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बीए सेमेस्टर-3 मनोविज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2647
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-3 मनोविज्ञान सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- अनुरूपता के सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।

उत्तर -

प्रत्येक व्यक्ति किसी समाज या समूह का सदस्य होता है। अतः उससे यह आशा की जाती है कि वह उस समाज या समूह के मानक के अनुसार व्यवहार करेगा तथा समूह के निर्णय को स्वीकार करेगा। कभी-कभी व्यक्ति अपनी इच्छा से समूह के निर्णय को स्वीकार कर लेता है, परन्तु कभी-कभी उसे न चाहते हुए भी उस निर्णय को स्वीकार करना पड़ता है जिसे समूह दबाव (group pressure) कहा जाता है। जब व्यक्ति समूह दबाव के कारण अपने व्यवहार तथा मनोवृत्ति में परिवर्तन उस दबाव द्वारा वांछित दिशा में लाता है तो उसे अनुरूपता कहते है।

अनुरूपता के सिद्धान्त
(Theories of Conformity)

समाज मनोवैज्ञानिकों ने अनुरूपता व्यवहार की व्याख्या करने के लिए कुछ सिद्धान्तों का प्रतिपादन किया है। इन सिद्धान्तों में इस बात पर बल डाला गया है कि व्यक्ति में अनुरूपता व्यवहार क्यों होता है। इससे सम्बन्धित सिद्धान्तों को मूलतः दो भागों में बाँटा गया है -

1. व्यक्तित्व सिद्धान्त - समाज मनोवैज्ञानिकों के अध्ययन से यह स्पष्ट हुआ है कि कुछ व्यक्तियों में समूह दबाव तथा समूह मानक के प्रति अनुरूपता दिखाने की तीव्र प्रवृत्ति होती है, . परन्तु कुछ लोग ऐसे होते है। जिनमें ऐसी प्रवृत्ति बहुत कम होती है। वे जल्दी दूसरे व्यक्तियों के दबाव या समूह के मानक के सामने झुकते नहीं है। अनुरूपता का व्यक्तित्व सिद्धान्त इसकी व्याख्या व्यक्तित्व के शीलगुणों के रूप में करता है। व्यक्तित्व सिद्धान्त के अनुसार दो या दो अधिक व्यक्तियों में एक ही तरह के समूह दबाव या समूह मानक के प्रति अनुरूपता में अन्तर होने के कारण व्यक्तित्व का शीलगुण है। अनुरूपता दिखलाने वाले व्यक्तियों में कुछ ऐसे व्यक्तित्व शीलगुण पाए जाते है जो अनुरूपता नहीं या कम दिखलाने वाले व्यक्तियों के शीलगुण से भिन्न होते हैं। विभिन्न व्यक्तियों द्वारा किए गए शोध एवं प्रयोग के आधार पर जो तथ्य प्राप्त हुए है उनसे पता चलता है कि कुछ व्यक्तित्व चर ऐसे हैं जिनसे अनुरूपता की मात्रा में बिल्कुल स्पष्ट अन्तर पड़ता है।

क्रचफिल्ड (Crutchfield, 1955) - ने अपने प्रयोगात्मक अध्ययन की व्याख्या निम्न प्रकार से की है उन्होंने अपना अध्ययन सैनिकों एवं व्यवसायियों के मध्य, अनुरूपता का अध्ययन किया और पाया कि जिन व्यक्तियों में अनुरूपता अधिक देखी गयी, वे सामान्यतः कम अनुरूपता दिखाने वाले व्यक्तियों की तुलना में कम बुद्धि के थे, तथा उनमें नेतृत्व गुणों की कमी थी। साथ ही साथ ऐसे व्यक्तियों में हीनता की भावना अधिक थी तथा उनमें सत्तावादी प्रकृति की झलक अधिक मिलती थी। अनुरूपता कम दिखलाने वाले व्यक्तियों में श्रेष्ठता की भावना अधिक पायी गयी तथा ऐसे लोग प्रजातन्त्रात्मक स्वभाव के थे। बाद के अध्ययनों में उन्होनें और भी कुछ ऐसे व्यक्तित्व चरों का पता किया जो अधिक अनुरूपता दिखलाने वाले व्यक्ति में कम अहम शक्ति, भावनाओं एवं इच्छाओं को रोकने की कम शक्ति, अस्पष्टता को अधिक पसन्द करने की क्षमता, उत्तरदायित्व ग्रहण न करने की इच्छा कम आत्म-सूझ, मौलिकता की कमी, अधिक पूर्वाग्रही तथा सत्तावादी मनोवृत्ति जैसे शीलगुण पाए गये।

