बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-3 मनोविज्ञान बीए सेमेस्टर-3 मनोविज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-3 मनोविज्ञान सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- क्या आक्रामकता जन्मजात होती है? एक उपयुक्त सिद्धान्त द्वारा इसकी आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
अथवा
आक्रामकता के मूल प्रवृत्ति सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
सम्बन्धित लघु प्रश्न
1. आक्रामकता के परिप्रेक्ष्य में फ्रायड के मनोविश्लेषणात्मक सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।.
2. आक्रामकता का लॉरेन्ज का आचारशास्त्रीय सिद्धान्त क्या है?
3. मूल प्रत्यात्मक शक्ति के संचयन सम्प्रत्यय से क्या तात्पर्य है?
उत्तर -
आक्रामकता का मूल प्रवृत्ति सिद्धांत
(Instinct Theory of Aggression)
मूल प्रवृत्ति सिद्धान्त के अनुसार आक्रामकता एक जन्मजात व्यवहार है, जो मूल प्रवृत्ति के कारण होता है। मूल प्रवृत्ति से तात्पर्य किसी उद्दीपक के प्रति विशेष प्रकार की अनुक्रिया करने की जन्मजात विशेषता से होता है।
मायर्स (Myers, 1988 ) के अनुसार, “मूल प्रवृत्यात्मक व्यवहार जन्मजात, अनार्जित होता है तथा किसी प्रजाति के सभी सदस्यों में प्रदर्शित होता है।
आक्रामकता को जन्मजात मानने वालों में फ्रायड (Fredu) तथा लारेन्ज (Lorenz ) के नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं जिन्होंने इस सम्बन्ध में अपने-अपने सिद्धान्त दिये हैं जो निम्नलिखित हैं-
(1) फ्रॉयड का मनोविश्लेषणात्मक सिद्धान्त
(Freud's Psychoanalytical Theory)
इस सिद्धान्त का प्रतिपादन प्रसिद्ध मनोविश्लेषणवादी सिग्मण्ड फ्रायड (Sigmond Frued) द्वारा किया गया था। इसे मनोविश्लेषणात्मक सिद्धान्त इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस सिद्धान्त का आधार मनोविश्लेषण के द्वारा प्राप्त मूल तथ्य हैं। फ्रायड ने आक्रामक व्यवहार की व्याख्या मनोविश्लेषणात्मक सिद्धान्त के अन्तर्गत मूल प्रवृत्ति के रूप में की है। फ्रायड के अनुसार, प्रत्येक व्यक्ति में दो प्रकार की मूल प्रवृत्तियाँ ( Instincts) पायी जाती हैं, जिन्हें जीवन मूल प्रवृत्ति (Life Instincts) तथा मृत्यु मूल प्रवृत्ति ( Death Instincts) कहा जाता है। फ्रॉयड ने इन्हें क्रमशः इरोस (Eros ) तथा थैनाटोस (Thanatos) नाम दिया है। फ्रॉयड के अनुसार इरोस व्यक्ति को सभी प्रकार के रचनात्मक कार्य करने की प्रेरणा देता है जबकि थैनाटोस विध्वंसात्मक या आक्रामक व्यवहार करने की प्रेरणा देता है। जब किसी व्यक्ति में थैनाटोस की प्रबलता होती है तो वह व्यक्ति आक्रामकता (Aggression) अधिक करते हुए पाया जाता है। सामान्यतः जीवन मूल प्रवृत्ति तथा मृत्यु मूल प्रवृति के मध्य एक सन्तुलन बना रहता है, जिससे व्यक्ति का समायोजन (Adjustment) ठीक बना रहता है।
फ्रॉयड के अनुसार थैनाटोस की अभिव्यक्ति की अभिवृत्ति अन्तर्मुखी (Inward) तथा बहिर्मुखी (Outward) दोनों रूपों में हो सकती है। थैनाटोस की दिशा अन्तर्मुखी होने पर व्यक्ति अपने प्रति आक्रामकता दिखाता है तथा अपने आपको क्षति पहुँचाने का प्रयास करता है। इसके अधिक तीव्र होने पर व्यक्ति आत्महत्या तक कर सकता है। इरोस की अधिकता होने पर व्यक्ति दूसरों के प्रति आक्रामक व्यवहार करता है। इस दिशा में व्यक्ति दूसरों को क्षति पहुँचाकर सामाजिक रूप से स्वीकार करने योग्य दलीलें देकर अपनी आक्रामकता की अभिव्यक्ति करता है।
(2) लॉरेन्ज का आचारशास्त्रीय सिद्धान्त
(Lorenz's Ethological Theory)
