलाशी। ४. शालपर्णी। सरिवन। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुपर्णी					 : | स्त्री० [सं०] १. गरुण की माता। सुपर्णी। २. एक देवी का नाम। ३. अग्नि की सात जिह्वाओं में से एक। ४. रात। रात्रि। ५. माता पक्षी। चिड़िया। ६. कमलिनी। ७. रेणुका नामक गन्ध द्रव्य। ८. पलाशी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुपर्णेय					 : | पुं० [सं०] सुपर्णी के पुत्र, गरुड़। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुपर्व					 : | वि० [सं०] १. सुंदर जोड़ोंवाला। जिसके जोड़ या गाँठें सुंदर हों। २. (ग्रंथ) जिसमें सुंदर पर्व या अध्याय हों। पुं० १. शुभ मुहुर्त। शुभ काल। २. देवता। ३. तीर। वाण। ४. धूआँ। ५. बाँस। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुपर्वा					 : | स्त्री० [सं०] सफेद दूब। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सु-पश्चात्					 : | अव्य० [सं०] बहुत रात गये। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुपाकिनी					 : | स्त्री० [सं०] आमा हल्दी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुपाक्य					 : | पुं० [सं०] विडलोण नामक नमक जो अत्यंत पाचक माना गया है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुपाच्य					 : | वि० [सं०] सहज में पचनें या हजम हो जानेवाला (खाद्य पदार्थ) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुपात्र					 : | पु. [सं०] [स्त्री० सुपात्री] [भाव० सुपात्रता] १. अच्छा और उपयुक्त पात्र या बरतन। २. उत्तम आधार। ३. कोई अधिकारी तथा उपयुक्त व्यक्ति। ४. सुयोग्य व्यक्ति। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुपाद					 : | वि० [सं०] जिसके अच्छे या सुंदर पैर हों। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुपार					 : | वि० [सं०] जिसे सहज में पार किया जा सके। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुपारग					 : | वि० [सं०] जो सहज में पार जा सकता हो। पुं० शाक्य मुनि। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुपारा					 : | स्त्री० [सं०] नौ प्रकार की तुष्टियों में से एक। (सांख्य) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुपारी					 : | स्त्री० [सं० सुप्रिय] १. नारियल की जाति का एक बहुत ऊँचा पेड़। २. उक्त वृक्ष का फल जो छोटी कड़ी गोलियों के रूप में होता है और जिसके छोटे छोटे टुकड़े यों ही अथवा पान के साथ खाये जाते हैं। कसैली। छालिया। मुहा–सुपारी लगना=सुपारी खाने पर उसका कोई टुकड़ा गले की नली में अटकना जिससे कुछ खाँसी और बेचैनी सी होती है। उदा–सोर भयो सकुचे समुझे हरवाहि कह्यो लागि सुपारी। केशव ३. लिंगेन्द्रिय का अगला अंडाकार भाग जो प्रायः सुपारी (फल) की तरह होता है।(बाजारू) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुपारी का फूल					 : | पुं० [हिं० सुपारी+फूल] मोचरस या सेमल का गोंद | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुपार्श्व					 : | पुं० [सं०] १. परास पीपल। राजदंड। गर्दभांड। २. पाकर का पेड़। ३. एक प्राचीन पर्वत। ४. एक पौराणिक पीठ-स्थान। ५. जैन धर्म में, सातवें तीर्थंकार। ६. जटायु का भाई संपाती के पुत्र का नाम। वि० सुंदर पार्श्ववाला।। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुपिंगला					 : | स्त्री० [सं०] १. जीवंती। डोडी शाक। २. मालकंगनी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुपीत					 : | वि० [सु+पीत (पीला)] बहुत या बढ़िया पीला। भू० कृ० [सं० सु+पीत(पीया हुआ)] १. अच्छी तरह या जी भर कर पीया हुआ। २. जिसने अच्छी तरह या जी भर कर पीया हो। पुं० [सं०] १. गाजर। २. पीली कटसरैया। ३. चन्दन। ४. ज्योतिष में, एक प्रकार का मुहुर्त। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुपीन					 : | वि० [सं०] बहुत बड़ा, भारी या मोटा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुपंसी					 : | स्त्री० [सं०] वह स्त्री जिसका पति वीर्यवान् और सुपुरुष हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुपुट					 : | पुं० [सं०] १. कोलकंद। चमार आलू। २. विष्णुकंद। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुपुटा					 : | स्त्री० [सं०] सेवती। वनमल्लिका। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुपुत्र					 : | पुं० [सं०] १. अच्छा, सुशील और सुयोग्य पुत्र। २. जीवक पुत्र। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुपुत्रिका					 : | वि० [सं०] अच्छे पुत्र या पुत्रोंवाली (स्त्री)। स्त्री० जतुका लता। पपड़ी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुपुर					 : | पुं० [सं०] पक्का और मजबूत दुर्ग। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुपुरुष					 : | पुं० [सं०] १. सुंदर पुरुष। उत्तम या श्रेष्ठ पुरुष। २. सत्पुरुष। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुपुर्द					 : | पुं०=सुपुर्द। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुपुष्करा					 : | स्त्री० [सं०] स्थल कमलिनी। स्थल पद्मिनी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुपुष्प					 : | पुं० [सं०] १. लौंग। लवंग। २. परास पीपल। ३. मुचकुंद वृक्ष। ४. शहतूत। ५. पारिभद्र। फरहद। ६. सिदिस। ७. हरिद्रु। हलदुआ। ८. बड़ी सेवती। ९. सफेद मदार। १॰. देवदार। ११. पुंडेरी। वि० सुन्दर फूलों से युक्त। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुपुष्पक					 : | पुं० [सं०] १. शिरीष वृक्ष। सिरिस। २. मुचकुंद। ३. सफेद मदार। ४. पलास। ५. बड़ी सेवती। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुपुष्पा					 : | स्त्री० [सं०] १. कोशातकी। तरोई। तुरई। २. द्रोणपुष्पी। गूमा। ३. सौंफ। ४. सेवती। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुपुष्पिका					 : | स्त्री० [सं०] १. एक प्रकार का विधारा। जीर्णदारु। २. सौफ । ३. सोआ नामक साग। ४. पातालगारुड़ी। ५. बन-सनई। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुपुष्पी					 : | स्त्री० [सं०] १. श्वेत अपराजिता। सफेद कोपल लता। २. सौंफ। ३. केला। ४. सोआ नामक साग। ५. विधारा। ६. द्रोणपुष्पी। गूमा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुपूत					 : | वि० [सं०] अत्यंत पूत या पवित्र। पुं०=सपूत (सुपुत्र)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुपूती					 : | स्त्री० [हिं० सुपूत+ई (प्रत्य०)] १. सुपूत होने की अवस्था या भाव। सुपूतपन। २. सुपूत का कोई कौशल। सुपूत का वीरतापूर्ण कार्य। ३. स्त्री०, जो सुपूतों की जननी हो। सुपूतों की माता। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुपूर					 : | पुं० [सं०] बीजपुर। बिजौरा नींबू। वि० १. जिसे अच्छी तरह भरा जा सके। २. खूब भरा हुआ। ३. (कार्य) जो सहज में पूरा हो सके। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुपूरक					 : | पुं० [सं०] १. अगस्त वृक्ष। बक-वक्ष। २. बिजौरा नींबू। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुपेती					 : | स्त्री० १. =सुपेदी। २. =सफेदी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुपेद					 : | वि०=सफेद।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुपेदा					 : | पुं०=सफेदा।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुपेदी					 : | स्त्री० [फा० सफेदी] १. ओढ़ने की रजाई। २. बिछाने की तोशक। ३. बिछौना। बिस्तर। ४. दे० ‘सफेदी’। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुपेली					 : | स्त्री० [हिं० सूप+एली (प्रत्य०)] छोटा सूप। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सु-पोष					 : | वि० [सं०] जिसका पालन-पोषण सहज में हो सकता हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुप्त					 : | वि० [सं०] [भाव० सुप्ति] १. सोया हुआ। निद्रित। शयित। 2. सोने के उद्देश्य से लेटा हुआ। 3. (पदार्थ का गुण, प्रभाव या बल) जो अन्दर वर्तमान होने पर भी कुछ कारणों से दबा हुआ हो औऱ सक्रिय न हो। प्रसुप्त (डॉर्मेन्ट) ४. ठिठुरा या सिकुड़ा हुआ। ५. जो खिला या खुला न हो। मूँदा हुआ। ६. जो अभी कांम में न आ रहा हो या आ सकता हो। बेकार। ७. सुस्त। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुप्तक					 : | पुं० [सं०] निद्रा। नींद। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुप्तध्न					 : | वि० [सं०] १. सोये हुए प्राणी पर आघात या वार करनेवाला। २. हिंसक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुप्तज्ञान					 : | पुं० [सं०] स्वप्न। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुप्तता					 : | स्त्री० [सं०] सुप्त होने की अवस्था या भाव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुप्त-प्रलपित					 : | पुं० [सं०] निद्रित अवस्था में होनेवाला प्रलाप। सोये-सोये बकना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुप्तमाली					 : | पुं० [सं० सुप्तमालिन्] पुराणानुसार तेइसवें कल्प का नाम। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुप्त-वाक्य					 : | पुं० [सं०] निद्रित अवस्था में कहे हुए वाक्य या बातें। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुप्त-विज्ञान					 : | पुं० [सं०] स्वप्न। सपना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुप्तस्थ					 : | वि० [सं०] सोया हुआ। निद्रित। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुप्तांग					 : | पुं० [सं०] वह अंग जिसमें चेतना या चेष्टा न रह गई हो। निष्चेष्ट अंग। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुप्तांगता					 : | स्त्री० [सं०] सुप्तांग होने की अवस्था या भाव अंगों की निश्चेष्टता। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुप्ति					 : | स्त्री [सं०] १. सोये हुए होने की अवस्था या भाव। निद्रा। नींद। २. उँघाई। निदाँस। ३. प्रत्यय। विश्वास। ४. सुप्तांगता। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुप्तोत्थित					 : | वि० [सं०] जो अभी सोकर उठा हो। नींद से जागा हुआ। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुप्रकेत					 : | वि० [सं०] १. ज्ञानवान्। २. बुद्धिमान्। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुप्रचेता					 : | वि० [सं० सुप्रचेतस्] बहुत बड़ा बुद्धिमान या समझदार। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुप्रज					 : | वि० [सं०] अचछी और यथेष्ट सन्तान से युक्त। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुप्रजा					 : | वि० [सं०] १. उत्तम संतान। अच्छी औलाद। २. अच्छी प्रजा या रिआया। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुप्रजात					 : | वि० [सं०] सुप्रज। (दे०) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुप्रज्ञ					 : | वि० [सं०] बहुत बद्धिमान्। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुप्रतर					 : | वि० [सं०] (जलाशय) जो सहज में तैरकर या नाव से पार किया जा सके। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुप्रतिज्ञ					 : | वि० [सं०] जो अपनी प्रतिज्ञा से न हटे। दृढ़-प्रतिज्ञ। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुप्रतिभा					 : | स्त्री० [सं०] मदिरा। शराब। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुप्रतिष्ठ					 : | वि० [सं०] १. अच्छी प्रतिष्ठावाला। २. बहुत प्रसिद्ध। पुं० १. एक प्रकार की सैनिक व्यूह-रचना। २. एक प्रकार की समाधि। (बौद्ध) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुप्रतिष्ठा					 : | स्त्री० [सं०] १. देव-मन्दिर, प्रतिभा आदि की स्थापना। २. अभिषेक। ३. अच्छी प्रतिष्ठा या स्थिति। ४. प्रसिद्धि। ५. कार्तिकेय की एक मातृका। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुप्रतिष्ठित					 : | भू० कृ० [सं०] १. जिसकी अच्छी तरह से प्रतिष्ठा या स्थापना की गई हो। २. जिसकी लोक में प्रतिष्ठा हो। पुं० १. गूलर। २. एक प्रकार की समाधि। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुप्रतीक					 : | पुं० [सं०] १. अच्छा या उपयुक्त प्रतीक। २. शिव। ३. कामदेव। ३. ईशान कोण के दिग्गज का नाम। वि० १. सुन्दर। २. सज्जन। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुप्रतीकिनी					 : | स्त्री० [सं०] सुप्रतीक नामक दिग्गज की हथिनी। | 
			
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				| सुप्रदर्श					 : | वि० [सं०] जो देखने में सुन्दर हो प्रियदर्शन। सुदर्शन। | 
			
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				| सुप्रदीप					 : | पुं० [सं०] संगीत में कर्नाटकी पद्धति का एक राग। | 
			
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				| सुप्रदोहा					 : | वि० स्त्री० [सं०] (मादा प्राणी) जिसका दूध सहज में दूहा जा सके। | 
			
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				| सु-प्रबुद्ध					 : | वि० [सं०] जिसे यथेष्ट बोध या ज्ञान हो। अत्यंत बोधयुक्त। पुं० गौतम बुद्ध। | 
			
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				| सुप्रभ					 : | वि० [सं०] १. सुंदर प्रभा या चमकवाला। प्रकाशवान्। २. सुन्दर। पुं० १. पुराणानुसार शाल्मली द्वीप के अन्तगर्त एक वर्ष या भू-भाग। २. जैनियों को नौ बलों (जिनों) में से एक। | 
			
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				| सुप्रभा					 : | स्त्री [सं०] १. स्कंद की एक मातृका। २. अग्नि की सात जिह्वाओं में से एक। ३. सात सरस्वतियों में से एक। ४. सोमराजी। बकुची। पुं० पुराणानुसार पृथ्वी का एक वर्ष या खंड जिसके अधिष्ठाता देवता ‘सुप्रभ’ कहे गये हैं। | 
			
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				| सुप्रभात					 : | पुं० [सं०] १. प्रभात का आरम्भिक समय।। २. मंगलमय प्रभात। ३. वह प्रभात जिससे आरम्भ होनेवाला दिन मंगलकारक और शुभ हो। | 
			
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				| सुप्रभाता					 : | स्त्री० [सं०] १. पुराणानुसार एक नदी का नाम। वि० (रात) जिसका प्रभाव शुभ या सुंदर हो। | 
			
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				| सुप्रभाव					 : | वि० [सं०] १. प्रभावपूर्ण। २. शक्तिशाली। | 
			
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				| सुप्रलंभ					 : | वि० [सं०] जो सहज में प्राप्त हो सके। सुलभ। | 
			
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				| सुप्रलाप					 : | पुं० [सं०] सुन्दर भाषण। | 
			
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				| सुप्रश्न					 : | पुं० [सं०] कुशल-मंगल जानने के लिए किया जानेवाला प्रश्न। | 
			
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				| सुप्रसन्न					 : | वि० [सं०] १. अत्यंत प्रसन्न। २. अत्यंत निर्मल। ३. अच्छी तरह खिला या फूला हुआ। पुं० कुबेर का एक नाम। | 
			
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				| सुप्रसाद					 : | वि० [सं०] १. अत्यंत प्रसन्नता। २. शिव। ३. विष्णु। ४. कार्तिकेय का एक अनुचर। | 
			
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				| सुप्रसादक					 : | पुं०=सुप्रसाद। | 
			
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				| सुप्रसिद्ध					 : | वि० [सं०] [भाव० सुप्रसिद्धि] बहुत अधिक प्रसिद्ध। बहुत मशहूर। | 
			
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				| सुप्रसू					 : | वि० स्त्री० [सं०] (मादा-प्राणी) जो सहज में अर्थात् बिना विशेष कष्ट के प्रसव करे। | 
			
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				| सुप्रिय					 : | वि० [सं०] अत्यंत प्रिय। बहुत प्यारा। | 
			
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				| सुप्रिया					 : | स्त्री० [सं०] एक प्रकार का सम–वृत्त वर्णिक छन्द जिसके प्रत्येक चरण में चार नगण और एक सगण रहता है। यह चौपाई का ही एक रूप है। यथा-कहुँ द्विज गन मिलि सुख स्त्रुति पढ़ही।–केशव। (कुछ लोग इसे‘सुचिरा’ भी कहते हैं।) | 
			
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				| सुफरा					 : | पुं० [देश०] चौकी या मेज पर बिछाने का कपड़ा। | 
			
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				| सुफल					 : | वि० [सं०] १. सुन्दर फलवाला। २. जिसका या जिसके फल अच्छे और सुन्दर हों। ३. कृतकार्य। सफल। पुं० [सं०] १. वृक्ष का अच्छा और सुन्दर फल। २. किसी काम या बात का अच्छा परिणाम या फल। मुहा०–सुफल बोलना=धार्मिक कृत्य, श्राद्ध आदि के उपरान्त अन्तिम दक्षिणा लेकर पंडे, पुरोहित आदि का यजमान से कहना कि तुम्हें इस कार्य का सुफल मिलेगा। ३. अनार। ४. बादाम। ५. बेर। ६. कैथ। ७. मूँग। ८. बिजौरा नींबू। | 
			
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				| सुफलक					 : | पुं० [सं०] अक्रूर के पिता का नाम। | 
			
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				| सुफला					 : | वि० स्त्री० [सं०] १. यथेष्ट या सुन्दर फल अथवा फलों से युक्त। २. तेज धारवाली (कटार, छुरी या तलवार)। स्त्री० १. इन्द्रायण। इन्द्रवारुणी। २. कुम्हड़ा। ३. केला। ४. मुनक्का। ५. काश्मरी। गंभारी। | 
			
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				| सुफुल्ल					 : | वि० [सं०] १. सुन्दर फूलोंवाला। २. अच्छी तरह फूला हुआ (पेड़ या पौधा)। | 
			
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				| सुफेद					 : | वि० [भाव० सुफेदी]=सफेद। | 
			
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				| सुफेन					 : | पुं० [सं०] समुद्र-फेन। | 
			
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				| सुफेर					 : | पुं० [सं० सु+हिं० फेर] १. शुभ या लाभदायक अवसर या स्थिति। २. अच्छी दशा या अच्छे दिन। ‘कुफेर’ का विपर्याय। | 
			
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				| सुबंत					 : | वि० [सं०] (व्याकरण में शब्द) जो सुप् विभक्तियों से (अर्थात प्रथमा से सप्तमी तक की किसी विभक्ति से) युक्त हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुबंध					 : | वि० [सं०] अच्छी तरह बँधा हुआ। पुं० तिल। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुबंधु					 : | वि० [सं०] जिसके अच्छे बंधु या मित्र हों। | 
			
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				| सुबड़ा					 : | पुं० [देश०] ऐसी चाँदी जिसमें ताँबा या और कोई धातु मिली हुई हो। | 
			
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				| सुबरन					 : | पुं० १. स्वर्ण (सोना)। २. सुवर्ण।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुबरनी					 : | स्त्री० [सं० सुवर्ण] छड़ी।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुबल					 : | वि० [सं०] [स्त्री० सुबला] बली। शक्तिशाली। पुं० १. शिवजी का एक नाम। २. वैनतेय का वंशज एक पक्षी। ३. पुराणानुसार भौत्य मनु का एक पुत्र। ४. धृतराष्ट्र के ससुर गंधार नरेश। | 
			
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				| सुबस					 : | वि० [हिं० सु+बसना] अच्छी तरह बसा हुआ।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) वि० [सं० स्ववश] स्वतन्त्र। स्वाधीन। अव्य० १. स्वतंत्रतापूर्वक। २. अपनी इच्छा से। | 
			
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				| सुबह					 : | स्त्री० [अ०] १. दिन के निकलने का समय। सबेरा। मुहा०–सुबह-शाम करना=(क) किसी प्रकार जीवन के दिन बिताना। (ख) बार बार यह कहकर टालना कि आज संध्या को अमुक काम कर देंगे, कल सबेरे कर देंगे। टाल-मटोल करना। २. व्यापक अर्थ में मध्याह्व से पहले तक का समय। जैसे-कालेज आजकल सुबह का है। ३. आरंम्भिक अंश। जैसे–जिंदरी की सुबह। | 
			
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				| सुबह-दम					 : | अव्य० [अ० सुबह+फा० दम] बहुत सबेरे। तड़के। | 
			
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				| सुबहान					 : | पुं० [अ०] ईश्वर का पवित्र भाव से स्मरण करना। लोक में ‘सुभान’ के रूप में प्रचलित। | 
			