हार्टअप 1970, ने अनुरूपता तथा उम्र को सम्बन्धित करने वाले अध्ययनों की समीक्षा करके यह बतलाया है कि उम्र तथा अनुरूपता में एक निश्चित तथा संगत सम्बन्ध नहीं होता है।

ऐलेने तथा न्यूटसन 1972, के अध्ययनुसार उम्र के साथ अनुरूपता का कम या अधिक होना कई बातों पर निर्भर करता है जिनमें व्यक्ति का यौन विषय तथा अनुरूपता के लिए दबाव डालने वाले व्यक्तियों की महत्ता अधिक महत्वपूर्ण है।

उपरोक्त अध्ययनों से स्पष्ट है कि व्यक्तित्व सिद्धान्त में अनुरूपता की व्याख्या भिन्न- भिन्न व्यक्तित्व चरों के रूप में की जाती है। यद्यपि इस सिद्धान्त के द्वारा अनुरूपता की एक सरल व्याख्या होती है फिर भी इस सिद्धान्त के दो प्रमुख दोष बतालाए गये है, जो निम्नलिखित है -

(i) मारलो तथा गेरगेन 1970, ने यह सिद्ध किया है कि बहुत सारे अध्ययनों के आधार पर यह निष्कर्ष प्राप्त हुआ है कि व्यक्तित्व के शीलगुणों का संबंध अनुरूपता व्यवहार से नहीं होता है।

(ii) इस सिद्धान्त की दूसरी परिसीमा यह है कि अगर व्यक्ति किसी खास खास शीलगुण के कारण अनुरूपता दिखलाता है तो उसे हर परिस्थिति में समान रूप से अनुरूपता दिखलानी चाहिए क्योंकि वह खास शीलगुण तो उनमें हमेशा मौजूद रहते है परन्तु प्रयोगात्मक अध्ययनों से यह सिद्ध हो चुका है कि ऐसा नहीं होता है और एक परिस्थिति से दूसरी परिस्थति में अनुरूपता की मात्रा समान नहीं रहती है।

निष्कर्ष - यह है कि व्यक्तित्व सिद्धान्त हमें उन व्यक्तियों की पहचान करने में मदद अवश्य करता है जिनमें अनुरूपता कम या अधिक होती है, परन्तु यह सिद्धान्त वैज्ञानिक रूप से यह नहीं बतला पाता है कि व्यक्ति अनुरूपता क्यों दिखलाता है। अतः यह सिद्धान्त पूर्ण रूप से योग्य नहीं है।

2. समूह-केन्द्रित सिद्धान्त इस सिद्धान्त का प्रतिपादन अनेकों मनोवैज्ञानिकों द्वारा किए गये समान शोधों एवं प्रयोगों का प्रतिफल है। इस सिद्धान्त का सार यही है कि अनुरूपता का मूल कारण समूह दबाव होता है। इस सिद्धान्त के अनुसार दो तरह के समूह दबाव होते है जिसके कारण व्यक्ति अनुरूपता दिखलाता है.

