बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-1 प्राचीन भारतीय इतिहास बीए सेमेस्टर-1 प्राचीन भारतीय इतिहाससरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 प्राचीन भारतीय इतिहास
प्रश्न- विवाह संस्कार से सम्पादित कृतियों का वर्णन कीजिए तथा महत्व की व्याख्या कीजिए।
अथवा
आश्रम व्यवस्था प्राचीन भारतीय सामाजिक व्यवस्था की एक निराली व्यवस्था थी, विवेचना कीजिए।
अथवा
प्राचीन वैदिक काल में स्त्रियों की दशा पर प्रकाश डालिए।
सम्बन्धित लघु प्रश्न
1. निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए -
(a) उत्तर वैदिक काल की राजनैतिक व्यवस्था।
(b) उत्तर वैदिक कालीन आश्रम व्यवस्था।
(c) उत्तर वैदिक कालीन आर्थिक व्यवस्था।
(d) उत्तर वैदिक कालीन धर्म तथा दर्शन।
उत्तर -
उत्तर वैदिक काल की सभ्यता का ज्ञान हमें इस काल में रचे ग्रन्थों से होता है। ये ग्रन्थ सामवेद, यजुर्वेद, अथर्ववेद की तीन संहितायें, ब्राह्मण ग्रन्थ, आरण्यक और उपनिषद् हैं। सामवेद के सूक्तों को उद्गाम नाम के पुरोहित गाते थे, यजुर्वेद में बहुत से सूक्त ऋग्वेद और सामवेद से लिखे गये हैं। इतिहास की दृष्टि से सबसे महत्वपूर्ण अथर्ववेद हैं, जिसमें 29 खण्ड हैं।
राजनैतिक व्यवस्था
(Political System)
भौगोलिक सीमा विस्तार :
ऋग्वैदिक काल की सभ्यता केवल पंजाब तक ही सीमित थी। उत्तर वैदिक काल में आर्य भारत के अधिकांश भाग पर अपना अधिकार कर चुके थे, उत्तर वैदिक काल की सभ्यता का मुख्य केन्द्र कुरुक्षेत्र था, मध्य प्रदेश में भी उत्तर वैदिक काल की सभ्यता फूली फली थी। ब्राह्मणों और उपनिषदों से इस काल के उत्तर भारत में कुछ अन्य राज्यों का भी पता चलता है। ये निम्नलिखित हैं-
1. गान्धार : यह राज्य पश्चिमी पंजाब के रावलपिंडी और उत्तर पश्चिमी सीमान्त प्रदेश के पेशावर जिलों में स्थित था। इसके दो प्रसिद्ध नगल तक्षशिला और पुष्कामावती थे।
2. केकय यह गान्धार राज्य के पूर्व में व्यास नदी तक फैला हुआ था। जनक के समय में इस राज्य का राजा अश्वपति था।
3. भद्र : इस राज्य के तीन भाग थे, उत्तर भद्र सम्भवतः काश्मीर में पूर्वी भद्र कांगड़ा के निकट और दक्षिण भद्र अमृतसर तक फैला था।
4. उशीनर : यह सम्भवतः उत्तर प्रदेश के उत्तरी भाग में था।
5. मतस्य इसमें अलवर, जयपुर और भरतपुर के निकटवर्ती प्रदेश सम्मिलित थे। जनक के समय में पांचाल का प्रसिद्ध राजा प्रवाहण - जैवलि था।
6. काशी : इस राज्य की राजधानी वाराणसी थी। जनक के समय यहाँ अजातशत्रु नाम का राजा राज्य करता था।
7. कोसल यह राज्य अवध में स्थित था, इसके पूर्व में विदेह का राज्य था, सम्भवतः अयोध्या इसकी राजधानी थी।
इस काल के अन्तिम दिनों तक आर्य लोग विन्ध्याचल को पार करके नर्मदा नदी के दक्षिण में गोदावरी तक फैल गये थे। यहाँ आर्य तथा अनार्यों के अनेक राज्य थे।
1. विदर्भ : आधुनिक बरार के आस-पास का प्रदेश था, यहाँ के राजा भोज कहलाते थे। उपनिषदों में विदर्भ के कई ऋषियों के नाम आते हैं।
2. कलिंग : बौद्ध तथा जैन ग्रन्थों में इस राज्य का अधिक उल्लेख हुआ।
3. अश्मक: यह राज्य गोदावरी के तट पर था, इसकी राजधानी पोतन थी।
