बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-3 मनोविज्ञान बीए सेमेस्टर-3 मनोविज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-3 मनोविज्ञान सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- पूर्वाग्रह से आप क्या समझते हैं? इसकी विशेषताओं एवं स्रोतों का वर्णन कीजिए।
उत्तर -
पूर्वाग्रह अंग्रेजी शब्द 'Prejudice' का हिन्दी रूपान्तर है जिसका तात्पर्य व्यक्ति के किसी वस्तु तथ्य, घटना तथा अन्य व्यक्ति के बारे में एक पूर्व निर्णय से होता है। समाज मनोविज्ञान में पूर्वाग्रह को भिन्न-भिन्न ढंग से परिभाषित किया गया है -
" पूर्वाग्रह एक मनोवृत्ति है जो व्यक्ति को किसी समूह या उसके सदस्यों के प्रति अनुकूल या प्रतिकूल दोनों से सोचने, प्रत्यक्षण करने, अनुभव करने तथा क्रिया करने के लिये पहले से ही तत्पर बना देती है।"
- सेकर्ड तथा बैकमैन (1974)
"किसी समूह के सदस्यों के प्रति ऐसी स्वीकारात्मक निर्णय या मूल्यांकन को पूर्वाग्रह कहा जाता है जो मुख्यतः उस समूह की सदस्यता पर आधारित होता है न कि सदस्यों के विशेष गुणों पर '
- फेन्डमैन (1985)
" पूर्वाग्रह किसी समूह एवं उसके सदस्यों के प्रति एक अनुचित नकारात्मक मनोवृत्ति को कहा जाता है।'
• मैयर्स (1987)
उपरोक्त परिभाषाओं से स्पष्ट होता है कि समाज मनोवैज्ञानिकों ने पूर्वाग्रह को एक तरह की मनोवृत्ति माना है जोकि नकारात्मक मनोवृत्ति तथा स्वीकारात्मक मनोवृत्ति होती है। स्वीकारात्मक मनोवृत्ति के अन्तर्गत व्यक्ति दूसरे समूह के सदस्यों के प्रति अत्यधिक स्नेह एवं प्यार दिखलाता है तथा परिस्थिति विपरीत होने पर भी विवेकपूर्ण विचारों को ही व्यक्त करता है।
पूर्वाग्रह की विशेषताएँ - पूर्वाग्रह की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
(1) पूर्वाग्रह विवेकशील होता है - पूर्वाग्रह का स्वरूप ऐसा होता है कि इसमें विवेक, तर्क एवं संगति का कोई स्थान नहीं होता है। अनेक प्रकार के विरोधी तथ्य एवं सूचनाओं को व्यक्ति के सामने प्रस्तुत करने पर भी वह अपनी पूर्वाग्रह पर अडिग रहता है।
(2.) पूर्वाग्रह अर्जित होता है - बच्चा जब जन्म लेता है तो उसमें दूसरे समूह, धर्म, जाति के लोगों के प्रति न तो स्वीकारात्मक पूर्वधारणा होती है और न ही नकारात्मक पूर्वधारणा होती है जैसा वह परिवार के सदस्यों से अन्य समूह, धर्म या जाति के लोगों के बारे में सुनाता है उसी के अनुसार वह उसके बारे में पूर्वधारणा विकसित कर लेता है।
(3) पूर्वाग्रह में संवेगात्मक रंग होता है - पूर्वाग्रह में संवेगात्मक रंग होता है और वह किसी समूह, धर्म, जाति के लोगों के या तो अनुकूल होते हैं या प्रतिकूल होते हैं। यदि पूर्वाग्रह अनुकूल हुई, तो व्यक्ति दूसरे समूह, धर्म या जाति के लोगों के प्रति अधिक स्नेह एवं प्रेम दिखलाता है। इसके विपरीत पूर्वाग्रह प्रतिकूल हुई तो व्यक्ति दूसरे जाति, व्यक्तियों के प्रति घृणा, विद्वेष आदि संवेग सुरण्य रूप में दिखलाता है