1. सूचनात्मक दबाव ( Informational pressure)
2. आदर्शी सामाजिक दबाव (Normative social pressure)

सूचनात्मक दबाव से तात्पर्य वैसे दबाव से होता है जो व्यक्ति पर इसलिए प्रभावकारी होता है क्योंकि व्यक्ति स्वयं उस सूचना के बारे में कुछ नहीं जानता है। अतः उसे सही समझकर उसके अनुकूल अपना व्यवहार एवं मनोवृत्ति बना लेता है अर्थात् उसके प्रति अनुरूपता दिखलाने लगता है। जब बच्चा कुछ परिपक्व हो जाता है तो वह दो स्रोतों से सूचना प्राप्त करता है - व्यक्तिगत स्रोत तथा सामाजिक स्रोत।

एक बच्चा प्रयत्न तथा भूल के आधार पर स्वयं ही यह सीख सकता है कि आग छूने से वह जल जायेगा। इस तरह सीखी गयी सूचना को व्यक्तिगत सूचना कहतें है। फेस्टिगर 1950, के अनुसार व्यक्तिगत सूचना का संबंध भौतिक वास्तविकता से होता है, क्योंकि सचमुच में आग छूने के बाद ही उसे जल जाने का अनुभव प्राप्त होता है।

सामाजिक सूचना व्यक्ति अपने निजी अनुभव से नहीं, बल्कि दूसरे व्यक्तियों के समूह द्वारा प्राप्त करता है जैसे जब कोई छात्र अपने बारे में दूसरों से यह सुनता है कि वह एक मेधावी एवं मेहनती छात्र समझा जाता है तो यह एक सामाजिक सूचना का उदाहरण होगा।

समूह दबाव का दूसरा महत्वपूर्ण प्रकार आदर्शी सामाजिक दबाव है जिसके कारण भी व्यक्ति अनुरूपता दिखलाता है। आदर्शी सामाजिक दबाव में समूह द्वारा व्यक्ति पर दबाव इसलिए पड़ता है क्योंकि वह समूह के मानक के अनुकूल व्यवहार करना चाहता है। व्यक्ति यह भली-भाँति जानता है कि यदि वह समूह के मानकों का उलंघन करेगा तो समूह उसे सजा देगा। उसकी आलोचना करेगा तथा यदि उसका व्यवहार उन मानकों से अत्यधिक विपरीत हुआ तो समूह उसे बाहर भी निकाल देगा। जब व्यक्तियों में इन सब बातों का भय या चिन्ता होती है तो वे समूह के प्रति अनुरूपता दिखाने के लिए एक तरह का दबाव का अनुभव करते है। इस तरह से आदर्शी सामाजिक दबाव के कारण व्यक्ति में अनुरूपता विकसित होती है।

समूह व्यक्ति पर अनुरूपता दिखाने के लिए कभी तो कुछ महत्वपूर्ण सूचना देकर दबाव डालता है तथा कभी मानक से अलग हटकर व्यवहार करने पर दण्ड देने की धमकी देकर भी अनुरूपता दिखलाने के लिए बाध्य करता है। जीवन के अधिकतर परिस्थितियों में दोनों तरह के प्रभाव व्यक्ति पर पड़ते हैं। कुछ विशेष परिस्थिति में संभव है कि एक तरह का प्रभाव व्यक्ति को अनुरूपता दिखलाने के लिए अधिक बाध्य करे परन्तु सामान्यतः दोनों तरह का प्रभाव व्यक्ति पर एक साथ पड़ता है।

