बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-3 मनोविज्ञान बीए सेमेस्टर-3 मनोविज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-3 मनोविज्ञान सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- आक्रामकता के प्रमुख सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
उत्तर -
आक्रामकता के सिद्धान्त
मूल प्रवृत्ति सिद्धान्त - मूल प्रवृत्ति सिद्धान्त आक्रामकता का एक प्रमुख सिद्धान्त इस सिद्धान्त के अनुसार, "मनुष्य या पशु में आक्रामकता का व्यवहार जन्मजात होता है जो मूल प्रवृत्ति के कारण होता है। मूल प्रवृत्ति से तात्पर्य किसी उद्दीपक के प्रति एक विशेष प्रकार की अनुक्रिया करने की जन्मजात प्रवृत्ति से होता है। इस सिद्धान्त के अन्तर्गत दो सिद्धान्तों को रख सकते हैं -
(i) फ्रायड का मनोविश्लेषणात्मक सिद्धान्त |
(ii) लारेन्ज का आचारशास्त्रीय सिद्धान्त।
(i) फ्रायड का मनोविश्लेषणात्मक सिद्धान्त - इस सिद्धान्त का प्रतिपादन सिगमंड फ्रायड ने किया यह मनोविश्लेषण के मूल तथ्यों पर आधारित है। फ्रायड के अनुसार व्यक्ति में दो तरह की मूल प्रवृत्ति होती है जीवन मूल प्रवृत्ति तथा मृत्यु मूल प्रवृत्ति। जीवन मूल प्रवृत्ति को इरोस कहते हैं यह व्यक्ति को रचनात्मक कार्यों की तरफ ले जाती है तथा मृत्यु मूल प्रवृत्ति को थैनाटोस कहते हैं, यह व्यक्ति को आक्रामक कार्यों की ओर प्रेरित करती है। मृत्यु मूल प्रवृत्ति के कारण व्यक्ति में आक्रामकता अधिक होती है।
(ii) लारेन्ज का आचारशास्त्रीय सिद्धान्त - लारेन्ज ने कहा कि फ्रायड के अनुसार आक्रामकता का स्वरूप विध्वंसात्मक है जबकि ऐसा नहीं है, ऐसे व्यवहार अनुकूल है और पशुओं में अपने अस्तित्व को बनाये रखने के लिये आवश्यक है। उनके अनुसार अस्तित्व के मूल में आक्रामकता की मूल प्रवृत्ति होती है। जिस पशु में जितनी आक्रामकता होगी उसके अस्तित्व में बने रहने की संभावना उतनी अधिक होगी।
2. कुंठा आक्रामकता सिद्धान्त - इस सिद्धान्त का प्रतिपादन डोलार्ड मिलर तथा उनके सहयोगियों द्वारा किया गया। इस सिद्धान्त के अनुसार आक्रामकता का मुख्य कारण कुण्ठा होती है। कुण्ठा से तात्पर्य किसी वांछित लक्ष्य तक पहुँचने के लिये जब व्यक्ति का मार्ग बीच में अवरुद्ध हो जाये तो इस स्थिति में उत्पन्न हुयी मनोदशा को कुंठा कहते हैं। दूसरों को क्षति पहुँचाने के उद्देश्य से किया गया शारीरिक या शाब्दिक व्यवहार आक्रामकता है।
इस सिद्धान्त के अनुसार व्यक्ति कुण्ठा उत्पन्न करने वाले स्रोत पर दो तरह आक्रामकता प्रदर्शित करेगा। पहला प्रकार प्रत्यक्ष आक्रामकता होती है। इसमें कुण्ठा उत्पन्न करने वाले स्रोत पर सीधे आक्रामकता प्रदर्शित करेगा। दूसरी प्रकार की आक्रामकता विस्थापित आक्रामकता होती है जब व्यक्ति कुण्ठा उत्पन्न करने वाले स्रोत को अपने से अधिक शक्तिशाली पाता है तब वह अपनी आक्रामकता किसी मिलते-जुलते स्रोत या अपने से कमजोर व्यक्ति पर प्रदर्शित करता है। कुण्ठा की मात्रा जितनी अधिक होगी, आक्रामकता उतनी अधिक होगी।
3. सामाजिक सीखना सिद्धान्त - इस सिद्धान्त का प्रतिपादन बैण्डुरा तथा वातटर्स ने किया। इस सिद्धान्त का सार यह है कि व्यक्ति अन्य व्यवहारों के समान आक्रामकता भी सीखता है। यह एक अर्जित व्यवहार है। व्यक्ति यह भी सीखता है कि किन परिस्थितियों में दिखायी गयी आक्रामकता की अनुक्रिया व्यक्ति को वांछित लक्ष्य तक पहुँचने में सहायता प्रदान करेगी अन्त में कह सकते हैं कि इस सिद्धान्त के अनुसार आक्रामक व्यवहार एक सीखा गया व्यवहार है।