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				| सुबहान अल्ला					 : | अव्य० [अ०] जिसका अर्थ है–मैं ईश्वर को पवित्र ह्वदय से स्मरण करता हूँ; और जिसका प्रयोग प्रशंसात्मक रूप में विशेष आश्चर्य या हर्ष प्रकट करने के लिए होता है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुबहानी					 : | वि० [अ०] ईश्वरीय। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुबही					 : | वि० [अ० सुबह+ही (प्रत्य०)] सुबह का। जैसे–सुबही तारा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुबाल					 : | वि० [सं०] १. जो अभी बिलकुल बच्चा (अर्थात अबोध या नादान) हो। २. बच्चों का सा। बचकाना। पुं० १. अच्छा बालक। अच्छा लड़का। २. एक देवता का नाम। ३. एक उपनिषद्। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुबास					 : | पुं० [सं० सु+वास] एक प्रकार का अगहनी धान। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुबासना					 : | स्त्री० [सं० सु+वास] अच्छी महक। सुगंध। खुशबू। स० सुवास या सुगन्ध से युक्त करना। सुगंधित करना। महकाना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुबासिक					 : | वि०=सुवासित।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुबासित					 : | वि०=सुवासित।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुबाहु					 : | वि० [सं०] १. सुन्दर बाहोंवाला २. सशक्त भुजाओंवाला। ३. वीर। बहाहुर। पुं० १. एक बोधिसत्व। २. नागासुर। ३. कार्तिकेय का एक अनुचर। ४. शत्रुध्न का एक पुत्र। ५. पुराणानुसार श्रीकृष्ण का एक पुत्र। ६. धृतराष्ट्र के एक पुत्र का नाम। ७. एक राक्षस, जो मारीच का भाई था अगस्त मुनि के शाप से राक्षस हो गया था। स्त्री० सेना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुबिस्ता					 : | पुं०=सुभीता।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुबीज					 : | वि० [सं०] अच्छे बीजोंवाला। पुं० १. अच्छा और बढ़िया बीज। २. शिव। महादेव। ३. पोस्ते का दाना। खसखस। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुबीता					 : | पुं०=सुभीता। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुबुक					 : | वि० [फा०] १. कम भारवाला। हलका। जैसे–सुबुक गहने। २. जो अधिक गहरा या तेज न हो। जैसे-सुबुक रंग। ३. जिसमें ज्यादा जोर न लगे न लगाया जाय। जैसे– सुबुक हाथ से लिखना। पुं० एक प्रकार का घोड़ा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुबुक-दोश					 : | वि० [फा०] [भाव० सुबुक-दोशी] जिसके कन्धों पर से उत्तरदायित्व या कोई और भार उत्तर गया हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुबुकी					 : | स्त्री० [फा०] १. सुबुक होने की अवस्था या भाव। हलका पन। २. लोक में होने वाली कुछ या सामान्य अप्रतिष्टा। हेठी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुबुद्धि					 : | वि० [सं०] उत्तम बुद्धिवाला। बुद्धिमान। स्त्री० अच्छी या उत्तम बुद्धि। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुबुध					 : | वि० [सं०] १. बुद्धिमान। धीमान्। २. सतर्क। सावधान। स्त्री०=सुबुद्धि। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुबू					 : | पुं० [फा०] मिट्टी का घड़ा। स्त्री०=सुबह (सबेरा)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुबूत					 : | वि०=साबुत।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) पुं०=सबूत (प्रमाण)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुबोध					 : | वि० [सं०] (बात या विषय) जो सहज में समझ में आ जाय। सरल और बोधगम्य। जैसे–सुबोध व्याख्यान। पुं० अच्छा बोध या ज्ञान। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुब्रह्यण्य					 : | वि० [सं०] ब्रह्यण्य के सब गुणों से युक्त। पुं० १. शिव। २. विष्णु। ३. कार्तिकेय। ४. यज्ञों में उद्धाता पुरोहित या उसके तीन सहकारियों में से एक । ५. कन्नड़ प्रदेश का एक प्राचीन प्रदेश जो पवित्र तीर्थ माना जाता था। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुब्रह्य वासुदेव					 : | पुं० [सं०] श्रीकृष्ण। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुभंग					 : | पुं० [सं०] नारियल का पेड़। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुभ					 : | वि०=शुभ।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुभक्ष्य					 : | वि० [सं०] भक्षण के योग्य। पुं० अच्छा और बढ़िया भोजन। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुभग					 : | वि० [सं०] [स्त्री० सुभगा, भाव० सुभगता] १. जिसका भाग्य अच्छा हो। भाग्यवान्। फलतः समृद्ध और सुखी। २. सुन्दर। ३. प्रिय। ४. सुखद। पुं० 1. सौभाग्य। २. सौभाग्य का सूचक कर्म। (जैन) ३. शिव। ४. चंपा। ५. अशोक वृक्ष। ६. पत्थर फूल। ७. गंधक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुभगता					 : | स्त्री० [सं०] १. सुभग होने की अवस्था, गुण या भाव। २. सौभाग्य का सूचक लक्षण। ३. प्रेम। स्नेह। ४. स्त्री के द्वारा प्राप्त होनेवाला सुख। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुभगा					 : | स्त्री० [सं०] १. सौभाग्यवती स्त्री। सधवा। २. ऐसी स्त्री जो अपने पति को प्रिय हो। प्रियतमा पत्नी। ३. कार्तिकेय की एक अनुचरी। ४. पाँच वर्ष की बालिका।। ५. संगीत में एक प्रकार की रागिनी। ६. तुलसी। ७. हलदी। ८. नीली दूब। ९. केवटी मोथा। १॰. कस्तूरी। ११. प्रियंगु। १२. सोन केला। १३. बेला। वि० [सं०] ‘सुभग’ का स्त्री०। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुभगानन्द					 : | पुं० [सं०] तांत्रिका के एक भैरव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुभग्ग					 : | वि०=सुभग।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुभट					 : | पुं० [सं०] [भाव० सुभटता] बहुत बड़ा योद्धा या वीर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुभटवंत					 : | पुं०=सुभट। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुभट्ट					 : | पुं० [सं०] बहुत बड़ा पण्डि़त। दिग्गज विद्वान। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुभड़					 : | पुं०=सुभट।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुभद					 : | वि०=शुभद (शुभकारक)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुभद्र					 : | पुं० [सं०] १. विष्णु। २. सनत्कुमार। ३. पुराणानुसार प्लक्ष द्वीप का एक वर्ष या भू-भाग। ४. भैरवी के गर्भ से उत्पन्न वसुदेव का एक पुत्र। ५. सौभाग्य। ६. मंगल। कल्याण। वि० १. अत्यंत भाग्यवान्। २. भला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुभद्रक					 : | पुं० [सं०] १. देवरथ। २. बेल का पेड़ या दल। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुभद्रा					 : | स्त्री० [सं०] १. श्रीकृष्ण और बलराम की बहन तथा अभिमन्यु की माता जो अर्जुन को ब्याही थी। २. दुर्गा की एक मूर्ति या रूप। ३. कुछ आचार्यों के मत से संगीत में एक श्रुति। ४. बालि की पुत्री जो अवीक्षित को ब्याही थी। ५. एक प्राचीन नदी। ६. अनन्तमूल। ७. काश्मरी। गंभारी। ८. मकड़ा नाम की घास। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुभद्राणी					 : | स्त्री० [सं०] त्रायमाण लता। त्रायंती। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुभद्रिका					 : | स्त्री० [सं०] १. श्रीकृष्ण की छोटी बहन। २. एक प्रकार का छन्द या वृत्त जिसके प्रत्येक चरण में न, न, र, ल और ग होता है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुभद्रेश					 : | पुं० [सं०] सुभद्रा के पति, अर्जुन। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुभना					 : | अ० [सं० सुशोभन] सुशोभित होना। सुन्दर जान पड़ना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुभर					 : | वि०=शुभ्र।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) पुं०=सुभट।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुभव					 : | वि० [सं०] जिसका उद्भव या जन्म अच्छे रूप से हुआ हो। पुं० साठ संवत्सरों में से अन्तिम संवत्सर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुभांजन					 : | पुं०=शोभांजन (सहिजन)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुभा					 : | स्त्री०=शोभा।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) स्त्री०=सुबह।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुभाइ					 : | पुं०=स्वभाव।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) अव्य०=सुभाएँ। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुभाउ					 : | पुं०=स्वभाव।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुभाएँ					 : | अव्य० [सं० स्वभावतः] स्वभाव से ही। स्वभावतः। अव्य० [सं० सद्-भावतः] अच्छे भाव या विचार से। सहज भाव से। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुभाग					 : | वि० [सं०] भाग्यवान्। खुशकिस्मत। पुं०=सौभाग्य।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुभागी					 : | वि० [सं० सुभाग] भाग्यवान्। भाग्यशाली। खुशकिस्मत। वि० [हिं० सुभाग] [स्त्री० सुभागिनी] भाग्यवान्। सौभाग्यशाली। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुभाग्य					 : | वि० [सं०] अत्यन्त भाग्यशाली। बहुत बड़ा भाग्यवान्। पुं०=सौभाग्य। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुभान					 : | पुं० दे०=‘सुबहान’। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुभान-अल्ला					 : | अव्य० दे० ‘सुबहान-अल्ला’। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुभाना					 : | अ० [हिं० शोभना] १. शोभित होना। देखने में भला जान पड़ना। फबना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुभानु					 : | पुं० [सं०] १. चतुर्थ हुतास नामक युग के दूसरे वर्ष का नाम। २. कृष्ण का एक पुत्र। वि० बहुत अधिक प्रकाशमान्। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुभाय					 : | पुं०=स्वभाव।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुभायक					 : | वि० [सं० स्वाभाविक] जो स्वभाव से ही होता हो।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुभाव					 : | पुं०=स्वभाव।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुभावित					 : | भू० कृ० [सं०] १. अच्छी तरह सोचा-विचारा हुआ। २. (औषध) जिसकी अच्छी तरह भावना की गई हो। अच्छी तरह तैयार किया हुआ। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुभाषण					 : | पुं० [सं०] [भू० कृ० सुभाषित] सुन्दर भाषण। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुभाषिणी					 : | वि० [सं०] सं० ‘सुभाषी’ का स्त्री०। स्त्री० संगीत में कर्नाटकी पद्धति की एक रागिनी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुभाषित					 : | भू० कृ० [सं०] अच्छे ढंग से कहा हुआ (कथन आदि)। पुं० १. वह उक्ति या कथन जो बहुत अच्छा या सुन्दर हो। सूक्ति। २. कोई ऐसी विलक्षण और सुन्दर बात जिससे हास्य भी उत्पन्न हो। चोज। (विट) ३. एक बुद्ध का नाम। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुभाषी (षिन्)					 : | वि० [सं०] १. अच्छी तरह से बोलनेवाला। २. प्रिय और मधुर बातें करनेवाला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुभास					 : | वि० [सं०] बहुत प्रकाशवान्। खूब चमकीला। | 
			
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				| सुभास्वर					 : | वि० [सं०] खुब चमकनेवाला। दीप्तिमान्। पुं० पितरों का एक गण या वर्ग। | 
			
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				| सुभिक्ष					 : | पुं० [सं०] १. मूलतः ऐसा समय जब भिक्षुकों को सहज में यथेष्ट भिक्षा मिलती हो। २. फलतः ऐसा काल या समय जब देश में अन्न पर्याप्त हो और सब लोगों को सहज में यथेष्ट मात्रा में मिलता हो। सुकाल। ‘दुर्भिक्ष’ का विपर्याय। ३. अन्न की प्रचुरता। | 
			
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				| सुभी					 : | वि० स्त्री० [सं०] शुभकारक। मंगलकारक। | 
			
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				| सुभीता					 : | पुं० [सं० सुविधा] १. ऐसी स्थिति जो किसी व्यक्ति या बात के लिए अनुकूल हो और जिसमें कठिनाइयाँ, बाधाएँ आदि अपेक्षया कम हों या कुछ भी न हों। अच्छा अनुकूल और उपयुक्त अवसर या परिस्थिति। २. आराम। सुख। क्रि० प्र०–देना।–पाना।–मिलना। | 
			
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				| सुभुज					 : | वि० [सं०] सुन्दर भुजाओंवाला। सुबाहु। | 
			
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				| सुभूता					 : | स्त्री० [सं०] उत्तर दिशा जिसमें प्राणी भली प्रकार स्थित होते हैं।(छांदोग्य) | 
			
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				| सुभूति					 : | स्त्री [सं०] १. कुशल। क्षेम। मंगल। २. उन्नति। तरक्की। | 
			
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				| सुभूम					 : | पुं० [सं०] कार्तवीर्य जो जैनियों के आठवें चक्रवर्ती थे। | 
			
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				| सुभूमिक					 : | पुं० [सं०] एक प्राचीन जनपद जो सरस्वती नदी के किनारे था। (महाभारत) | 
			
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				| सुभूषण					 : | वि० [सं०] सुन्दर आभूषणों से अलंकृत। अच्छे अलंकार धारण करनेवाला। | 
			
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				| सुभूषित					 : | भू० कृ० [सं०] अच्छी तरह भूषित किया हुआ। भली भाँति अलंकृत। | 
			
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				| सुभृष					 : | वि० [सं०] बहुत अधिक। अत्यन्त। | 
			
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				| सुभोग्य					 : | वि० [सं०] अच्छी तरह भोगे जाने के योग्य। | 
			
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				| सुभौटी					 : | स्त्री० [सं० शोभा+हिं० टी (प्रत्य०)] शोभा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुभौम					 : | पुं० [सं०] एक चक्रवर्ती राजा जो कार्तवीर्य के पुत्र थे। (जैन) | 
			
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				| सुभ्र					 : | पुं० [?] जमीन में का बिल। (डिं०) वि०=शुभ्र।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुभ्रू					 : | वि० [सं०] सुन्दर भौंहौंवाला। स्त्री० १. नारी। स्त्री। औरत। २. कार्तिकेय का एक मातृका। | 
			
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				| सुमंगल					 : | वि० [सं०] १. अत्यंत शुभ। कल्याणकारी। २. सदाचारी। पुं० एक प्रकार का विष। | 
			
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				| सुमंगला					 : | स्त्री० [सं०] १. कार्तिकेय की एक मातृका। २. एक प्राचीन नदी। ३. मकड़ा नामक घास। | 
			
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				| सुमंगली					 : | स्त्री० [सं० सुमंगला] १. विवाह के समय सप्तपदी पूजा करने के उपलक्ष्य में पुरोहित को दी जानेवाली दक्षिणा। २. नव-विवाहिता स्त्री। वधू। | 
			
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				| सुमंगा					 : | स्त्री० [सं०] एक पौराणिक नदी। | 
			
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				| सुमंत					 : | पुं०=सुमंत्र।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुमंत्र					 : | पुं० [सं०] १. राजा दशरथ के मंत्री और सारथि का नाम। २. प्राचीन भारत में राज्य के आय-व्यय की व्यवस्था करनेवाला मंत्री। अर्थमंत्री। | 
			
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				| सुमंत्रित					 : | भू० कृ० [सं०] १. जिसे अच्छी सलाह मिली या दी गई हो। जो विचार-विमर्श के उपरान्त प्रस्तुत किया गया हो। जैसे–सुमंत्रित योजना। | 
			
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				| सुमंथन					 : | पुं० [सु+मंथ=पर्वत] मंदर पर्वत। | 
			
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				| सुमंदर					 : | पुं०=समुद्र। | 
			
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				| सुमंदा					 : | स्त्री० [सं०] एक प्रकार की दिव्य शक्ति। | 
			
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				| सुमंद्र					 : | पुं० [सं०] एक प्रकार का छन्द या वृत्त। | 
			
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				| सुम					 : | पुं० [सं०] १. पुष्प। फूल। २. चन्द्रमा। ३. आकाश। पुं० [देश०] एक प्रकार का पेड़ जो असाम में होता है और जिस पर ‘मूगा’ (रेशम) के कीड़े पाले जाते हैं। पुं० [फा०] चौपायों का खुर। टाप। | 
			
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				| सुमख					 : | पुं० [सं०] आनन्दोत्सव। | 
			
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				| सुम-खारा					 : | पुं० [फा० सुम+खार] ऐसा घोड़ा जिसकी एक (आँख की) पुतली बेकार हो गई हो। | 
			
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				| सुमत					 : | वि०=सुमति।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुमंतिजय					 : | पुं० [सं०] विष्णु। | 
			
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				| सुमति					 : | वि० [सं०] सुन्दर मति (बुद्धि या विचार) वाला। २. बुद्धिमान्। होशियार। स्त्री० १. अच्छी मति या बुद्धि। २. लोगों में आपस में होनेवाला मेल-जोल और सद्भाव। उदा०–जहाँ सुमति तहँ संपति नाना।–तुलसी। ३. राजा सगर की पत्नी जिससे ६॰ हजार पुत्र उत्पन्न हुए थे। (पुराण) ४. मैना पक्षी। पुं० १. वर्तमान अवसयर्पिणी के पाँचवें अर्हत। (जैन) २. भरत का एक पुत्र। ३. जनमेजय का एक पुत्र। | 
			
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				| सुमद					 : | वि० [सं०] मदोन्मत्त। मतवाला। | 
			
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				| सुमदन					 : | पुं० [सं०] आम का पेड़ और फल। | 
			
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				| सुमदना					 : | स्त्री० [सं०] एक पौराणिक नदी। | 
			
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				| सुमधुर					 : | वि० [सं०] बहुत अधिक मधुर या मीठा। पुं० जीव शाक। | 
			
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				| सुमध्य					 : | वि० [सं०] [स्त्री० सुमध्या] १. जिसका मध्य भाग सुन्दर हो। २. पतली कमरवाला। | 
			
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				| सुमध्यमा					 : | वि० स्त्री० [सं०] सुन्दर कमरवाली (स्त्री)। | 
			
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				| सुमन					 : | वि० [सं० सुमनस्] १. अच्छे मन या ह्वदय वाला। सह्वदय। २. मनोहर। सुन्दर। पुं० १. देवता। २. पण्डित। विद्वान। ३. पुष्प। फूल। ४. पुराणानुसार प्लक्ष द्वीप का एक पर्वत। ५. मित्र और सहायक। (डिं०) ६. गेहूँ। ७. धतूरा। ८. नीम। ९. घृतकरंज। | 
			
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				| सुमन-चाप					 : | पुं० [सं०] कामदेव जिसका धनुष फूलों का माना गया है। | 
			
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				| सुमनस् (नस्)					 : | वि० [सं०] १. अच्छे ह्वदयवाला। सहृदय। २. सदा प्रसन्न रहनेवाला। पुं० १. देवता २. फूल। | 
			
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				| सुमन-प्रध्वज					 : | पुं० [सं० सुमनस्+ध्वज] कामदेव। | 
			
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				| सुमनस्क					 : | वि० [सं०] १. प्रसन्न। खुश।। २. सुखी। | 
			
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				| सुमना					 : | स्त्री० [सं०] १. चमेली। २. सेवती। ३. कबरी गाय। ४. दशरथ की पत्नी कैकेयी का वास्तविक नाम। | 
			
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				| सुमनायन					 : | पुं० [सं०] एक गोत्र प्रर्वतक ऋषि। | 
			
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				| सुमनित					 : | भू० कृ० [सं० सुमणि+त (प्रत्य०)] सुन्दर मणियों से युक्त किया हुआ। उत्तम मणियों से जड़ा हुआ। वि० [सं० सुमन से] फूलों से युक्त। | 
			
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				| सुमनोत्तरा					 : | स्त्री० [सं०] राजाओं के अन्तःपुर में रहनेवाली स्त्री। | 
			
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				| सुमनौकस					 : | स्त्री० [सं०] देवलोक। स्वर्ग। | 
			
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				| सुमन्यू					 : | वि० [सं०] अत्यन्त क्रोधी। बहुत गुस्सेवर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुम-फटा					 : | पुं० [फा० सुम+हिं० फटना] घोड़ों का एक प्रकार रोग जो उनके खुर के ऊपरी भाग से तलवे तक होता है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुमर					 : | पुं० [सं०] १. वायु। हवा। २. स्वाभाविक रूप से होनेवाली मृत्यु। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुमरन					 : | पुं०=स्मरण।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) स्त्री०=सुमरनी।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुमरना					 : | सं०=सुमिरना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुमरनी					 : | स्त्री०=सुमिरनी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुमरा					 : | स्त्री० [देश०] एक प्रकार की मछली जो नदियों और विशेष कर गरम झरनों में पाई जाती है। | 
			
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				| सुमरीचिका					 : | स्त्री० [सं०] पाँच बाह्य तुष्टियों में से एक। (सांख्य) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुमर्मग					 : | वि० [सं०] (तीर या वाण) जो मर्मस्थान के अन्दर तक घुस जाता हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुमल्लिक					 : | पुं० [सं०] एक प्राचीन जनपद। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुम-सायक					 : | पुं० [सं० सुमन+सायक] कामदेव। (डिं०) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुम-सुखड़ा					 : | वि० [फा० सुम+हिं० सूखना] (घोड़ा) जिसके खुर सूख कर सिकुड़ गये हों। पुं० घोड़ों का एक रोग जिसमें उनके सुम या खुर सूखने लगते हैं। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुमात्रा					 : | पुं० मलय द्वीप-पुंज का एक प्रसिद्ध बड़ा द्वीप जो बोर्नियो के पश्चिम और जावा के उत्तर-पश्चिम में है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुमानस					 : | वि० [सं०] अच्छे मनवाला। सहृदय। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुमनिका					 : | स्त्री०=एक प्रकार का छन्द या वृत्त। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुमानी (निन्)					 : | वि० [सं०] १. बहुत बड़ा अभिमानी। २. प्रतिष्ठित। सम्मानित। उदा०–ये हमारे मार्ग के तारे सुमानी।–मैथिलीशरण। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुमान्य					 : | वि० [सं०] विशेष रूप से मान्य और प्रतिष्ठित। पुं० १. आज-कल कलकत्ते, बम्बई आदि बड़े नगरों में एक विशिष्ट अवैतनिक राजपद, जिस पर वियुक्त होनेवाले व्यक्ति को शान्ति, रक्षा और न्याय संबंधी कछ अधिकार प्राप्त होते हैं। २. इस पद पर नियुक्त होनेवाला व्यक्ति। (शेरिफ़) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुमाय					 : | वि० [सं०] १. माया से युक्त। २. बहुत बुद्धिमान। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुमार					 : | स्त्री० [हिं० सु+मारना] अच्छी तरह पड़नेवाली मार। गहरी मार। उदा०–‘हूठयौ’ दै इठलाय हम करै गँवारि सुमार।–बिहारी। पुं०=शुमार (गिनती)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुमार्ग					 : | पुं० [सं०] उत्तम और श्रेयस्कर रास्ता। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुमार्गी					 : | वि० [सं०] अच्छे मार्ग पर चलनेवाला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुमाल					 : | पुं० [सं०] एक प्राचीन जनपद। (महाभारत) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुमालिनी					 : | स्त्री० [सं०] एक प्रकार का वर्णवृत्त। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुमाली (लिन्)					 : | पुं० [सं०] एक राक्षस जो सुकेश का पुत्र था। २. राम की सेना का एक वानर। पुं० [फा० शुमाल] एक अरब जाति जो अफ्रीका के उत्तर-पूर्वी सिरे पर और अदन की खाड़ी के दक्षिणी भाग में रहती है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुमाल्यक					 : | पुं० [सं०] एक पौराणिक पर्वत। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुमावलि					 : | स्त्री० [सं०] १. फूलों की अवली या कतार। २. फूलों की माला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुमित्र					 : | पुं० १. पुराणानुसार श्रीकृष्ण का एक पुत्र। २. अभिमन्यु का सारथि। ३. मगघ का एक राजा जो अर्हत सुव्रत का पिता था। ४. इक्ष्वाकु वंश के अंतिम राजा सुरथ के पुत्र का नाम। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुमित्रभू					 : | पुं० [सं०] १. जैनियों के चक्रवर्ती राजा सगर का नाम। २. वर्तमान अवसर्पिणी के बीसवें अर्हत का नाम। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुमित्रा					 : | स्त्री० [सं०] १. राजा दशरथ की एक पत्नी जो लक्ष्मण तथा शत्रुध्न की माता। २. मार्कण्डेय ऋषि की माता का नाम। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुमित्रा-नंदन					 : | पुं० [सं०] रानी सुमित्रा के पुत्र लक्ष्मण और शत्रुघ्न। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुमित्र्य					 : | वि० [सं०] उत्तम मित्रोंवाला। जिसके अच्छे मित्र हों। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुमिरण					 : | पुं० १. स्मरण। २.=सुमरन।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुमिरना					 : | स० [सं० स्मरण] १. स्मरण करना। चिंतन करना। ध्यान करना। २. सुमिरनी फेरते हुए देवता आदि का बार बार नाम लेते रहना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुमिरनी					 : | स्त्री० [हिं० सुमरना+ई (प्रत्य०)] १. नाम जपने की छोटी माला जो सत्ताइस दानों की होती है। २. हाथ में पहनने का एक प्रकार का दानेदार गहना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुमिराना					 : | सं० [हिं० सुमिरना] किसी को सुमिरने में प्रवृत्त करना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुमिरिनिया					 : | स्त्री०=सुमिरनी।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सु-मिल					 : | वि० [सं० सु+हिं० मिलना] १. किसी के साथ में सहज में मिल जानेवाला। २. सहज में हेल | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुमुख					 : | वि० [सं०] [स्त्री० सुमुखी] १. सुन्दर मुखवाला। २. मनोहर। सुन्दर। ३. प्रसन्न। ४. अनुकूल। ५. अत्यन्त नुकीला (तीर)। पुं० १. शिव। २. गणेश। ३. पण्डित। विद्वान। ४. गरुड़ का एक पुत्र। ५. द्रोण का पुत्र। ६. एक प्रकार का जलपक्षी। ७. एक प्रकार का साग। ८. तुलसी। ९. राई। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुमुखा					 : | स्त्री० [सं०] सुन्दरी स्त्री। वि० स्त्री० जिसका प्रवेश द्वार अच्छा हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुमुखी					 : | स्त्री० [सं० सुमुख-ङीष्] १. सुन्दर मुखवाली स्त्री। २. दर्पण। ३. संगीत में एक प्रकार की मूर्च्छना। ४. सवैया छंद का तीसरा भेद जिसके प्रत्येक चरण में सात जगण और तब लघु और गुरु वर्ण होता है। मदिरा सवैया के आदि में लघु वर्ण जोड़ने से यह छंद बनता है। इसमें ११ और १२ वर्णों पर यति होती है। ५. नीली अपराजिता। नीली कोयल। ६. शंखपुष्पी। शंखाहुलि। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुमूर्ति					 : | पुं० [सं०] शिव का एक गण। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुमूल					 : | वि० [सं०] १. (वृक्ष) जिसकी जड़े अच्छी हों। दीर्घ तथा पुष्ट जड़ोंवाला। २. उत्तम आधार वाला। ३. जिसका मूल अर्थात् आरम्भ अच्छा हो। पुं० १. उत्तममूल। २. सफेद सहिजन। | 
			
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				| सुमूलक					 : | पुं० [सं०] गाजर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुमूला					 : | स्त्री० [सं०] १. सरिवन। शालपर्णी। २. पिठवन। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुमृग					 : | पुं० [सं०] १. श्रेष्ट जानवर। २. वन या वनस्थली जिसमें बहुत से जंगली जानवर रहते हों। ३. वह स्थान जहाँ शिकार के लिए जंगली जानवर मिलते हों। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुमृति					 : | स्त्री०=स्मृति।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुमेखल					 : | पुं० [सं०] मूँज। मुंजतृण। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुमेड़ी					 : | स्त्री० [?] खाट बुनने का बाध। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुमेद्य					 : | पुं० [सं०] रामायण के अनुसार एक पर्वत। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुमेध					 : | वि०=सुमेधा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुमेधा (धस्)					 : | [सं०] जिसकी मेद्या-शक्ति अर्थात बुद्धि बहुत अच्छी हो। मेधावी। पुं० १. चाक्षष मन्वन्तर के एक ऋषि। २. पाँचवें मन्वन्तर के विशिष्ट देवता।। ३. पितरों का एक वर्ग या गण। स्त्री० मालकंगनी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुमेध्य					 : | वि० [सं०] अत्यन्त पवित्र। बहुत पवित्र। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुमेर					 : | पुं० [सं० सुमेरु] १. गंगाजल रखने का बड़ा पात्र। २. दे० ‘सुमेरु’। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुमेर					 : | पुं० [सं०] १. एक कल्पित पर्वत जो पुराणों में सब पर्वतों का राजा और सोने का कहा गया है। कहते हैं कि अस्त होने पर सूर्य इसी की औट में हो जाता है। २. जप करने की माला में सबके ऊपर वाला अपेक्षाकृत कुछ बड़ा दाना। ३. उत्तरी ध्रुव। (नार्थ पोल) ४. दक्षिणी इराक का पुराना नाम। ५. पिंगल में एक प्रकार का छन्द जिसके प्रत्येक चरण में १९ मात्राएँ होती हैं। अंत में यगण होता है, १२ मात्राओं पर यति होती है, तथा पहली आठवीं और पन्द्रहवीं मात्राओं का लघु होना आवश्यक होता है। ६. शिव। वि० १. सबसे अच्छा। सर्वश्रेष्ठ। २. बहुत अधिक ऊँचा। ३. बहुत सुन्दर। | 
			
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				| सुमेरुजा					 : | स्त्री० [सं०] सुमेरु पर्वत से निकली हुई नदी। | 
			