समूह - केन्द्रित सिद्धान्त को व्यक्तिगत सिद्धान्त की अपेक्षा समाज मनोवैज्ञानिकों द्वारा अधिक महत्वपूर्ण माना गया है क्योंकि इसके द्वारा अनुरूपता व्यवहार की एक संतोषजनक एवं वैज्ञानिक व्याख्या होती है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- समाज मनोविज्ञान के कार्यक्षेत्र की व्याख्या करें।
  2. प्रश्न- सामाजिक व्यवहार के स्वरूप की व्याख्या कीजिए।
  3. प्रश्न- समाज मनोविज्ञान की परिभाषा दीजिए। इसके अध्ययन की दो महत्वपूर्ण विधियों पर प्रकाश डालिए।
  4. प्रश्न- समाज मनोविज्ञान की प्रयोगात्मक विधि से क्या तात्पर्य है? सामाजिक परिवेश में इस विधि की क्या उपयोगिता है?
  5. प्रश्न- समाज मनोविज्ञान की निरीक्षण विधि का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिये।
  6. प्रश्न- समाज मनोविज्ञान में सर्वेक्षण विधि के महत्व का मूल्यांकन कीजिए।
  7. प्रश्न- समाज मनोविज्ञान में क्षेत्र अध्ययन विधि से आप क्या समझते हैं? इसके प्रकार तथा गुण दोषों पर प्रकाश डालिए।
  8. प्रश्न- समाज मनोविज्ञान को परिभाषित कीजिए। इसकी प्रयोगात्मक तथा अप्रयोगात्मक विधियों की विवेचना कीजिए।
  9. प्रश्न- अन्तर- सांस्कृतिक शोध विधि क्या है? इसके गुण-दोषों का वर्णन कीजिए।
  10. प्रश्न- समाज मनोविज्ञान की आधुनिक विधियों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  11. प्रश्न- सामाजिक व्यवहार के अध्ययन की विभिन्न विधियों का वर्णन कीजिए।
  12. प्रश्न- समाज मनोविज्ञान के महत्व पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  13. प्रश्न- अर्ध-प्रयोगात्मक विधि का वर्णन कीजिये।
  14. प्रश्न- क्षेत्र अध्ययन विधि तथा प्रयोगशाला प्रयोग विधि का तुलनात्मक अध्ययन कीजिये।
  15. प्रश्न- समाजमिति विधि के गुण-दोष बताइये।
  16. प्रश्न- निरीक्षण विधि पर टिप्पणी लिखिये।
  17. प्रश्न- व्यक्ति प्रत्यक्षीकरण का अर्थ स्पष्ट करते हुए उसके स्वरूप को समझाइए।
  18. प्रश्न- प्रभावांकन के साधन की व्याख्या कीजिए तथा यह किस प्रकार व्यक्ति प्रत्यक्षीकरण में सहायक है? स्पष्ट कीजिए।
  19. प्रश्न- दूसरे व्यक्तियों के बारे में हमारे मूल्यांकन पर उस व्यक्ति के व्यवहार का क्या प्रभाव पड़ता है? स्पष्ट कीजिए
  20. प्रश्न- व्यक्ति प्रत्यक्षीकरण से आप क्या समझते हैं? यह जन्मजात है या अर्जित? विवेचना कीजिए।
  21. प्रश्न- चित्रीकरण करना किसे कहते हैं?
  22. प्रश्न- अवचेतन प्रत्यक्षण किसे कहते हैं?
  23. प्रश्न- सामाजिक प्रत्यक्षण पर संस्कृति का क्या प्रभाव पड़ता है?
  24. प्रश्न- छवि निर्माण किसे कहते हैं?
  25. प्रश्न- आत्म प्रत्यक्षण किसे कहते हैं?
  26. प्रश्न- व्यक्ति प्रत्यक्षण में प्रत्यक्षणकर्ता के गुणों पर प्रकाश डालिए।
  27. प्रश्न- प्रत्यक्षपरक सुरक्षा किसे कहते हैं?
  28. प्रश्न- सामाजिक अनुभूति क्या है? सामाजिक अनुभूति का विकास कैसे होता है?
  29. प्रश्न- स्कीमा किसे कहते हैं? यह कितने प्रकार का होता है?
  30. प्रश्न- सामाजिक संज्ञानात्मक के तहत स्कीमा निर्धारण की प्रक्रिया कैसी होती है? व्याख्या कीजिए।
  31. प्रश्न- बर्नार्ड वीनर के गुणारोपण सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