4. दण्डक : इस राज्य के राजा भोज थे, इनकी प्रजा सत्वत कहलाई थी। इन संगठित राज्यों के अतिरिक्त आन्ध्र, शकर, पुलिन्द आदि राज्य भी थे।
राजा का उद्भव :
उत्तर वैदिक काल में साम्राज्यवाद का भी विकास हुआ। 'अधिराज', 'राजाधिराज। 'एकराट', 'सम्राट', 'विराट और 'स्वराज्य' आदि शब्दों के प्रयोग से उक्त तथ्य की पुष्टि होती है। राजसूय यज्ञ के द्वारा ही राजा बनता था, इसकी पुष्टि ऐतरेय ब्राह्मणं से होती है।
राजा के कार्य :
राजा के कार्यों में विजय करना सभी प्रदेशों की खोज करना अपनी श्रेष्ठता स्थापित करना, सर्वोच्ता और प्रसिद्धि करना, राज्य, साम्राज्य और स्वामित्व प्राप्त करना, सभी प्रदेशों का शासक बनना और समुद्र तक पृथ्वी का एकमात्र प्रभु बनना था।
राजा के दैवी अधिकार
इस समय यह धारणा प्रचलित थी कि राजा दैव की कृपा से बनता था। अतः दैवी सिद्धान्त का प्रचलन था। अंतः एक स्थान पर राजा पुरु से यह कहता है- 'मैं इन्द्र हूँ मैं वरुण हूँ, ब्राह्मण काल में यह धारणा बलवती हो गयी थी कि अश्वमेघ तथा वाजपेय यज्ञों को करने से राजा देव समान हो जाता है।
राज्याभिषेक :
राज्याभिषेक के बाद राजा गद्दी पर बैठता था। इस अवसर पर उत्तराधिकारी अपने मंत्रियों की पूजा करता था और वह प्रतिज्ञा करता था कि वह मन, वचन तथा कर्म से पृथ्वी तथा धर्म का पालन करेगा और शास्त्र के अनुसार शासन करेगा।
मंत्री :
राजा अपने मंत्रियों पर निर्भर रहता था, इन्हें रत्निन भी कहा जाता था। रत्निन को राजा के मुकुट का रत्न कहा गया है, उन्हें राजा बनाने को पूर्ण अधिकार था।
सभा और समिति : राजा के कार्यों एवं निरंकुशता पर नजर रखने के लिए सभा और समिति को बनाया गया था, विद्वानों का मत है कि जहाँ यह जाते थे वहाँ लोग उन्हें ज्ञान प्राप्त करने हेतु घेर लिया करते थे। उद्दालक और आरुणि इस प्रकार के 'चरक' थे।
सामाजिक दशा
स्त्रियों की शिक्षा इस काल में ऋग्वैदिक काल की भाँति स्त्रियों को उच्च स्थान प्राप्त था और इस काल में स्त्रियों की शिक्षा का समुचित प्रबन्ध था, फिर भी इस काल में गार्गी, मैत्रेयी आदि विदुषी महिलाओं का उल्लेख प्राप्त होता है।
(अ) ब्रह्मचर्य आश्रम : लड़कों की भाँति कन्याओं के लिए ब्रह्मचर्य आश्रम का उल्लेख प्राप्त होता है। इस अनुशीलन के बाद उनका विवाह होता था।
(ब) संगीत शिक्षा : तैत्तिरीय संहिता के अनुसार स्त्रियों को संगीत की शिक्षा प्रदान की जाती थी और स्त्रियाँ इसमें रुचि लेती थीं। शतपथ ब्राह्मण में सामवेद गान स्त्रियों का विशिष्ट कार्य बतलाया गया है।
(स) घरेलू शिक्षा : उत्तर वैदिक काल में घरेलू शिक्षा पर अधिक जोर दिया जाता था। गृहस्थ जीवन बिताना व भोजन बनाना इनका प्रमुख कार्य था, स्त्रियाँ घर में सूत ऊन की कताई बुनाई काम भी प्रमुखतया से करती थीं।
ब्राह्मण:
इस युग में ब्राह्मणों में सम्पूर्ण शक्तियाँ विद्यमान थीं, वे एक मात्र शिक्षा के प्रचारक थे, वे विद्याव्यसनी होने से भारत समाज में पूज्य थे, परन्तु इस काल में केवल ब्राह्मण होना ही विद्वान होने की कसौटी नहीं था, वरन् विद्या का ज्ञान प्राप्त कर उसे बिखेरना ही उसकी योग्य ऋषि की कसौटी थी, क्योंकि इस काल में ब्राह्मणों के अतिरिक्त क्षत्रिय राजा हुए, जिन्होंने विद्याभ्यास द्वारा ही विद्वता प्राप्त की।