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				| सुमेरु-ज्योति					 : | स्त्री० [सं०] सुमेरु अर्थात उत्तरी ध्रुव के आस-पास के क्षेत्रों में कभी-कभी रात के समय दिखाई पड़नेवाली एक विशेष ज्योति या विद्युत् का प्रकाश। ‘कुमेरु ज्योति’ का विपर्याय। (आरोरा बोरियालिस) | 
			
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				| सुमेरु-वृत्त					 : | पुं० [सं०] वह रेखा जो उत्तर ध्रुव से २३।। अक्षांस पर स्थित है। | 
			
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				| सुमेरु-समुद्र					 : | पुं० [सं०] उत्तर महासागर का एक नाम। | 
			
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				| सुम्मा					 : | पुं० [स्त्री० सुम्मी] दे० ‘सुंबा’। पुं० [देश०] बकरा।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुम्ह					 : | पुं० [सं० सुम्म] एक प्राचीन जाति। पुं० सुम (खुर)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुम्हार					 : | पुं० [?] एक प्रकार का धान। | 
			
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				| सुयं					 : | अव्य०=स्वयं।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुयंत्रित					 : | वि० [सं०] १. अच्छी तरह शासित। २. स्व-नियंत्रित। ३. अच्छे यंत्रों से युक्त। | 
			
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				| सुयंबर					 : | पुं०=स्वयंवर।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुयज्ञ					 : | वि० [सं०] उत्तमता या सफलता से यज्ञ करनेवाला। जिसने उत्तमता से यज्ञ किया हो। पुं० १. उत्तम यज्ञ। २. वसिष्ठ का एक पुत्र। ३. ध्रुव का एक पुत्र। ४. रूचि नामक प्रजापति का एक पुत्र। | 
			
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				| सुयत					 : | वि० [सं०] १. उत्तम रूप से सयंत। सुसंयत। २. जितेन्द्रिय। | 
			
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				| सुयम					 : | पुं० [सं०] अच्छा यश। अच्छी कीर्ति। सुख्याति। सुकीर्ति। वि० जिसे अच्छा या यथेष्ट यश प्राप्त हुआ हो। | 
			
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				| सुयशा					 : | पुं० [सं०] अच्छा यश। अच्छी कीर्ति। सुख्याति। सुकीर्ति। वि० जिसे अच्छा या यथेष्ट यश प्राप्त हुआ हो। | 
			
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				| सुयुशा					 : | स्त्री० [सं०] १. राजा दिवोदास की पत्नी का नाम। २. राजा परीक्षित की एक पत्नी। ३. अवसर्पिणी। | 
			
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				| सुयाम					 : | पुं० [सं०] ललित विस्तर के अनुसार एक देवपुत्र। | 
			
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				| सुयामुन					 : | पुं० [सं०] १. विष्णु। २. एक प्रकार का मेघ। ३. एक पौराणिक पर्वत। ४. राजभवन। महल। | 
			
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				| सुयुद्ध					 : | पुं० [सं०] १. धर्म, नीति और न्यायपूर्वक किया जानेवाला युद्ध। २. धर्म की रक्षा के लिए किया जानेवाला युद्ध। | 
			
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				| सुयोग					 : | पुं० [सं०] ऐसा अवसर या समय, जो उपयुक्त तथा समयानुकूल हो। | 
			
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				| सुयोग्य					 : | वि० [सं०] [भाव० सुयोग्यता] जिसमें अच्छी योग्यता हो। | 
			
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				| सुयोधन					 : | पुं० [सं०] धृतराष्ट्र के बड़े पुत्र दुर्योधन का एक नाम। | 
			
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				| सुरंग					 : | वि० १. अच्छे रंग का। २. लाल रंग का। ३. रसपूर्ण। ४. सुन्दर। ५. सुडौल। ६. स्वच्छ। साफ। पुं० १. नारंगी। २. रंग के विचार से घोड़ों का एक भेद। ३. शिंगरफ। ४. पतंग। बक्कम। स्त्री० [सं० सुरंगी] [अल्पा० सुरंगिका] १. जमीन खोदकर या बारूद से उड़ाकर उसके नीचे बनाया हुआ रास्ता। बोगदा। (टनेल) २. बारूद आदि की सहायता से किला या उसकी दीवार उड़ाने के लिए उसके नीचे खोदकर बनाया हुआ गहरा और लंबा गड्ढा। ३. एक प्रकार का आधुनिक यंत्र, जिससे (क) समुद्र में शत्रुओं के जहाजों के पेंदे में छेदकर उन्हें डुबाया अथवा (ख) जिसे स्थल में शत्रुओं के रास्ते में बिछाकर उनका नाश किया जाता है। (माइन, उक्त सभी अर्थो के लिए) ४. चोरी करने के लिए दीवार में लगाई जानेवाली सेंध। क्रि० प्र०–लगना। मुहा०-सुरंग-मारना=दीवार में सेंध लगाकर चोरी करना। | 
			
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				| सुरंगद					 : | पुं० [सं०] पतंग या बक्कम जिससे आल नमक बढ़िया लाल रंग निकलता है। | 
			
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				| सुरंग-धातु					 : | पुं० [सं०] गेरू मिट्टी। | 
			
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				| सुरंग-प्रसार					 : | पुं० [फा०+सं०] एक प्रकार का जहाज जो समुद्र के किसी भाग में शत्रु का संचार रोकने के लिए जगह-जगह सुरंगें बिछाता चलता है। (माइन लेयर) | 
			
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				| सुरंग-बुहार					 : | पुं० [सं० सुरंग+हिं० बुहारना] एक विशेष प्रकार का समुद्री जहाज जो समुद्र में बिछाई हुई सुरंगें हटाकर अलग करता या निकालता और दूसरे जहाजों के लिए आगे बढ़ने का रास्ता साफ करता है। (माइन स्वीपर) | 
			
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				| सुरंग-मार्जक					 : | पुं०=सुरंग-बुहार। | 
			
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				| सुरंगा					 : | स्त्री० [सं०] १. कैवर्तिका लता। २. सेंध। | 
			
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				| सुरंगिका					 : | स्त्री० [सं०] १. छोटी सुरंग। २. ईंट, गारे आदि से बनी हुई वह नालाकार नाली जिसके द्वारा जल, तेल आदि तरल पदार्थ दूर पहुँचाये जाते हैं। (एक्केडक्ट) ३. शरीर के अन्दर की कोई ऐसी छोटी नली या नस जिससे होकर कोई चीज इधर-उधर आती-जाती हो। जैसे–मूत्रालय की सुरंगिका जिससे होकर मूत्र जननेंद्रिय के ऊपरी भाग तक पहुँचाता है। ४. मरोड़फली। मूर्वी। ५. पोई का साग। ६. सफेद मकोय। | 
			
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				| सुरंगी					 : | स्त्री० [सं०] १. काकनासा। कौआठोठी। सुलताना। चंपा। पुन्नाग। ३. लाल सहिंजन। ४. लाल का पेड़ वृक्ष जिससे आल नामक रंग निकलता है। वि० [सं० सुरंग+हिं० ई (प्रत्य०)] सुन्दर रंग या रंगोंवाला। | 
			
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				| सुरंजन					 : | पुं० [सं०] सुपारी का पेड़। | 
			
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				| सुरंधक					 : | पुं० [सं०] १. एक प्राचीन जनपद। २. उक्त जन पद का निवासी। | 
			
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				| सुर					 : | पुं० [सं०] [भाव० सुरता, सुरत्व] १. देवता। २. सूर्य। ३. अग्नि का एक विशिष्ट रूप। ४. ऋषि या मुनि। ५. पण्डित। विद्वान्। ६. पुराणानुसार एक प्राचीन नगर जो चन्द्रभागा नदी के तट पर था। पुं० [सं० स्वर] गले, बाजे आदि से निकलनेवाला स्वर। मुहा०–सुर देना=किसी के गाने के समय उसे सहारा देने के लिए किसी बाजे से कोई एक स्वर निकालना (संगत करने से भिन्न)। सुर-पूरना=(क) फूँककर बजाये जानेवाले बाजे के बजाने के लिए उनमें मुँह से हवा भरना। उदा०–मंद मंद सुर पूरत मोहन, राग मल्लार बजावता।–सूर। (ख) दे० ‘किसी के सुर में सुर मिलाना’। (किसी के) सुर में सुर मिलाना=किसी की हाँ में हाँ मिलाना। खुशामद करते हुए किसी का समर्थन करना। नया सुर अलापना=कोई विलक्षण, नई या औरों से अलग तरह की बात कहना। | 
			
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				| सुरंकत					 : | पुं० [सं० सुर+कान्त] देवों के अधिपति, इन्द्र।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुरक					 : | स्त्री० [हिं० सुरकाना] १. सुरकने की क्रिया या भाव। २. सुरकने से होनेवाला शब्द। पुं० [सं०] भाले के आकार का तिलक जो नाक पर लगाया जाता है। | 
			
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				| सुरकना					 : | स० [अनु०] सुर-सुर शब्द करते हुए तथा एक-एक घूँट भरते हुए कोई तरल पदार्थ पीना। जैसे–गरम दूध सुरकना चाहिए। | 
			
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				| सुर-करी (रिन्)					 : | पुं० [सं०] देवताओं का हाथी। दिग्गज। सुरराज। | 
			
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				| सुर-कली					 : | स्त्री० [हिं० सुर+कली] संगीत में एक प्रकार की रागिनी। | 
			
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				| सुर-कानन					 : | पुं० [सं०] देवताओं का वन। | 
			
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				| सुर-कारु					 : | पुं० [सं०] देवताओं के कारीगर, विश्वकर्मा। | 
			
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				| सुर-कार्मुक					 : | पुं० [सं०] इन्द्र-धनुष। | 
			
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				| सुर-काष्ठ					 : | पुं० [सं०] देवदारु (वृक्ष और उसकी लकड़ी)। | 
			
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				| सुर-कुदाव					 : | पुं० [सं० सुर=स्वर+कुदाना] १. दूसरों को धोखे में डालने के लिए स्वर बदल कर बोलना। २. उक्त प्रकार से बोलने का ढंग। ३. स्वर बदल कर बोले जानेवाले शब्द।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुर-कुनठ					 : | पुं० [सं०] ईशान कोण में स्थित एक देश। (वृहत्संहिता) | 
			
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				| सुर-कुल					 : | पुं० [सं०] देवताओं का निवास स्थान। स्वर्ग। | 
			
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				| सुर-केतु					 : | पुं० [सं०] १. देवतओं या इन्द्र की ध्वजा। २. इन्द्र। | 
			
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				| सुरक्त					 : | वि० [सं०] [भाव० सुरक्तता] १. जिसमें अच्छा रक्त हो। २. फलतः स्वस्थ और सुन्दर। ३. गहरे लाल रंग का। ४. बहुत अधिक अनुरक्त। | 
			
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				| सुरक्तक					 : | पुं० [सं०] १. कोशाम्र। कोसम। सोनगेरू। | 
			
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				| सुरक्ष					 : | पुं० [सं०] एक पौराणिक पर्वत। वि०=सुरक्षित। | 
			
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				| सुरक्षण					 : | पुं० [सं०] [भू० कृ० सुरक्षित] अच्छी तरह से रक्षा करने की क्रिया या भाव। रखवाली। हिफाजत। | 
			
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				| सुरक्षा					 : | स्त्री० [सं०] १. अच्छी तरह या समुचित रूप से की जानेवाली रक्षा। २. आक्रमण, आघात आदि से बचने के लिये किया जाने वाला प्रबंध। (सिक्योरिटी) जैसे–सुरक्षा परिषद्। | 
			
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				| सुरक्षात्मक					 : | वि० [सं०] १. सुरक्षा-संबधी। २. सुरक्षा के विचार से किया जाने वाला। जैसे–सुरक्षात्मक कार्रवाई। | 
			
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				| सुरक्षा-परिषद्					 : | स्त्री० [सं०] संयुक्त राष्ट्र-संघ का वह अंग या शाखा, जो यथासाध्य इस बात का प्रयत्न करती है कि राष्ट्रों में परस्पर झगड़े न होने पावें। (सिक्योरिटी कौंसिल) | 
			
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				| सुरक्षित					 : | भू० कृ० [सं०] १. जिसकी समुचित रक्षा का प्रबंध हो। २. जो अच्छी तरह तथा अच्छी अवस्था में रखा गया हो। जैसे–आपकी पुस्तक मेरे पास सुरक्षित है। | 
			
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				| सुरक्षी (क्षिन)					 : | पुं० [सं० सुरक्षिन] उत्तम या विश्वस्त रक्षक। अच्छा अभिभावक या रक्षक। | 
			
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				| सुरक्ष्य					 : | वि० [सं०] १. जिसे सुरक्षित रखना आवश्यक हो। २. जिसकी सहज में सुरक्षा की जा सकती हो। | 
			
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				| सुर-खंडनिका					 : | स्त्री० [सं०] एक प्रकार की वीणा जिसे सुर-मंडलिका भी कहते हैं। | 
			
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				| सुरख					 : | वि० [फा० सुर्ख] गहरा लाल। | 
			
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				| सुरखा					 : | पुं० [फा० सुर्ख] १. वह सफेद घोड़ा जिसकी दुम लाल हो। २. वह घोड़ा जिसका रंग सफेदी भूरापन लिए काला हो। ३. मद्य। ४. शराब। वि०=सुर्ख (लाल)। पुं० [?] एक प्रकार का लंबा पौधा जिसमें पत्ते बहुत कम होते हैं। | 
			
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				| सुरखाव					 : | पुं० [फा०] चकवा या चक्रवाक नामक पक्षी। पद–सुरखाब का पर=विलक्षण विशेषता। स्त्री० बलख प्रदेश की एक नदी। | 
			
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				| सुरखिया					 : | पुं० [फा० सुर्ख+ईया (प्रत्य०)] बगले की जाति का एक छोटा पक्षी जो प्रायः गायों के पास रहता है और इसीलिए ‘गाय-बगला’ भी कहलाता है। | 
			
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				| सुरखी					 : | स्त्री० [हिं० सुरख+ई (प्रत्य०)] ईटो का बनाया हुआ महीन चूरा जिसमें चूना मिलाकर जुड़ाई के लिये गारा बनाया जाता है। स्त्री० दे० ‘सुर्खी’। | 
			
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				| सुरखुरू					 : | वि०=सुर्खरू। | 
			
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				| सुरगंड					 : | पुं० [सं०] एक प्रकार का फोड़ा। | 
			
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				| सुरग					 : | पुं०=स्वर्ण।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) वि०=सुरंग (सुन्दर)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुर-गज					 : | पुं० [सं०] १. देवताओं का हाथी। २. ऐरावत। | 
			
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				| सुर-गति					 : | स्त्री० [सं०] दैवी गति। भावी। | 
			
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				| सुरग-बेसाँ					 : | स्त्री० [सं० स्वर्ग-वेश्या] अप्सरा। (डिं०) | 
			
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				| सुर-गर्भ					 : | पुं० [सं०] देवताओं की संतान। | 
			
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				| सुर-गाय					 : | स्त्री० [सं० सुर+गो] काम-धेनु। | 
			
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				| सुर-गायक					 : | पुं० [सं०] देवों के गायक। गंधर्व। | 
			
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				| सुर-गिरि					 : | पुं० [सं०] देवों के रहने का पर्वत। | 
			
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				| सुरगी					 : | पुं० [सं० स्वर्गीय] देवता। (डिं०)। वि० स्वर्ग का रहनेवाला। | 
			
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				| सुरगी-नदी					 : | स्त्री० [सं० स्वर्गीय+नदी] गंगा। (डिं०) | 
			
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				| सुर-गुरु					 : | पुं० [सं०] देवों के गुरु, वृहस्पति। | 
			
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				| सुर-गृह					 : | पुं० [सं०] १. देवताओं का निवास स्थान। २. देव-मंदिर। देवालय। | 
			
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				| सुर-गैया					 : | स्त्री० [सं० सुर+गैया] कामधेनु। | 
			
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				| सुर-ग्रामणी					 : | पुं० [सं०] देवताओं का नेता, इन्द्र। | 
			
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				| सुर-चाप					 : | पुं० [सं०] इन्द्रधनुष। | 
			
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				| सुरच्छन					 : | पुं०=सुरक्षण।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुरज (स्)					 : | वि० [सं०] (फूल) जिसमें उत्तम यथेष्ट पराग हो। पुं०=सूरज (सूर्य)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुरजन					 : | पुं० [सं०] देवताओं का वर्ग। देव-समूह। वि० [हिं० सुजन] चतुर। चालाक।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) पुं०=सुजन (सज्जन)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुरजनपन					 : | पुं० [हिं० सुरजन+पन (प्रत्य०)] १. सज्जनता। भलमनसत। २. चालाकी। होशियारी। | 
			
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				| सुरजा					 : | स्त्री० [सं०] एक पौराणिक नदी। | 
			
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				| सुर-जेठ					 : | पुं० [सं० सुरज्येष्ठ] ब्रह्मा। (डिं०) | 
			
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				| सुर-ज्येष्ठ					 : | पुं० [सं०] देवताओं में बड़े, ब्रह्मा। | 
			
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				| सुरझन					 : | स्त्री०=सुलझन।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुरझना					 : | अं०=सुलझना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुरझाना					 : | स०=सुलझाना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुरझावना					 : | स०=सुलझाना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुर-टीप					 : | स्त्री० [हिं० सुर+टीप] स्वर का आलाप। सुर की तान।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुरत					 : | पुं० [सं०] १. रति-क्रीड़ा। काम-केलि। संभोग। मैथुन। २. दे० ‘सुरति’ स्त्री०[सं० स्मृति] १. याद। स्मृति। २. ध्यान। सुध। मुहा०– (किसी पर) सुरत धरना=किसी की ओर ध्यान देना। जैसे–पराये धन पर सूरत नहीं धरनी चाहिए। (किसी) की सुरत बिसराना या बिसारना=किसी को बिल्कुल भूल जाना और उसे याद न करना। (किसी ओर) सुरत लगाना=किसी ओर ध्यान बाँधना या लगाना। सुरत सँभालना=होश सँभालना। चेतन अवस्था में आना। | 
			
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				| सुरत-ग्लानि					 : | स्त्री० [सं० मध्य० स०] रति या संभोग के उपरांत होने वाली ग्लानि या ग्लानिजन्य विरक्ति। | 
			
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				| सुर-ताली					 : | स्त्री० [सं०] १. नायक और नाय़िका के बीच की दूती। २. सिर पर पहना या बाँधा जानेवाला सेहरा। | 
			
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				| सुरत-बंध					 : | पुं० [सं० च० त०] संभोग का एक आसन। (कामशास्त्र) | 
			
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				| सुर-तरंगिणी					 : | स्त्री० [सं० ष० त०] १. गंगा। २. सरयू नदी। ३. आकाश गंगा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुर-तरु					 : | पुं० [सं० ष० त०] कल्पवृक्ष। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुरता					 : | स्त्री० [सं० सुर+तल्–टाप्] १. सुर अर्थात देवता होने की अवस्था या भाव। २. वह गुण जिसके कारण देवताओं की प्रतिष्ठा मानी जाती है। देवत्व। ३. देवताओं का समूह। ४. रति-सुख। स्त्री० [सं० स्मृति, हिं० सुरत] १. चेत। सुध। २. किसी की ओर लगा रहने वाला ध्यान। वि० समझदार और सयाना। होशियार।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) पुं० [?] बाँस की वह नली जिसमें डालकर बीज बोने के लिए छिड़के जाते हैं।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुर-तात					 : | पुं० [सं०] १. देवताओं के पिता, कश्यप। २. देवताओं के राजा, इन्द्र। | 
			
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				| सुरतान					 : | स्त्री० [हिं० सुर+तान्] संगीत में सुर के आधार पर ली जाने वाली तान। पुं०= सुलतान।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुरति					 : | स्त्री० [सं०] १. पति पत्नी का वह प्रेम जो काम-वासना की तृप्ति से उत्पन्न होता है। २. मैथुन। संभोग। ३. दे० ‘रति’। स्त्री० [सं० श्रुति] १. अपौरुषेय ज्ञान का भंडार, वेद। श्रुति। उदा०–सुरति, स्मृति दोउ को विसवास।–कबीर। २. हठयोग के अनुसार अंतःकरण में होनेवाला अन्तर्नाद।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) वि० दे० ‘सुरति-निरति’। उदा०–सुरति समानी निरति में निरत रही निरधार।–कबीर। स्त्री० १.=सुरत। २. सूरत।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुरति-कमल					 : | पुं० [सं० च० त०] हठ-योग में आठ कमलों या चक्रों में से अंतिम चक्र जिसका स्थान मस्तक में सहस्त्रार के ऊपर माना गया है। | 
			
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				| सुरति-गोपना					 : | स्त्री० [सं०] साहित्य में ऐसी नायिका जो रति क्रीड़ा करके आई हो और अपनी सखियों आदि से यह बात छिपाती हो। | 
			
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				| सुरति-निरति					 : | स्त्री० [सं० श्रुति+निऋति] परवर्ती हठ-योगियों की परिभाषा में अन्तर्नाद सुनना और उसी में लीन हो जाना। (अर्थात् ससीम का असीम में या व्यक्त का अव्यक्त में समा जाना।) | 
			
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				| सुरति-रव					 : | पुं० [सं० मध्य० स०] रति-क्रीड़ा के समय होने वाली भूषणों की ध्वनि। | 
			
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				| सुरतिवंत					 : | वि० [सं० सुरत+वान्] कामातुर। | 
			
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				| सुरति-विचित्रा					 : | स्त्री० [सं० ब० स०] साहित्य में ऐसी मध्या नायिका जिसकी रति-क्रिया विचित्र हो। | 
			
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				| सुरती					 : | स्त्री० [सूरत (नगर)+ई (प्रत्य०)] १. तंबाकू का पत्ता। २. उक्त पत्तों का वह चूरा, जो पान के साथ यों हा चना मिलाकर खाया जाता है। खैनी। | 
			
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				| सुर-तोषक					 : | पुं० [सं० ष० त०] कौस्तुभ मणि। | 
			
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				| सुरत्त					 : | स्त्री०=सुरति।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुरत्न					 : | पुं० [सं० प्रा० स०] १. उत्तम या बढ़िया रत्न। २. मणिक। लाल। ३. स्वर्ण। सोना। वि० १. उत्तम रत्नों से युक्त। २. सब में श्रेष्ठ। | 
			
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				| सुर-त्राण					 : | पुं०=सुर-त्राता। | 
			
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				| सुर-त्राता					 : | पुं० [सं० ष० त०] १. विष्णु। २. श्रीकृष्ण। ३. इन्द्र। | 
			
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				| सुरथ					 : | पुं० [सं० प्रा० स०] १. अच्छा या सुन्दर रथ। २. द्रुपद का एक पुत्र। ३. जनमेजय का एक पुत्र। ४. एक पौराणिक पर्वत। ५. कुश द्वीप का एक वर्ष या खंड। | 
			
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				| सुरथा					 : | स्त्री० [सं० सुरथ–टाप्] एक पौराणिक नदी। | 
			
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				| सुरथाकर					 : | पुं०[सं०] एक पौराणिक वर्ष या भू-खंड। | 
			
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				| सुर-थान					 : | पुं० [सं० सुर+स्थान] स्वर्ण। (डिं०) | 
			
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				| सुरदार					 : | वि० [हिं० सुर+फा० दार] १. अच्छे सुर वाला। सुरीला। जैसे–सुरदार बाजा। २. बढ़िया स्वर में गानेवाला। जैसे–सुरदार गला। | 
			
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				| सुर-दारु					 : | पुं० [सं० ष० त०] देवदार। | 
			
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				| सुर-दीर्घिका					 : | स्त्री० [सं० ष० त०] आकाश-गंगा। | 
			
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				| सुर-दुंदुभि					 : | स्त्री० [सं० ष० त०] १. देवताओं का नगाड़ा। २. तुलसी। | 
			
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				| सुर-देवी					 : | स्त्री० [सं० ष० त०] योगमाया। (दे०) | 
			
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				| सुर-देश					 : | पुं० [सं० ष० त०] देवताओं का देश। देव-लोक स्वर्ग। | 
			
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				| सुर-द्रुम					 : | पुं० [सं० ष० त०] १. कल्प-वृक्ष। २. नरकट। नरकुल। | 
			
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				| सुर-द्विष्					 : | वि० [सं०] देवताओं की द्वेष करनेवाला। पुं० १. राक्षस। २. राहु। | 
			
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				| सुर-धनुष (षस्)					 : | पुं० [सं० ष० त०] इन्द्र धनुष। | 
			
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				| सुर-धाम (मन्)					 : | पुं० [सं० ष० त०] देव-लोक। स्वर्ग। क्रि० प्र०–सिधारना। | 
			
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				| सुर-धुनी					 : | स्त्री० [सं० ष० त०] गंगा। | 
			
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				| सुर-धूप					 : | पुं० [सं० ष० त०] धूना। राल। सर्जरस। | 
			
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				| सुर-धेनु					 : | स्त्री० [सं० ष० त०] कामधेनु। | 
			
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				| सुर-ध्वज					 : | पुं० [सं० ष० त०] इन्द्र-ध्वज। | 
			
