बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-1 गृह विज्ञान बीए सेमेस्टर-1 गृह विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 गृहविज्ञान
प्रश्न- आधारीय भोज्य समूहों की भोजन में क्या उपयोगिता है? सात वर्गीय भोज्य समूहों की विवेचना कीजिए।
अथवा
भोज्य समूह किस आधार पर बनाए गए हैं? सात आधारीय भोज्य समूहों का विस्तृत वर्णन दीजिए।
अथवा
आधारभूत पाँच भोज्य समूहों के महत्व का वर्णन कीजिए।
अथवा
'आधारीय भोज्य समूह' से आप क्या समझते हैं? पाँच आधारीय भोज्य समूह को विस्तारपूर्वक समझाइये।
सम्बन्धित लघु प्रश्न
1. पाँच वर्गीय भोज्य समूह बताइए।
2. सात वर्गीय भोज्य समूह बताइए।
3. सात आधारीय भोज्य समूह व उनसे प्राप्त पौष्टिक तत्व बताइए।
उत्तर-
हमारे शरीर के लिए कार्बोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन, खनिज तत्व तथा विटामिन आदि बहुत महत्वपूर्ण तत्व हैं। ये भोज्य तत्व हमें एक भोज्य पदार्थ से प्राप्त नहीं होते हैं। कोई भोज्य पदार्थ कितना ही पोषकयुक्त क्यों न हो, पर हमारे लिए सन्तुलित आहार नहीं बन सकता। अतः सन्तुलित आहार लेने के लिए विभिन्न प्रकार के भोज्य पदार्थों में भोज्य तत्वों की समानता की दृष्टि से ही बनाए गए हैं। प्रत्येक आहार में प्रत्येक भोज्य समूह से भोज्य पदार्थ के आवश्यक मात्रा में सम्मिलित होने पर आहार सन्तुलित रहता है।
समूह | भोज्य पदार्थ | मुख्य पोषक तत्व |
प्रथम द्वितीय तृतीय |
दूध व दूध से बने भोज्य पदार्थ (दही, पनीर, छैना, सूखा पाउडर, दूध) माँस, मछली, अण्डा, गृहपक्षी, दालें, सेम, नट्स फल (सन्तरा, टमाटर, आम, पपीता, आँवला, नीबू आदि) हरी पत्ते वाली सब्जियाँ (कुलफा, पालक, मैथी, पत्ता गोभी, चुकन्दर व मूली के पत्ते, चना व सरसों का साग आदि) अन्य सब्जियाँ ( बैगन, लौकी, काशीफल, फूलगोभी, भिण्डी आदि) |
प्रोटीन, कैल्शियम व राइबोफ्लोबिन प्रोटीन, लोहा व नायसिन विटामिन 'ए' (कैलोटीन) विटामिन 'सी', खनिज लवण, लोहा |
प्रथम समूह - दूध व दूध से बने भोज्य पदार्थ - दूध हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण आहार है। शैशवावस्था से वृद्धावस्था तक प्रत्येक अवस्था में दूध की आवश्यकता प्रमुख है। दूध को किसी दूसरे भोजन में स्थानान्तरित नहीं किया जा सकता है। प्रौढ़ावस्था में प्रतिदिन 2 कप दूध अथवा मात्रा के समान अन्य दूध से बने भोज्य पदार्थ लेने आवश्यक होते हैं।
प्रतिदिन दूध की विभिन्न अवस्थाओं में आवश्यकता
2 कप दूध - प्रौढ़ व्यक्तियों के लिए
2 से 3 कप दूध - 9 वर्ष से 12 वर्ष के बालकों के लिए
4 कप दूध - किशोरावस्था में
3 कप दूध - गर्भवती स्त्री के लिए
4 कप दूध - दुग्धपान कराने वाली स्त्रियों के लिए
पौष्टिक तत्व हमारे शरीर के अन्दर पहुँचाने के माध्यम हैं विभिन्न भोज्य पदार्थ। भोज्य पदार्थ अर्थात् वे सब चीजें जिन्हें हम भोजन के रूप में खाते हैं। विभिन्न प्रकार के अनाज, दालें, मसालें, सब्जियाँ, फल, घी, दूध आदि। इन सब भोज्य पदार्थों में हर पौष्टिक तत्व अलग-अलग मात्रा में होते हैं। किसी एक भोज्य पदार्थ में समस्त पौष्टिक तत्व नहीं होते। अतः एक अकेला भोज्य पदार्थ किसी के लिए संतुलित आहार नहीं हो सकता। संतुलित आहार के लिए कई भोज्य पदार्थों को मिलाकर लेना पड़ता है तब भोजन संतुलित होता है। इन भोज्य पदार्थों के द्वारा मनुष्य के लिए संतुलित आहार का आयोजन करने के लिए वैज्ञानिकों ने इन भोज्य पदार्थों को भोज्य समूहों में बांटा है। इन भोज्य पदार्थों को आधारीय भोज्य समूह इसलिए बांटा गया है ताकि मनुष्य को भोजन में सभी पौष्टिक तत्व प्राप्त हो सकें।