क्षत्रिय :
इस काल में क्षत्रियों की महानता में उत्तरोत्तर वृद्धि हो रही थी। यदि ब्राह्मणों के महत्व का कारण धार्मिक था, तो क्षत्रियों के महत्व का कारण राजनैतिक था। यह अपने से नीचे के वर्ण की कन्या से विवाह कर सकते थे पर बनाये रहने के लिए ऐसा वे नहीं करते थे।
वैश्य :
पुरुष सूक्त में वैश्य शब्द का प्रयोग किया गया है। वैश्यों का कार्य होता खेती करना और पेट पालने में सहायता करना, लेकिन इस काल में वैश्यों की असंख्य उपजातियाँ बन गयीं और इन्होंने अनेक प्रकार के व्यापारों को अपना लिया था।
शूद्र :
शूद्र ब्राह्मणों और क्षत्रियों एवं वैश्यों के सेवक थे, इन्हें इच्छानुसार देश से निकाला जा सकता था और उनकी हत्या भी की जा सकती थी। शूद्रों की उत्पत्ति आदि पुरुष से हुई है, अथर्ववेद में एक स्थान पर यह प्रार्थना की गयी मुझे ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र सभी का प्रिय बनाओ। फिर भी इस काल में शूद्रों को उच्च स्थान प्राप्त न था।
आश्रम व्यवस्था
(Ashram System :
ऋग्वैदिक काल की भाँति इस युग में मानव जीवन को नियमित करने हेतु चार आश्रमों में बाँटा गया था ताकि वह अपने जीवन को यम-नियम में व्यतीत करता हुआ मोक्ष को प्राप्त कर सके।
मनुष्य की आयु 100 वर्ष निश्चित की गयी थी, इसके अनुसार आश्रमों का वर्गीकरण निम्न प्रकार से किया गया था -
क्रम | आश्रम | अवधि |
1. | ब्रह्मचर्य आश्रम | जन्म से 25 वर्ष तक |
2. | गृहस्थ आश्रम | 26 से 50 वर्ष तक |
3. | वानप्रस्थ आश्रम | 51 से 75 वर्ष तक |
4. | संन्यास आश्रम | 76 से 100 वर्ष तक |
विवाह :
विवाह इस काल में भी एक पवित्र बन्धन माना जाता था, जिसका मुख्य उद्देश्य सन्तान उत्पन्न करना था। इस काल में आठ प्रकार के विवाह प्रचलित थे -
1. ब्रह्म विवाह : जिसमें पिता की इच्छा से अपनी पुत्री का विवाह उपयुक्त व्यक्ति से पुरोहित की सहायता से करता था।
2. दैव विवाह : यह भी ब्रह्म विवाह की तरह पुरोहित से सम्पन्न होता था।
3. आर्ष विवाह : इसमें पिता वर पक्ष की आर्थिक सहायता में गाय, बैल उपहार करता था।
4. प्रजापति विवाह : इसमें पिता-पुत्री द्वारा स्वेच्छा से किये गये विवाह को सम्पादित करता था। इसमें सप्तपदी का विशेष था।
5. गन्धर्व विवाह : इसमें लड़का तथा लड़की स्वेच्छा से प्रेम विवाह करते थे।
6. असुर विवाह : जिसमें लड़का पक्ष धन देकर लड़की से विवाह करता था।
7. राक्षस विवाह : पुरुष स्त्री को जबरदस्ती उठाकर ले जाता था और उससे विवाह करता था।
8. पिशाच विवाह : जिसमें पुरुष स्त्री को धोखा देकर अथवा उसकी न जानकारी में उसे उठाकर ले जाता था और उससे विवाह कर लेता था, परन्तु ऐसा विवाह समाज में स्वीकृत नहीं था।
स्त्रियों की स्थिति