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				| सुर-नंदा					 : | स्त्री० [सं०] एक प्राचीन नदी। | 
			
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				| सुर-नगर					 : | पुं० [सं० ष० त०] स्वर्ग। | 
			
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				| सुर-नदी					 : | स्त्री० [सं० ष० त०] १. गंगा। २. आकाश-गंगा। ३. सरयू नदी। | 
			
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				| सुर-नाथ					 : | पुं० [सं० ष० त०] देवताओं के स्वामी, इन्द्र। | 
			
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				| सुर-नायक					 : | पुं० [सं० ष० त०] इन्द्र। | 
			
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				| सुर-नारी					 : | स्त्री० [सं० ष० त०] देवांगना। देव-वधू। | 
			
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				| सुर-नाल					 : | पुं० [सं०] बड़ा नरसल। देवनल। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुर-नाह					 : | पुं०=सुर-नाथ (इन्द्र)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुर-निम्नगा					 : | स्त्री० [सं० ष० त०] गंगा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुर-निर्झरिणी					 : | स्त्री० [सं० ष० त०] आकाश-गंगा। | 
			
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				| सुर-निलय					 : | पुं० [सं० ष० त०] १. देवताओं के रहने का स्थान, स्वर्ग। २. सुमेरु पर्वत। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुर-पंबरी					 : | स्त्री०=सुरपौरी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुरप					 : | पुं० [सं० सुरपति] इन्द्र।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुरपति					 : | पुं० [सं० ष० त०] १. देवराज इन्द्र। विष्णु। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुरपति-गुरु					 : | पुं० [सं० ष० त०] बृहस्पति। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुरपति-चाप					 : | पुं० [सं० ष० त०] इन्द्र-धनुष। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुरपतित्व					 : | पुं० [सं० सुरपति+त्व] सुरपति होने की अवस्था, पद या भाव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुर-पथ					 : | पुं० [सं० ष० त०] आकाश। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुरपन					 : | पुं० [सं० सुरपुन्नाग] पुन्नाग। सुलताना चंपा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुर-पर्ण					 : | पुं० [सं० ष० त०] एक प्रकार का सुगंधित शाक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुर-पर्णिक					 : | पुं० [सं० सुरपर्ण+कन्–टाप्, इत्व] पुन्नाग वृक्ष। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुर-पर्णी					 : | स्त्री० [सं०] १. पलासी। पलाशी। २. पुन्नाग। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुर-पर्वत					 : | पुं० [सं० ष० त०] सुमेरु। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुर-पांसुला					 : | स्त्री० [सं० ष० त०] अप्सरा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुर-पादप					 : | पुं० [सं० ष० त०] कल्पतरु। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरपाल					 : | पुं० [सं० सुर-पालक] इन्द्र। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरपुन्नाग					 : | पुं० [सं०] एक प्रकार का पुन्नाग। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुर-पुर					 : | पुं० [सं० ष० त०] [स्त्री० सुरपुरी] देवताओं की पुरी, अमरावती। क्रि० प्र०–सिधारना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरपुर-केतु					 : | पुं० [सं० ष० त०] इन्द्र। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुर-पुरोधा (धस्)					 : | पुं० [सं० ष० त०] देवताओं के पुरोहित, बृहस्पति। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरपौरी					 : | स्त्री० [हिं० सुर-पौर] राज-दरबार या राजमहल की पहली ड्योढ़ी। राजद्वार। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुर-प्रतिष्ठा					 : | स्त्री० [सं० ष० त०] देवमूर्ति की स्थापना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुर-प्रिय					 : | पुं० [सं० ष० त०] १. इन्द्र। २. वृहस्पति। ३. एक पौराणिक पर्वत। ४. अगस्त का पेड़। ५. एक प्रकार का पक्षी। वि० जो देवताओं को प्रिय हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुर-प्रिया					 : | पुं० [सं० ष० त०] १. चमेली। २. सोन-केला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुर-फाँकताल					 : | पुं० [हिं० सुर+फाँक=खाली+ताल] तबला और पखावज बजाने का एक प्रकार का ताल। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुर-फाख्ता					 : | पुं०=सुर-फाँक (ताल)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुर-बहार					 : | पुं० [हिं० सुर+फा० बहार] सितार की तरह का एक प्रकार का बाजा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुर-बाला					 : | स्त्री० [सं० ष० त०] देवता की स्त्री। देवांगना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरबुली					 : | स्त्री० [सं० सुरबल्ली]? चिरवल नाम का पौधा।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरबृच्छ					 : | पुं०=सुर-वृक्ष (कल्पतरु)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुर-बेल					 : | स्त्री० [सं० सुर+बल्ली] कल्पलता। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुर-भंग					 : | पुं० [सं० स्वरभंग] प्रेम, आनन्द और भय आदि के अतिरेक के कारण होने वाला स्वर का विपर्यास जो साहित्य में सात्विक भावों के अंतर्गत माना गया है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुर-भवन					 : | पुं० [सं० ष० त०] देवताओं का निवास स्थान। मंदिर। २. देवताओं की नगरी। अमरावती। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरभान					 : | पुं० [सं० सुर+भान्] १. इन्द्र। २. सूर्य। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरभि					 : | स्त्री० [सं०] १. पृथ्वी। २. गौ। ३. कामधेनु। ४. गौओं की जननी और अधिष्ठात्री देवी। ५. कार्तिकेय की एक मातृका। ६. सुगंध। खुशबू। ७. मदिरा। शराब। ८. सेवती। ९. तुलसी। १॰. सलई। ११. सप्तजटा। १२. एलुआ। १३. केवाँच। कौंछ। १४. सुगंधित शालिधन्य। १५. रासना। १६. चन्दन। पुं० [सं०] १. बसंत काल। २. चैत का महीना। ३. वह आग जो यज्ञयुप की स्थापना के समय जलाई जाती थी। ४. सोना। स्वर्ण। ५. गंधक। ६. जायफल। ७. कदंब। कदम। ८. चंपक। चंपा। ९. बकुल। मौलिसिरी। १॰. सफेद कीकर। शमी। ११. रोहित घास। १२. धूना। राल। १३. बर्बर चन्दन। वि० १. सुगंधित। सुवासित। २. मनोरम। सुन्दर। ३. उत्तम। श्रेष्ठ। ४. गुणवान। गुणी। ५. सदाचारी। ६. वदन पर ठीक और चुस्त बैठने वाला (कपड़ा)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरभि-कांता					 : | स्त्री० [सं० ब० स०] बासंती। नेवारी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरभिका					 : | स्त्री० [सं० सुरभि+कन्–टाप्–इत्व] स्वर्णकदली। सोन-केला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरभि-गंध					 : | वि०[सं० ब० स०] सुरभित। सुगंधित। पुं० तेजपत्ता। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरभिगंधा					 : | स्त्री० [सं० ब० स०] चमेली। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरभित					 : | भू० कृ० [सं०] सुरभि से युक्त किया हुआ। सुगंधित। सुवासित। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरभि-तनय					 : | पुं० [सं० ष० त०] बैल। २. साँड़। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरभि-तनया					 : | स्त्री० [सं०] गाय। गौ। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरभिता					 : | स्त्री० [सं०] १. सुरभि का गुण या भाव। २. सुगंध। खुशबू। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरभि-त्रिफला					 : | स्त्री० [सं० ष० त०] जायफल, सुपारी और लौंग इन तीनों का समूह। (वैद्यक) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरभित्वक्					 : | स्त्री० [सं० ब० स०] बड़ी इलायची। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरभि-दारु					 : | पुं० [सं० मध्य० स०] धूप सरल। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरभि-पत्रा					 : | स्त्री० [सं० ब० स०] गुलाब जामुन का पेड़ और फल। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरभि-पुत्र					 : | पुं० [सं० ष० त०] १. साँड़। २. बैल। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरभि-भक्षण					 : | पुं० [सं०] हठ योग की एक क्रिया जिसमें साधक खेचरी मुद्रा के द्वारा अपनी जीभ उलट कर तालू के मूल वाले छेद में लगाता और सहस्त्रार में स्थित चन्द्रमा से निकलने वाला अमृत पीता है। इसे गोमांस-भक्षण भी कहते हैं। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरभि-मंजरी					 : | स्त्री०[सं० ब० स०] सफेद तुलसी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरभि-मान					 : | वि० [सं० सुरभिमत्] सुगंधित। सुवासित। पुं० अग्नि। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरभि-मास					 : | पुं० [सं० मध्य स०] बसंत (ऋतु)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरभि-मुख					 : | पुं० [सं० ब० स०] वसंत ऋतु का प्रारंभिक काल। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुलभि-वल्कल					 : | पुं० [सं० ब० स०] दालचीनी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरभि-वाण					 : | पुं० [सं० ब० स०] कामदेव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरभि-शाक					 : | पुं० [सं० मध्य० स०] एक प्रकार का सुगंधित साग। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुर-भिषक्					 : | पुं० [सं० ष० त०] देवताओं के वैद्य, अश्वनीकुमार। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरभि-समय					 : | पुं० [सं० मध्य० स०] बसंत ऋतु, जिसमें फूलों की मधुर गंध चारों ओर फैलती है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरभी					 : | स्त्री०=सुरभि। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरभीपुर					 : | पुं० [सं० ष० त०] गोलोक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुर-भूप					 : | पुं० [सं० ष० त०] १. इन्द्र। २. विष्णु। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुर-भूषण					 : | पुं० [सं० ष० त०] देवताओं के पहनने का १॰॰८ मोतियों का चार हाथ लंबा हार। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुर-भूषणी					 : | स्त्री० [सं०] संगीत में, कर्नाटकी पद्धति की एक रागिनी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुर-भुरुह					 : | पुं० [सं० ष० त०] १. कल्पतरु। २. देवदार। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुर-भोग					 : | पुं० [सं० ष० त०] देवताओं के भोग की वस्तु, अमृत। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुर-भौन					 : | पुं०=सुर-भवन (स्वर्ग)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुर-मंडल					 : | पुं० [सं० ष० त०] १. देवताओं का मंडल। २. सारंगी, सितार आदि की तरह का एक प्रकार का बाजा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुर-मंडलिका					 : | स्त्री०=सुर-खंडनिका। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुर-मंत्री (त्रिन)					 : | पुं० [सं० ष० त०] बृहस्पति। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुर-मंदिर					 : | पुं० [सं० ष० त०] देव-मंदिर। देवालय। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरमई					 : | वि० [फा०] १. सुरमे के रंग का। नीला। सफेदी लिए हलका नीला या काला। जैसे–सुरमई कबूतर, सुरमई घोड़ा। २. सुरमे के रंग में रंगा हुआ। पुं० एक प्रकार का काला रंग। स्त्री० काले रंग की एक प्रकार की चिड़िया जिसकी गरदन नीली होती है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरमई कलम					 : | स्त्री० [फा०] आँखों में सुरमा लगाने की सलाई। सुरमचू। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुरमचू					 : | पुं० [फा० सुरमः+चू (प्रत्य०)] आँखों में सुरमा लगाने की सलाई। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुर-मणि					 : | पुं० [सं० ष० त०] चिंतामणि (रत्न)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सु-रमण्य					 : | वि० [सं० प्रा० स०] बहुत अधिक रमणीय। बहुत सुन्दर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुरमा					 : | पुं० [फा० सुरभः] हलके सफेद रंग का एक प्रकार का भुरभुरा खनिज पदार्थ जिसका प्रयोग धातुओं में मिलाने तथा रासायनिक कार्यों के लिए होता है, और जिसका महीन चूर्ण आँखों की सुन्दरता बढ़ाने और उसके अनेक प्रकार के रोग दूर करने के लिए अंजन के रूप में होता है। पुं० [?] एक प्रकार का पक्षी। स्त्री० [?] असम देश की एक नदी। पुं०=शूरमा (शूर-वीर)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुर-मानी (निन्)					 : | वि० [सं०] अपने आपको देवता समझनेवाला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुर-मृत्तिका					 : | स्त्री० [सं० ष० त०] गोपीचन्द्र। सौराष्ट्र। मृत्तिका। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुर-मेदा					 : | स्त्री० [सं०] महामेदा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुरमे-दानी					 : | स्त्री० [फां० सुरमः+दान (प्रत्य०)] लकड़ी या धातु का शीशीनुमा पात्र जिसमें आँखों में लगाने का सुरमा रखा जाता है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरमै					 : | वि०, पुं०=सुरमई।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुर-मौर					 : | पुं० [सं० सुर+हिं० मौर] विष्णु। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरम्य					 : | वि० [सं० प्रा० स०] १. अत्यन्त मनोरम और रमणीय। २. बहुत सुन्दर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुरमा					 : | स्त्री० [देश०] एक प्रकार की दाँती, जो झाड़ियाँ काटने के काम आती है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुर-यान					 : | पुं० [सं० ष० त०] देवताओं की सवारी का रथ। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुर-युवती					 : | स्त्री० [सं० ष० त०] अप्सरा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुर-योषित्					 : | स्त्री० [सं० ष० त०] अप्सरा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुर-राई					 : | पुं० [सं० सुरराज] १. इन्द्र। २. विष्णु।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुर-राज					 : | पुं० [सं०] देवताओं के राजा, इन्द्र। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुर-राजगुरु					 : | पुं० [सं० ष० त०] बृहस्पति। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुर-राजता					 : | स्त्री० [सं०] सुर-राज होने की अवस्था, पद या भाव। इन्द्रत्व। इन्दपद। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुरराज-वृक्ष					 : | पुं० [सं० ष० त०] पारिजात। परजाता। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरराजा (जन्)					 : | पुं० [सं० ष० त०] इन्द्र। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरराय					 : | पुं०=सुरराज।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरराव					 : | पुं०=सुरराज।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुर-रिपु					 : | पुं० [सं०] १. देवताओं के शत्रु, असुर। राक्षस। २. राहु। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुर-रुख					 : | पुं० [सं० सुर+हिं० रूख=वृक्ष] कल्पवृक्ष।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरर्षभ					 : | पुं० [सं० सप्त० स०] १. देवताओं में श्रेष्ठ, इन्द्र। २. महादेव। शिव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरर्षि					 : | पुं० [सं० ष० त०] देवऋषि। देवर्षि। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुर-लता					 : | स्त्री० [सं० ष० त०] बड़ी मालकंगनी। महाज्योतिष्मती लता। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुर-ललना					 : | स्त्री० [सं० ष० त०] देवबाला। देवांगना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरला					 : | स्त्री० [सं०] १. गंगा। २. एक प्राचीन नदी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुर-लासिका					 : | स्त्री० [सं०] १. वंशी। बाँसुरी। २. वंशी की ध्वनि। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरली					 : | स्त्री० [सं० सु+हिं० रली] सुन्दर और प्रेम पूर्ण क्रीड़ा। सुरलोक | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुर-वधू					 : | स्त्री० [सं० ष० त०] देवता की पत्नी। देवांगना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुर-वर					 : | पुं० [सं० सप्त० त०] देवताओं में श्रेष्ठ, इन्द्र। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुर-वर्त्म (र्त्मन्)					 : | पुं० [सं० ष० त०] १. देवों का मार्ग। आकाश। २. स्वर्ग। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुर-वल्लभा					 : | स्त्री० [सं०] सफेद दूब। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुर-वल्ली					 : | स्त्री० [सं० ष० त०] तुलसी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरवस					 : | पुं० [देश०] जुलाहों की वह पतली, हल्की छड़ी या सरकंडा जिसका व्यवहार ताना तैयार पकने में होता है।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरवा					 : | पुं०=श्रुवा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) पुं०=शोरबा।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरवाड़ी					 : | स्त्री० [हिं० सूअर+वाड़ी (प्रत्य०)] सूअरों के रहने का स्थान। सूअरबाड़ा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुर-वाणी					 : | स्त्री० [सं० ष० त०] देवताओं की वाणी, संस्कृत। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरवाल					 : | पुं०=सलवार। पुं० [?] सेहरा।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरवास					 : | पुं० [सं० ष० त०] देव-स्थान। स्वर्ग। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुर-विटप					 : | पुं० [सं० ष० त०] कल्पवृक्ष। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुर-वीथी					 : | स्त्री० [सं० ष० त०] नक्षत्रों का मार्ग। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुर-वीर					 : | पुं० [सं० सप्त० त०] इन्द्र। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुर-वृक्ष					 : | पुं० [सं० ष० त०] कल्पतरु। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुर-वेश्म (मन्)					 : | पुं० [सं० ष० त०] स्वर्ग। देवलोक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुर-वैरी					 : | पुं० [सं० सुरवैरिन्] देवों के शत्रु, असुर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुर-शत्रु					 : | पुं० [सं० ष० त०] १. राक्षस। २. राहु। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुर-शत्रुहन्					 : | पुं० [सं० सुरशत्रु√हन् (मारना)+किवच्] देवताओं के शत्रुओं का नाश करनेवाले, शिव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुर-शयनी					 : | स्त्री० [सं० ष० त०] आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी। विष्णु-शयनी एकादशी। देव-शयनी एकादशी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुर-शाखी (खिन्)					 : | पुं० [सं० ष० त०] कल्पवृक्ष। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुर-शिल्पी (ल्पिन्)					 : | पुं० [सं० ष० त०] विश्वकर्मा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुर-श्रेष्ठ					 : | पुं० [सं० सप्त० त०] १. वह जो देवों में श्रेष्ठ हो। २. विष्णु। ३. शिव। ४. गणेश। ५. इन्द्र। ६. धर्म। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुर-श्रेष्ठा					 : | स्त्री० [सं० सुरश्रेष्ठ–टाप्] ब्राह्मी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरस					 : | वि० [सं०] १. सुन्दर रसवाला। २. रसीला। सरस। ३. मधुर। ४. स्वादिष्ट। ५. सुन्दर। पुं० १. तेजपत्ता। २. दालचीनी। ३. तुलसी। ४. रूसा घास। ५. सँभालू। ६. सोमरस। ७. बोल नामक गन्धद्रव्य। ८. पीत-शाल। पुं० दे० ‘सुरवस’ (जुलाहों का)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुर-सख					 : | पुं० [सं० ष० त०] देवताओं के सखा, इन्द्र। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुर-सत					 : | स्त्री०=सरस्वती। (डिं०) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरसत-जनक					 : | पुं० [सं० सरस्वती+जनक] ब्रह्मा। (डिं०) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरसती					 : | स्त्री० [सं० सरस्वती] १. सरस्वती २. एक प्रकार की नाव।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुर-सत्तम					 : | पुं० [सं० सप्त० स०] सुरश्रेष्ठ। (दे०) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुर-सदन					 : | पुं० [सं० ष० त०] देवताओं के रहने का स्थान। स्वर्ग। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुर-सद्म (मन्)					 : | पुं० [सं० ष० त०] स्वर्ग। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुर-समिध					 : | स्त्री० [सं० ष० त०] देवदारु। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुर-सर					 : | पुं० [सं० सुर+सर] मानसरोवर। स्त्री०=सुरसरि।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरसर-सुत्ता					 : | स्त्री० [सं०] सरयू नदी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरसरि					 : | स्त्री० [सं० सुरसरिन्] १. गंगा। २. गोदावरी। ३. कावेरी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुर-सरित्					 : | स्त्री० [सं० ष० त०] गंगा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुर-सरिता					 : | स्त्री०=सुरसरित्। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुर-सरी					 : | स्त्री०=सुरसरि। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुर-सर्षक					 : | पुं० [सं० ष० त०] देव-सर्षप। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरसा					 : | स्त्री० [सं० सुरस–टाप्] १. पुराणानुसार एक राक्षसी, जो नागों या सर्पों की माता कही गई है और जिसने हनुमान को लंका जाते समय समुद्र पार करने से रोकना चाहा था। २. एक प्रकार का छन्द या वृत्त। ३.संवत में एक प्रकार की रागिनी। ४. दुर्गा का एक नाम। ५. एक पौराणिक नदी। ६. अंकुश के आगे का नकीला भाग। ७. ब्राह्यी। ८. तुलसी। ९. सौंफ। १॰. बड़ी शतादर। ११. जूही। १२. सफेद निसोथ। १३. शल्लकी। सलई। १४. निर्गुडी। १५. रास्ना। १६. भटकटैया। कँटेरी। १७. बन-भंटा। बहती। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरसाई					 : | पुं० [सं० सुर+हिं० साँई=स्वामी] १. इन्द्र। २. शिव। ३. विष्णु। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुर-सागर					 : | पुं० [सुर=स्वर से+सागर।] एक तरह का बाजा जिसमें बजाने के लिए तार लगे होते हैं। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरसाग्रज					 : | पुं० [सं०] सफेद तुलसी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरसाग्रणी					 : | स्त्री०=सुरसाग्रज। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरसारी					 : | स्त्री०=सुरसरि। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरसालु					 : | पुं० [सं० सुर+हिं० सालना] देवताओं को सतानेवाला अर्थात असुर या राक्षस।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरसाष्ट					 : | पुं० [सं० ष० त०] सँभालू, तुलसी, ब्राह्मी, बनभंटा, कंटकारी और पुर्ननवा–इन सब का वर्ग या समूह। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुर-साहब					 : | पुं० [सं० सुर+फा० साहब] देवताओं के स्वामी, इन्द्र। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुर-सिंधु					 : | पुं० [सं० ष० त०] १. गंगा। २. संगीत में कर्णाटकी पद्धति का एक राग। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुर-सुंदर					 : | पुं० [सं० सप्त० स०] सुन्दर देवता। वि० देवता के समान सुन्दर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुर-सुंदरी					 : | स्त्री० [सं०] १. दुर्गा। २. देवकन्या। ३. एक योगिनी का नाम। ४. अप्सरा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुर-सुत					 : | पुं० [सं० ष० त०] [स्त्री० सुर-सुता] देवपुत्र। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुर-सुरभी					 : | स्त्री० [सं० सुर+सुरभी] देवताओं की गाय, कामधेनु। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरसुराना					 : | अ० [अनु०] १. कीड़ों आदि का सुरसुर करते हुए रेंगना। २. शरीर में हल्की खुजली या सुरसुराहट होना। स० कोई ऐसी क्रिया करना जिससे सुरसुर शब्द हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरसुराहट					 : | स्त्री० [हिं० सुरसुराना+आहट (प्रत्य०)] १. सुरसुराने की क्रिया या भाव। २. शरीर में होनेवाली हलकी खुजली। ३. गुदगुदी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरसुरी					 : | स्त्री० [अनु०] १. एक प्रकार का कीड़ा जो चावल, गेहूँ आदि में होता है। २. दे० ‘सुरसराहट’। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरसेन					 : | पुं० [सं०] संगीत में कर्नाटकी पद्धति का एक राग। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरसेनप					 : | पुं० [सं० सुर+सेनापति] देवताओं के सेनापति, कार्तिकेय। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरसेना					 : | स्त्री० [सं० ष० त०] देवताओं की सेना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरसैनी					 : | स्त्री०=सुर-शयनी (एकादशी)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरसैयाँ					 : | पुं० [सं० सुर+हिं० सैयाँ (स्वामी)]=सुर-साई(इन्द्र)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुर-स्त्री					 : | स्त्री० [सं० ष० त०] देवता की स्त्री। देवांगना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुर-स्थान					 : | पुं० [सं० ष० त०] देवताओं के रहने का स्थान, स्वर्ग। सुरलोक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुर-स्त्रवंती					 : | स्त्री० [सं०] आकाश-गंगा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुर-स्त्रोतस्विनी					 : | स्त्री० [सं०] गंगा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुर-स्वामी					 : | [सं० ष० त०] देवताओं के स्वामी, इन्द्र। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरहउ					 : | स्त्री०=सुरभि।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरहट					 : | वि० [?] उँचा। उच्च।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरहना					 : | अ० [?] (घाव आदि का) भरना या सूखना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरहरा					 : | वि० [सं० सरल] जो सीधा ऊपर की ओर गया हो। वि० [अनु० सुरसुर] जो सुर-सुर या सुर-सुर शब्द करता हो। वि० सुनहरा।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरहिया					 : | स्त्री०=१. सोरहिया। २.=सुरही।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरही					 : | स्त्री० [हिं० सोलह] १. सोलह। २. सोलह चित्ती कौड़ियाँ। जिनसे जूआ खेलते हैं। २. उक्त कौड़ियों से खेला जानेवाला जूआ।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) स्त्री० [सं० सुरभि] १. सुरभि। २. गाय। उदा०–इन सुरही का दूध न मीठा।–कबीर। ३. चमरी गाय। ४. परती जमीन में होनेवाली एक प्रकार की घास।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरही भच्छन					 : | पुं०=सुरभि-भक्षण।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरहर (ा)					 : | वि०=सुरहरा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरहोनी					 : | पुं० [कर्ना० सुरहोनेप] पुन्नाग की जाति का एक पेड़।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरांगना					 : | स्त्री० [सं० ष० त०] १. देवपत्नी। देवांगना। २. अप्सरा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरा					 : | स्त्री० [सं०√सु+कट् सुष्टु रापनत्वनरेति वा अड्–टाप्] १. मद्य। मदिरा। शराब। २. जल। पानी। ३. पानी पीने का पात्र। ४. साँप। ५. दे० ‘सुरासव’। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुराई					 : | स्त्री० [सं० सुर] १. ‘सुर’ होने की अवस्था या भाव। २. आधिपत्य। प्रभुत्व। स्त्री०=शूरता (वीरता)। उदा०–हमरे कुल इन्ह पर न सुराई।–तुलसी। ३. रानियों की छतरी या समाधि। (बुंदेल०) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरा कर्म (न्)					 : | पुं० [सं० मध्य० स०] वह यज्ञ कर्म जो सुरा द्वारा किया जाता है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुराकार					 : | पुं० [सं०] १. वह जो सुरा या शराब बनाता हो। कलाल। कलवार। २. शराब चुआने की भट्ठी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुराख					 : | पुं०=सूराख (छेद)। पुं०=सुराग।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुराग					 : | पुं० [अ० सुराग] किसी गुप्त अपराध या रहस्य का वह सूत्र जिससे उसका ठीक पता चल सके। क्रि० प्र०–देना।–पाना।–मिलना।–लगना।–लगाना। पुं० [सं० सु+राग] १. उत्तम प्रेम। गहरा प्यार। २. बढ़िया राग। | 
			