  32. प्रश्न- केली के सह परिवर्तन गुणारोपण सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  33. प्रश्न- क्या स्कीमा स्मृति को प्रभावित करता है? अपने विचार व्यक्त कीजिए।
  34. प्रश्न- क्या सामाजिक अनुभूति में सांस्कृतिक मतभेद पाए जाते हैं?
  35. प्रश्न- स्कीम्स (Schemes) तथा स्कीमा (Schema) में क्या अन्तर है? स्पष्ट कीजिए।
  36. प्रश्न- मनोवृत्ति से आप क्या समझते हैं? इसके घटकों को स्पष्ट करते हुए इसकी प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  37. प्रश्न- अभिवृत्ति निर्माण की प्रक्रिया को स्पष्ट करते हुए अभिवृत्ति में परिवर्तन लाने के उपायों का वर्णन कीजिए।
  38. प्रश्न- मनोवृत्ति परिवर्तन में हाईडर के संतुलन सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  39. प्रश्न- संज्ञानात्मक अंसवादिता से आप क्या समझते हैं? फेसटिंगर ने किस तरह से इसके द्वारा मनोवृत्ति परिवर्तन की व्याख्या की?
  40. प्रश्न- मनोवृत्ति की परिभाषा दीजिए। क्या इसका मापन संभव है? अभिवृत्ति मापन की किसी एक विधि की विवेचना कीजिए।
  41. प्रश्न- मनोवृत्ति मापन में लिकर्ट विधि का मूल्यांकन कीजिए।
  42. प्रश्न- मनोवृत्ति मापन में बोगार्डस विधि के महत्व का वर्णन कीजिए।
  43. प्रश्न- अभिवृत्ति मापन में शब्दार्थ विभेदक मापनी का वर्णन कीजिए।
  44. प्रश्न- अभिवृत्ति को परिभाषित कीजिए। अभिवृत्ति मापन की विधियों का वर्णन कीजिए।
  45. प्रश्न- मनोवृत्ति को परिभाषित कीजिए। मनोवृत्ति के निर्माण को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।
  46. प्रश्न- अन्तर्वैयक्तिक आकर्षण क्या है? इसके स्वरूप तथा निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
  47. प्रश्न- अभिवृत्ति के क्या कार्य हैं? लिखिए।
  48. प्रश्न- अभिवृत्ति और प्रेरणाओं में अन्तर समझाइये।
  49. प्रश्न- अभिवृत्ति मापन की कठिनाइयों का उल्लेख कीजिए।
  50. प्रश्न- थर्स्टन विधि तथा लिकर्ट विधि का तुलनात्मक अध्ययन कीजिए।
  51. प्रश्न- उपलब्धि प्रेरक पर प्रकाश डालिए।
  52. प्रश्न- अन्तर्वैयक्तिक आकर्षण में वैयक्तिक कारकों की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  53. प्रश्न- “अन्तर्वैयक्तिक आकर्षण होने का एक मुख्य आधार समानता है।" विवेचना कीजिए।
  54. प्रश्न- आक्रामकता को स्पष्ट कीजिए एवं इसके प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  55. प्रश्न- क्या आक्रामकता जन्मजात होती है? एक उपयुक्त सिद्धान्त द्वारा इसकी आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  56. प्रश्न- कुंठा आक्रामकता सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  57. प्रश्न- क्या आक्रामकता सामाजिक रूप से एक सीखा गया व्यवहार होता है? एक उपयुक्त सिद्धान्त द्वारा इसकी आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  58. प्रश्न- आक्रामकता के प्रमुख सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
  59. प्रश्न- कुंठा-आक्रामकता सिद्धान्त को बताइए।
  60. प्रश्न- आक्रामकता को उकसाने वाले प्रमुख कारकों का वर्णन कीजिए। अपने उत्तर के पक्ष में प्रयोगात्मक साक्ष्य भी दें।