शतपथ ब्राह्मण में स्त्री को पुरुष की अर्धाङ्गिनी कहा गया है, गार्गी, मैत्रेयी जैसी विदुषी स्त्रियाँ इस काल में हुईं जिन्होंने वैदिक संहिताओं की रचना में सहयोग दिया। स्त्रियों को विशेष सुविधा प्राप्त थी, धर्म सूत्रों ने स्मृतियों की तुलना में स्त्रियों के प्रति अधिक उदार दृष्टिकोण अपनाया था जैसे कि धर्मसूत्र में पत्नी को किसी भी स्थिति में क्याज्य नहीं माना गया है। व्याभिचारिणी पत्नी को प्रायश्चित करके पति स्वीकार कर सकता था।
शिक्षा :
शिक्षा का आरम्भ उपनयन संस्कार से होता था। राज्य की ओर से शिक्षा का प्रबन्ध न था अपितु गुरु अपने घरों अथवा आश्रमों में निःशुल्क शिक्षा प्रदान करते थे। विद्यार्थियों को गुरु के पास ही रहना पड़ता था, वे प्रत्येक प्रकार से गुरु की आज्ञा का पालन करते थे, उनकी सेवा करते थे, भिक्षा माँग कर लाते थे और शिक्षा समाप्त होने पर गुरु को स्वेच्छा से दक्षिणा देते थे।
आर्थिक व्यवस्था :
इस काल में आर्यों के जीवन में पर्याप्त प्रगति हो गयी, जिसके कारण बडे-बडे नगरों का निर्माण सम्भव हो सका, इस काल में मुख्य व्यवसाय कृषि हो गया। 24 बैलों के हल में जोड़ने के उदाहरण प्राप्त होते हैं, हल लोहे के बनते थे।
व्यापार
इस काल में विदेशी व्यापार तथा समुद्री यात्रायें होती थीं। इसमें सन्देह नहीं किया जा सकता है, श्रेष्ठिन शब्द के बार-बार प्रयोग से यह अनुमान किया जाता है।
धर्म तथा दर्शन :
उत्तर वैदिक काल में धर्म और दर्शन में महत्वपूर्ण प्रगति हुई। यह कहा गया है कि उत्तर वैदिक काल का महान कार्य हिन्दू धर्म का संगठन।
आरण्यक ग्रन्थ :
कर्मकाण्ड, यज्ञ और बलि से विरक्त होकर तप का विचार भी इस काल में उक्पन्न हुआ, मूलतः आरण्यकों ने तप के विचार का प्रतिपादन किया। आरण्यकों ने तप मार्ग पर बल देकर ज्ञान मार्ग के लिए आधार तैयार किया।
उपनिषद् :
ज्ञान मार्ग का प्रतिपादन उपनिषदों ने किया, सप्त ज्ञान के द्वारा ही ब्रह्म तथा मोक्ष की प्राप्ति सम्भव है। यह उपनिषदों ने बताया है, उपनिषदों में कहा गया है कि 'संसार ब्रह्म है, आत्मा है।'
मोक्ष का सिद्धान्त :
ब्रह्म, मोक्ष, पुनर्जन्म और कर्म सिद्धान्त के विचारों की उत्पत्ति भी इस काल में हुई। ब्रह्म अथवा परमात्मा एक है और उसे प्राप्त करना अथवा मोक्ष प्राप्त करना जीवन का सबसे प्रमुख आदर्श है। यह विचार इसी काल में परिपक्व हुए।
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- प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास को समझने हेतु उपयोगी स्रोतों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारत के इतिहास को जानने में विदेशी यात्रियों / लेखकों के विवरण की क्या भूमिका है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- पुरातत्व के विषय में बताइए। पुरातत्व के अन्य उप-विषयों व उसके उद्देश्य व सिद्धान्तों से अवगत कराइये।
- प्रश्न- पुरातत्व विज्ञान की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- भास की कृति "स्वप्नवासवदत्ता" पर एक लेख लिखिए।
- प्रश्न- 'फाह्यान पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
- प्रश्न- दारा प्रथम तथा उसके तीन महत्वपूर्ण अभिलेख के विषय में बताइए।
- प्रश्न- आपके विषय का पूरा नाम क्या है? आपके इस प्रश्नपत्र का क्या नाम है?