(4) पूर्वाग्रह पूर्णरूपेण किसी समूह की ओर संचालित होती है -पूर्वाग्रह की एक विशेषता यह भी है कि यह किसी व्यक्ति विशेष पर आधारित न होकर बल्कि पूरे समूह की ओर संचालित होती है। यही कारण है कि पूर्वधारणा सामाजिक मानक का एक अंश के समान दीख पड़ती है।
(5) पूर्वाग्रह दृढ़ तथा स्थिर सामान्यीकरण पर आधारित होता है - पूर्वाग्रह व्यक्ति के सामने उसके विश्वास एवं विचार के विरोधी विचार भी यदि प्रस्तुत किये जाते हैं तो वह अपनी पूर्वधारणा या पूर्वाग्रह में परिवर्तन लाने के लिये तैयार नहीं होता है। इसका कारण यह है कि पूर्वधारणा का सम्बन्ध कुछ दृढ़ एवं स्थिर विचारों, अन्धविश्वासों एवं सामाजिक रीति-रिवाजों से होता है न कि विवेक, तर्क एवं बुद्धि से स्पष्ट है कि पूर्वधारणा काफी दृढ़ एवं स्थिर विचारों पर आधारित होता है।
(6) पूर्वाग्रह का कार्यात्मक स्वरूप होता है- पूर्वाग्रह का स्वरूप कार्यात्मक होता है क्योंकि इससे कुछ फायदा भी व्यक्ति को होता है। उदाहरणार्थ, पूर्वाग्रह विद्वेष को उचित ठहराने में सन्तुष्टि प्रदान करता है। इसके द्वारा दमित इच्छाओं की सन्तुष्टि होती है, आत्मसम्मान एवं प्रतिष्ठा के भाव को मजबूत करने में मदद मिलती है तथा कुण्ठा एवं आक्रमणकारी व्यवहारों को विद्वेषपूर्ण कार्यों द्वारा व्यक्त करने का मौका मिलता है। स्पष्ट है कि पूर्वधारणा का कार्यात्मक महत्व भी व्यक्ति की जिन्दगी में होता है।
(7) पूर्वाग्रह का सम्बन्ध वास्तविकता से नहीं होता है - पूर्वाग्रह चाहे अनुकूल हों या प्रतिकूल, इसका सम्बन्ध वास्तविकता से नहीं होता है। पूर्वाग्रह सुनी-सुनाई बातों एवं पुराने रीति- रिवाजों पर आधारित होता है। इसका सम्बन्ध वास्तविक हालातों से नहीं होता है। गाँव में उच्च जाति के लोग अभी भी हरिजनों के हाथ का छुआ खाना-पीना नहीं स्वीकार करते हैं क्योंकि उनका विश्वास है कि इससे धर्म भ्रष्ट हो जाता है लेकिन व्यक्ति यह नहीं बता पाते कि आखिर वे ऐसा क्यों सोचते हैं।
अतः स्पष्ट है कि पूर्वधारणा ऐसा होता है जिसका सामाजिक कुप्रभाव अधिक होता है।
पूर्वाग्रह के स्रोत - पूर्वाग्रह के स्रोतों का सामाजिक मनोवैज्ञानिकों ने वर्णन किया है जोकि निम्नलिखित हैं-
(1) सीखना व्यक्ति पूर्वाग्रह को संस्था, इनाम और सजा के माध्यम से भी सीखता है, दूसरे क्या कर रहे हैं तथा समाज और सांस्कृतिक मानदण्ड भी पूर्वाग्रह को प्रोत्साहित करता है।
(2) व्यक्ति की मजबूत और विशेष सामाजिक पहचान भी पूर्वाग्रह के विशेष स्रोत होते हैं जोकि पक्षपातपूर्ण रवैये को प्रोत्साहित करते हैं।
(3) एक विशेष समूह के लिये निर्धारित लक्ष्य, पूर्वाग्रह को जारी रखने के लिये जिम्मेदार होता है। लक्षित समूह ऐसे तरीकों से व्यवहार कर सकता है जो पूर्वाग्रह को न्यायसंगत ठहराते हैं, यानि नकारात्मक अपेक्षाओं की पुष्टि करते हैं।
(4) पूर्वाग्रह, स्टीरियोटाइप का समर्थन करता है।