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				| सुरा गाय					 : | स्त्री० [सं० सुर+गाय] एक प्रकार की दो नस्ली गाय जिसकी पूँछ गुफ्फेदार होती है और जिससे चँवर बनता है। लोग इसका दूध भी पीते हैं और इस पर बोझ भी ढोते हैं। चमरी। बन-चौर। विशेष–उत्तरी हिमालय और तिब्बत में इसी को ‘याक’ कहते हैं। | 
			
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				| सुरागार					 : | पुं० [सं० ष० त०] १. देवताओं का स्थान। २. मद्य बनाने या बेचने का स्थान। मदिरालय। | 
			
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				| सुरागृह					 : | पुं०=सुरागार। | 
			
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				| सुराचार्य					 : | पुं० [सं० ष० त०] देवताओं के आचार्य, वृहस्पति। | 
			
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				| सुराज (न्)					 : | वि० [सं०] सुन्दर राजा वाला। अच्छे राजा द्वारा शासित (देश)। पुं० १.=सुराज्य। २.=स्वराज्य। | 
			
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				| सुराजा (जन्)					 : | पुं० [सं०] उत्तम राजा। अच्छा राजा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) पुं०=सुराज्य।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुराजिका					 : | स्त्री० [सं०] छिपकली। | 
			
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				| सुराजीव					 : | पुं० [सं०] विष्णु। | 
			
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				| सुराजीवी (विन्)					 : | वि० [सं०] १. जो मद्य पीकर जीता हो। २. जिसका पेशा शराब बनाना और बेंचना हो। | 
			
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				| सुराज्य					 : | पुं० [सं० प्रा० स०] १. अच्छा राज्य। २. ऐसा राज्य जिसमें प्रजा सुखी और सुरक्षित हो। सुराज। पुं०=स्वराज्य।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुराथी					 : | स्त्री० [?] लकड़ी का वह डंडा जिससे अनाज के दाने निकलने के लिए बाल आदि पीटते हैं। | 
			
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				| सुराद्रि					 : | पुं० [सं० ष० त०] देवताओं का पर्वत, सुमेरु। | 
			
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				| सुराधा (धस्)					 : | वि० [सं० प्रा० स०] १. उत्तम दान देनेवाला। बहुत बड़ा दाता। २. बहुत बड़ा धनवान्। | 
			
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				| सुराधानी					 : | स्त्री० [सं०] मद्य रखने का पात्र। | 
			
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				| सुराधिप					 : | पुं० [सं० ष० त०] देवताओं के स्वामी, इन्द्र। | 
			
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				| सुराधीश					 : | पुं०=सुराधिप। | 
			
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				| सुराध्यक्ष					 : | पुं० [सं० ष० त०] १. ब्रह्मा। २. शिव। ३. इन्द्र। ४. श्रीकृष्ण। | 
			
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				| सुराध्वज					 : | पुं० [सं० ष० त०] मद्यशाला पर लगाया जानेवाला झंडा। | 
			
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				| सुरानक					 : | पुं० [सं० ष० त०] देवताओं का नगाड़ा। | 
			
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				| सुरानीक					 : | पुं० [सं० ष० त०] देवताओं की सेना। | 
			
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				| सुराप					 : | वि० [सं० सुरा√पा (पीना)+क] १. सुरा या मद्य पान करने वाला। मद्यप। शराबी। २. बुद्धिमान। समझदार। ३. मधुर। प्रिय। | 
			
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				| सुरापगा					 : | स्त्री० [सं० ष० त०] आकाश-गंगा। | 
			
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				| सुर-पात्र					 : | पुं० [सं० ष० त०] वह पात्र (विशेषतः प्याला) जिसमें शराब पीते हैं। | 
			
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				| सुर-पान					 : | पुं० [सं०] १. मद्यपान करने की क्रिया। शराब पीना। २. शराब पीने के समय खाई जानेवाली चटपटी चीजें। चाट। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुरापी (पिन्)					 : | वि० [सं०] शराब पीनेवाला। | 
			
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				| सुरा-पीत					 : | भू० कृ० [सं० ब० स०] जिसने शराब पी हो। | 
			
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				| सुराब्धि					 : | पुं० [सं० ष० त०] सुरा का समुद्र। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुराभाग					 : | पुं० [सं०] वह खमीर जिससे शराब तैयार की या बनाई जाती है। | 
			
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				| सुरामंड					 : | पुं० [सं० ष० त०] शराब की माँड़। | 
			
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				| सुरा-मुख					 : | वि० [सं० ब० स०] जिसके मुँह में शराब हो या शराब की दुर्गन्ध आती हो। जो शराब पीये हुए हो। | 
			
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				| सुरा-मेह					 : | पुं० [सं०] वैद्यक के अनुसार प्रमेह रोग का एक भेद। | 
			
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				| सुरामेही (हिन्)					 : | वि० [सं० सुरामेह+इनि] सुरामेह से पीड़ित। | 
			
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				| सुराय					 : | पुं० [सं० सु+हिं० राय] अच्छा राजा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुरायुध					 : | पुं० [सं० ष० त०] देवताओं का आयुध या अस्त्र। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुराराणि					 : | स्त्री० [सं० ष० त०] देवताओं की माता, अदिति। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुरारि					 : | पुं० [सं० ष० त०] देवताओं का शत्रु, राक्षस। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुरारिघ्न					 : | पुं० [सं० सुरारि√हन् (मारना)+ठक्] असुरों का नाश करनेवाले, विष्णु। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुरारिहंता (तृ)					 : | पुं० [सं० ष० त०] असुरों का नाश करनेवाले, विष्णु। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुरारी					 : | पुं० [देश०] एक प्रकार की बरसाती घास। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुरार्चन					 : | पुं० [सं० ष० त०] देवताओं की की जानेवाली अर्चना। देव-पूजा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुरार्द्दन					 : | पुं० [सं०सुर√अर्द् (मारना)+ल्यु–अन] देवताओं को मारनेवाले, राक्षस। | 
			
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				| सुरार्ह					 : | पुं० [सं०] १. हरिचन्दन। २. सोना। स्वर्ण। | 
			
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				| सुराल					 : | पुं० [सं०] धूना। राल। पुं० [?] घोड़ा बेल नाम की लता जिसकी जड़ बिलाईकन्द कहलाती है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुरालय					 : | पुं० [सं० ष० त०] १. देवताओं के रहने का स्थान। स्वर्ग। २. सुमेरू पर्वत। ३. देव मन्दिर। ४. शराब बनाने या बेचने की जगह। शराबखाना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुरालिका					 : | स्त्री० [सं०] सातला या सप्तला नाम की जंगली बेल। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुराव					 : | पुं० [सं० प्रा० स०] १. अच्छी ध्वनि। २. एक प्रकार का घोड़ा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुरावट					 : | स्त्री० [हिं० सुर+आवट (प्रत्य०)] १. संगीत में, स्वरों का ठीक तरह से होनेवाला आरोह और अवरोह। स्वरों का संगत उतार-चढ़ाव। २. सुरीलापन। उदा०–सुरज वीणा वेणु आदिक बज उठे। विरां वैतालिक सुरावट सज उठे।–मैथिली०। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुरावती					 : | स्त्री०=सुरावनि। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुरावनि					 : | स्त्री० [सं० ष० त०] १. देवताओं की माता, अदिति। २. पृथ्वी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुर-वारि					 : | पुं० [सं० ष० त०] सुरा का समुद्र। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरवास					 : | पुं० [सं० ब० स०] सुमेरु। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरावृत्त					 : | पुं० [सं०] सूर्य। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुराश्रम					 : | पुं० [सं० ष० त०] सुमेरु। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुराष्ट्र					 : | पुं० [सं० प्रा० स०, ब० स०] सौराष्ट्र देश का दूसरा नाम। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुराष्ट्रज					 : | पुं० [सं० सुराष्ट्र√जन् (उत्पन्न होना)+ड] १. गोपी चंदन। सौराष्ट्र मृत्तिका। २. काला मूँग। ३. लाल कुलथी। ४. एक प्रकार का विष। वि० सुराष्ट्र देश में उत्पन्न। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुराष्ट्रजा					 : | स्त्री० [सं०] गोपीचन्दन। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरा-संधान					 : | पुं० [सं० ष० त०] भभके से शराब चुआने की क्रिया। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरा-समुद्र					 : | पुं०=सुराब्धि। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरासव					 : | पुं० [सं० सुरा+आसव] १. वैद्यक, में एक प्रकार का आसव। २. एक प्रकार का बहुत तेज मादक आसव या द्रव पदार्थ जो भभके से चुआकर बनाया जाता है और जिसका व्यवहार विलायती दवाओं, शराबों, सुगंधियों आदि में मिलाने अथवा तेज आँच पैदा करने के लिए जलावन के रूप में होता है। (स्पिरिट) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरासार					 : | पुं० [सं०] वह तात्त्विक तथा मूल तरल मादक द्रव्य जिससे शराब बनती है। (एलकोहल) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरासुर					 : | पुं० [सं० द्व० स०] सुर और असुर। देवता और दानव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरासुर-गुरु					 : | पुं० [सं० ष० त०] १. शिव। २. कश्यप। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरास्पद					 : | पुं० [सं० ष० त०] देव-मन्दिर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुराही					 : | स्त्री० [अ०] १. जल रखने का एक प्रकार का प्रसिद्ध मिट्टी धातु, शीशे आदि का पात्र, जिसके नीचे और बीच का भाग लम्बे चोंगे या नल की तरह होता है। २. कुल आभूषणों तथा दूसरे पदार्थो के सिरे पर का उक्त आकार का छोटा खंड। ३. कपड़े की एक प्रकार की काट। (दरजी) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुराहीदार					 : | वि० [अ० सुराही+फा० दार] सुराही के आकार-प्रकार वाला। सुराही की सी आकृतिवाला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुराहीनुमा					 : | वि० [अ०+फा०] १. जो देखने में सुराही के समान हो। सुराही के आकार का। २. दे० ‘सुराहीदार’। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुराह्व					 : | पुं० [सं०] १. देवदार। २. मरुआ। ३. हलदुआ। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुराह्वय					 : | पुं० [सं० ब० स०] १. एक प्रकार का पौधा। २. देवदारु वृक्ष। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरियं					 : | पुं० [सं० सुर] इन्द्र। (डिं०) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरिया-खार					 : | पुं० [फा० शोरा+हिं० खार] शोरा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरी					 : | स्त्री० [सं०] देवपत्नी। देवांगना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरीला					 : | वि० [हिं० सुर+ईला (प्रत्य०)] [स्त्री० सुरीली, भाव० सुरीलापन] १. संगीत में (आलाप, तान आदि) जिसका गायन स्वरों के अनुरूप या अनुसार हो रहा हो। २. महीन और मीठा (स्वर)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरुंगा					 : | स्त्री०=सुरंग। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरुक्म					 : | वि० [सं०] अच्छी तरह प्रकाशित। प्रदीप्त। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरुख					 : | वि० [हिं० सु+फा० रुख] १. सुन्दर आकृति या रूपवाला। खूबसूरत। २. प्रसन्न रहकर दया करनेवाला। २. अनुकूल। उदा०–सुरूख सुमुख एक रस एक रूप तोहि।–तुलसी। वि० दे० ‘सुर्ख’। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरूखरू					 : | वि०=सुर्खरू। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरुच					 : | वि० [सं०] उज्ज्वल या सुन्दर प्रकाशवाला। पुं० उज्ज्वल प्रकाश। अच्छी रोशनी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरुचि					 : | स्त्री० [सं० प्रा० स०] १. अच्छी विशेषतः नागर और परिष्कृत रूचि। २. प्रसन्नता। ३. ध्रुव की विमाता। वि० सुरुचिपूर्ण। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरुचिर					 : | वि० [सं० प्रा० स०] १. जिसमें तबीयत खूब रुचती हो। २. व्यापक अर्थ में सुन्दर। ३. उज्ज्वल। चमकीला। प्रकाशमान्। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरुज					 : | वि० [सं०] बहुत बीमार। अस्वस्थ। रुग्ण। पुं०=सूर्य।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरुजमुखी					 : | पुं०=सुर्यमुखी।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरुति					 : | स्त्री०=श्रुति।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरुद्रि					 : | स्त्री० [सं०] शतद्रु (वर्तमान सतलज) नदी का एक पुराना नाम। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरुर					 : | पुं० दे० ‘सरूर’। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरुल					 : | पुं० [देश०] मूँगफली के पौधों में होनेवाला एक रोग। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरुवा					 : | पुं० १.=स्त्रुवा। २.=शोरबा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरूप					 : | वि० [सं० ब० स०] [स्त्री० सुरूपा, भाव० सुरूपता] १. जिसका रूप या आकृति अच्छी हो। २. सुन्दर। खूबसूरत। ३. पण्डित। विद्वान। ४. बुद्धिमान। समझदार। पुं० १. शिव। २. कपास। ३. पलास। ४. पीपल। पुं०=स्वरूप।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरूपक					 : | वि०=स्वरूपवान्। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरूपता					 : | स्त्री० [सं० सुरूप+तल्–टाप्] सुरूप होने की अवस्था या भाव। सुंदरता। खूबसूरती। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरूपा					 : | स्त्री० [सं० सुरूप–टाप्] १. सखिन। शालपर्णी। २. भारंगी। ३. सेवती। ४. बेला। वि० सुन्दर रूपवाली (स्त्री)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरूहक					 : | पुं० [सं०] खच्चर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरेंद्र					 : | पुं० [सं० ष० त०] १. सुरराज। इन्द्र। २. बहुत बड़ा राजा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरद्र-कंद					 : | पुं०=सुरेन्द्रक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरेन्द्रक					 : | पुं० [सं०] जंगली ओल या सूरन। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरेन्द्रगोप					 : | पुं० [सं०] इन्द्रगोप नामक कीड़ा। बीरबहूटी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरेन्द्रचाप					 : | पुं० [सं० ष० त०] इन्द्रधनुष। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरेन्द्रजित्					 : | पुं० [सं० सुरेन्द्र√जि (जीतना)+क्विप्–तुक्] इन्द्र को जीतनेवाले, गरुड़। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरेन्द्रता					 : | स्त्री० [सं० सुरेन्द्र+तल्–टाप्] सुरेन्द्र होने की अवस्था, गुण या भाव। इन्द्रत्व। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरेन्द्रपूज्य					 : | स्त्री० पुं० [सं० ष० त०] बृहस्पति। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरेन्द्रलोक					 : | पुं० [सं० ष० त०] इन्द्रलोक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरेद्रवज्रा					 : | स्त्री० [सं०] इन्द्रवज्रा नामक वृत्त का दूसरा नाम। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरेन्द्रवती					 : | स्त्री० [सं० सुरेन्द्र+मतुम्–य–व–ङीप्] शची। इन्द्राणी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरेख					 : | वि० [सं० ब० स०] सुन्दर रेखाएँ बनानेवाला। २. सुन्दर रेखओं से युक्त। स्त्री० [प्रा० स०] सुन्दर रेखा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरेज्य					 : | पुं० [सं० ष० त०] बृहस्पति। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरेज्या					 : | स्त्री० [सं०] १. तुलसी। २. ब्राह्मी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरेणु					 : | स्त्री० [सं०] १. त्रसरेणु। २. एक प्राचीन नदी। ३. विवस्वान् की पत्नी जो त्वाष्ट्री की पुत्री थी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरेतना					 : | स० [?] खराब अनाज में से अच्छे अनाज अलग करना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरेतर					 : | पुं० [सं० पंच० स०] असुर। वि० सुरों से इतर या भिन्न। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरेता (तस्)					 : | वि० [सं० ब० स०] १. बहुत वीर्यवान्। २. विशेष सामर्थ्यवान्।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरेतिन					 : | स्त्री० [सं० सुरति] उपपत्नी। रखेली।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरेथ					 : | पुं० [?] सूँस। शिशुमार। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरेनुका					 : | स्त्री०=सुरेणु। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुरेभ					 : | वि० [सं० ब० स०] सुन्दर स्वरवाला। सुरीला। पुं० देवहलदी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुरेश					 : | पुं० [सं० ब० स०] १. देवताओं के राजा, इन्द्र। २. शिव। ३. विष्णु। ४. श्रीकृष्ण। ५. राजा। | 
			
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				| सुरेशी					 : | स्त्री० [सं० सुरेश+ङीप्] दुर्गा। | 
			
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				| सुरेश्वर					 : | पुं० [सं० ष० त०] १. देवताओं के राजा, इन्द्र। २. ब्रह्मा। ३. रुद्र। ४. शिव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुरेश्वरी					 : | स्त्री० [सं० सुरेश्वर+ङीप्] देवताओं की स्वामिनी, दुर्गा। २. लक्ष्मी। ३. राधा। ४. आकाश-गंगा। | 
			
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				| सुरेष्ट					 : | पुं० [सं०] १. सुर-पुन्नाग। २. अगस्त्य का पेड़ और फूल। ३. मौलसिरी। ४. शालवृक्ष। साखू। | 
			
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				| सुरेष्टक					 : | पुं० [सं०] शालवृक्ष। साखू। | 
			
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				| सुरेष्टा					 : | स्त्री० [सं०] ब्राह्मी। | 
			
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				| सुरेस					 : | पुं०=सुरेश। | 
			
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				| सुरै					 : | स्त्री० [देश०] एक प्रकार की घास जो गर्मी के दिनों में पैदा होती है। स्त्री०=सुरभि।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुरेत					 : | स्त्री० [सं० सुरति] १. विषय-भोग के निमित्त रखी जानेवाली स्त्री। उपपत्नी। रखेल। २. वेश्या। | 
			
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				| सुरैतवाल					 : | पुं० [हिं० सुरैत+बाल] सुरैत या उपपत्नी से उत्पन्न सन्तान। | 
			
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				| सुरैतिन					 : | स्त्री० दे० ‘सुरैत’। | 
			
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				| सुरोचन					 : | पुं० [सं०] पुराणानुसार एक वर्ष या भू-खंड। | 
			
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				| सुरोचना					 : | स्त्री० [सं०] कार्तिकेय की एक मातृका। | 
			
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				| सुरोचि					 : | वि० [सं० सुरुचि] सुन्दर। | 
			
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				| सुरोत्तम					 : | पुं० [सं० सप्त० त०] १. देवताओं में श्रेष्ठ, विष्णु। २. सूर्य। | 
			
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				| सुरोत्तर					 : | पुं० [सं०] चंदन। | 
			
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				| सुरोद					 : | पुं० [सं० ष० त०] मदिरा का समुद्र। | 
			
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				| सुरोदक					 : | पुं०=सुरोद। | 
			
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				| सुरोदय					 : | पुं०=स्वरोदय।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुरोधा (धस्)					 : | पुं० [सं०] एक गोत्र-प्रवर्तक ऋषि। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुरोपम					 : | वि० [सं० ब० स०] १. देवताओं के समान। देव-तुल्य। | 
			
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				| सुरोमा (मन्)					 : | वि० [सं० ब० स०] सुन्दर रोमोंवाला। जिसके रोएँ सुन्दर हों। | 
			
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				| सुरोका (कस्)					 : | पुं० [सं० ष० त०] १. स्वर्ग। २. देव मन्दिर। | 
			
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				| सुर्ख					 : | वि० [फा० सुर्ख] रक्त-वर्ण। लाल। जैसे–सुर्ख गाल। पुं० लाल रंग। रक्त वर्ण। | 
			
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				| सुर्खदाना					 : | पुं० [फा० सुर्ख दानः] एक प्रकार की वनस्पति। | 
			
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				| सुर्खरू					 : | वि० [फा०] [भाव० सुर्खरूई] १. जिसके मुख पर लाली और फलतः तेज हो। तेजस्वी। २. यश या सफलता प्राप्त करने के कारण जिसके चेहरे पर लाली अर्थात प्रफुल्लता या प्रसन्नता आ गई हो। कीर्तिशाली। यशस्वी। ३. प्रतिष्ठित। | 
			
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				| सुर्खरूई					 : | स्त्री० [फा०] १. सुर्खरू होने की अवस्था या भाव। २. कीर्ति। यश। 3. प्रतिष्ठा। मान। | 
			
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				| सुर्खा					 : | पुं० [फा० सुर्ख] लाल रंग का एक प्रकार का कबूतर। | 
			
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				| सुर्खाब					 : | पुं०=सुरखाब (चकवा)। | 
			
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				| सुर्खी					 : | स्त्री० [फा० सुर्खी] १. लाली। ललाई। २. लेखों आदि का शीर्षक जो पहले लाल स्याही से लिखा जाता था। ३. लाल स्याही। ४. खून। रक्त। लहू। ५. दे० ‘सुरखी’। | 
			
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				| सुर्खीदार सुरमई					 : | पुं० [फा०] एक प्रकार का सुरमई या बैंगनी रंग जो कुछ लाली लिए होता है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुर्जना					 : | पुं०=सहिजन (वृक्ष)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुर्ता					 : | वि०=सुरता (समझदार)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुर्ती					 : | स्त्री०=सुरती। | 
			
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				| सुर्त्त					 : | स्त्री० १.=सुरत। २.=सुरति।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुर्मा					 : | पुं०=सुरमा।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुर्रा					 : | पुं० [फा०] १. एक प्रकार की मछली। २. छोटी थैली। बटुआ। पुं० [अनु० सुर-सुर] हवा का सुर-सुर करता हुआ तेज झोंका। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुलंक					 : | पुं० दे० ‘सोलंक’।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुलंकी					 : | पुं०=सोलंकी।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुलक्ष					 : | वि०=सुलक्षण। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुलक्षण					 : | वि० [सं० ब० स०] [स्त्री० सुलक्षणा] १. अच्छे या शुभ लक्षणोंवाला। २. भाग्यवान्। पुं० [प्रा० स०] १. शुभलक्षण। २. एक प्रकार का छन्द। | 
			
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				| सुलक्षणता					 : | स्त्री० [सं० सुलक्षण+तल्–टाप्] १. सुलक्षण होने की अवस्था या भाव। २. वह तत्व जिससे सुलक्षण होने का भाव सूचित होता है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुलक्षणत्व					 : | पुं० [सं०] सुलक्षणता। | 
			
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				| सुलक्षणा					 : | स्त्री० [सं० ब० स०] अच्छे लक्षणोंवाली स्त्री। | 
			
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				| सुलक्षणी					 : | वि० स्त्री०=सुलक्षणा। | 
			
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				| सुलक्षित					 : | भू० कृ० [सं०] १. अच्छी तरह से देखा तथा पहचाना हुआ। २. लक्ष्य के रूप में आया हुआ। ३. सुपरीक्षित। ४. सुनिश्चित। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुलखना					 : | वि० [सं० सुलक्षणा] [स्त्री० सुलखनी] १. अच्छे लक्षणोंवाला। २. शुभ। जैसे–सुलखनी घड़ी। (पश्चिम) अ०=सुलगना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुलग					 : | स्त्री० [हिं० सुलगना] सुलगने की क्रिया, अवस्था या भाव। स्त्री० [हिं० सु+लगना] समीप होना। अव्य० समीप। पास। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुलगन					 : | स्त्री० [हिं० सुलगना] सुलगने की अवस्था, क्रिया या भाव। सुलग। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुलगना					 : | अ० [सं० सु+हिं० लगना] १. किसी चीज का इस प्रकार जलना कि उसमें से लपट न निकले, बल्कि धूआँ निकले। जैसे–बीड़ी या सिग्रेट सुलगना। २. धीरे-धीरे जलने लगना। जैसे–आग सुलग रही है। ३. लाक्षणिक अर्थ में, ईष्र्या, क्रोध, घुटन आदि के कारण मन ही मन बहुत कुढ़ना या संतप्त होना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुलगाना					 : | स० [हिं० सुलगना] इस प्रकार प्रयास करना कि कोई चीज सुलगने लगे। जैसे–बीड़ी सुलगाना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुलग्न					 : | पुं० [सं० प्रा० स०] शुभ मुहूर्त। शुभ लग्न। अच्छी सायत। वि० किसी के साथ अच्छी तरह लगा हुआ। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुलच्छन					 : | वि० [स्त्री० सुलच्छनी]=सुलक्षण।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुलछ					 : | वि० [सं० सुलक्ष] १. जो भली भाँति दिखाई पड़ रहा हो। २. अच्छे लक्षणोंवाला। ३. सुन्दर।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुलझन					 : | स्त्री० [हिं० सुलझना] सुलझने की क्रिया या भाव। सुलझाव। ‘उलझन’ का विपर्याय। | 
			