- प्रश्न- पुरातत्व विज्ञान के अध्ययन की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- शिलालेख, पुरातन के अध्ययन में किस प्रकार सहायक होते हैं?
- प्रश्न- न्यूमिजमाटिक्स की उपयोगिता को बताइए।
- प्रश्न- पुरातत्व स्मारक के महत्वपूर्ण कार्यों पर प्रकाश डालिए
- प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता के विषय में आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता के सामाजिक व्यवस्था व आर्थिक जीवन का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सिन्धु नदी घाटी के समाज के धार्मिक व्यवस्था की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता की राजनीतिक व्यवस्था एवं कला का विस्तार पूर्वक वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के नामकरण और उसके भौगोलिक विस्तार की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता की नगर योजना का विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- हड़प्पा सभ्यता के नगरों के नगर- विन्यास पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- हड़प्पा संस्कृति की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सिन्धु घाटी के लोगों की शारीरिक विशेषताओं का संक्षिप्त मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- पाषाण प्रौद्योगिकी पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के सामाजिक संगठन पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- सिंधु सभ्यता के कला और धर्म पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- सिंधु सभ्यता के व्यापार का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सिंधु सभ्यता की लिपि पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता में शिवोपासना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सैन्धव धर्म में स्वस्तिक पूजा के विषय में बताइये।
- प्रश्न- ऋग्वैदिक अथवा पूर्व वैदिक काल की सभ्यता और संस्कृति के बारे में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- विवाह संस्कार से सम्पादित कृतियों का वर्णन कीजिए तथा महत्व की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक काल के प्रमुख देवताओं का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- ऋग्वेद में सोम देवता का महत्व बताइये।
- प्रश्न- वैदिक संस्कृति में इन्द्र के बारे में बताइये।
- प्रश्न- वेदों में संध्या एवं ऊषा के विषय में बताइये।
- प्रश्न- प्राचीन भारत में जल की पूजा के विषय में बताइये।
- प्रश्न- वरुण देवता का महत्व बताइए।
- प्रश्न- वैदिक काल में यज्ञ का महत्व बताइए।
- प्रश्न- पंच महायज्ञ' पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- वैदिक देवता द्यौस और वरुण पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- वैदिक यज्ञों की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक देवता इन्द्र के विषय में लिखिए।
- प्रश्न- वैदिक यज्ञों के सम्पादन में अग्नि के महत्त्व को व्याख्यायित कीजिए।
- प्रश्न- उत्तरवैदिक कालीन धार्मिक विश्वासों एवं कृत्यों के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- वैदिक काल में प्रकृति पूजा पर एक टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- वैदिक संस्कृति की विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- अश्वमेध पर एक टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- आर्यों के आदिस्थान से सम्बन्धित विभिन्न मतों की आलोचनात्मक विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- ऋग्वैदिक काल में आर्यों के भौगोलिक ज्ञान का विवरण दीजिए।
- प्रश्न- आर्य कौन थे? उनके मूल निवास स्थान सम्बन्धी मतों की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक साहित्य से आपका क्या अभिप्राय है? इसके प्रमुख अंगों की विस्तृत व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- आर्य परम्पराओं एवं आर्यों के स्थानान्तरण को समझाइये।
- प्रश्न- वैदिक कालीन धार्मिक व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- ऋत की अवधारणा का विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक देवताओं पर एक विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- ऋग्वैदिक धर्म और देवताओं के विषय में लिखिए।
- प्रश्न- 'वेदांग' से आप क्या समझते हैं? इसके महत्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक कालीन समाज पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- उत्तर वैदिककालीन समाज में हुए परिवर्तनों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- उत्तर वैदिक काल में शासन प्रबन्ध का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- उत्तर वैदिक काल के शासन प्रबन्ध की रूपरेखा पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- वैदिक कालीन आर्थिक जीवन का विवरण दीजिए।
- प्रश्न- वैदिक कालीन व्यापार वाणिज्य पर एक निबंध लिखिए।
- प्रश्न- वैदिक कालीन लोगों के कृषि जीवन का विवरण दीजिए।
- प्रश्न- वैदिक कालीन कृषि व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- ऋग्वैदिक काल के पशुपालन पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- वैदिक आर्यों के संगठित क्रियाकलापों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- आर्य की अवधारणा बताइए।
- प्रश्न- आर्य कौन थे? वे कब और कहाँ से भारत आए?
