बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-1 गृह विज्ञान बीए सेमेस्टर-1 गृह विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 गृहविज्ञान
प्रश्न- “दूध सभी के लिए सम्पूर्ण आहार है।" समझाइए।
अथवा
दूध का पौष्टिक मूल्यांकन कीजिए।
अथवा
दूध का संगठन क्या है? “दूध सम्पूर्ण आहार है। इस कथन पर विचार व्यक्त कीजिए।
अथवा
दूध का पौष्टिक मूल्य क्या है?
अथवा
'दूध एक सम्पूर्ण आहार है। इस कथन की विवेचना कीजिए।
उत्तर-
विभिन्न स्तनधारियों के स्तन ग्रन्थि का स्त्राव ही दूध कहलाता है। दूध एक जटिल रासायनिक पदार्थ है। दूध के द्रव में कुछ पदार्थ घुलनशील अवस्था में, कुछ कोलायडल अवस्था में तथा कुछ पायस की अवस्था में उपस्थित रहते हैं। दूध एक ऐसा आहार है जिसमें लगभग सभी तत्व उपस्थित रहते हैं। सभी तत्वों की उपस्थिति के कारण दूध महत्वपूर्ण आहार माना जाता है। प्रत्येक उम्र के व्यक्तियों के लिए दूध आवश्यक भोजन है।
दूध का संगठन अथवा दूध में पोषक तत्व
जल - दूध में जल का भाग सबसे अधिक होता है। जल की उपस्थिति दूध में 80 से 90% तक रहती है। दूध के जल में विभिन्न दूध के तत्व घुलनशील अवस्था में अथवा इमल्शन या कॉलायड के रूप में उपस्थित रहते हैं।
वसा दूध में 3-4% वसा पायी जाती है। दूध में वसा पायस (Emulsion) के रूप में होने के कारण सुपाच्य रहती है। दूध में लघु श्रृंखला वाले संतृप्त वैसी एसिड उपस्थित रहते हैं। दूध में पामिटिक अम्ल, औलिक अम्ल तथा ब्यूटेरिक वसीय अम्ल उपस्थित रहते हैं।
प्रोटीन दूध में प्रोटीन का भाग 3-4% तक होता है। दूध के नाइट्रोजन युक्त तत्वों में प्रोटीन प्रमुख है। दूध में विभिन्न प्रकार की प्रोटीन उपस्थित रहती है। दूध की प्रोटीन (केसीन) दूध के जल में कॉलाइडल अवस्था में रहती है तथा लैक्टेल्ब्यूमिन व लैक्टोग्लोबिन घुलनशील अवस्था में रहती है।
कार्बोहाइड्रेट दूध में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा 45% होती है। दूध का कार्बोहाइड्रेट लैक्टोज कहलाता है। विभिन्न जानवरों के दूध में लैक्टोज की मात्रा भिन्न-भिन्न होती है। माँ के दूध में लैक्टोज सबसे अधिक उपस्थित होता है। लैक्टोज जल में घुलनशील अवस्था में उपस्थित रहता है।
खनिज तत्व जल जाने की क्रिया में कत्थई भूरे रंग का पदार्थ अवशेष बचता है, वह वास्तव में दूथ का भस्म खनिज तत्व ही है। दूध में कैल्शियम व फास्फोरस खनिज तत्व की मात्रा सबसे अधिक होती है।
एन्जाइम दूध में कुछ एन्जाइम भी पाये जाते हैं। यदि अधिक समय तक बिना गरम किये रखा रहे तो दूध फट जाता है या खट्टा हो जाता है। यह एन्जाइम के कारण होता है।
दूध के रंग कण (Pigments) तथा गैसें दूध में फ्लेविन (flavin) नामक रंग कण उपस्थित रहता है। इसके अतिरिक्त कार्बन, ऑक्सीजन तथा नाइट्रोजन आदि गैसों का समावेश रहता है।
दूध का पोषण मूल्य
