बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-1 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन बीए सेमेस्टर-1 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययनसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 रक्षा एवं सैन्य अध्ययन
प्रश्न- युद्ध कौशलात्मक भूगोल से आप क्या समझते हैं? सैन्य दृष्टि से इसका अध्ययन क्यों आवश्यक है?
अथवा
युद्ध कौशलात्मक भूगोल अथवा भू-स्त्रातेजिक (Geostrategy) का अर्थ स्पष्ट करते हुए सुरक्षा सेनाओं को प्रभावित करने वाले भौगोलिक तत्वों का उल्लेख कीजिए?
अथवा
वर्तमान के सन्दर्भ में भू-स्त्रातेजीक महत्व को समझाइए।
उत्तर :
भू-युद्ध कौशल
(Geostrategy)
अर्थ एवं परिभाषायें ज्योस्त्रात्जी (Geostrategy) शब्द का यदि संधि-विच्छेद किया जाय तो इसका अर्थ स्पष्ट हो जाता है 'Geostrategy' दो शब्द से मिलकर बना है, प्रथम 'Geo' जिसका अर्थ है 'भू' (earth) और द्वितीय है (strategy) अर्थात् युद्ध कौशल (Art of war)। जब किसी देश के भूगोल का अध्ययन युद्ध कौशलात्मक दृष्टिकोण से करते हैं तो इसे युद्ध कौशलात्मक भूगोल कहते हैं। युद्ध कौशलात्मक भूगोल को यदि सैन्य भूगोल (Military Geography) मान कर भौगोलिक कारकों का सुरक्षा के सन्दर्भ में अध्ययन किया जाय तो यह अनुचित नहीं होगा।
भू-युद्ध कौशल का कार्य किसी प्रदेश का भौगोलिक तत्वों का सैनिक दृष्टि से सर्वेक्षण करना होता है, क्योंकि इन्हीं भौगोलिक वास्तविकताओं से सैन्य युक्तियों के निर्माण में सहायता प्राप्त होती है।
संक्षेप में हम यह कह सकते हैं कि "किसी देश के भूगोल का कूटयोजनात्मक दृष्टि से अध्ययन ही युद्ध कौशलात्मक भूगोल है।
सुरक्षा सेनाओं को प्रभावित करने वाले भौगोलिक तत्व- किसी देश की भौगोलिकता का उस देश की सुरक्षा सेनाओं पर गहरा प्रभाव पड़ता है। भूगोल के अन्तर्गत वे तत्व आते हैं, जो किसी राष्ट्र की सुरक्षा सेनाओं, तथा उस राष्ट्र की सुरक्षा, एवं रक्षा को प्रभावित करते हैं।
भू-स्त्रातेजीक तत्व एवं महत्व
1. क्षेत्रीय विस्तार (Area Development)- किसी भी राष्ट्र की सुरक्षा बहुत हद तक उस राष्ट्र के क्षेत्रीय विस्तार पर निर्भर करती है क्योकि सेनाओं का दीर्घ पैमाने पर विकास तभी संभव है जब किसी राष्ट्र की सीमा काफी विस्तृत हो। जिस राष्ट्र का क्षेत्रीय विस्तार अधिक होता है वह शत्रु के आक्रमण को पीछे हटकर बढ़ने के लिए अवसर दे सकता है। लेकिन जिस देश का क्षेत्रफल छोटा व सकुंचित है उसे पीछे हटने के लिए स्थान नहीं रहता। इसलिए विस्तृत क्षेत्र वाले राष्ट्र सुरक्षात्मक (Defensive) और संकुचित क्षेत्र वाले राष्ट्र का आक्रामक (Offeusive) होना आवश्यक है।
2. स्थलाकृति (Topography) किसी राष्ट्र की स्थलाकृति अर्थात् धरातलीय रचना की भी उस राष्ट्र सुरक्षा पर प्रभाव पड़ता है। जिस प्रकार का धरातल होगा उसी के अनुसार सेनाओं का आकार होगा साथ ही साथ युद्ध कला भी धरातलीय रचना पर आधारित होती है। एक राष्ट्र की ऊबड़-खाबड़ भूमि समतल मैदान, पठारी भूमि या मरुस्थलीय क्षेत्र सेनाओं को किसी न किसी रूप में प्रभावित करते हैं। जब प्राकृतिक रुकावटें किसी राष्ट्र की सीमान्तों पर होती है तब उनसे राष्ट्र की सैनिक शक्ति बढ़ाने में मदद मिलती है।
3. सीमाएँ (Frontiers ) - जिस प्रकार एक किले की सुरक्षा के लिए उसकी चाहरदीवारी को मजबूत होना आवश्यक है, उसी तरह एक राष्ट्र की सीमाओं का सुरक्षित एवं अभेध होना अति आवश्यक है। ये प्राकृतिक सीमायें दो प्रकार की हो सकती है। प्रथम स्थलीय सीमायें (Land Froutiers) और दूसरी जलीय सीमायें (Sea Froutiers) स्थलीय सीमा के विचार से यदि भारत के मानचित्र पर दृष्टि डाली जाय तो उत्तरी सीमा, उत्तरी-पश्चिमी, उत्तरी-पूर्वी सीमा सम्पूर्ण स्थलीय सीमा का स्वरूप प्रस्तुत करती है। उत्तरी क्षेत्र में हिमालय पर्वत काफी विस्तृत क्षेत्र में फैलकर भारत की सुरक्षा करता है।