- प्रश्न- भारतीय संस्कृति में वेदों का महत्त्व बताइए।
- प्रश्न- यजुर्वेद पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- ऋग्वेद पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- वैदिक साहित्य में अरण्यकों के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आर्य एवं डेन्यूब नदी पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- क्या आर्य ध्रुवों के निवासी थे?
- प्रश्न- "आर्यों का मूल निवास स्थान मध्य एशिया था।" विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- संहिता ग्रन्थ से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- ऋग्वैदिक आर्यों के धार्मिक विश्वासों के बारे में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- पणि से आपका क्या अभिप्राय है?
- प्रश्न- वैदिक कालीन कृषि पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- ऋग्वैदिक कालीन उद्योग-धन्धों पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- वैदिक काल में सिंचाई के साधनों एवं उपायों पर एक टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- क्या वैदिक काल में समुद्री व्यापार होता था?
- प्रश्न- उत्तर वैदिक कालीन कृषि व्यवस्था पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- उत्तर वैदिक काल में प्रचलित उद्योग-धन्धों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए?
- प्रश्न- शतमान पर एक टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- ऋग्वैदिक कालीन व्यापार वाणिज्य की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भारत में लोहे की प्राचीनता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- ऋग्वैदिक आर्थिक जीवन पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- वैदिककाल में लोहे के उपयोग की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- नौकायन पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सिन्धु घाटी की सभ्यता के विशिष्ट तत्वों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सिन्धु घाटी के लोग कौन थे? उनकी सभ्यता का संस्थापन एवं विनाश कैसे.हुआ?
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता की आर्थिक एवं धार्मिक दशा का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक काल की आर्यों की सभ्यता के बारे में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- वैदिक व सैंधव सभ्यता की समानताओं और असमानताओं का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक कालीन सभा और समिति के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- वैदिक काल में स्त्रियों की स्थिति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के कालक्रम का निर्धारण कीजिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के विस्तार की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता का बाह्य जगत के साथ संपर्कों की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- हड़प्पा से प्राप्त पुरातत्वों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- हड़प्पा कालीन सभ्यता में मूर्तिकला के विकास का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संस्कृति एवं सभ्यता में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- प्राग्हड़प्पा और हड़प्पा काल का विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन काल के सामाजिक संगठन को किस प्रकार निर्धारित किया गया व क्यों?
- प्रश्न- जाति प्रथा की उत्पत्ति एवं विकास पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- वर्णाश्रम धर्म से आप क्या समझते हैं? इसकी मुख्य विशेषताएं बताइये।
- प्रश्न- संस्कार शब्द से आप क्या समझते हैं? उसका अर्थ एवं परिभाषा लिखते हुए संस्कारों का विस्तार तथा उनकी संख्या लिखिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय समाज में संस्कारों के प्रयोजन पर अपने विचार संक्षेप में लिखिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारत में विवाह के प्रकारों को बताइये।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय समाज में नारी की स्थिति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- वैष्णव धर्म के उद्गम के विषय में आप क्या जानते हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- महाकाव्यकालीन स्त्रियों की दशा पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- पुरातत्व अध्ययन के स्रोतों को बताइए।
- प्रश्न- पुरातत्व साक्ष्य के विभिन्न स्रोतों पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- पुरातत्वविद् की विशेषताओं से अवगत कराइये।
- प्रश्न- पुरातत्व के विषय में बताइए। पुरातत्व के अन्य उप-विषयों व उसके उद्देश्य व सिद्धान्तों से अवगत कराइये।
- प्रश्न- पुरातत्व विज्ञान की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- पुरातात्विक स्रोतों से प्राप्त जानकारी के लाभों से अवगत कराइये।
- प्रश्न- पुरातत्व को जानने व खोजने में प्राचीन पुस्तकों के योगदान को बताइए।
- प्रश्न- विदेशी (लेखक) यात्रियों के द्वारा प्राप्त पुरातत्व के स्रोतों का विवरण दीजिए।
- प्रश्न- पुरातत्व स्रोत में स्मारकों की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- पुरातत्व विज्ञान के अध्ययन की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- शिलालेख, पुरातन के अध्ययन में किस प्रकार सहायक होते हैं?