दूध से बने भोज्य पदार्थ - दूध से निम्नलिखित भोज्य पदार्थ बनाए जाते हैं -
1. दही दूध को दही के रूप में जमने के लिए कुछ मात्रा में जामन के रूप में दही मिलाया जाता है। इस जामन में लैक्टिक अम्ल तथा लैक्टोबैसिलाई जीवाणु होते हैं। इस जीवाणु के प्रभाव से दुध में उपस्थित लैक्टोज लैक्टिक अम्ल के रूप में बदल जाता है। इस अम्ल के प्रभाव से दूध की प्रोटीन केसीन जम जाती है। इस प्रकार दूध दही का रूप ले लेता है।
दही में नियासिन की मात्रा कुछ कम हो जाती है जबकि राइबोफ्लेविन तथा थायमिन की मात्रा कुछ अधिक हो जाती है। इन परिवर्तनों के कारण ही दही का पाचन दूध की अपेक्षा शीघ्र होता है। दही को मथकर उसमें से मक्खन निकाल लेने पर शेष बचा पदार्थ मट्ठा कहलाता है। मट्ठा भी हल्का तथा सुपाच्य होता है।
2. मक्खन व घी- दही, दूध या क्रीम को धीरे-धीरे मथकर उसका वसा वाला भाग अलग कर मक्खन प्राप्त किया जाता है। यही अलग हुआ वसा वाला भाग मक्खन होता है। मक्खन में वसा की मात्रा 80% व घी में 100% होती है।
मक्खन को गर्म करने पर इसका जल, प्रोटीन तथा खनिज लवण जलकर अलग हो जाते हैं। इस क्रिया के पश्चात् केवल शुद्ध वसा बचती है जिसे घी कहते हैं। घी में विटामिन 'A' होता है। घी से बहुत से व्यंजन तलकर बनाए जाते हैं जो काफी स्वादिष्ट होते हैं तथा उनका ऊर्जा मूल्य भी काफी अधिक होता है।
3. क्रीम- दूध में वसा की पर्याप्त मात्रा होती है। यह वसा दूध में मुख्य रूप से पायस की अवस्था में उपस्थित रहती है। काफी समय तक स्थिर रहने पर दूध की यह वसा एक तह के रूप में दूध के ऊपर एकत्र हो जाती है। यही वसा क्रीम कहलाता है। आइसक्रीम बनाने या केक, पेस्ट्री आदि पर लगाने के लिए क्रीम का उपयोग किया जाता है।
4. छैना - छैना बनाने के लिए दूध उबालकर उसमें कई खटाई (नींबू, साइट्रिक अम्ल) डालकर दूध को फाड़ा जाता है जिससे दूध की केसीन प्रोटीन थक्के के रूप में जम जाती है और पानी अलग हो जाता है। इसे कपड़े से छानने पर पानी छन जाता है और कपड़े में छैना बच जाता है।
छैने में 13-17% प्रोटीन होती है। छैने में केसीन प्रोटीन होती है। लगभग 2% शर्करा होती है। लगभग शर्करा होती है। छैने में 22-24% वसा होती है तथा लगभग 22-24% जल होता है। छैना अत्यधिक पौष्टिक होता है। हीमोग्लोबिन की कमी वाले व्यक्तियों के लिए यह अत्यधिक फायदेमंद होता है।
5. पनीर - यह छैने का परिष्कृत एवं व्यापारिक रूप है पनीर में 28% प्रोटीन तथा 35% वसा होती है। इसके अतिरिक्त कैल्शियम, फॉस्फोरस, जीवन सत्व 'ए', 'बी', तथा 'डी' पर्याप्त मात्रा में पाए जाते है। पनीर बहुत ही पौष्टिक भोज्य पदार्थ है। कम मात्रा में लेने पर भी यह अधिक ऊर्जा, प्रोटीन व कैल्शियम प्रदान करता है। इसका उपयोग इसी रूप में या नमकीन व मीठे व्यंजन बनाने के लिए किया जाता है।