इस सिद्धान्त के आधार पर आक्रामकता की व्याख्या तीन आधारों पर होती हैं -
(i) आक्रामक व्यवहार की उत्पत्ति के स्रोत इसके अन्तर्गत सबसे पहले आता है प्रेक्षण, व्यक्ति दूसरे के आक्रामक व्यवहार को देखकर आक्रामकता सीखता है। दूसरा स्रोत है प्रत्यक्ष निर्देश, जैसे युद्ध में सैनिकों को अपने दुश्मन पर आक्रमण का आदेश देना प्रत्यक्ष निर्देश है। तीसरा स्रोत है प्रयत्न तथा त्रुटि, इसके सहारे व्यक्ति आक्रामकता सीखता है।
(ii) आक्रामक व्यवहार के उत्तेजक इसके अन्तर्गत विरचि विवेचन, प्रेक्षण, निर्देश, प्रोत्साहन आदि कारक आते हैं। विरचि विवेचन से आशय दुखदायी, कष्टदायक उद्दीपक व्यक्ति को सांवेगिक रूप से आक्रामकता की ओर उत्तेजित करते हैं। इसके अतिरिक्त प्रेक्षण, निर्देश तथा प्रोत्साहन भी आक्रामक व्यवहार के उत्तेजक होते हैं।
(iii) पुनर्बलक बैण्डुरा के अनुसार व्यक्ति आक्रामक व्यवहार बाह्य, आत्म तथा स्थानापन्न पुनर्बलक के आधार पर सीखता है। कई अध्ययनों से स्पष्ट है कि व्यक्ति को आक्रामक व्यवहार करने पर पुनर्बलक मिलता है तो व्यक्ति भविष्य में आक्रामक व्यवहार अधिक करता है।
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- प्रश्न- समाज मनोविज्ञान के कार्यक्षेत्र की व्याख्या करें।
- प्रश्न- सामाजिक व्यवहार के स्वरूप की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- समाज मनोविज्ञान की परिभाषा दीजिए। इसके अध्ययन की दो महत्वपूर्ण विधियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- समाज मनोविज्ञान की प्रयोगात्मक विधि से क्या तात्पर्य है? सामाजिक परिवेश में इस विधि की क्या उपयोगिता है?
- प्रश्न- समाज मनोविज्ञान की निरीक्षण विधि का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिये।
- प्रश्न- समाज मनोविज्ञान में सर्वेक्षण विधि के महत्व का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- समाज मनोविज्ञान में क्षेत्र अध्ययन विधि से आप क्या समझते हैं? इसके प्रकार तथा गुण दोषों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- समाज मनोविज्ञान को परिभाषित कीजिए। इसकी प्रयोगात्मक तथा अप्रयोगात्मक विधियों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अन्तर- सांस्कृतिक शोध विधि क्या है? इसके गुण-दोषों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- समाज मनोविज्ञान की आधुनिक विधियों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक व्यवहार के अध्ययन की विभिन्न विधियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- समाज मनोविज्ञान के महत्व पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- अर्ध-प्रयोगात्मक विधि का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- क्षेत्र अध्ययन विधि तथा प्रयोगशाला प्रयोग विधि का तुलनात्मक अध्ययन कीजिये।
- प्रश्न- समाजमिति विधि के गुण-दोष बताइये।
- प्रश्न- निरीक्षण विधि पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- व्यक्ति प्रत्यक्षीकरण का अर्थ स्पष्ट करते हुए उसके स्वरूप को समझाइए।
- प्रश्न- प्रभावांकन के साधन की व्याख्या कीजिए तथा यह किस प्रकार व्यक्ति प्रत्यक्षीकरण में सहायक है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- दूसरे व्यक्तियों के बारे में हमारे मूल्यांकन पर उस व्यक्ति के व्यवहार का क्या प्रभाव पड़ता है? स्पष्ट कीजिए
- प्रश्न- व्यक्ति प्रत्यक्षीकरण से आप क्या समझते हैं? यह जन्मजात है या अर्जित? विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- चित्रीकरण करना किसे कहते हैं?