(5) पूर्वाग्रह का मुख्य स्रोत जातिगत भी होता है। भारत एक ऐसा देश है जिसमें जाति के लोग रहते हैं। प्रायः देखा गया है कि एक जाति के लोग दूसरी जाति के बहुत से लोगों को अपने से तुच्छ एवं गिरा हुआ समझते हैं तथा उनके प्रति भेदभाव दिखलाते हैं।
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- प्रश्न- समाज मनोविज्ञान के कार्यक्षेत्र की व्याख्या करें।
- प्रश्न- सामाजिक व्यवहार के स्वरूप की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- समाज मनोविज्ञान की परिभाषा दीजिए। इसके अध्ययन की दो महत्वपूर्ण विधियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- समाज मनोविज्ञान की प्रयोगात्मक विधि से क्या तात्पर्य है? सामाजिक परिवेश में इस विधि की क्या उपयोगिता है?
- प्रश्न- समाज मनोविज्ञान की निरीक्षण विधि का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिये।
- प्रश्न- समाज मनोविज्ञान में सर्वेक्षण विधि के महत्व का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- समाज मनोविज्ञान में क्षेत्र अध्ययन विधि से आप क्या समझते हैं? इसके प्रकार तथा गुण दोषों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- समाज मनोविज्ञान को परिभाषित कीजिए। इसकी प्रयोगात्मक तथा अप्रयोगात्मक विधियों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अन्तर- सांस्कृतिक शोध विधि क्या है? इसके गुण-दोषों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- समाज मनोविज्ञान की आधुनिक विधियों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक व्यवहार के अध्ययन की विभिन्न विधियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- समाज मनोविज्ञान के महत्व पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- अर्ध-प्रयोगात्मक विधि का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- क्षेत्र अध्ययन विधि तथा प्रयोगशाला प्रयोग विधि का तुलनात्मक अध्ययन कीजिये।
- प्रश्न- समाजमिति विधि के गुण-दोष बताइये।
- प्रश्न- निरीक्षण विधि पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- व्यक्ति प्रत्यक्षीकरण का अर्थ स्पष्ट करते हुए उसके स्वरूप को समझाइए।
- प्रश्न- प्रभावांकन के साधन की व्याख्या कीजिए तथा यह किस प्रकार व्यक्ति प्रत्यक्षीकरण में सहायक है? स्पष्ट कीजिए।
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- प्रश्न- व्यक्ति प्रत्यक्षीकरण से आप क्या समझते हैं? यह जन्मजात है या अर्जित? विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- चित्रीकरण करना किसे कहते हैं?
- प्रश्न- अवचेतन प्रत्यक्षण किसे कहते हैं?
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- प्रश्न- छवि निर्माण किसे कहते हैं?
- प्रश्न- आत्म प्रत्यक्षण किसे कहते हैं?
- प्रश्न- व्यक्ति प्रत्यक्षण में प्रत्यक्षणकर्ता के गुणों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रत्यक्षपरक सुरक्षा किसे कहते हैं?
- प्रश्न- सामाजिक अनुभूति क्या है? सामाजिक अनुभूति का विकास कैसे होता है?