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				| सुलझना					 : | अ० [हिं० उलझना का अनु०] १. उलझनों से मुक्त होना। २. समस्या की जटिलता, पेचीदगी आदि का दूर होना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुलझाना					 : | स० [हिं० सुलझना का स० रूप] १. किसी उलझी हुई वस्तु की उलझन दूर करना। उलझन या गुत्थी खोलना। २. किसी बात या विषय की जटिलताएँ दूर करना। ‘उलझाना’ का विपर्याय। जैसे–मामला सुलझाना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुलझाव					 : | पुं० [हिं० सुलझना+आव (प्रत्य०)] सुलझने या सुलझाने की क्रिया या भाव। सुलझन। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुलटा					 : | वि० [हिं० उल्टा का अनु०] [स्त्री० सुलटी] जो उल्टा न हो। सीधा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुलतान					 : | पुं०[फा०] बादशाह। सम्राट्। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुलताना चंपा					 : | पुं० [फा० सुलतान+हिं० चंपा] एक प्रकार का बड़ा वृक्ष लकड़ी इमारती कामों और जहाज के मस्तूल तथा रेल पटरिताँ बनाने के काम आती है। पुन्नाग। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुलतानी					 : | वि० [फा० सुलतान] १. सुलतान या बादशाह संबंधी। २. लाल (रंग का)। स्त्री० १. सुलतान होने की अवस्था, पद या भाव। २. सुलतान का राज्य या शासन-काल। बादशाही। राजत्व। पुं० १. प्रकार का बढ़िया महीन रेशमी कपड़ा। २. पुरानी चाल का एक प्रकार का कागज जो फारस से बनकर आता था। वि० लाल रंग का। रक्त-वर्ण। सुर्ख। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुलप					 : | पुं० [सु+आलाप] सुन्दर आलाप। (क्व०)(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) वि० [सं० स्वल्प] १. बहुत थोड़ा। अल्प। २. धीमा। मन्द।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुलफ					 : | वि० [सं० सु+हिं० लफना] १. सहज में लचनेवाला। लचीला। २. कोमल। नाजुक। मुलायम। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुलफा					 : | पुं० [फा० सुल्फ़] १. गाँजा, चरस आदि। २. तम्बाकू की चिलम भरने का वह प्रकार जिसमें मिट्टी के तवे का प्रयोग नहीं होता। ३. सूखा तम्बाकू जिसे गाँजे की तरह पतली चिलम में भरकर पीते हैं। कंकड़। ४. चरस। क्रि० प्र०–पीना।–भरना। पुं० [सं० शौल्फ] एक प्रकार का साग। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुलफेबाज					 : | वि० [हिं० सुल्फा+फा० बाज] [भाव० सुल्फेबाजी] गाँजा या चरस पीनेवाला। गँजेड़ी या चरसी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुलब					 : | पुं० [?] गंधक।(डि०) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुलभ					 : | वि० [सं०] [भाव० सुलभता, सुलभत्व] १. जो प्राप्त हो सकता हो। जिसे प्राप्त करने में विशेष कठिनाई या परिश्रम न हो। २. सरल। सहज। ३. साधारण। मामूली। ४. उपयोगी। पुं० अग्निहोत्र की अग्नि। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुलभ-गणक					 : | पुं० [सं०] ऐसी सारिणी या सारिणी-संग्रह जिसके द्वारा नित्य के व्यवहार की गणित-संबंधी प्रक्रियाओं के फल या परिकलन सहज में जाने जा सकें। (रेडी-रेकनर) जैसे–किसी निश्चित दर से १२ दिनों का वेतन, २३ दिनों का ब्याज आदि जानने की सारिणी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुलभता					 : | स्त्री० [सं० सुलभ+तल्–टाप्] सुलभ होने की अवस्था, गुण या भाव। सुलभत्व। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुलभत्व					 : | पुं० [सं०] सुलभता। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुलभ-मुद्रा					 : | स्त्री० [सं०] अर्थशास्त्र में, किसी ऐसे देश की मुद्रा जो किसी राष्ट्र या राज्य को उस देश से माल मँगाने के लिए सहज में प्राप्त हो सके। (सॉफ्ट करेन्सी) विशेष–यदि हमारे देश में किसी दूसरे देश से आयात कम और निर्यात अधिक होता हो तो फलत | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुलभा					 : | स्त्री० [सं०] १. वैदिक काल की एक ब्रह्मवादिनी विदुषी। २. तुलसी। ३. बेला। ४. जंगली उड़द। मषवन। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुलभेतर					 : | वि० [सं० ष० त०] १. जो सहज में प्राप्त न हो सके। ‘सुलभ’ से भिन्न। दुर्लभ। २. कठिन। मुश्किल। ३. महँगा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुलभ्य					 : | वि० [सं० सु√लभ् (प्राप्त होना)+यत्] जो सहज में मिलता या मिल सकता हो। सुलभ। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुललित					 : | वि० [सं० प्रा० स०] अति ललित। अत्यन्त सुन्दर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुलवण					 : | वि० [सं० प्रा० स०] (खाद्य पदार्थ) जिसमें उचित मात्रा में नमक मिला हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुलस					 : | पुं० [?] स्वीडन देश का एक प्रकार का बढ़िया लोहा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुलह					 : | स्त्री० [फा०] १. वह स्थिति जब दो विरोधी पक्ष परस्पर विरोधभाव छोड़कर मित्रता का संबंध स्थापित करते हैं। मेल। मिलाप। २. वह मेल जो किसी प्रकार की लड़ाई या झगड़ा समाप्त होने पर हो। ३. उक्त प्रकार के मेल के उपरान्त होनेवाली सन्धि। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुलहनामा					 : | पुं० [अ० सुलह+फा० नामः] १. वह कागज जिस पर आपस में लड़नेवाले दलों या व्यक्तियों में मेल होने पर उसकी शर्त लिखी रहती हैं। २. वह कागज जिस पर दो या अधिक परस्पर लड़नेवाले राजाओं या राष्ट्रों में सुलह या मेल होने पर उस मेल की शर्ते लिखी रहती हैं। संधिपत्र। (ट्रीटी) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुलाक					 : | पुं० [फा० सूराख] सूराख। छेद। (लश०) स्त्री०=सलाख।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुलाखना					 : | स० [सं० सु+हिं० लखना=देखना] सोने या चाँदी को तपाकर परखना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) स० [फा० सलाख] सलाख से या और किसी प्रकार छेद करना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुलागना					 : | अ०=सुलगना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुलाना					 : | स० [हिं० सोना का प्रे०] १. किसी को सोने में प्रवृत्त करना। शयन कराना। निद्रित कराना। २. किसी को मैथुन या संभोग के लिए अपने पास लेटाना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुलाभ					 : | वि०=सुलभ।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुलास					 : | पुं० [सं० सु+लास्य] अच्छा नाच। उत्तम नृत्य। उदा०–आरंभित तव रूचिर राम, अद्भुत सुलास वह।–नन्ददास। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुलाह					 : | स्त्री०=सुलह।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुलिपि					 : | स्त्री० [सं० प्रा० स०] उत्तम और स्पष्ट लिपि। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुलूक					 : | पुं०=सलूक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुलेक					 : | पुं० [सं०] एक आदित्य का नाम। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुलेख					 : | वि० [सं० ब० स०] १. शुभ रेखाओंवाला। २. शुभ रेखाएँ बनानेवाला। पुं० [?] अच्छा या उत्तम लेख। अच्छी और बढ़िया लिखावट की लिपि। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुलेमाँ					 : | पुं०=सुलेमान।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुलेमान					 : | पुं० [फा०] १. यहूदियों का एक प्रसिद्ध बादशाह जो पैगम्बर माना जाता है। २. पश्चिमी पंजाब (आज-कल के पाकिस्तान) और बलोचिस्तान के बीच का एक पहाड़। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुलेमानी					 : | वि० [फा०] सुलेमान संबंधी। सुलेमान का। जैसे–सुलेमानी सुरमा। पुं० १. एक प्रकार का प्रसिद्ध पाचक नमक जो कई ओषधियों के योग से बनता है। २. सफेद आँखोंवाला घोड़ा। ३. एक प्रकार का पत्थर जो कहीं से सफेद और कहीं से काला होता है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुलोक					 : | पुं० [सं० प्रा० स०] १. उत्तम लोक। २. स्वर्ग। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुलोचन					 : | वि० [सं० ब० स०] [स्त्री० सुलोचना] सुन्दर आँखोवाला। जिसके नेत्र सुन्दर हों। पुं० १.=हिरन। २.=चकोर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुलोचना					 : | स्त्री० [सं० सुलोचन–टाप्] वासुकी की एक कन्या जो मेघनाद की पत्नी थी। वि० सुन्दर नेत्रोंवाली। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुलोचनी					 : | वि० स्त्री० [सं० सुलोचना] सुन्दर नेत्रोंवाली। जिसके नेत्र सुन्दर हों। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुलोम					 : | वि० [सं०] [स्त्री० सुलोमा] सुंदर लोमों या रोमों से युक्त। जिसके रोएँ सुन्दर हों। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुलोमनी					 : | स्त्री० [सं०] जटामाँसी। बालछड़। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुलोमश					 : | वि०=सुलोम। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुलोमशा					 : | स्त्री० [सं०] १. काकजंघा। २. जटामाँसी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुलोमा					 : | स्त्री० [सं०] १. ताम्रवल्ली। २. मांस-रोहिणी। वि० सं० ‘सुलोम’ का स्त्री०। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुलोल					 : | वि० [सं० प्रा० स०] बहुत इच्छुक या उत्सुक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुलोह					 : | पुं० [सं०] एक प्रकार का बढ़िया लोहा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुलोहक					 : | पुं० [सं०] पीतल। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुलोहित					 : | पुं० [सं० प्रा० स०] सुन्दर रक्तवर्ण। अच्छा लाल रंग। वि० उक्त प्रकार के रंगों का। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुलोहिता					 : | स्त्री० [सं०] अग्नि की सात जिह्वाओं में से एक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुल्टा					 : | वि० =सुलटा। (‘उलटा’ या विपर्याय)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुल्तान					 : | पुं० =सुलतान। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुल्तानी					 : | वि०, स्त्री० , पुं० =सुलतानी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुल्फ					 : | पुं० [?] १. संगीत में बहुत चढी़ या तेज लय। २. किश्ती। नाव। पद–सौदा—सुल्फ। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुवंश					 : | पुं० [सं० ब० स०] बसुदेव का एक पुत्र। (भागवत) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुवंस					 : | पुं० =सुवंश।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुव					 : | पुं० =सुअन।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुवक्ता					 : | वि० [सं० सु+वक्तृ] सुन्दर बोलनेवाला। उत्तम व्याख्यान देनेवाला। वाक्पटु। वाग्मी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुवक्त्र					 : | पुं० [सं० ब० स०] १. शिव। २. कार्तिकेय का एक अनुचर। वि० सुन्दर मुखवाला। ३. वन—तुलसी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुवक्ष					 : | वि० [सं० सुवक्षस्] [स्त्री० सुवक्षा] सुन्दर या विशाल वक्षवाला। जिसकी छाती सुन्दर या चौड़ी हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुवक्षा					 : | स्त्री० [सं०] मय दानव की पुत्री और त्रिजटा तथा विभीषण की माता का नाम। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुवच					 : | वि० [सं०] जो सहज में कहा जा सके। जिसके उच्चारण में कठिनता न हो। | 
			
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				| सुवचन					 : | वि० [सं० ब० स०] १. सुन्दर वचन बोलनेवाला। सुवक्ता। वाग्मी। २. मधुर—भाषी। पुं० मधुर वचन। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुवचनी					 : | स्त्री० [सं०] एक देवी का नाम। वि० हिं० ‘सुवचन’ का स्त्री० । | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुवज्र					 : | पुं० [सं० ब० स०] इन्द्र। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुवटा					 : | पुं० =सुअटा (तोता)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुवण					 : | पुं० [सं० सुवर्ण] सोना। सुवर्ण। (डिं०)(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुवदन					 : | वि० [सं० ब० स०] [स्त्री० सुवदना] सुन्दर मुखवाला। सुमुख। पुं० वन—तुलसी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुवदना					 : | स्त्री० [सं०] सुन्दर मुखवाली स्त्री। सुन्दरी स्त्री। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुवन					 : | पुं० [सं०] १. सूर्य। २. अग्नि। ३. चन्द्रमा। पुं० १.=सुअन। २. सुमन।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुवना					 : | पुं० =सुगना (तोता)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुवनारा					 : | पुं० =सुअन।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुवपु					 : | वि० [सं० ब० स०] सुन्दर शरीरवाला। सुदेह। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुवयसी					 : | स्त्री० [सं० ब० स०] १. ऐसी स्त्री जिसमें पुरूषों के से कुछ लक्षण आ गये हों। २. प्रौढ़ा स्त्री। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुवया					 : | स्त्री० [सं० सुवयस्] प्रौढा़ स्त्री। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुवर—कोन्ना					 : | पुं० [हिं० सूअर ?+हिं० कोना] ऐसी हवा जिसमें पाल न उड़ सके। (मल्लाह) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुवरण					 : | वि० , पुं० =सुवर्ण।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुवर्च्चक					 : | पुं० [सं०] १. स्वर्जिकाक्षार। सज्जी। १. एक वैदिक ऋषि। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुवर्च्चना					 : | स्त्री० =सुवर्च्चला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुवर्च्चल					 : | पुं० [सं०] १. एक प्राचीन देश। २. काला नमक। | 
			
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				| सुवर्च्चला					 : | स्त्री० [सं०] १. सूर्य की एक पत्नी का नाम। २. ब्राह्यी। ३. तीसी। हुरहुर। | 
			
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				| सुवर्च्चस					 : | वि० [सं० ब० स०] दीप्तिमान्। पुं० शिव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुवर्च्चसी (सिन्)					 : | पुं० [सं०] १. शिव का एक नाम। २. सज्जा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुवर्चा (र्चस्)					 : | पुं० [सं०] १. गरूड़ का एक पुत्र। २. दसवें मनु का एक पुत्र। ३. धृतराष्ट्र का एक पुत्र। ४. कार्तिकेय का एक अनुचर। वि० १. शक्तिशाली। २. तेजस्वी। | 
			
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				| सुवर्च्चिक					 : | पुं० =सुवर्च्चक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुवर्च्चिका					 : | स्त्री० [सं०] १. स्वर्जिकाक्षार। सज्जी। २. जतुका या पहाड़ी नाम की लता।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुवर्च्ची					 : | पुं० =सुवर्च्चक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुवर्ण					 : | वि० [सं० ब० स०] १. सुन्दर वर्ण या रंग का। २. सोने के रंग का। सुनहला। ३. धनवान्। सम्पन्न। पुं० १. सोना नमक धातु। स्वर्ण। २. प्राचीन भारत में सोने का एक प्रकार का सिक्का जो प्रायः दश माशे का होता था। ३. किसी के मत से दश माशे की और किसी के मत से सोलह माशे की एक पुरानी तौल या मान। ४. एक प्रकार का यज्ञ। ५. एक प्रकार का छन्द या वृत्त। ६.रंगे हुए सूत से बुना हुआ पुरानी चाल का एक प्रकार का कपड़ा। ७. दशरथ का एक मंत्री। ८. सोनागेरू। ९. हरिचन्दन। १॰. हलदी। ११. नागकेसर। १२. धतूरा। १३. पीली सरसों। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुवर्णक					 : | पुं० [सं०] १. सोना। स्वर्ण। २. सोलह माशे की एक पुरानी तौल। ३. पीतल। ४. अमलतास। वि० १. सोने का बना हुआ। २. सोने के रंग का। सुनहला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुवर्ण-कदली					 : | स्त्री० [सं० उपमि० स०] चंपा केला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुवर्ण-कमल					 : | पुं० [सं० उपमि० स०] लाल कमल। रक्त कमल। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुवर्ण-करणी					 : | स्त्री० [सं० सुवर्ण+करण] एक प्रकार की जड़ी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुवर्ण-कर्ता					 : | पुं० =स्वर्णकार (सुनार)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुवर्णकार					 : | पुं० [सं० सुवर्ण√कृ(करना)+अण्] सोने के गहने बनाने वाला कारीगर। सुनार। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुवर्ण-केतकी					 : | स्त्री० [सं० उपमि० स०] लाल केतकी। रक्त केतकी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुवर्ण-क्षीरिणी					 : | स्त्री० [सं० उपमि० स०] कटेरी। कटुपर्णी। स्वर्णक्षीरी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुवर्ण-गणित					 : | पुं० [सं० ष० त०] प्राचीन भारत में, बीज—गणित की वह शाखा जिसके अनुसार सोने की तौल आदि जानी जाती थी और उसके दाम का हिसाब लगाया जाता था। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुवर्ण-गर्भ					 : | पुं० [सं० ब० स०] एक बोधिसत्व का नाम। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुवर्ण-गिरि					 : | पुं० [सं० उपमि० स०] १. राजगृह के पास का एक पर्वत। २. अशोक की एक राजधानी जो किसी के मत से राजगृह में और किसी के मत से दक्षिण भारत के पश्चिमी समुद्र—तट पर थी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुवर्ण-गैरिक					 : | पुं० [सं० मध्य० स०] लाल गेरू। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुवर्णगोत्र					 : | पुं० [सं० ब० स०] बौद्धों के अनुसार एक प्राचीन राज्य। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुवर्णध्न					 : | पुं० [सं० सुवर्ण√हन् (मारना)+टक्] राँगा। बंग। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुवर्ण-चूड़					 : | पुं० [सं० ब० स०] एक प्रकार का पक्षी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुवर्ण-जीविक					 : | पुं० [सं० ब० स०] एक प्राचीन वर्णसंकर जाति जो सोने का व्यापार करती थी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुवर्णता					 : | स्त्री० [सं० सुवर्ण+तल्–टाप्] सुवर्ण का गुण, धर्म या भाव। सुवर्णत्व। २. सुनहलापन। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुवर्ण-तिलका					 : | स्त्री० [सं० ब० स०] मालकंगनी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुवर्ण-द्वीप					 : | पुं० [सं०] सुमात्रा टापू का पुराना नाम। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुवर्ण-धेनु					 : | स्त्री० [सं० ष० त०] दान देने के लिए सोने की बनाई हुई गौ। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुवर्ण-पक्ष					 : | वि० [सं० ब० स०] जिसके पंख या पर सोने के हों। पुं० गरुड़। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुवर्ण-पद्म					 : | पुं० [सं० उपमि० स०] लाल कमल। रक्त कमल। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुवर्ण-पद्मा					 : | स्त्री० [सं०] आकाश गंगा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुवर्ण-पार्श्व					 : | पुं० [सं० ब० स०] एक प्राचीन जनपद। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुवर्ण-पालिका					 : | स्त्री० [सं०] सोने का बना हुआ एक प्रकार का प्राचीन पात्र। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुवर्ण-पुष्प					 : | पुं० [सं० ब० स०] बड़ी सेवती। राजतरुणी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुवर्ण-फला					 : | स्त्री० [सं० ब० स०] चंपा केला। सुवर्ण कदली। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुवर्ण-विंदु					 : | पुं० [सं० ब० स०] विष्णु। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुवर्ण-भूमि					 : | पुं० [सं० ब० स०] सुवर्ण द्वीप (सुमात्रा) का पुराना नाम। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुवर्ण-माक्षिक					 : | पुं० [सं० मध्य० स०] सोनामक्खी। स्वर्णमाक्षिक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुवर्ण-माषक					 : | पुं० [सं०] बारह धान की एक पुरानी तौल। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुवर्ण-मित्र					 : | पुं० [सं०] सुहागा, जिसकी सहायता से सोना जल्दी गल जाता है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुवर्ण-मुखरी					 : | स्त्री० [सं० ब० स०] एक प्राचीन नदी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुवर्ण-यथिका					 : | स्त्री० [सं० उपमि० स०] सोनजुही। पीली जुही। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुवर्ण-रंभा					 : | स्त्री० [सं० मध्य० स०] चंपा केला। सुवर्ण कदली। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुवर्ण-रूपक					 : | पुं० [सं०] सुवर्ण द्वीप (सुमात्रा) का एक प्राचीन नाम। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुवर्ण-रेखा					 : | स्त्री० [सं० ब० स०] उड़ीसा और बंगाल की एक प्रसिद्ध नदी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुवर्णरेता (तस्)					 : | पुं० [सं० ब० स०] शिव का एक नाम। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुवर्णरोमा (मन्)					 : | वि० [सं० ब० स०] जिसके रोएँ सुनहले हों। पुं० भेड़। मेष। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुवर्णलता					 : | स्त्री० [सं० मध्य० स०] मालकंगनी। ज्योतिष्मतीलता। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुवर्ण-वणिक्					 : | पुं० [सं०ब०स०] बंगाल की एक वणिक् जाति। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुवर्ण-वर्ण					 : | वि० [सं० ब० स०] जिसका रंग सोने की रंग की तरह हो। सुनहला। पुं० विष्णु। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुवर्ण-श्री					 : | स्त्री० [सं० ब० स०] आसाम की एक नदी जो ब्रह्मपुत्र की मुख्य शाखा है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुवर्ण-सिद्ध					 : | पुं० [सं० ब० स०] वह जो इन्द्रजाल से सोना बना लेता हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुवर्ण-स्तेय					 : | पुं० [सं० ष० त०] सोने की चोरी जो मनु के अनुसार पाँच महापातकों में से एक है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुवर्णस्तेयी (यिन्)					 : | पुं० [सं० ष० त०] सोना चुरानेवाला, जो मनु के अनुसार महापातकी होता है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुवर्ण स्थान					 : | पुं० [सं० ष० त०] १. एक प्राचीन जनपद। २. आधुनिक सुमात्रा द्वीप का पुराना नाम। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुवर्णा					 : | स्त्री० [सं०] १. अग्नि की सात जिह्वाओं में से एक। २. इक्ष्वाकु की पुत्री और सुहोत्र की पत्नी। ३. हलदी। ४. काला अगर। ५. बरियारा। बला। ६. कटेरी। सत्यानाशी। ७. इन्द्रायन। इनारू। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुवर्णाकर					 : | पुं० [सं० ष० त०] सोने की खान। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुवर्णाक्ष					 : | पुं० [सं० ब० स०] शिव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुवर्णाख्य					 : | पुं० [सं० ब० स०] १. नागकेसर। २. धतूरा ३. एक प्राचीन तीर्थ। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुवर्णाभ					 : | वि० [सं० ब० स०] जिसमें सोने की—सी आभा या चमक हो। पुं० रागावर्त नामक मणि। लाजवर्द। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुवर्णार					 : | पुं० [सं०] लाल कचनार। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुवर्णाह्वा					 : | स्त्री० [सं० ब० स०] पीलीजूही। सोनजूही। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुवर्णिका					 : | स्त्री० [सं० ब० स०] पीली जीवंती। स्वर्ण जीवंती। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुवर्णी					 : | स्त्री० [सं०] मूसाकानी। आखुपर्णी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुवर्तुल					 : | वि० [सं०] ठीक और पूरा गोल। पुं० तरबूज। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुवर्म्मा(वर्म्मन्)					 : | वि० [सं० ब० स०] उत्तम कवच से युक्त। जिसके पास उत्तम कवच हो। पुं० धृतराष्ट्र का एक पुत्र। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुवर्षा					 : | स्त्री० [सं० सुवर्ष—टाप्, प्रा० स०] १. अच्छी वर्षा। २. मोतिया। मल्लिका। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुवल्लिका					 : | स्त्री० [सं०] १. जतुका लता। २. सोमराजी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुवल्ली					 : | स्त्री० [सं०] १. बकुची। सोमराजी। २. पुत्रदात्री लता। ३. कुटकी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुवसंत					 : | पुं० [सं० प्रा० स०] १. चैत्र की पूर्णिमा। चैत्रावली। २. मदनोत्सव जो उक्त पूर्णिमा के दिन मनाया जाता था। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुवंसतक					 : | पुं० [सं०] १. मदनोत्सव जो प्राचीन काल में चैत्र पूर्णिमा को मनाया जाता था। २. नेवारी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुवंसता					 : | स्त्री० [सं०] १. माधवी लता। २. चमेली। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुवस					 : | वि० [सं० स्व+वश] जो अपने वश या अधिकार में हो। वशवर्ती।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुवह					 : | वि० [सं०] जो सहज में वहन किया या उठाया जा सके। २. धैर्यशाली। धीर। पुं० एक प्रकार का वायु। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुवहा					 : | स्त्री० [सं०] १. वीणा। बीन। २. रासना। ३. सँभालू। ४. हंसपदी। ५. रुद्रजटा। ६. मूसली। ७. सलई। ८. गन्धनाकुली। ९. निसोथ। १॰. शेफालिका। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुवाँग					 : | पुं० =स्वाँग।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुवाँगी					 : | पुं० =स्वाँगी।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुवा					 : | पुं० =सुआ (तोता)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुवाक्य					 : | वि० [सं०] सुन्दर वचन बोलनेवाला। मधुरभाषी। सुवाग्मी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुवाच्य					 : | वि० [सं० प्रा० स०] जो सहज में पढ़ा जा सके। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुवाजी (जिन्)					 : | वि० [सं०] (तीर) जिसमें अच्छे और सुन्दर पंख लगे हों। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुवाना					 : | स०=सुलाना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुवामा					 : | स्त्री० [सं०] वर्तमान रामगंगा नदी का पुराना नाम। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुवार					 : | पुं० [सं० प्रा० स०] उत्तम वार। अच्छा दिन। पुं०=सूपकार (रसोइया)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुवाल					 : | पुं० =सवाल।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुवास					 : | पुं० [सं० प्रा० स०] २. अच्छी वास या महक। खुशबू। सुगंध। २. अच्छा निवास—स्थान। ३. शिव। ४. एक प्रकार का छन्द या वृत्त। वि० जो अच्छे कपड़े पहने हो। पुं०=श्वास। (डिं०)(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुवासक					 : | पुं० [सं०] तरबूज। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुवासरा					 : | स्त्री० [सं०] हालों नाम का पौधा। चंसुर। चन्द्रशूर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुवासा (सस्)					 : | पुं० [सं० ब० स०] १. जो अच्छे और सुन्दर कपड़े पहने हुए हो। २. (तीर) जिसमें अच्छे या सुन्दर पर लगे हों। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुवासिक					 : | वि० [सं०] [स्त्री० सुवासिका] सुवास या सुगंध से युक्त। सुगंधित। | 
			