द्वितीय समूह माँस, मछली, अण्डा आदि - माँस समूह में विभिन्न जानवरों का गोश्त जैसे लीक (गौ जाति के पशुओं का मांस) मटन व लैम्ब (भेड़ व बकरी का मांस) तथा पोर्क (सुअर का मांस) सम्मिलित रहते हैं। मांस समूह में अन्य भोज्य पदार्थ जैसे- गृहपक्षी जैसे मुर्गे का मांस चिकन मछलीऋ अण्डेॠ दालें भी सम्मिलित रहते हैं।
माँस समूह के भोज्य पदार्थों की प्रतिदिन आवश्यकता - 2 या 3 औंस कोमल, पका हुआ बीफ, पोर्क, लैम्ब 2 अण्डे गृहपक्षी तथा मछली।
तृतीय समूह - फल, हरी पत्ते वाली सब्जियाँ तथा अन्य सब्जियाँ -इस समूह के भोज्य पदार्थों के रंग, गठन व आकार में बहुत अधिक विभिन्नता होती है। इस समूह के भोज्य पदार्थों से विटामिन 'सी' प्रमुख रूप से प्राप्त होता है। इस समूह द्वारा विटामिन 'ए' तथा अन्य विटामिन 'बी' काम्पलेक्स व लोहा तथा अन्य खनिज तत्वों की प्राप्ति होती है।
चतुर्थ समूह अनाज - आज सभी देशों में इस समूह को जीवन के लिए भोज्य पदार्थ समझा जाता है। इस भोज्य समूह की आसानी से उपज कम मूल्य तथा अधिक संग्रहण का गुण रखने के कारण उसका प्रयोग सबसे अधिक व नियमित होता है। (रोटी, पूड़ी, पराठा, ब्रेड, केक, बिस्कुट आदि) चावल का प्रयोग भी आहार में अधिकता से होता है। कई प्रदेशों में तो व्यक्ति अपनी 80 SURAJ ऊर्जा की प्राप्ति चावल से ही करते हैं। अनाजों में औसतन 12% प्रोटीन, 2% वसा, 75% कार्बोहाइड्रेट, 10% जल तथा लोहा, फास्फोरस, खनिज तत्व तथा थायमिन विटामिन प्रमुख रूप से होते हैं।
पंचम समूह - घी, तेल तथा शर्करा - मक्खन, घी, हाइड्रोजनीकृत वसा, चर्बी तथा वनस्पति तेलों का प्रयोग भोजन में होता है। वसा ऊर्जा का सबसे सघन साधन है। मक्खन तथा शुद्ध घी में विटामिन क्त की उपस्थिति होती हैं। हाइड्रोजनीकृत वसा को विटामिन ए व क्डी युक्त कर दिया जाता है।
आधारीय भोज्य समूह (Basic Food Groups) - अमेरिका के National Research Council के पोषण विशेषज्ञों ने आहार में 16 पोषक तत्व विशेष रूप से महत्वपूर्ण बताए। ये तत्व कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, लोहा, विटामिन 'ए', लायमिन, राइबोफ्लेबिन, नायसिन, विटामिन 'सी' व विटामिन 'डी' हैं। इन तत्वों की भोज्य पदार्थों में उपस्थिति को ध्यान में रखते हुए उन्होंने भोजन को 7 समूहों में विभाजित किया है तथा इन समूहों को आधारी भोज्य समूह (Basic seven food groups) नाम दिया है।
प्रथम समूह हरी व पीली सब्जियाँ तथा फल ये भोज्य पदार्थ कच्चेॠ पके या ठण्डे खाए जा सकते हैं। इनके द्वारा विटामिन एॠ विटामिन क्सीत्ऋ लोहा व राइबोफ्लेबिन प्रमुख रूप से प्राप्त होते हैं। इस समूह के भोज्य पदार्थ प्रतिदिन प्रति आहार में होना आवश्यक है।
द्वितीय समूह खट्टे, रसीले फल व सब्जियाँ इस समूह में विटामिन क्सी युक्त पदार्थ सम्मिलित होते हैं। ये कच्चे बिना पके ताजे फल खाए जाते हैं। प्रतिदिन आहार में एक बार ये भोज्य पदार्थ अवश्य लेने चाहिए।