इस सिद्धान्त का प्रतिपादन प्रसिद्ध नोबल पुरस्कार विजेता आचारशास्त्री कोनरेड लॉरेन्ज (Konrad Lorenz) ने किया था। इन्होंने पशुओं पर अध्ययन करके यह सिद्धान्त मानवों के लिए भी सामान्यीकृत कर दिया। ये भी आक्रामकता को जन्मजात व्यवहार मानते हैं।
लॉरेन्ज ने कहा कि फ्रायड के अनुसार आक्रामकता का स्वरूप विध्वंसात्मक (Destructive) होता है जबकि ऐसा नहीं है। ऐसे व्यवहार अनुकूल होते हैं और पशुओं में अपने अस्तित्व को बनाये रखने के लिए आवश्यक होते हैं। लॉरेन्ज ने कहा कि अस्तित्व के मूल में आक्रामकता की मूल प्रवृत्ति होती है। जिस पशु में आक्रामकता जितनी अधिक होगी उसके अस्तित्व में रहने की संभावना उतनी ही अधिक होगी।
लॉरेन्ज का सिद्धान्त मूलतः पशुओं पर किये गये अध्ययनों पर आधारित था। फिर भी उन्होनें अपने सिद्धान्त के आधार पर मानव आक्रामकता की व्याख्या की। उन्होंने मानव आक्रामकता की व्याख्या निम्नलिखित दो आधारों पर की है -
(i) एक मानव दूसरे मानव को क्यों मारता है? लॉरेन्ज ने कहा कि किसी भी तरह के खतरे के प्रति दो प्रकार की प्रतिक्रियाएँ होती हैं लड़ना एवं भागना। कुछ पशु ऐसे होते हैं जिनके पास लड़ने का पर्याप्त सामर्थ्य होता है तो वह ख़तरे की परिस्थिति में आक्रमण करने वाले पशु या व्यक्ति से लड़ते हैं, परन्तु कुछ पशुओं में लड़ने का पर्याप्त सामर्थ्य नहीं होता तो ऐसे पशु खतरे की परिस्थिति में भाग जाते हैं।
(ii) मूल प्रवृत्यात्मक शक्ति का संचयन- लॉरेन्ज ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति में मूल प्रवृत्यात्मक आक्रामक शक्ति होती है। फ्रायड भी इस मत का समर्थन करते हैं। फ्रायड के अनुसार व्यक्ति जब तक किसी बाह्य उद्दीपक से उत्तेजित नहीं होता तो उसमें यह शक्ति प्रदर्शित नहीं होती है जबकि लॉरेन्ज का मत फ्रायड के मत से भिन्न था। उनके मत के अनुसार ऐसी शक्ति बहुत अधिक मात्रा में संचित हो जाए तो इसके प्रदर्शन के लिए आवश्यक नहीं कि व्यक्ति बाह्य वातावरण के किसी उद्दीपक से उत्तेजित हो अर्थात् बिना किसी बाह्य उद्दीपक के भी यह शक्ति निर्मुक्त (Release) हो सकती है।
संक्षेप में मूल प्रवृत्ति सिद्धान्त के समर्थक आक्रामकता को प्राणी या व्यक्ति की जन्मजात विशेषता मानते हैं। इसका वातावरणीय या परिवेशीय अनुभवों से सम्बन्ध नहीं है।
मूल प्रवृत्ति सिद्धान्त की आलोचनाएँ
(Criticisms of Instinct Theory)
विभिन्न मनोवैज्ञानिकों ने मूल प्रवृत्ति सिद्धान्त की आलोचनाएँ निम्नलिखित आधारों पर की हैं-
1. आक्रामकता को जन्मजात मानना अवैज्ञानिक है। नान्स (Nance, 1975) के अनुसार फिलीपीन्स की टासाडे (Tasaday) जनजाति पूर्णतः शान्तप्रिय होती है। यदि यह प्रवृत्ति जन्मजात होती तो यह सभी व्यक्तियों में पायी जाती।
2. बराश (Barash, 1979) के अनुसार मूल प्रवृत्तियों की संख्या स्वयं उसके समर्थक भी निश्चित नहीं कर पाये हैं।
3. यदि आक्रामकता मूल प्रवृत्यात्मक है तो इसमें परिवर्तन एवं परिमार्जन नहीं होना चाहिए जबकि उचित उपायों के द्वारा आक्रामकता में परिवर्तन लाया जा सकता है।
4. कुओ (Kuo, 1930) ने एक अध्ययन में बिल्ली एवं चूहों के बच्चों को एक साथ पाला और पाया कि बिल्ली के बच्चे बड़े होने पर भी चूहों के बच्चों को कम मारते थे। इससे आक्रामकता के जन्मजात होने के सिद्दान्त का खण्डन होता है।
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- प्रश्न- समाज मनोविज्ञान के कार्यक्षेत्र की व्याख्या करें।
- प्रश्न- सामाजिक व्यवहार के स्वरूप की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- समाज मनोविज्ञान की परिभाषा दीजिए। इसके अध्ययन की दो महत्वपूर्ण विधियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- समाज मनोविज्ञान की प्रयोगात्मक विधि से क्या तात्पर्य है? सामाजिक परिवेश में इस विधि की क्या उपयोगिता है?