6. मावा या खोया- दूध को लम्बे समय तक आँच पर रखने से उसका जल सूख जाता है तथा बैर्तन में जो गाढ़ा मीठा पदार्थ बचता है उसे खोया या मावा कहते हैं। भारतीय मिठाइयाँ बनाने के लिए यह आधारभूत पदार्थ है। इसमें प्रोटीन, कार्बोज, वसा, जीवन सत्व 'ए' तथा खनिज लवण होते है, यह आसानी से नही पचता है।
दूध एवं उससे बने भोज्य पदार्थों का प्रयोग
1. दूध स्वयं एक सम्पूर्ण आहार है जो हर आयु तथा हर अवस्था के लिए उपयुक्त है। यह मट्ठा, लस्सी आदि पेय पदार्थों के रूप में प्रयुक्त होता है। चाय तथा कॉफी में भी इसका उपयोग किया जाता है।
2. पनीर व खोये से विभिन्न प्रकार की मिठाइयाँ बनाई जाती हैं।
3. पनीर की सब्जी भी बनाई जाती है।
4. दही, मट्ठा से सब्जी, कढ़ी आदि बनाई जाती है।
5. केक, पेस्ट्री बनाने में मक्खन, घी का प्रयोग, आइसिंग में क्रीम का प्रयोग किया जाता है।
6. घी भोजन को गन्ध व स्वाद देता है, ऊर्जा प्राप्ति का साधन है।
"दूध सम्पूर्ण आहार है"
अथवा
विभिन्न अवस्थाओं में दूध की उपयोगिता
दूध एक सर्वउपयोगी आहार है। इसे सर्वोत्तम आहार भी कहा जा सकता है क्योंकि इसमें शरीर के लिए आवश्यक लगभग सभी तत्व उचित मात्रा में उपस्थित रहते हैं।
जन्म के बाद पूर्ण बाल्यावस्था में दूध का विशेष महत्व है। पाचन क्रिया कमजोर होने के कारण शिशु अन्य कोई ठोस आहार नहीं ले पाता है। उसके शरीर में तेजी से वृद्धि होने के कारण उसे उच्च प्रोटीन, खनिज तत्वों युक्त द्रव आहार आवश्यक होता है। उसको सुपाच्य ऊर्जा देने वाले तथा सुरक्षात्मक तत्वों की भी आवश्यकता होती है। यह सभी तत्व उसे दूध द्वारा मिल पाते हैं। माँ का दूध पीने से शिशु को माँ के शरीर की एण्टीबाडीज भी प्राप्त होते हैं।
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- प्रश्न- विटामिन K की कमी से होने वाले रोगों का वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- आयोडीन के बारे में अति संक्षेप में बताइए।
- प्रश्न- आयोडीन के कार्य अति संक्षेप में बताइए।
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- प्रश्न . विकास एवं वृद्धि से आप क्या समझते हैं? विकास में होने वाले प्रमुख परिवर्तन कौन-कौन से हैं?
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- प्रश्न- पूर्व-बाल्या अवस्था में क्रियात्मक विकास से आप क्या समझते हैं?
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- प्रश्न- बाल मनोविज्ञान एवं मानव विकास में क्या अन्तर है?
- प्रश्न- वृद्धि एवं विकास में क्या अन्तर है?
- प्रश्न- गर्भकालीन विकास की विभिन्न अवस्थाएँ कौन-सी हैं? समझाइए।
- प्रश्न- गर्भकालीन विकास को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारक कौन से है। विस्तार में समझाइए |
- प्रश्न- गर्भाधान तथा निषेचन की प्रक्रिया को स्पष्ट करते हुए भ्रूण विकास की प्रमुख अवस्थाओं का वर्णन कीजिए।.