अमरूद, नीबू, सन्तरा, अनानास, आँवला, सहजनी तथा कच्चा पत्ता गोभी भोज्य पदार्थ इस समूह में सम्मिलित होते हैं।
प्रथम व दूसरे समूह के अतिरिक्त अन्य फल व प्याज व चुकन्दरॠ फूल गोभीऋ केलाॠ खजूरऋ
तृतीय समूह आलू, फल व अन्य सब्जियाँ सब्जियाँ इस समूह में सम्मिलित होते हैं। आलू अंजीरऋ खुमानीॠ करेलाऋ बैंगनॠ ककड़ीॠ खीराऋ भिण्डीऋ लौकीऋ सेबॠ तरबूज आदि भोज्य पदार्थ इसी समूह के अन्तर्गत आते हैं।
चतुर्थ समूह दूध, दूध से बने भोज्य पदार्थ इस समूह के भोज्य पदार्थों में प्रोटीनऋ कैल्शियमॠ फास्फोरसॠ विटामिन एॠ थायमिनॠ राइबोफ्लेबिन आदि तत्व उपस्थित होते हैं। हर उम्र में व्यक्तियों के लिए इसका लेना महत्वपूर्ण होता है। दूधॠ दहीॠ मट्ठाऋ पनीरॠ खोयाॠ दूध पाउडर आदि इस समूह के उदाहरण हैं।
पंचम समूह (a) माँस, मछली, अण्डा, (b) दालें, सूखे बीज, नट्स व सोयाबीन - इस समूह के भोज्य पदार्थ प्रमुख रूप से प्रोटीन युक्त होते हैं। माँस, मछली, अण्डा, गृहपक्षी, जन्तु भोज्य पदार्थों के उदाहरण हैं। वनस्पति भोज्य पदार्थों में दालें, सूखी सेम, सूखी मटर, सोयाबीन तथा मेवे आदि इसी समूह में आते हैं परन्तु जन्तु भोज्य पदार्थों से प्राप्त प्रोटीन, वनस्पति जगत से प्राप्त प्रोटीन की अपेक्षा अधिक महत्वपूर्ण होती है।
षष्ठ समूह विभिन्न खाद्यान्न (Cereals) व उनसे बने पदार्थ इस समूह में अनाजऋ आटाऋ रोटीऋ ब्रेड आदि आते हैं। इस समूह के भोज्य पदार्थ ऊर्जा तथा कैलोरी के प्रमुख साधन होते हैं। विटामिन कबील्ॠ लोहा तथा फास्फोरस भी इस समूह के द्वारा प्राप्त होता है। गेहूँॠ चावल मक्काऋ रागी इस समूह के उदाहरण हैं।
सप्तम समूह घी, तेल व शर्करा, मक्खन, घी तथा विभिन्न वनस्पति तेल इस समूह के अन्तर्गत आते हैं।
सात आधारीय भोज्य समूह अमेरिका के पोषण विशेषज्ञों द्वारा बनाये गये हैं। इन्होंने भोजन में पौष्टिक तत्वों (प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट), वसा विटामिन A, B समूह के विटामिन, विटामिन C तथा D आवश्यक खनिज लवण कैल्शियम, लौह लवण के प्राप्ति के साधनों को ध्यान में रखकर इन 7 आधारीय भोज्य समूहों को बांटा गया ताकि अपने प्रतिदिन के आहार में इन भोज्य समूहों के भोज्य पदार्थों का प्रयोग कर मनुष्य संतुलित भोजन ले सके।
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- प्रश्न- फेफड़ों की धारिता पर टिप्पणी लिखिए।
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- प्रश्न- आहार से आप क्या समझते हैं? आहार व पोषण विज्ञान का अन्य विज्ञानों से सम्बन्ध बताइए।
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- प्रश्न- भोजन की परिभाषा देते हुए इसके कार्य तथा वर्गीकरण बताइए।
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- प्रश्न- प्रोटीन की संरचना, संगठन बताइए तथा प्रोटीन का वर्गीकरण व उसका पाचन, अवशोषण व चयापचय का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रोटीन के कार्यों, साधनों एवं उसकी कमी से होने वाले रोगों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 'शरीर निर्माणक' पौष्टिक तत्व कौन-कौन से हैं? इनके प्राप्ति के स्रोत क्या हैं?