- प्रश्न- समाज मनोविज्ञान की निरीक्षण विधि का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिये।
- प्रश्न- समाज मनोविज्ञान में सर्वेक्षण विधि के महत्व का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- समाज मनोविज्ञान में क्षेत्र अध्ययन विधि से आप क्या समझते हैं? इसके प्रकार तथा गुण दोषों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- समाज मनोविज्ञान को परिभाषित कीजिए। इसकी प्रयोगात्मक तथा अप्रयोगात्मक विधियों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अन्तर- सांस्कृतिक शोध विधि क्या है? इसके गुण-दोषों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- समाज मनोविज्ञान की आधुनिक विधियों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक व्यवहार के अध्ययन की विभिन्न विधियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- समाज मनोविज्ञान के महत्व पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- अर्ध-प्रयोगात्मक विधि का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- क्षेत्र अध्ययन विधि तथा प्रयोगशाला प्रयोग विधि का तुलनात्मक अध्ययन कीजिये।
- प्रश्न- समाजमिति विधि के गुण-दोष बताइये।
- प्रश्न- निरीक्षण विधि पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- व्यक्ति प्रत्यक्षीकरण का अर्थ स्पष्ट करते हुए उसके स्वरूप को समझाइए।
- प्रश्न- प्रभावांकन के साधन की व्याख्या कीजिए तथा यह किस प्रकार व्यक्ति प्रत्यक्षीकरण में सहायक है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- दूसरे व्यक्तियों के बारे में हमारे मूल्यांकन पर उस व्यक्ति के व्यवहार का क्या प्रभाव पड़ता है? स्पष्ट कीजिए
- प्रश्न- व्यक्ति प्रत्यक्षीकरण से आप क्या समझते हैं? यह जन्मजात है या अर्जित? विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- चित्रीकरण करना किसे कहते हैं?
- प्रश्न- अवचेतन प्रत्यक्षण किसे कहते हैं?
- प्रश्न- सामाजिक प्रत्यक्षण पर संस्कृति का क्या प्रभाव पड़ता है?
- प्रश्न- छवि निर्माण किसे कहते हैं?
- प्रश्न- आत्म प्रत्यक्षण किसे कहते हैं?
- प्रश्न- व्यक्ति प्रत्यक्षण में प्रत्यक्षणकर्ता के गुणों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रत्यक्षपरक सुरक्षा किसे कहते हैं?
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- प्रश्न- स्कीमा किसे कहते हैं? यह कितने प्रकार का होता है?
- प्रश्न- सामाजिक संज्ञानात्मक के तहत स्कीमा निर्धारण की प्रक्रिया कैसी होती है? व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- बर्नार्ड वीनर के गुणारोपण सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
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- प्रश्न- क्या सामाजिक अनुभूति में सांस्कृतिक मतभेद पाए जाते हैं?