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				| सुवासित					 : | भू० कृ० [सं०] सुवास या सुगंध से यक्त किया हुआ। | 
			
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				| सुवासिन					 : | स्त्री०=सुवासिनी।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुवासिनी					 : | स्त्री० [सं० प्रा० स०] १. ऐसी विवाहिता या कुँआरी स्त्री जो अपने पिता के घर में ही। २. सधवा स्त्री। | 
			
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				| सुवासी (सिन्)					 : | वि० [सं० सु√वस् (वास करना)+णिनि] [स्त्री० सुवासिनी] उत्तम या भव्य भवन में रहनेवाला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुवास्तु					 : | स्त्री० [सं०] गंधार देश की आधुनिक स्वात नामक नदी का वैदिक—कालीन नाम। पुं० १. उक्त नदी के तटवर्ती देश का पुराना नाम। २. उक्त देश का निवासी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुवाह					 : | पुं० [सं० प्रा० स०] १. स्कंद का एक पारिषद्। २. अच्छा या बढ़िया घोड़ा। वि० १. जो सहज में वहन किया या उठाया जा सके। २. अच्छे घोड़ों से युक्त। | 
			
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				| सुविक्रम					 : | वि० [सं० ब० स०] बहुत बड़ा विक्रमी या पुरुषार्थी। | 
			
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				| सुविक्रांत					 : | वि० [सं० ब० स०] १. अत्यन्त विक्रमशाली। अतिशय पराक्रमी। २. बहादुर। वीर। पुं० बहादुर। वीर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुविख्यात					 : | वि० [सं० प्रा० स०] [भाव० सुविख्याति] अत्यन्त प्रसिद्ध। | 
			
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				| सुविगुण					 : | वि० [सं० प्रा० स०] १. जिसमें कोई गुण या योग्यता न हो। गुणहीन। २. बहुत बड़ा दुष्ट। नीच या पाजी। | 
			
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				| सुविग्रह					 : | वि० [सं० ब० स०] सुन्दर शरीर या रूपवाला। सुदेह। सुरूप। | 
			
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				| सुविचार					 : | पुं० [सं० प्रा० स०] १. अच्छी तरह और सूक्ष्मतापूर्वक किया हुआ विचार। २. अच्छी तरह समझ—बूझकर किया हुआ निर्णय। ३. रुक्मिणी के गर्भ से उत्पन्न कृष्ण का एक पुत्र। | 
			
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				| सुविचारित					 : | भू० कृ० [सं० प्रा० स०] सूक्ष्म या उत्तम रूप से विचार किया हुआ। अच्छी तरह सोचा—समझा हुआ। | 
			
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				| सुविज्ञ					 : | वि० [सं० प्रा० स०] बहुत अधिक विज्ञ या ज्ञानवान्। अच्छी जानकार। | 
			
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				| सुविज्ञान					 : | वि० [सं० प्रा० स०] १. जो सहज में जाना जा सके। २. बहुत बड़ा चतुर या बुद्धिमान। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुविज्ञेय					 : | वि० [सं० प्रा० स०] जो सहज में जाना जाता हो या जाना जा सकता हो। पुं० शिव। | 
			
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				| सुवित					 : | वि० [सं० प्रा० स०] जो सहज में प्राप्त हो सके। पुं० १. अच्छा मार्ग। सुपथ। २. कल्याण। मंगल। ३. सौभाग्य। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुवितल					 : | पुं० [सं०] विष्णु की एक प्रकार की मूर्ति। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुवित्त					 : | वि० [सं० ब० स०] बहुत बड़ा धनी या अमीर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुवित्ति					 : | पुं० [सं०] एक देवता का नाम। | 
			
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				| सुविद्					 : | पुं० [सं० सु√विद् (जानना)+क्विप्] [स्त्री० सुविदा] विद्वान या चतुर व्यक्ति। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुविद					 : | पुं० [सं०] १. अंतःपुर या निवास का रक्षक। सौविद्। कंचुकी। २. तिलकपुष्प नामक वृक्ष। | 
			
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				| सुविदत्र					 : | वि० [सं० प्रा० स०] १. अतिशय सावधान। २. सहृदय। ३. उदार। पुं० १. अनुग्रह। कृपा। २. धन—सम्पत्ति। ३. कुटुंब। परिवार। ४. ज्ञान। | 
			
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				| सुविदर्भ					 : | पुं० [सं० प्रा० स०] एक प्राचीन जाति। | 
			
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				| सुविदला					 : | स्त्री० [सं०] विवाहिता स्त्री। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुविद्य					 : | वि० [सं० ब० स०] उत्तम विद्वान। अच्छा पण्डित। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुविध					 : | वि० [सं० ब० स०] अच्छे स्वभाव का। सुशील। | 
			
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				| सुविधा					 : | स्त्री० [सं० प्रा० स०] १. वह तत्त्व या बात जिसके सहज उपलब्ध होने से किसी काम को सरलता से निष्पन्न किया जाता है। २. वह आराम या छूट जो विशेष रूप से उपलब्ध हुई हो। जैसे–यहाँ दोपहर को एक घंटे की फुरसत मिल जाती है; यही एक सुविधा मेरे लिए बहुत है। स्त्री०=सुभीता।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुविधि					 : | पुं० [सं०] जैनियों के अनुसार वर्तमान अवसर्पिणी के नवें अर्हत का नाम। स्त्री० १. अच्छी विधि। २. सुन्दर ढंग या युक्ति। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुविनय					 : | वि० [सं० ब० स]=सुविनीत। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुविनीत					 : | वि० [सं० प्रा० स०] [स्त्री० सुविनीता] १. अतिशय नम्र या विनीत। २. (पशु) जो अच्छी तरह सिखाकर अपने अनकूल कर लिया गया हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुविनेय					 : | वि० [सं० सु—वि√नी(ढोना)+यत्] जो सहज में शिक्षा आदि के द्वारा विनीत और अनकूल किया जा सकता हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सु—विपिन					 : | वि० [सं० ब० स०] जहाँ या जिसमें बहुत—से जंगल हों। जंगलों से भरा हुआ। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुविशाल					 : | वि० [सं० प्रा० स०] बहुत अधिक विशाल या बड़ा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुविशाला					 : | स्त्री० [सं०] कार्तिकेय की एक मातृका। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुविशुद्ध					 : | पुं० [सं० प्रा० स०] एक लोक। (बौद्ध) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुविषाण					 : | वि० [सं० ब० स०] बड़े दाँतोंवाला (हाथी)। | 
			
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				| सुविष्टंभी (भिन्)					 : | पुं० [सं०] शिव का एक नाम। वि० अच्छी तरह पालन—पोषण करने या संभालनेवाला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुविस्तार					 : | वि० [सं० प्रा० स०] १. बहुत अधिक विस्तारवाला। खूब लंबा—चौड़ा। २. विस्तारपूर्वक कहा हुआ। पुं० १. बहुत अधिक फैलाव या विस्तार। २. प्रचुरता। बहुतायत। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुवीथी					 : | स्त्री० [सं० प्रा० स०] प्राचीन भारत में, वह दालान या पाटनदार रास्ता जो चतुश्शाल के कमरों के आगे होता था। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुवीर					 : | पुं० [सं० प्रा० स०] १. बहुत बड़ा वीर या योद्धा। २. शिव। ३. कार्तिकेय। ४. एक वीर नामक कंद। छाछ की बनाई हुई रबड़ी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुवीरक					 : | पुं० [सं०] १. बेर नाम का पेड़ और फल। २. एक वीर नामक वृक्ष। ३.सुरमा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुवीरज					 : | पुं० [सं० सुवीर√जन् (उत्पन्न करना)+ड] सुरमा। सौवीराजन। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुवीर्य					 : | वि० [सं० ब० स०] बहुत बड़ा वीर्यशाली या शक्तिमान्। पुं० बेर का पेड़ और फल। | 
			
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				| सुवीर्या					 : | स्त्री० [सं० सुवीर्य्य—टाप्] १. बनकपास। २. बड़ी शतावर। ३. नाड़ी हींग। डिकामाली। | 
			
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				| सुवृत्त					 : | वि० [सं० ब० स०] १. सच्चरित्र। २. गुणवान्। ३. सज्जन और साधु। ४. भली—भाँति छन्दों या वृत्तों में बाँधा हुआ (काव्य)। पुं० ओल। जमींकन्द। सूरन। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुवृत्ता					 : | स्त्री० [सं० प्रा० स०] १. एक प्रकार छन्द या वृत्त। २. किशमिश। ३. सेवती। | 
			
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				| सुवृत्ति					 : | स्त्री० [सं० प्रा० स०] १. उत्तम वृत्ति या जीविका। २. सदाचार। वि० १. जिसकी जीविका या वृत्ति उत्तम हो। २. सदाचारी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुवृद्ध					 : | पुं० [सं० प्रा० स०] दक्षिण दिशा के दिग्गज का नाम। वि० १. बहुत वृद्ध। २. बहुत पुराना। | 
			
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				| सुवेग					 : | वि० [सं० ब० स०] तेज गतिवाला। वेगवान्। | 
			
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				| सुवेणा					 : | स्त्री० [सं० ब० स०] एक प्राचीन नदी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुवेद					 : | वि० [सं० प्रा० स०] १. वेदों का ज्ञाता। २. बहुत बड़ा ज्ञाता। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुवेल					 : | वि० [सं० ब० स०] १. बहुत झुका हुआ। प्रणत। पुं० लंका में समुद्र—तट का एक पर्वत जहाँ रामचन्द्र सेना सहित ठहरे थे। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुवेश					 : | वि० [सं० ब० स०] [भाव० सुवेशता] १. सुन्दर वेश—भूषावाला। २. सुन्दर। पुं० १. सुन्दर वेश—भूषा। २. सफेद ईख। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुवेशित					 : | भू० कृ० [सं० सुवेश+इतच्] जिसने सुन्दर वेश धारण किया हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुवेशी (शिन्)					 : | वि० [सं० सुवेश+इनि] जिसने सुन्दर वेश धारण किया हो। अच्छे भेषवाला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुवेष					 : | वि०=सुवेश।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुवेषी					 : | वि०=सुवेशी।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुवेस					 : | वि०=सुवेश।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुवेसल					 : | वि० [सं० सुवेश+हिं० ल (प्रत्य०)] सुन्दर। मनोहर।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुवैणा					 : | पुं० [सं० सु+हिं० वैन (वचन)] १. सुन्दर वचन। २. मित्रता। दोस्ती। (ड़ि०) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुवैया					 : | वि० [हिं० सोना+ऐया (प्रत्य०)] सोनेवाला।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुवो					 : | पुं०=सुवा (तोता)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) स्त्री०=सुवा।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुव्यवस्था					 : | स्त्री० [सं० प्रा० स०] [वि० सुव्यवस्थित] अच्छी और सुन्दर व्यवस्था। सुप्रबन्ध। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुव्यवस्थित					 : | वि० [सं० प्रा० स०] जिसकी या जिसमें अच्छी या सुन्दर व्यवस्था हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुव्रत					 : | वि० [सं० ब० स०] १. दृढ़ता से अपने व्रत का पालन करनेवाला। २. धर्मनिष्ठ। ३. नम्र। विनीत। पुं० [सं०] १. स्कंद का एक अनुचर। २. एक प्रजापति। ३. रौच्य मनु का एक पुत्र। ४. जैनों में वर्तमान अवसर्पिणी के २९ वें अर्हत। मुनि सुव्रत। ५. भावी अत्सर्पिणी के ११ वें अर्हत। ६. ब्रह्मचारी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुव्रता					 : | स्त्री० [सं० ब० स०] १. सहज में दूही जानेवाली गौ। २. गुणवती और परिव्रता स्त्री। ३. दक्ष की एक पुत्री। ४. वर्तमान कल्प के १५ वें अर्हत की माता का नाम। ५. गन्ध पलाशी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुशंस					 : | वि० [सं० प्रा० स०] १. अच्छी तरह से कहा जानेवाला। २. प्रसिद्ध। मशहूर। ३. प्रशंसनीय। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सु—शक					 : | वि० [सं०] (काम) जो आसानी से किया जा सके। सहज। सुगम। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुशक्त					 : | वि० [सं० प्रा० स०] अच्छी शक्तिवाला। शक्तिशाली। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुशख्य					 : | पुं० [सं० प्रा० स०] शिव। महादेव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुशब्द					 : | वि० [सं० ब० स०] अच्छा शब्द या ध्वनि करनेवाला। जिसकी आवाज अच्छी हो। पुं० अच्छा शब्द। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुशरीर					 : | वि० [सं० ब० स०] सुन्दर शरीरवाला। पुं० सुन्दर शरीर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुशर्मा (र्मन्)					 : | पुं० [सं०] १. निन्दनीय अथवा निन्दित ब्राह्मण। (व्यंग्य) २. मैथुन अभिलाषी व्यक्ति। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुशांत					 : | वि० [सं० प्रा० स०] [भाव० सुशांति] अत्यंत शांत। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुशांति					 : | पुं० [सं० प्रा० स०] १. पूर्ण शांति। २. तीसरे मन्वन्तर के इन्द्र का नाम। ३. अजमीढ़ का एक पुत्र। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुशाक					 : | पुं० [सं० प्रा० स०] १. अदरक। आर्द्रक। २. चौलाई का साग। ३. चेंच का साग। ४. भिंडी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुशारद					 : | पुं० [सं०] शालंकायन गोत्र के एक वैदिक आचार्य। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुशासित					 : | वि० [सं० प्रा० स०] (प्रदेश) जिसकी शासन—व्यवस्था अच्छी हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुशिक्षित					 : | वि० [सं० प्रा० स०] [स्त्री० सुशिक्षिता] (व्यक्ति, सम्प्रदाय या समाज) जिसने अच्छी शिक्षा प्राप्त की हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुशिख					 : | वि० [सं० प्रा० स०] अग्नि का एक नाम। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुशिखा					 : | स्त्री० [सं० सुशिख—टाप्] १. मोर की चोटी। २. मुरगे की कलगी या चोटी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुशिर (शिरस्)					 : | वि० [सं० ब० स०] सुन्दर शिरवाला। जिसका सिर सुन्दर हो। पुं० =सुषिर।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुशीत					 : | पुं० [सं० प्रा० स०] १. पीला चन्दन। २. हरि चन्दन। २. पाकर। ३. जल—बेंत। वि० बहुत अधिक शीतल या ठंढा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुशीतल					 : | पुं० [सं० प्रा० स०] १. गंधतृण। २. सफेद चंदन। ३. नागदौन। वि० बहुत अधिक शीतल या ठंढा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुशीम					 : | वि०, पुं०=सुषीम। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुशील					 : | वि० [सं० ब० स०] [स्त्री० सुशीला, भाव० सुशीलता] १. जिसका शील (प्रवृत्ति या स्वभाव) अच्छा हो। शीलवान्। २. सज्जन् तथा सदाचारी। ३. सरल। सीधा। | 
			
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				| सुशीलता					 : | स्त्री० [सं० सुशील+तल्–टाप्] सुशील होने की अवस्था, गुण या भाव। सुशीलत्व। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुशीला					 : | स्त्री० [सं० ब० स०] १. श्रीकृष्ण की एक पत्नी। २. राधा की एक सखी। ३. यम की पत्नी। ४. सुदामा की पत्नी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुशीली (लिन्)					 : | वि० [सं०]=सुशील। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुश्रृंग					 : | वि० [सं० ब० स०] सुन्दर श्रृंग से युक्त। सुन्दर सीगोंवाला। पुं० श्रृंगी ऋषि। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुशोण					 : | वि० [सं० प्रा० स०] गहरा लाल रंग। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुशोभन					 : | वि० [सं० प्रा० स०] १. बहुत अधिक शोभावाला। फबनेवाली (चीज)। ३. प्रियदर्शन। सुन्दर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुशोभित					 : | भू० कृ० [सं० प्रा० स०] उत्तम रूप से शोभित। अत्यन्त शोभायमान्। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुश्रव					 : | वि० [सं० प्रा० स०] जो सहज में और अच्छी तरह सुना जा सके। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुश्रवा					 : | वि० [सं०] १. उत्तम हवि से युक्त। २. कीर्तिमान्। यशस्वी। ३. प्रसिद्ध मशहूर। पुं० एक प्रजापति का नाम। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुश्राव्य					 : | वि० [सं० प्रा० स०] १. जो सुनने में अच्छा जान पड़े। २. जो अच्छी तरह और सहज में सुनाई पड़े। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुश्री					 : | वि० [सं० ब० स०] १. बहुत सुन्दर। शोभायुक्त। २. बहुत बड़ा धनी। स्त्री० आज-कल स्त्रियों विशेषतः अविवाहित स्त्रियों के नाम के पहले लगनेवाला एक आदरसूचक और शिष्टतापूर्ण संबोधन पद। जैसे–सुश्री पद्मा देवी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुश्रीक					 : | पुं० [सं० ब० स० कप्] सलई। शल्लकी। वि०=सुश्री। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुश्रुत					 : | भू० कृ० [सं० प्रा० स०] १. अच्छी तरह सुना हुआ। २. प्रसिद्ध। मशहूर। पुं० १. श्राद्ध के समय ब्राह्मण को भोजन करा चुकने पर उनसे यह पूछना की आप भलीभाँति तृप्त हो गये न ? २. प्रसिद्ध आयुर्वेदीय ग्रंथ ‘सुश्रुत—संहिता’ के रचयिता। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुश्रुत-संहिता					 : | स्त्री० [सं० मध्य० स०] आचार्य सुश्रुत का बनाया आयुर्वेद का एक प्रसिद्ध और सर्वमान्य ग्रन्थ। | 
			
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				| सुश्रूखा					 : | स्त्री०=शुश्रूषा।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुश्रूषा					 : | स्त्री०=शुश्रुषा। | 
			
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				| सुश्रोणा					 : | स्त्री० [सं० ब० स०] एक पौराणिक नदी। | 
			
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				| सुश्रोणि					 : | स्त्री० [सं० ब० स०] एक देवी का नाम। वि० जिसके नितंब सुन्दर हों। | 
			
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				| सुश्लिष्ट					 : | वि० सं० [सु√श्लिष् (संयोग)+क्त] [भाव० सुश्लिष्टता] १. अच्छी तरह से मिला हुआ। व्यवस्थित। २. फबनेवाला। उपयुक्त। | 
			
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				| सुश्लोक					 : | वि० [सं० ब० स०] १. पुण्यात्मा। पुण्यकीर्ति। २. प्रसिद्ध। मशहूर। | 
			
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				| सुष					 : | पुं०=सुख।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुषम					 : | वि० [सं० पं० त०] १. बहुत सुन्दर। सुषमा—पूर्ण २. तुल्य। समान। | 
			
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				| सुषमना					 : | स्त्री०=सुषुम्ना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुषमनि					 : | स्त्री०=सुषुम्ना। पुं०=सुखमणि (सिक्खों का धर्म ग्रंथ)। | 
			
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				| सुषम—प्राषमा					 : | स्त्री० [सं०] जैन मतानुसार काल—चक्र के दो आरे। | 
			
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				| सुषमा					 : | स्त्री० [सं० प्रा० स०] १. परम शोभा। अत्यन्त सुन्दरता। २. विशेषतः नैसर्गिक शोभा। प्राकृतिक सौन्दर्य। ३. एक प्रकार का छन्द या वृत्त। ४. एक प्रकार का पौधा। ५. जैनों के अनुसार काल का एक नाम। | 
			
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				| सुषमित					 : | भू० कृ० [सं० सुषमा+इतच्] सुषमा से युक्त। | 
			
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				| सुषाढ़					 : | पुं० [सं० ब० स०] शिव का एक नाम। | 
			
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				| सुषाना					 : | अ०=सुखाना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुषारा					 : | वि०=सुखारा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुषि					 : | स्त्री० [सं० सु√सो (विनाश करना)+कि बाहु०√शुष् (सोखना)+इनिश=पृषो० स०] [भाव० सुषित्व] १. छिद्र। छेद। सूराख। २. शरीर अथवा किसी तल पर के वे छोटे—छोटे छेद जिसमें से होकर तरल पदार्थ अन्दर पहुँचते या बाहर निकलते हैं। | 
			
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				| सुषिक					 : | पुं० [सं० सुषि+कन्] शीतलता। ठंढक। वि० ठंढा। शीतल। | 
			
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				| सुषिम					 : | वि० पुं०=सुषीम। | 
			
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				| सुषिर					 : | वि० [सं०√शुष् (शोषण करना)+किरच् श=स पृषो०] छेदों या सूराखों से भरा हुआ। पुं० १. छेद। २. दरार। ३. फूँककर बजाया जानेवाला बाजा। ४. वायु—मंडल। ५. अग्नि। ६. लकड़ी। ७. बाँस। ८. लौंग। ९. चूहा। | 
			
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				| सुषिरच्छेद					 : | पुं० [सं० ब० स०] एक प्रकार की वंशी। | 
			
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				| सुषिरत्व					 : | पुं० [सं० सुषिर+त्व] दे० ‘छिद्रलता’। | 
			
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				| सुषिरा					 : | स्त्री० [सं० सुषिर–टाप्] १. कलिका। विद्रुम लता। २. दरिया। नदी। | 
			
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				| सुषीम					 : | पुं० [सं० सुशीम=+पृषो०] १. एक प्रकार का साँप। २. चन्द्रकान्त मणि। वि० १. मनोहर। सुन्दर। २. ठंढा। शीतल। | 
			
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				| सुषुपु (स्)					 : | वि० [सं०] सोने की इच्छा करनेवाला। निद्रातुर। | 
			
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				| सुषुप्त					 : | भू० कृ० [सं० सु√स्वप् (सोना)+क्त] १. सोया हुआ, विशेषतः गहरी नींद में सोया हुआ। २. (गुण या तत्त्व) जो निष्क्रिय अवस्था में किसी चीज में स्थित हो। | 
			
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				| सुषुप्ति					 : | स्त्री० [सं० सु√स्वप् (सोना)+क्तिन्] १. गहरी नींद में सोए हुए होने की अवस्था या भाव। २. पातंजलि दर्शन के अनुसार चित्त की एक वृत्ति या अनुभूति। ३. वेदान्त के अनुसार जीव की अज्ञानावस्था। | 
			
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				| सुषुप्सा					 : | स्त्री० [सं०√स्वप् (सोना)+सन्—संयु द्वित्व–टाप्] १. सोने की इच्छा। २. नींद में होने की अवस्था। | 
			