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- प्रश्न- केली के सह परिवर्तन गुणारोपण सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
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- प्रश्न- मनोवृत्ति मापन में लिकर्ट विधि का मूल्यांकन कीजिए।
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- प्रश्न- अभिवृत्ति और प्रेरणाओं में अन्तर समझाइये।
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- प्रश्न- थर्स्टन विधि तथा लिकर्ट विधि का तुलनात्मक अध्ययन कीजिए।
- प्रश्न- उपलब्धि प्रेरक पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अन्तर्वैयक्तिक आकर्षण में वैयक्तिक कारकों की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- “अन्तर्वैयक्तिक आकर्षण होने का एक मुख्य आधार समानता है।" विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- आक्रामकता को स्पष्ट कीजिए एवं इसके प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- क्या आक्रामकता जन्मजात होती है? एक उपयुक्त सिद्धान्त द्वारा इसकी आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- कुंठा आक्रामकता सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- क्या आक्रामकता सामाजिक रूप से एक सीखा गया व्यवहार होता है? एक उपयुक्त सिद्धान्त द्वारा इसकी आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- आक्रामकता के प्रमुख सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कुंठा-आक्रामकता सिद्धान्त को बताइए।
- प्रश्न- आक्रामकता को उकसाने वाले प्रमुख कारकों का वर्णन कीजिए। अपने उत्तर के पक्ष में प्रयोगात्मक साक्ष्य भी दें।
- प्रश्न- मानवीय आक्रामकता के वैयक्तिक तथा सामाजिक निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- समाजोपकारी व्यवहार का अर्थ और इसके निर्धारकों पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- प्रतिसामाजिक व्यवहार का स्वरूप तथा विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- सहायतापरक व्यवहार के सामाजिक व सांस्कृतिक निर्धारक का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- परोपकारी व्यवहार को किस प्रकार उन्नत बनाया जा सकता है?
- प्रश्न- सहायतापरक व्यवहार किसे कहते हैं?
- प्रश्न- सहायतापरक व्यवहार के निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अनुरूपता से क्या आशय है? अनुरूपता की प्रमुख विशेषताएँ बताते हुए इसको प्रभावित करने वाले कारकों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- अनुरूपता के सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- पूर्वाग्रह की उपयुक्त परिभाषा दीजिये तथा इसकी प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए। पूर्वाग्रह तथा विभेद में अन्तर बताइये।'
- प्रश्न- सामाजिक पूर्वाग्रहों की प्रवृत्ति की संक्षिप्त रूप में विवेचना कीजिए। इसके हानिकारक प्रभावों को किस प्रकार दूर किया जा सकता है? उदाहरण देकर अपने उत्तर की पुष्टि कीजिये।
- प्रश्न- पूर्वाग्रह कम करने की तकनीकें बताइए।
- प्रश्न- पूर्वाग्रह से आप क्या समझते हैं? इसकी विशेषताओं एवं स्रोतों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- आज्ञापालन (Obedience) पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- दर्शक प्रभाव किसे कहते हैं?
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- प्रश्न- पूर्वाग्रह के प्रमुख प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पूर्वाग्रह के नकारात्मक प्रभाव का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- पूर्वाग्रह के विकास और सम्पोषण में निहित प्रमुख संज्ञानात्मक कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पूर्वाग्रह एवं विभेदन को कम करने के लिये कुछ कार्यक्रमों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- समूह समग्रता से आप क्या समझते हैं? समूह समग्रता को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारकों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- समूह मानदंड क्या है? यह किस प्रकार से समूह के लिए कार्य करते हैं?
- प्रश्न- समूह भूमिका किस प्रकार अपने सदस्यों के लिए कार्य करती है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- निवैयक्तिकता से आप क्या समझते हैं? प्रयोगात्मक अध्ययनों से निवैयक्तिकता की प्रक्रिया पर किस तरह का प्रकाश पड़ता है?
- प्रश्न- “सामाजिक सरलीकरण समूह प्रभाव का प्रमुख साधन है। व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- “निर्वैयक्तिता में व्यक्ति अपनी आत्म- अवगतता खो देता है। इस कथन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- समूह के प्रकार बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक श्रमावनयन से आप क्या समझते हैं? इसके कारणों का उल्लेख कीजिए और इसे किस तरह से कम किया जा सकता है? विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- आज्ञापालन (Obedience) पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- समूह निर्णय पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- सामाजिक श्रमावनयन पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- समूह की संरचना पर टिप्पणी लिखिये।