  61. प्रश्न- मानवीय आक्रामकता के वैयक्तिक तथा सामाजिक निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
  62. प्रश्न- समाजोपकारी व्यवहार का अर्थ और इसके निर्धारकों पर एक निबन्ध लिखिए।
  63. प्रश्न- प्रतिसामाजिक व्यवहार का स्वरूप तथा विशेषताएँ बताइये।
  64. प्रश्न- सहायतापरक व्यवहार के सामाजिक व सांस्कृतिक निर्धारक का वर्णन कीजिए।
  65. प्रश्न- परोपकारी व्यवहार को किस प्रकार उन्नत बनाया जा सकता है?
  66. प्रश्न- सहायतापरक व्यवहार किसे कहते हैं?
  67. प्रश्न- सहायतापरक व्यवहार के निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
  68. प्रश्न- अनुरूपता से क्या आशय है? अनुरूपता की प्रमुख विशेषताएँ बताते हुए इसको प्रभावित करने वाले कारकों का उल्लेख कीजिए।
  69. प्रश्न- अनुरूपता के सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
  70. प्रश्न- पूर्वाग्रह की उपयुक्त परिभाषा दीजिये तथा इसकी प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए। पूर्वाग्रह तथा विभेद में अन्तर बताइये।'
  71. प्रश्न- सामाजिक पूर्वाग्रहों की प्रवृत्ति की संक्षिप्त रूप में विवेचना कीजिए। इसके हानिकारक प्रभावों को किस प्रकार दूर किया जा सकता है? उदाहरण देकर अपने उत्तर की पुष्टि कीजिये।
  72. प्रश्न- पूर्वाग्रह कम करने की तकनीकें बताइए।
  73. प्रश्न- पूर्वाग्रह से आप क्या समझते हैं? इसकी विशेषताओं एवं स्रोतों का वर्णन कीजिए।
  74. प्रश्न- आज्ञापालन (Obedience) पर टिप्पणी लिखिये।
  75. प्रश्न- दर्शक प्रभाव किसे कहते हैं?
  76. प्रश्न- पूर्वाग्रह की प्रकृति एवं इसके संघटकों की विवेचना कीजिए।
  77. प्रश्न- पूर्वाग्रह के प्रमुख प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  78. प्रश्न- पूर्वाग्रह के नकारात्मक प्रभाव का वर्णन कीजिये।
  79. प्रश्न- पूर्वाग्रह के विकास और सम्पोषण में निहित प्रमुख संज्ञानात्मक कारकों का वर्णन कीजिए।
  80. प्रश्न- पूर्वाग्रह एवं विभेदन को कम करने के लिये कुछ कार्यक्रमों की व्याख्या कीजिए।
  81. प्रश्न- समूह समग्रता से आप क्या समझते हैं? समूह समग्रता को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारकों का वर्णन कीजिये।
  82. प्रश्न- समूह मानदंड क्या है? यह किस प्रकार से समूह के लिए कार्य करते हैं?
  83. प्रश्न- समूह भूमिका किस प्रकार अपने सदस्यों के लिए कार्य करती है? स्पष्ट कीजिए।
  84. प्रश्न- निवैयक्तिकता से आप क्या समझते हैं? प्रयोगात्मक अध्ययनों से निवैयक्तिकता की प्रक्रिया पर किस तरह का प्रकाश पड़ता है?
  85. प्रश्न- “सामाजिक सरलीकरण समूह प्रभाव का प्रमुख साधन है। व्याख्या कीजिए।
  86. प्रश्न- “निर्वैयक्तिता में व्यक्ति अपनी आत्म- अवगतता खो देता है। इस कथन की व्याख्या कीजिए।
  87. प्रश्न- समूह के प्रकार बताइये।
  88. प्रश्न- सामाजिक श्रमावनयन से आप क्या समझते हैं? इसके कारणों का उल्लेख कीजिए और इसे किस तरह से कम किया जा सकता है? विवेचना कीजिए।
  89. प्रश्न- आज्ञापालन (Obedience) पर टिप्पणी लिखिये।
  90. प्रश्न- समूह निर्णय पर टिप्पणी लिखिये।
  91. प्रश्न- सामाजिक श्रमावनयन पर टिप्पणी लिखिये।
  92. प्रश्न- समूह की संरचना पर टिप्पणी लिखिये।

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