4. जलवायु (Climate) जलवायु भी एक प्रकार का प्रमुख तत्व हैं, जिसके महत्व को नजरअन्दाज नहीं किया जा सकता। जलवायु का भी सेना पर सीधा प्रभाव पड़ता है। जलवायु सम्बन्धी तत्वों में वायु, पानी तापमान का सैनिकों के ऊपर बड़ा अधिक प्रभाव पड़ता है। ठण्डे मौसम में सैनिकों को गरम कपड़ों की आवश्यकता होती है तथा उन्हें खुद को उसी मौसम के अनुरूप ढालना पड़ता है।
5. पेयजल (Drinking water) - नदियों, झीलों और नालों का भी सैनिकों के लिए विशेष महत्व होता है, नदियाँ, झील व झरने सैनिकों को पेयजल प्रदान करती है। रेगिस्तानी युद्ध-क्षेत्र में पेयजल के अभाव में सैनिक जल्दी थक जाते हैं और उसके मनोबल पर ह्रास होने लगता है। इसलिए पेयजल भी सुरक्षा सेनाओं को प्रभावित करने वाला अत्यंन्त महत्वपूर्ण तत्व है।
6. प्राकृतिक वनस्पति (Vegetation) - किसी क्षेत्र की प्राकृतिक वनस्पति का भी सैनिक महत्व है। वनस्पतियों से सेनाओं को खाद्य सामाग्री तो मिलती है, परन्तु इसके अतिरिक्त सेनाओं के
लिए प्राकृतिक छिपाव ( Concealment) प्रस्तुत करने में भी प्राकृतिक वनस्पति का महत्वपूर्ण स्थान है। जंगल, झाड़ियाँ, रबी फसल, व चारागाहों में छिपकर सैनिक सुरक्षा का रूप धारण करते हैं क्योंकि ये सभी वनस्पति सम्बन्धी अवयव 'शत्रु' की दृष्टि से छिपाव (Couer Preuiew) प्रस्ततु करते हैं।
7. कच्चा माल एवं रक्षा उद्योग (Raw Materials and Defence Industries) सैनिकों के साज-सामान निर्माण हेतु राष्ट्र में कच्चे माल एवं उप पर आधारित उद्योग-धन्धों का होना अति आवश्यक है। कपास, जूट इत्यादि ऐसे पदार्थ है। जिनसे सैनिकों के कपड़े, तम्बू, इत्यादि बनते हैं।
8. यातायात के साधन (Means of Transport) सैनिकों के लिए साज-सामान, खाद्य सामग्री, वर्दी तथा शास्त्रास्त्र आदि की सप्लाई के लिए उपयुक्त प्रकार के साधन होना आवश्यक है। यातायात के साधन सेना को जीवन प्रदान करते हैं। जिस प्रकार मानव शरीर में रक्त धमनियाँ कार्य करना बन्द कर दें तो मनुष्य अपने आप निष्क्रिय हो जाता है, उसी प्रकार यदि यातायात के साधन कार्य करना बन्द कर दें तो राष्ट्र या प्रदेश बेकार हो जाता है।
9. जनशक्ति (Man Power) - युद्ध में विजय मनुष्यों द्वारा ही प्राप्त होती हैं। यद्यपि युद्ध आधुनिक युद्ध शस्त्रों से लड़े जाते हैं, लेकिन उन्हें जीतने का श्रेय मनुष्यों को ही है। जिस देश की मानव-शक्ति प्रबल है, वह अन्य साधनों की कमी होते हुए भी युद्ध में विजय प्राप्त कर सकता है। चीन पास विश्व की सबसे अधिक जनशक्ति है जिससे वह मानसिक दहल (shock) उत्पन्न प्रदान कर सकता है। भारत के पास भी काफी जनशक्ति है जो उसे सुरक्षा प्रदान कर सकती है।
निष्कर्ष - उपयुक्त तथ्यों यह पूर्णतः स्पष्ट हो गया है कि सामान्य रूप से भौगोलिक तत्वों का किसी राष्ट्र सेना तथा प्रतिरक्षा व्यवस्था में महत्वपूर्ण हाथ होता है। इन्हीं भौगोलिक तत्वों के आधार पर नवीन कूट योजनाए निर्धारित की जा सकती है। सारांश यह है कि आधुनिक युद्धों में भले ही उच्च कोटि के शस्त्रों का निर्माण कर लिया जाय परन्तु एक सेना बिना भौगोलिक ज्ञान के युद्ध में विजय प्राप्त नहीं कर सकती। सभी भौगोलिक तत्व जो उपयुक्त वर्णित किये जाते हैं। एक राष्ट्र की सुरक्षा सेनाओं के लिए सैनिक भूगोल का अध्ययन अति आवश्यक है।