- प्रश्न- अवचेतन प्रत्यक्षण किसे कहते हैं?
- प्रश्न- सामाजिक प्रत्यक्षण पर संस्कृति का क्या प्रभाव पड़ता है?
- प्रश्न- छवि निर्माण किसे कहते हैं?
- प्रश्न- आत्म प्रत्यक्षण किसे कहते हैं?
- प्रश्न- व्यक्ति प्रत्यक्षण में प्रत्यक्षणकर्ता के गुणों पर प्रकाश डालिए।
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- प्रश्न- सामाजिक अनुभूति क्या है? सामाजिक अनुभूति का विकास कैसे होता है?
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- प्रश्न- अभिवृत्ति के क्या कार्य हैं? लिखिए।
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- प्रश्न- थर्स्टन विधि तथा लिकर्ट विधि का तुलनात्मक अध्ययन कीजिए।
- प्रश्न- उपलब्धि प्रेरक पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अन्तर्वैयक्तिक आकर्षण में वैयक्तिक कारकों की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- “अन्तर्वैयक्तिक आकर्षण होने का एक मुख्य आधार समानता है।" विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- आक्रामकता को स्पष्ट कीजिए एवं इसके प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- क्या आक्रामकता जन्मजात होती है? एक उपयुक्त सिद्धान्त द्वारा इसकी आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- कुंठा आक्रामकता सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- क्या आक्रामकता सामाजिक रूप से एक सीखा गया व्यवहार होता है? एक उपयुक्त सिद्धान्त द्वारा इसकी आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- आक्रामकता के प्रमुख सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कुंठा-आक्रामकता सिद्धान्त को बताइए।
- प्रश्न- आक्रामकता को उकसाने वाले प्रमुख कारकों का वर्णन कीजिए। अपने उत्तर के पक्ष में प्रयोगात्मक साक्ष्य भी दें।
- प्रश्न- मानवीय आक्रामकता के वैयक्तिक तथा सामाजिक निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- समाजोपकारी व्यवहार का अर्थ और इसके निर्धारकों पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- प्रतिसामाजिक व्यवहार का स्वरूप तथा विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- सहायतापरक व्यवहार के सामाजिक व सांस्कृतिक निर्धारक का वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- पूर्वाग्रह की उपयुक्त परिभाषा दीजिये तथा इसकी प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए। पूर्वाग्रह तथा विभेद में अन्तर बताइये।'
- प्रश्न- सामाजिक पूर्वाग्रहों की प्रवृत्ति की संक्षिप्त रूप में विवेचना कीजिए। इसके हानिकारक प्रभावों को किस प्रकार दूर किया जा सकता है? उदाहरण देकर अपने उत्तर की पुष्टि कीजिये।
- प्रश्न- पूर्वाग्रह कम करने की तकनीकें बताइए।
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- प्रश्न- आज्ञापालन (Obedience) पर टिप्पणी लिखिये।
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- प्रश्न- “निर्वैयक्तिता में व्यक्ति अपनी आत्म- अवगतता खो देता है। इस कथन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- समूह के प्रकार बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक श्रमावनयन से आप क्या समझते हैं? इसके कारणों का उल्लेख कीजिए और इसे किस तरह से कम किया जा सकता है? विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- आज्ञापालन (Obedience) पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- समूह निर्णय पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- सामाजिक श्रमावनयन पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- समूह की संरचना पर टिप्पणी लिखिये।