- प्रश्न- गर्भावस्था के प्रमुख लक्षणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- प्रसव कितने प्रकार के होते हैं?
- प्रश्न- विकासात्मक अवस्थाओं से क्या आशर्य है? हरलॉक द्वारा दी गयी विकासात्मक अवस्थाओं की सूची बना कर उन्हें समझाइए।
- प्रश्न- "गर्भकालीन टॉक्सीमिया" को समझाइए।
- प्रश्न- विभिन्न प्रसव प्रक्रियाएँ कौन-सी हैं? किसी एक का वर्णन कीएिज।
- प्रश्न- आर. एच. तत्व को समझाइये।
- प्रश्न- विकासोचित कार्य का अर्थ बताइये। संक्षिप्त में 0-2 वर्ष के बच्चों के विकासोचित कार्य के बारे में बताइये।
- प्रश्न- नवजात शिशु की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन करो।
- प्रश्न- नवजात शिशु की पूर्व अन्तर्क्रिया और संवेदी अनुक्रियाओं का वर्णन कीजिए। वह अपने वाह्य वातावरण से अनुकूलन कैसे स्थापित करता है? समझाइए।
- प्रश्न- क्रियात्मक विकास से आप क्या समझते है? क्रियात्मक विकास का महत्व बताइये |
- प्रश्न- शैशवावस्था तथा स्कूल पूर्व बालकों के शारीरिक एवं क्रियात्मक विकास से आपक्या समझते हैं?
- प्रश्न- शैशवावस्था एवं स्कूल पूर्व बालकों के सामाजिक विकास से आप क्यसमझते हैं?
- प्रश्न- शैशवावस्थ एवं स्कूल पूर्व बालकों के संवेगात्मक विकास के सन्दर्भ में अध्ययन प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- शैशवावस्था क्या है?
- प्रश्न- शैशवावस्था में संवेगात्मक विकास क्या है?
- प्रश्न- शैशवावस्था की विशेषताएं क्या हैं?
- प्रश्न- शैशवावस्था में शिशु की शिक्षा के स्वरूप पर टिप्पणी लिखो।
- प्रश्न- शिशुकाल में शारीरिक विकास किस प्रकार होता है।
- प्रश्न- शैशवावस्था में मानसिक विकास कैसे होता है?
- प्रश्न- शैशवावस्था में गत्यात्मक विकास क्या है?
- प्रश्न- 1-2 वर्ष के बालकों के संज्ञानात्मक विकास के बारे में लिखिए।
- प्रश्न- बालक के भाषा विकास पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- संवेग क्या है? बालकों के संवेगों का महत्व बताइये।
- प्रश्न- बालकों के संवेगों की विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- बालकों के संवेगात्मक व्यवहार को प्रभावित करने वाले कारक कौन-से हैं समझाइये |
- प्रश्न- संज्ञानात्मक विकास से आप क्या समझते है। पियाजे के संज्ञानात्मक विकासात्मक सिद्धान्त को समझाइये।
- प्रश्न- संज्ञानात्मक विकास की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- दो से छ: वर्ष के बच्चों का शारीरिक व माँसपेशियों का विकास किस प्रकार होता है? समझाइये।
- प्रश्न- व्यक्तित्व विकास से आपका क्या तात्पर्य है? बच्चे के व्यक्तित्व विकास को प्रभावित करने वाले कारकों को समझाइए।
- प्रश्न- भाषा पूर्व अभिव्यक्ति के प्रकार बताइये।
- प्रश्न- बाल्यावस्था क्या है?
- प्रश्न- बाल्यावस्था की विशेषताएं बताइयें।
- प्रश्न- पूर्व बाल्यावस्था में खेलों के प्रकार बताइए।
- प्रश्न- पूर्व बाल्यावस्था में बच्चे अपने क्रोध का प्रदर्शन किस प्रकार करते हैं?