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				| सुषुम्ना					 : | स्त्री० [सं० सुषु√म्ना (अभ्यास)+क–टाप्] [वि० सौषुम्न] शरीर—शास्त्र के अनुसार एक नाड़ी जो नाभि से आरंभ होकर मेरुदंड में से होती हुई ब्रह्मरंध्र तक गई है। (स्पाइनल कार्ड)। विशेष–(क) हठयोग के अनुसार यह इंडा और पिंगला के बीच में है, और इसी के अन्तर्गत वह ब्रह्मनाड़ी है जिससे चलकर कुंडलिनी ब्रह्मरंध्र तक पहुँचाती है। (ख) वैद्यक में, यह शरीर की चौदह प्रधान नाड़ियों में से एक है जिसके साथ बहुत—सी छोटी—छोटी नाड़ियाँ लिपटी हुई हैं। | 
			
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				| सुषेण					 : | पुं० [सं० सु√सेन+अच्, षत्व] १. विष्णु। २. दूसरे मनु का एक पुत्र। ३. परीक्षित का एक पुत्र। ४. धृतराष्ट्र का एक पुत्र। ५. श्रीकृष्ण का एक पुत्र। ६. करमर्द (वृक्ष)। ७. बेंत। | 
			
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				| सुषेणी					 : | स्त्री० [सं०] निसोथ। त्रिवृता। | 
			
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				| सुषोपति					 : | स्त्री०=सुषुप्ति।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुषोप्ति					 : | स्त्री०=सुषुप्ति।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुष्ट					 : | पुं० [सं० दुष्ट का अनु०] [भाव० सुष्टता] अच्छा। भला। ‘दुष्ट’। का विपर्याय। | 
			
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				| सुष्ठु					 : | अव्य० [सं० सु√स्था (ठहरना)+कु] [भाव० सुष्ठुता] १. अतिशय। अत्यन्त। २. अच्छी तरह। भली—भाँति। ३. जैसा चाहिए, ठीक वैसा। यथा—तथ्य। ४. वास्तव में। वि० =सुष्ट।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुष्म					 : | पुं० [सं०√सु (गमनादि)+मक्—सुक्–षत्व] रस्सी। रज्जु। | 
			
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				| सुष्मना					 : | स्त्री०=सुषुम्ना। | 
			
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				| सुसंकट					 : | वि० [सं० प्रा० स०] १. दृढ़तापूर्वक बंद किया हुआ। २. जिसकी व्याख्या करना कठिन हो। पुं० १. कठिन काम। २. कठिनता। दिक्कत। | 
			
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				| सु—संग					 : | पुं० [सं०+हिं० संग] अच्छा संग। सु—संगति। | 
			
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				| सु—संगत					 : | वि० [सं० सु+संगत, प्रा० स०] उत्तम या विशिष्ट रूप से संगत। बहुत युक्ति—युक्त। बहुत उचित। स्त्री०=सुगति। वि० [सु+संगति] अच्छी संगतिवाला। | 
			
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				| सु—संगति					 : | स्त्री० [सं० प्रा० स०] अच्छे लोगों से होनेवाला संग—साथ। अच्छा संग—साथ। सत्संग। | 
			
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				| सुसंघ					 : | वि० [सं० ब० स०] वचन का सच्चा। बात का पक्का। | 
			
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				| सु—संस्कृत					 : | वि० [सं० सु—सम्√कृ (करना)+क्त सुट्] १. (व्यक्ति या समाज) जो सांस्कृतिक दृष्टि से उत्पन्न हो। २. आचरण या व्यवहार जो शिष्टतापूर्ण और संस्कृति के अनुरूप हो। | 
			
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				| सुसंहत					 : | वि० [सं० प्रा० स०] [भाव० सुसंहति] जो अच्छी तरह या विशिष्ट रूप से संहत हो। खूब अच्छी तरह गठा हुआ। | 
			
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				| सुस					 : | स्त्री०=सुसा। | 
			
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				| सुसकना					 : | अ०=सिसकना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुसकल्यो					 : | पुं० [सं० शश] खरगोश। खरहा। शशा। (डिं०) | 
			
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				| सुसका					 : | पुं० [अनु०] हुक्का। (सुनार) | 
			
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				| सुसज्जित					 : | भू० कृ० [सं० प्रा० स०] १. भली—भाँति सजा या सजाया हुआ। भली—भाँति श्रृंगार किया हुआ। शोभायमान्। २. तैयार। लैस। | 
			
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				| सुसताना					 : | अ० [फा० सुस्त+आना (प्रत्य०)] सुस्ताना। | 
			
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				| सुसती					 : | स्त्री०=सुस्ती।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुसत्या					 : | स्त्री० [सं० ब० स०] जनक की एक पत्नी। (पुराण) | 
			
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				| सुसत्त्व					 : | वि० [सं० ब० स०] १. दृढ़। पक्का। २. वीर। बहादुर। | 
			
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				| सुसना					 : | पुं० [?] एक प्रकार का साम। | 
			
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				| सु—सबद					 : | पुं० [सं० सुशब्द] कीर्ति। यश। (डिं०)(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सु—सभेय					 : | वि० [सं० सुसभा+ढक्–एय] जो सभ्यों के समाज या सभा में अच्छी तरह अपना कौशल या चातुर्य दिखा सकता हो। | 
			
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				| सुसमन					 : | स्त्री०=सुषुम्ना (नाड़ी)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुसमय					 : | पुं० [सं० प्रा० स०] १. सुन्दर समय। अच्छा वक्त। २. वे दिन जिनमें अकाल न हो। सुकाल। सुभिक्ष। ३. ऐसा समय जब सब प्रकार की उन्नति और कल्याण होता हो। | 
			
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				| सुसमा					 : | स्त्री० [सं० उष्मा] अग्नि। (डिं०)(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) स्त्री० =सुसमा।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) पुं० =सुसमय।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सु—समुझि					 : | वि० [सं० सु+हिं० समझ] अच्छी समझवाला। समझदार।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुसर					 : | पुं०=ससुर।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुसरण					 : | पुं० [सं०] शिव का एक नाम। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुसरा					 : | पुं०=ससुर। (उपेक्षासूचक) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुसरार					 : | स्त्री०=ससुराल।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुसराल					 : | स्त्री०=ससुराल।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सु—सरित					 : | स्त्री० [सं० सु+सरित] १. अच्छी नदी। २. नदियों में श्रेष्ठ, गंगा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुसरी					 : | स्त्री० [?] अनाजों में लगनेवाला एक प्रकार का लाल रंग का छोटा कीड़ा। (पश्चिम)(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) स्त्री० १.=ससुरी। २. सुरसरी।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुसह					 : | वि० [सं० प्रा० स०] जो सहज में सहन किया जा सके। पुं० शिव का एक नाम। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुसा					 : | स्त्री० [सं० स्वसृ] बहन। भगिनी।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) पुं० [?] एक प्रकार का पक्षी।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) पुं०=शश (खरगोश)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुसाइटी					 : | स्त्री०=सोसाइटी (समाज)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सु—साध्य					 : | वि० [सं० प्रा० स०] (कार्य) जिसका सहज में साधन किया जा सके। जो सहज में पूरा किया जा सके। सुख—साध्य। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुसाना					 : | अ० [सं० श्वसन] सिसकियाँ भरना। सिसकना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुसार					 : | पुं० [सं० ब० स०] जिसका सार उत्तम हो। तत्त्वपूर्ण। पुं० अच्छा सार या तत्त्व। २. नीलम। ३. लाल खैर। | 
			
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				| सुसारवान् (वत्)					 : | वि० [सं० सुसार+मतुप्—म व नुम्–दीर्द्य] सुसार। (दे० ) पुं० स्फटिक। | 
			
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				| सु—सिकता					 : | स्त्री० [सं० प्रा० स०] १. अच्छी रेत। २. चीनी। शर्करा। | 
			
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				| सुसिद्ध					 : | वि० [सं० प्रा० स०, ब० स०] [भाव० सुसिद्धि] १. अच्छी तरह पका या पकाया हुआ (खाद्य पदार्थ)। २. (व्यक्ति) जिसे अच्छी सिद्धि प्राप्त हो। | 
			
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				| सुसिद्धि					 : | स्त्री० [सं० प्रा० स०] साहित्य में, एक प्रकार का अर्थालंकार जिसमें एक व्यक्ति के प्रयत्न करने पर दूसरे व्यक्ति को उसके फल प्राप्त करने का उल्लेख होता है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुसीतलताई					 : | स्त्री० =सुशीतलता।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुसीता					 : | स्त्री० [सं० प्रा० स०] सेवती। शतपत्री। | 
			
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				| सुसीम					 : | वि० [सं० सुषिम] शीतल। ठंढा। (डिं०) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुसुकना					 : | अ०=सिसकना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुसुड़ी़					 : | स्त्री० =सुसरी (कीड़ा)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुसुपि					 : | स्त्री० =सुषुप्ति।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुसुम					 : | वि० [सं० सुषुम] सुषुमापूर्ण। सुन्दर।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) वि० =सूक्ष्म।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुसूक्ष्म					 : | वि० [सं० प्रा० स०] अत्यंत सूक्ष्म। बहुत अधिक सूक्ष्म। बहुत ही छोटा। पुं० परमाणु।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुसेन					 : | पुं०=सुषेन।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुसेव्य					 : | वि० [सं० प्रा० स०] १. जिसकी अच्छी तरह सेवा की जानी चाहिए। २. जिसका अनुसरण में सहज किया जा सके। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुसंधवी					 : | स्त्री० [सं० प्रा० स०] सिंध देश की अच्छी घोड़ी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुसो					 : | पुं० [सं० शश] खरगोश। खरहा। (डिं०)(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुसौभग					 : | पुं० [सं० प्रा० स०] पति—पत्नी संबंधी सुख। दाम्पत्य सुख। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुस्त					 : | वि० [फा०] [भाव० सुस्ती] १. (जीव) जो भली—भाँति और मन लगाकर काम न करता हो। ‘उद्योगी’ का विपर्याय। २. फलतः स्वभाव से अकर्मण्य तथा मन्द गति से काम करनेवाला। ३. चिंता, रोग आदि के कारण अथवा निराश होने या उदास रहने के कारण अस्वस्थ या शिथिल। ४. अस्वस्थ। बीमार। (लश०) ५. जिसके शरीर में बाल न हो। दुर्बल। कमजोर। ६. चिंता, परिश्रम, रोग आदि के कारण जो मन्द या शिथिल हो गया हो। ७. जिसका उत्साह या तेज मंद पड़ गया हो। जैसे–मेरे रुपये माँगने पर वह सुस्त हो गया। ८. जिसकी तीव्रता या प्रबलता कम हो गई हो। जिसकी गति या वेग मंद हो गया हो। जैसे–यह घड़ी कुछ सुस्त है। ९. जिसे कोई काम करने या कोई बात समझने में आवश्यक या उचित से अधिक समय लगता हो। जैसे–इधर की गाड़ियाँ भी बहुत सुस्त हैं। क्रि० वि० सुस्ती से। मंद गति से । जैसे—गाड़ी बहुत सुस्त चल रही है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सु-स्तना					 : | वि० स्त्री० [सं० ब० स०] सुन्दर छातियों या स्तनों वाली (स्त्री)। स्त्री० वह स्त्री जो पहले पहल रजस्वला हुई हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुस्तनी					 : | वि० स्त्री० =सुस्तना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुस्त—पाँव					 : | पुं० [फा० सुस्त+हिं० पाँव] एक प्रकार का चतुष्पाद जन्तु जो प्रायः वृक्षों की शाखा में लटका रहता और बहुत कम तथा बहुत मंद गति से चलता है। (स्लॉफ़) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुस्त—रीछ					 : | पुं० [फा० सुस्त+हिं० रीछ] एक प्रकार की पहाड़ी रीछ। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुस्ताई					 : | स्त्री० =सुस्ती। उदा०–पंथी कहाँ, कहाँ सुस्ताई।–जायसी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुस्ताना					 : | अ० [फा़० सुस्त+हिं० आना (प्रत्य०)] अधिक श्रम करने पर तथा थकावट मिटाने के उद्देश्य से थोड़ी देर के लिए दम लेना या विश्राम करना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुस्ती					 : | स्त्री० [फा़० सुस्त] १. सुस्त होने की अवस्था या भाव। शिथिलता। २. आलस्य, चिंता, रोग आदि के कारण उत्पन्न होनेवाली वह अवस्था जिसमें शरीर कुछ—कुछ शिथिल होता है तथा मन में कुछ करने के प्रति अरुचि होती है। ३. पुंस्त्व का अभाव या कमी। ४. बीमार होने की अवस्था। (लश०) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुस्तैन					 : | पुं०=स्वस्त्ययन।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुस्थ					 : | वि० [सं० सु√स्था (ठहरना)+क] १. ठीक तरह से स्थित होना। २. भला। चंगा। नीरोग। स्वस्थ। तंदुरुस्त। ३. सब प्रकार से सुखी। ४. मनोहर। सुन्दर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुस्थ—चित्त					 : | वि० [सं० ब० स०] जिसका चित्त सुखी या प्रसन्न हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुस्थता					 : | स्त्री० [सं० सुस्थ+तल्–टाप्] सुस्थ होने की अवस्था या भाव। | 
			
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				| सुस्थत्व					 : | पुं०=सुस्थता। | 
			
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				| सुस्थल					 : | पुं० [सं० प्रा० स०] १. अच्छा स्थान। २. एक प्राचीन जनपद। | 
			
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				| सुस्थावती					 : | स्त्री० [सं० सुस्था+मतुप्–म—व—ङीप्] संगीत में एक प्रकार की रागिनी। | 
			
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				| सुस्थित					 : | वि० [सं० प्रा० स०] [स्त्री० सुस्थिता, भाव० सुस्थिति] १. उत्तम रूप से या भली—भाँति स्थित। २. दृढ़। पक्का। मजबूत। ३. स्वस्थ। तन्दुरुस्त। ४. भाग्यवान्। पुं० १. ऐसा मकान जिसके चारों ओर छज्जे हों। २. एक प्रकार का रोग जिसमें घोड़े अपने को निहारते और हिनहिनाते रहते हैं। | 
			
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				| सुस्थितत्व					 : | पुं० [सं० सुस्थित+त्व] सुस्थित होने की अवस्था या भाव। | 
			
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				| सुस्थिति					 : | स्त्री० [सं० प्रा० स०] १. अच्छी या उत्तम स्थिति। सुखपूर्ण अवस्था। २. कल्याण। ३. मंगल। ४. प्रसन्नता। हर्ष। ५. अच्छा स्वास्थ्य। | 
			
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				| सुस्थिर					 : | वि० [सं० प्रा० स०] [स्त्री० सुस्थिरा] १. जो अच्छी तरह स्थिर या शांत हो। २. जो अच्छी तरह या दृढ़तापूर्वक जमाया, बैठाया या लगाया गया हो। | 
			
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				| सुस्थिरा					 : | स्त्री० [सं० प्रा० स०] रक्तवाहिनी। नस। लाल रंग। | 
			
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				| सुस्ना					 : | स्त्री० [सं० ब० स०] खेसारी। त्रिपुट। | 
			
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				| सुस्नात					 : | वि० [सं० प्रा० स०] १. जिसने यज्ञ के उपरान्त स्नान किया हो। २. जो नहा—धोकर पवित्र हो गया हो। | 
			
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				| सुस्मित					 : | पुं० [सं० ष० त०] [स्त्री० सुस्मिता] मधुर हँसी हँसनेवाला। | 
			
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				| सुस्वध					 : | पुं० [सं० ब० स०] पितरों की एक श्रेणी या वर्ग। | 
			
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				| सुस्वधा					 : | स्त्री० [सं०] १. कल्याण। मंगल। २. सौभाग्य। | 
			
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				| सुस्वन					 : | वि० [सं० ब० स०] १. उत्तम ध्वनि या अच्छा शब्द करनेवाला। २. बहुत ऊँचा। ३. मनोहर। सुन्दर। पुं० शंख। | 
			
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				| सुस्वप्न					 : | पुं० [सं० प्रा० स०] १. शुभ स्वप्न। अच्छा सपना। २. शिव का एक नाम। | 
			
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				| सुस्वर					 : | वि० [सं० प्रा० स०] [स्त्री० सुस्वरा] [भाव० सुस्वरता] १. मधुर। २. सुरीला। ३. उच्च या घोर। पुं० १. मधुर, सुरीला या उच्च स्वर। २. शंख। ३. वह कर्म जिससे मनुष्य का स्वर मधुर, सुरीला या उच्च होता है। (जैन) | 
			
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				| सुस्वरता					 : | स्त्री० [सं०] सुस्वर होने की अवस्था, गुण या भाव। | 
			
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				| सुस्वादु					 : | वि० [सं० ब० स०] अत्यन्त स्वादयुक्त। बहुत स्वादिष्ट। बहुत जायकेदार। | 
			
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				| सुस्वाप					 : | पुं० [सं० प्रा० स०] प्रगाढ़ निद्रा। गहरी नींद। | 
			
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				| सुहँग					 : | वि०=सुहँगा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुहँगम					 : | वि० [सं० सुगम] सहज। आसान।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुहँगा					 : | वि० [हिं० महँगा का अनु०] उपेक्षया कम मूल्य का या कम मूल्य पर मिलनेवाला। सस्ता ‘महँगा’ का विपर्याय।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुहटा					 : | वि० [हिं० सुहावना] [स्त्री० सुहटी] सुहावना। सुन्दर।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुहड़					 : | पुं० [सं० सुभट] सुभट। योद्धा। शूर—वीर। (डिं०) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुहनी					 : | स्त्री०=सोहनी।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुहबत					 : | स्त्री०=सोहबत।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुहराना					 : | स०=सहलाना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुहराब					 : | पुं० [फा०] ईरान के सुप्रसिद्ध और रुस्तम का बेटा जो उसी के हाथों मारा गया था। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुहल					 : | पुं०=सुहेल (तारा)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुहव					 : | पुं०=सूहा (राग)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुहवि (विस्)					 : | पुं० [सं०] एक अंगिरस का नाम। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुहवी					 : | स्त्री०=सूहा (राग)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुहस्त					 : | वि० [सं० ब० स०] १. सुन्दर हाथोंवाला। २. जिसके हाथ किसी काम में मँज गये हों, फलतः जो कोई काम सहज में तथा बढ़िया रूप से करता हो। | 
			
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				| सुहा					 : | पुं० [हिं० सुआ] [स्त्री० सुही] लाल नामक पक्षी। पुं०=सूहा (राग)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुहाग					 : | पुं० [सं० सौभाग्य] १. विवाहिता स्त्री की वह स्थिति जिसमें उसका पति जीवित और वर्तमान हो। अहिवात। सौभाग्य। मुहा०–सुहाग भरना=स्त्री की माँग में सिंदूर भरना। सुहाग मनाना=स्त्री का सदा सुहाग या सौभाग्य बना रहने की कामना करना। पति—सुख के अखंड रहने के लिए कामना करना। २. वह वस्त्र जो वर विवाह के समय पहनता है। ३. विवाह के समय कन्या पक्ष में गाये जानेवाले मांगलिक गीत, जिसमें कन्या के सौभाग्यवती बने रहने की कामना होती है। क्रि० प्र०–गाना। पुं० [?] मँझोले आकार का एक प्रकार का सदाबहार पेड़ जिसके बीजों से जलाने के लिए और औषध के काम में लाने के लिए तेल निकाला जाता है। पुं०=सुहागा।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुहाग-घर					 : | पुं०=सुहाग-मन्दिर। | 
			
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				| सुहागन					 : | वि० स्त्री०=सुहागिन। | 
			
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				| सुहाग-मन्दिर					 : | पुं० [सं०] १. राजमहल का वह विभाग जिसमें राजा अपनी रानियों के साथ बिहार करते थे। २. वह कोठरी या कमरा जिसमें वर और वधू सोते हों। | 
			
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				| सुहागा					 : | पुं० [सं० सुभग] एक प्रकार का क्षार जो गर्म पानी वाले गंध की सोतों से निकलता है। पुं० [?] खेत की मिट्टी बराबर करने का पाटा। हेंगा।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुहागिन					 : | वि० स्त्री० [हिं० सुहाग+इन (प्रत्य०)] सुहाग अर्थात सौभाग्य प्राप्त (स्त्री)। सधवा। | 
			
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				| सुहागिनी					 : | स्त्री०=सुहागिन।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुहागिल					 : | स्त्री०=सुहागिन।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुहाता					 : | वि० [हिं० सहना] जो सहा जा सके। सहने योग्य। सह्य। वि०=सुहावना। जैसे–उसे मेरी कोई बात नहीं सुहाती है।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुहान					 : | पुं० =सोहान।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुहाना					 : | अ० [सं० शोभन] १. देखने में सुन्दर प्रतीत होना। २. भला लगना। सुखद होना। ३. सत्य होना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुहामण					 : | वि०=सुहावना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुहार					 : | पुं०=सुहाल (पकवान)। उदा०–हारके सरोज सूकि होत हैं सुहार से।–सेनापति। | 
			
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				| सुहारी					 : | स्त्री० [सं० सु+आहार] पूरी। सादी।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुहाल					 : | पुं० [सं० सु+आहार] एक प्रकार का नमकीन पकवान जो मैदे का बनता है और जिसका ओकार तिकोना तथा परतदार होता है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुहाली					 : | स्त्री०=सुहारी।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुहाव					 : | वि० [हिं० सुहाना] सुहावना। सुन्दर।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) पुं० [सं० सु+हाव] सुन्दर हाव-भाव। | 
			
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				| सुहावता					 : | वि० [हिं० सुहाना] [स्त्री० सुहावती] १. सुहानेवाला। देखने में अच्छा लगनेवाला। सुहावना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| सुहावन					 : | वि०=सुहावना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुहावना					 : | वि० [हिं० सुहाना] [स्त्री० सुहावनी] जो सुन्दर भी हो और सुखद भी। जैसे–सुहावनी बात, सुहावनी रात। अ०=सुहाना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुहावनापन					 : | पुं० [हिं० सुहावना+पन (प्रत्य०)] ‘सुहावना’ होने की अवस्था या भाव। सुन्दरता। मनोहरता। | 
			
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				| सुहावला					 : | वि०=सुहावना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुहास					 : | वि० [सं० ब० स०] [स्त्री० सुहासा] सुन्दर हँसी हँसनेवाला। | 
			
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				| सुहिणा					 : | पुं०=स्वप्न। (राज०)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुहित					 : | वि० [सं० ब० स०] १. बहुत अधिक हित अर्थात उपकार करने या लाभ पहुँचानेवाला। २. (कार्य) जो पूरा किया गया हो। सम्पादित। ३. तृप्त। सन्तुष्ट। ४. उपयुक्त। ठीक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुहिता					 : | स्त्री० [सं० ब० स०] १. अग्नि की एक जिह्वा का नाम। २. रुद्रजटा। | 
			
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				| सुहिया					 : | स्त्री०=सुहा (राग)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुहुत					 : | वि०=सुस्त।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुहुत					 : | वि०, पुं०=सुहृद। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुहृत्ता					 : | स्त्री०=सुहृदता। | 
			
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				| सुहृद					 : | वि० [सं०] [भाव० सुहृदता] अच्छे हृदयवाला। प्यारा। पुं० [सं०] १. शिव का एक नाम। २. मित्र। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुहृदय					 : | वि० [सं० ब० स०] [भाव० सुहृदयता] १. अच्छे हृदयवाला। २. सबसे प्यार करनेवाला। ३. सहृदय। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुहेल					 : | पुं० [अ०] एक कल्पित तारा, जिसके विषय में प्रसिद्ध है कि यह यमन देश में दिखलाई देता है और इसके उदित होने पर चमड़े में सुगंध आ जाती है तथा सब जीव मर जाते है। (हिन्दी के कवियों ने इसका निकलना शुभ माना है)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुहेलरा					 : | वि०=सुहेला।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| सुहेला					 : | वि० [सं० शुभ ?] १. सुहावना। सुन्दर। २. सुखदायक। सुखद। पुं० १. विवाह के अवसर पर गाये जानेवाले एक प्रकार के गीत। २. प्रशंसा, स्तुति। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुहेस					 : | वि० [सं० शुभ] अच्छा। सुन्दर। भला।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| सुहोता					 : | पुं० [सं०सुहेत] वह जो उत्तम रूप से हवन करता हो। अच्छा होता। | 
			
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				| सुहोत्र					 : | पुं० [सं० प्रा० स०] १. एक वैदिक ऋषि। २. एक बार्हस्पत्य का नाम। ३. सहदेव का एक पुत्र। ४. सुधन्वा का एक पुत्र। ५. वितथ का एक पुत्र। | 
			
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				| सुह्म					 : | पुं० [सं०] १. एक प्राचीन प्रदेश जो गौड़ देश के पश्चिम में था। ताम्रलिप्ति (आधुनिक तामलूक) यहीं का राजनगर था। २. यवनों की एक जाति। | 
			
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				| सुह्मक					 : | पुं०=सुह्म। | 
			
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				| सुनृता					 : | स्त्री० [सं०] १. सत्य और प्रिय भाषण। २. सत्यता। सचाई। ३.धर्म की पत्नी का नाम। | 
			
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				| सुरवाँ					 : | पुं०=सूरमा।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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