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- प्रश्न- युद्ध कौशलात्मक भूगोल से आप क्या समझते हैं? सैन्य दृष्टि से इसका अध्ययन क्यों आवश्यक है?
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- प्रश्न- युद्ध और शान्ति में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
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- प्रश्न- राजदूतों के कर्तव्यों का विशेष उल्लेख करते हुए प्राचीन भारत की युद्ध कूटनीति पर एक निबन्ध लिखिये।
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- प्रश्न- महाकाव्यों के काल में युद्धों के वास्तविक कारण क्या होते थे?
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- प्रश्न- महाकाव्यकालीन युद्ध के प्रकार एवं नियमों की विवेचना कीजिए।
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- प्रश्न- प्राचीन भारतीय सेना के युद्ध के नियमों को बताइये।
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- प्रश्न- युद्धों के सिद्धान्तों में प्रशासन (Administration) का क्या महत्व है?
- प्रश्न- नीति के साधन के रूप में युद्ध के प्रयोग पर सविस्तार एक लेख लिखिए।
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- प्रश्न- प्रचार एवं अफवाह में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
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- प्रश्न- आर्थिक युद्ध की परिभाषा दीजिए। आर्थिक युद्ध कर्म पर एक निबन्ध लिखिए।
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- प्रश्न- आर्थिक क्षमता से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- आधुनिक युद्ध में आर्थिक व्यवस्था का महत्व बताइये।
- प्रश्न- युद्ध को प्रभावित करने वाले तत्वों में से प्राकृतिक संसाधन पर प्रकाश डालिए।
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- प्रश्न- युद्ध की आर्थिक समस्यायें लिखिए?
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- प्रश्न- आणविक भयादोहन पर एक निबन्ध लिखिये।
- प्रश्न- परमाणु भयादोहन और रक्षा के सन्दर्भ में निम्नलिखित सैन्य विचारकों के विचार लिखिए। (i) आन्द्रे ब्यूफ्रे (Andre Beaufre), (ii) वाई. हरकाबी (Y. Harkabi), (iii) लिडिल हार्ट (Liddle Hart), (iv) हेनरी किसिंजर (Henery Kissinger) |
- प्रश्न- परमाणु युग में सशस्त्र सेनाओं की भूमिका की विस्तृत समीक्षा कीजिए।
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- प्रश्न- परमाणविक युद्ध की प्रकृति एवं विशिष्टताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- आणविक शीत से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- नाभिकीय तनाव को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- परमाणु बम का प्रथम बार प्रयोग कब और कहाँ हुआ?
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- प्रश्न- व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबन्ध सन्धि (C.T.B.T) से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- हरकावी के नाभिकीय भय निवारण- सिद्धान्त का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- आणविक युग पर प्रकाश डालिए।
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- प्रश्न- जनसंहारक अस्त्र (WMD) क्या है?
- प्रश्न- रासायनिक एवं जैविक युद्ध के प्रमुख आयामों पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- विश्व में स्थापित विभिन्न उद्योगों में रासायनिक गैसों के उपयोग एवं दुष्प्रभाव परप्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रमुख रासायनिक हथियारों के नाम एवं प्रभाव लिखिए।