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- प्रश्न- वसा में घुलनशील विटामिन क्या होते हैं? आहार में विटामिन 'ए' कार्य, स्रोत तथा कमी से होने वाले रोगों का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- खनिज तत्व क्या होते हैं? विभिन्न प्रकार के आवश्यक खनिज तत्वों के कार्यों तथा प्रभावों का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शरीर में लौह लवण की उपस्थिति, स्रोत, दैनिक आवश्यकता, कार्य, न्यूनता के प्रभाव तथा इसके अवशोषण एवं चयापचय का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रोटीन की आवश्यकता को प्रभावित करने वाले कारक कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- क्वाशियोरकर कुपोषण के लक्षण बताइए।
- प्रश्न- भारतवासियों के भोजन में प्रोटीन की कमी के कारणों को संक्षेप में बताइए।
- प्रश्न- प्रोटीन हीनता के कारण बताइए।
- प्रश्न- क्वाशियोरकर तथा मेरेस्मस के लक्षण बताइए।
- प्रश्न- प्रोटीन के कार्यों का विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भोजन में अनाज के साथ दाल को सम्मिलित करने से प्रोटीन का पोषक मूल्य बढ़ जाता है।-कारण बताइये।
- प्रश्न- शरीर में प्रोटीन की आवश्यकता और कार्य लिखिए।
- प्रश्न- कार्बोहाइड्रेट्स के स्रोत बताइये।
- प्रश्न- कार्बोहाइड्रेट्स का वर्गीकरण कीजिए (केवल चार्ट द्वारा)।
- प्रश्न- यौगिक लिपिड के बारे में अतिसंक्षेप में बताइए।
- प्रश्न- आवश्यक वसीय अम्लों के बारे में बताइए।
- प्रश्न- किन्हीं दो वसा में घुलनशील विटामिन्स के रासायनिक नाम बताइये।
- प्रश्न बेरी-बेरी रोग का कारण, लक्षण एवं उपचार बताइये।
- प्रश्न- विटामिन (K) के के कार्य एवं प्राप्ति के साधन बताइये।
- प्रश्न- विटामिन K की कमी से होने वाले रोगों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- एनीमिया के प्रकारों को बताइए।
- प्रश्न- आयोडीन के बारे में अति संक्षेप में बताइए।
- प्रश्न- आयोडीन के कार्य अति संक्षेप में बताइए।
- प्रश्न- आयोडीन की कमी से होने वाला रोग घेंघा के बारे में बताइए।
- प्रश्न- खनिज क्या होते हैं? मेजर तत्व और ट्रेस खनिज तत्व में अन्तर बताइए।
- प्रश्न- लौह तत्व के कोई चार स्रोत बताइये।
- प्रश्न- कैल्शियम के कोई दो अच्छे स्रोत बताइये।
- प्रश्न- भोजन पकाना क्यों आवश्यक है? भोजन पकाने की विभिन्न विधियों का वर्णन करिए।
- प्रश्न- भोजन पकाने की विभिन्न विधियाँ पौष्टिक तत्वों की मात्रा को किस प्रकार प्रभावित करती हैं? विस्तार से बताइए।
- प्रश्न- “भाप द्वारा पकाया भोजन सबसे उत्तम होता है।" इस कथन की पुष्टि कीजिए।
- प्रश्न- भोजन विषाक्तता पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भूनना व बेकिंग में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- खाद्य पदार्थों में मिलावट किन कारणों से की जाती है? मिलावट किस प्रकार की जाती है?
- प्रश्न- मानव विकास को परिभाषित करते हुए इसकी उपयोगिता स्पष्ट करो।
- प्रश्न- मानव विकास के अध्ययन के महत्व की विस्तारपूर्वक चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- वंशानुक्रम से आप क्या समझते है। वंशानुक्रम का मानवं विकास पर क्या प्रभाव पड़ता है?
- प्रश्न . वातावरण से क्या तात्पर्य है? विभिन्न प्रकार के वातावरण का मानव विकास पर पड़ने वाले प्रभावों की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न . विकास एवं वृद्धि से आप क्या समझते हैं? विकास में होने वाले प्रमुख परिवर्तन कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- विकास के प्रमुख नियमों के बारे में विस्तार पूर्वक चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- वृद्धि एवं विकास को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बाल विकास के अध्ययन की परिभाषा तथा आवश्यकता बताइये।
- प्रश्न- पूर्व-बाल्यावस्था में बालकों के शारीरिक विकास से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- पूर्व-बाल्या अवस्था में क्रियात्मक विकास से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- मानव विकास को समझने में शिक्षा की भूमिका बताओ।
- प्रश्न- बाल मनोविज्ञान एवं मानव विकास में क्या अन्तर है?