- प्रश्न- स्कीम्स (Schemes) तथा स्कीमा (Schema) में क्या अन्तर है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मनोवृत्ति से आप क्या समझते हैं? इसके घटकों को स्पष्ट करते हुए इसकी प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
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- प्रश्न- मनोवृत्ति परिवर्तन में हाईडर के संतुलन सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
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- प्रश्न- मनोवृत्ति मापन में लिकर्ट विधि का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- मनोवृत्ति मापन में बोगार्डस विधि के महत्व का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अभिवृत्ति मापन में शब्दार्थ विभेदक मापनी का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अभिवृत्ति को परिभाषित कीजिए। अभिवृत्ति मापन की विधियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मनोवृत्ति को परिभाषित कीजिए। मनोवृत्ति के निर्माण को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अन्तर्वैयक्तिक आकर्षण क्या है? इसके स्वरूप तथा निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अभिवृत्ति के क्या कार्य हैं? लिखिए।
- प्रश्न- अभिवृत्ति और प्रेरणाओं में अन्तर समझाइये।
- प्रश्न- अभिवृत्ति मापन की कठिनाइयों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- थर्स्टन विधि तथा लिकर्ट विधि का तुलनात्मक अध्ययन कीजिए।
- प्रश्न- उपलब्धि प्रेरक पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अन्तर्वैयक्तिक आकर्षण में वैयक्तिक कारकों की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- “अन्तर्वैयक्तिक आकर्षण होने का एक मुख्य आधार समानता है।" विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- आक्रामकता को स्पष्ट कीजिए एवं इसके प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- क्या आक्रामकता जन्मजात होती है? एक उपयुक्त सिद्धान्त द्वारा इसकी आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- कुंठा आक्रामकता सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- क्या आक्रामकता सामाजिक रूप से एक सीखा गया व्यवहार होता है? एक उपयुक्त सिद्धान्त द्वारा इसकी आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- आक्रामकता के प्रमुख सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कुंठा-आक्रामकता सिद्धान्त को बताइए।
- प्रश्न- आक्रामकता को उकसाने वाले प्रमुख कारकों का वर्णन कीजिए। अपने उत्तर के पक्ष में प्रयोगात्मक साक्ष्य भी दें।
- प्रश्न- मानवीय आक्रामकता के वैयक्तिक तथा सामाजिक निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- समाजोपकारी व्यवहार का अर्थ और इसके निर्धारकों पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- प्रतिसामाजिक व्यवहार का स्वरूप तथा विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- सहायतापरक व्यवहार के सामाजिक व सांस्कृतिक निर्धारक का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- परोपकारी व्यवहार को किस प्रकार उन्नत बनाया जा सकता है?
- प्रश्न- सहायतापरक व्यवहार किसे कहते हैं?
- प्रश्न- सहायतापरक व्यवहार के निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अनुरूपता से क्या आशय है? अनुरूपता की प्रमुख विशेषताएँ बताते हुए इसको प्रभावित करने वाले कारकों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- अनुरूपता के सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- पूर्वाग्रह की उपयुक्त परिभाषा दीजिये तथा इसकी प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए। पूर्वाग्रह तथा विभेद में अन्तर बताइये।'
- प्रश्न- सामाजिक पूर्वाग्रहों की प्रवृत्ति की संक्षिप्त रूप में विवेचना कीजिए। इसके हानिकारक प्रभावों को किस प्रकार दूर किया जा सकता है? उदाहरण देकर अपने उत्तर की पुष्टि कीजिये।
- प्रश्न- पूर्वाग्रह कम करने की तकनीकें बताइए।
- प्रश्न- पूर्वाग्रह से आप क्या समझते हैं? इसकी विशेषताओं एवं स्रोतों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- आज्ञापालन (Obedience) पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- दर्शक प्रभाव किसे कहते हैं?
- प्रश्न- पूर्वाग्रह की प्रकृति एवं इसके संघटकों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- पूर्वाग्रह के प्रमुख प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पूर्वाग्रह के नकारात्मक प्रभाव का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- पूर्वाग्रह के विकास और सम्पोषण में निहित प्रमुख संज्ञानात्मक कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पूर्वाग्रह एवं विभेदन को कम करने के लिये कुछ कार्यक्रमों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- समूह समग्रता से आप क्या समझते हैं? समूह समग्रता को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारकों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- समूह मानदंड क्या है? यह किस प्रकार से समूह के लिए कार्य करते हैं?
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- प्रश्न- निवैयक्तिकता से आप क्या समझते हैं? प्रयोगात्मक अध्ययनों से निवैयक्तिकता की प्रक्रिया पर किस तरह का प्रकाश पड़ता है?
- प्रश्न- “सामाजिक सरलीकरण समूह प्रभाव का प्रमुख साधन है। व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- “निर्वैयक्तिता में व्यक्ति अपनी आत्म- अवगतता खो देता है। इस कथन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- समूह के प्रकार बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक श्रमावनयन से आप क्या समझते हैं? इसके कारणों का उल्लेख कीजिए और इसे किस तरह से कम किया जा सकता है? विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- आज्ञापालन (Obedience) पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- समूह निर्णय पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- सामाजिक श्रमावनयन पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- समूह की संरचना पर टिप्पणी लिखिये।