- प्रश्न- न्यूमिजमाटिक्स की उपयोगिता को बताइए।
- प्रश्न- पुरातत्व स्मारक के महत्वपूर्ण कार्यों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- "सभ्यता का पालना" व "सभ्यता का उदय" से क्या तात्पर्य है?
- प्रश्न- विश्व में नदी घाटी सभ्यता के विकास पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- चीनी सभ्यता के विकास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- जियाहू एवं उबैद काल पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- अकाडिनी साम्राज्य व नॉर्ट चिको सभ्यता के विषय में बताइए।
- प्रश्न- मिस्र और नील नदी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- नदी घाटी सभ्यता के विकास को संक्षिप्त रूप से बताइए।
- प्रश्न- सभ्यता का प्रसार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के विस्तार के विषय में बताइए।
- प्रश्न- मेसोपोटामिया की सभ्यता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सुमेरिया की सभ्यता कहाँ विकसित हुई? इस सभ्यता की सामाजिक संरचना पर विस्तारपूर्वक प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सुमेरियन सभ्यता के भारतवर्ष से सम्पर्क की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- सुमेरियन समाज के आर्थिक जीवन के विषय में बताइये। यहाँ की कृषि, उद्योग-धन्धे, व्यापार एवं वाणिज्य की प्रगति का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सुमेरियन सभ्यता में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सुमेरियन सभ्यता की लिपि का विकासात्मक परिचय दीजिए।
- प्रश्न- सुमेरियन सभ्यता की प्रमुख देनों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन सुमेरिया में राज्य की अर्थव्यवस्था पर किसका अधिकार था?
- प्रश्न- बेबीलोनिया की सभ्यता के विषय में आप क्या जानते हैं? इस सभ्यता की सामाजिक.विशिष्टताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- बेबीलोनिया के लोगों की आर्थिक स्थिति का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- बेबिलोनियन विधि संहिता की मुख्य धाराओं पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- बेबीलोनिया की स्थापत्य कला पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- बेबिलोनियन सभ्यता की प्रमुख देनों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- असीरियन कौन थे? असीरिया की सामाजिक व्यवस्था का उल्लेख करते हुए बताइये कि यह समाज कितने वर्गों में विभक्त था?
- प्रश्न- असीरिया की धार्मिक मान्यताओं को स्पष्ट कीजिए। असीरिया के लोगों ने कला एवं स्थापत्य के क्षेत्र में किस प्रकार प्रगति की? मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- प्रथम असीरियाई साम्राज्य की स्थापना कब और कैसे हुई?
- प्रश्न- "असीरिया की कला में धार्मिक कथावस्तु का अभाव है।' स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- असीरियन सभ्यता के महत्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्राचीन मिस्र की सभ्यता के विषय में आप क्या जानते हैं? मिस्र का इतिहास जानने के प्रमुख साधन बताइये।
- प्रश्न- प्राचीन मिस्र का समाज कितने वर्गों में विभक्त था? यहाँ की सामाजिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मिस्र के निवासियों का आर्थिक जीवन किस प्रकार का था? विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मिस्रवासियों के धार्मिक जीवन का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- मिस्र का समाज कितने भागों में विभक्त था? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मिस्र की सभ्यता के पतन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- चीन की सभ्यता के विषय में आप क्या जानते हैं? इस सभ्यता के इतिहास के प्रमुख साधनों का उल्लेख करते हुए प्रमुख राजवंशों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन चीन की सामाजिक व्यवस्था का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- चीनी सभ्यता के भौगोलिक विस्तार का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चीन के फाचिया सम्प्रदाय के विषय में बताइये।
- प्रश्न- चिन राजवंश की सांस्कृतिक उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।