- प्रश्न- वृद्धि एवं विकास में क्या अन्तर है?
- प्रश्न- गर्भकालीन विकास की विभिन्न अवस्थाएँ कौन-सी हैं? समझाइए।
- प्रश्न- गर्भकालीन विकास को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारक कौन से है। विस्तार में समझाइए |
- प्रश्न- गर्भाधान तथा निषेचन की प्रक्रिया को स्पष्ट करते हुए भ्रूण विकास की प्रमुख अवस्थाओं का वर्णन कीजिए।.
- प्रश्न- गर्भावस्था के प्रमुख लक्षणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- प्रसव कितने प्रकार के होते हैं?
- प्रश्न- विकासात्मक अवस्थाओं से क्या आशर्य है? हरलॉक द्वारा दी गयी विकासात्मक अवस्थाओं की सूची बना कर उन्हें समझाइए।
- प्रश्न- "गर्भकालीन टॉक्सीमिया" को समझाइए।
- प्रश्न- विभिन्न प्रसव प्रक्रियाएँ कौन-सी हैं? किसी एक का वर्णन कीएिज।
- प्रश्न- आर. एच. तत्व को समझाइये।
- प्रश्न- विकासोचित कार्य का अर्थ बताइये। संक्षिप्त में 0-2 वर्ष के बच्चों के विकासोचित कार्य के बारे में बताइये।
- प्रश्न- नवजात शिशु की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन करो।
- प्रश्न- नवजात शिशु की पूर्व अन्तर्क्रिया और संवेदी अनुक्रियाओं का वर्णन कीजिए। वह अपने वाह्य वातावरण से अनुकूलन कैसे स्थापित करता है? समझाइए।
- प्रश्न- क्रियात्मक विकास से आप क्या समझते है? क्रियात्मक विकास का महत्व बताइये |
- प्रश्न- शैशवावस्था तथा स्कूल पूर्व बालकों के शारीरिक एवं क्रियात्मक विकास से आपक्या समझते हैं?
- प्रश्न- शैशवावस्था एवं स्कूल पूर्व बालकों के सामाजिक विकास से आप क्यसमझते हैं?
- प्रश्न- शैशवावस्थ एवं स्कूल पूर्व बालकों के संवेगात्मक विकास के सन्दर्भ में अध्ययन प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- शैशवावस्था क्या है?
- प्रश्न- शैशवावस्था में संवेगात्मक विकास क्या है?
- प्रश्न- शैशवावस्था की विशेषताएं क्या हैं?
- प्रश्न- शैशवावस्था में शिशु की शिक्षा के स्वरूप पर टिप्पणी लिखो।
- प्रश्न- शिशुकाल में शारीरिक विकास किस प्रकार होता है।
- प्रश्न- शैशवावस्था में मानसिक विकास कैसे होता है?
- प्रश्न- शैशवावस्था में गत्यात्मक विकास क्या है?
- प्रश्न- 1-2 वर्ष के बालकों के संज्ञानात्मक विकास के बारे में लिखिए।
- प्रश्न- बालक के भाषा विकास पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- संवेग क्या है? बालकों के संवेगों का महत्व बताइये।
- प्रश्न- बालकों के संवेगों की विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- बालकों के संवेगात्मक व्यवहार को प्रभावित करने वाले कारक कौन-से हैं समझाइये |
- प्रश्न- संज्ञानात्मक विकास से आप क्या समझते है। पियाजे के संज्ञानात्मक विकासात्मक सिद्धान्त को समझाइये।
- प्रश्न- संज्ञानात्मक विकास की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- दो से छ: वर्ष के बच्चों का शारीरिक व माँसपेशियों का विकास किस प्रकार होता है? समझाइये।
- प्रश्न- व्यक्तित्व विकास से आपका क्या तात्पर्य है? बच्चे के व्यक्तित्व विकास को प्रभावित करने वाले कारकों को समझाइए।
- प्रश्न- भाषा पूर्व अभिव्यक्ति के प्रकार बताइये।
- प्रश्न- बाल्यावस्था क्या है?
- प्रश्न- बाल्यावस्था की विशेषताएं बताइयें।
- प्रश्न- पूर्व बाल्यावस्था में खेलों के प्रकार बताइए।
- प्रश्न- पूर्व बाल्यावस्था में बच्चे अपने क्रोध का प्रदर्शन किस प्रकार करते हैं?