बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-3 मनोविज्ञान बीए सेमेस्टर-3 मनोविज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-3 मनोविज्ञान सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- समाज मनोविज्ञान को परिभाषित कीजिए। इसकी प्रयोगात्मक तथा अप्रयोगात्मक विधियों की विवेचना कीजिए।
अथवा
समाज मनोविज्ञान की प्रयोगात्मक विधि अप्रयोगात्मक विधि (अन्य ) से कैसे भिन्न है? स्पष्ट कीजिए।
सम्बन्धित लघु प्रश्न
1. समाज मनोविज्ञान की प्रयोगात्मक अध्ययन विधियों का वर्णन कीजिए।
2. प्रयोगात्मक एवं अप्रयोगात्मक विधियों में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
3. क्षेत्र प्रयोगात्मक विधि का वर्णन कीजिये।
उत्तर -
समाज मनोविज्ञान की परिभाषा (Definition of Social Psychology) - समाज मनोविज्ञान की प्रयोगात्मक तथा अप्रयोगात्मक विधियों के मध्य भिन्नता को व्यक्त करने के लिए दोनों प्रकार की विधियों का अध्ययन करना आवश्यक है।
(a) प्रयोगात्मक विधियाँ (Experimental Methods) - समाज मनोविज्ञान की समस्याओं का अध्ययन करने के लिए मुख्यतः दो प्रकार की प्रयोगात्मक विधियों का प्रयोग किया जाता है -
1. प्रयोगशाला प्रयोग विधि (Laboratory Experiment Method) प्रयोगशाला प्रयोग विधि में सामाजिक व्यवहार का अध्ययन प्रयोगशाला में प्रयोग करके किया जाता है। इस विधि में प्रयोज्यों की एक सीमित संख्या का यादृच्छिक रूप से चयन करके उसे आवश्यकतानुसार भिन्न-भिन्न समूहों जैसे- प्रयोगात्मक समूह तथा नियंत्रित समूह में बाँटकर प्रयोग करते हैं। इससे स्वतन्त्र चर (Independent variable) में जोड़-तोड़ (Manipulation) करके उसका प्रभाव आश्रित चर (Dependent Variable) पर देखा जाता है। अन्य चरों, जिनके अध्ययन में प्रयोगकर्ता की कोई रुचि नहीं होती, को नियंत्रित रखा जाता है। इन्हें बहिरंग चर (Extraneous Variables) कहा जाता है। यदि स्वतन्त्र चर जोड़-तोड़ करने से आश्रित चर में पर भी कुछ परिवर्तन आ जाता है तो समाज मनोवैज्ञानिक इन दोनों चरों के कार्यकारण सम्बन्ध के बारे में एक निश्चित निष्कर्ष पर पहुँच जाते हैं। प्रयोगशाला प्रयोग विधि में कार्यकारण सम्बन्ध स्थापित करने के लिए कृत्रिम परिस्थितियाँ सृजित की जाती हैं।
2. क्षेत्र प्रयोग विधि (Field Experiment Method) - इस विधि की आवश्यकता उन सामाजिक व्यवहार के अध्ययन में पड़ती है जिनका अध्ययन प्रयोगशाला विधि में करना सम्भव नहीं हो पाता है। इस विधि में सामाजिक व्यवहार का अध्ययन प्रयोगशाला में न करके वास्तविक परिस्थिति में किया जाता है जिसे मनोवैज्ञानिकों ने क्षेत्र (Field) कहा है। इनमें केवल वातावरण वास्तविक होता है तथा अन्य विधियाँ प्रयोगशाला विधि की अपनाई जाती हैं।
(b) अप्रयोगात्मक विधियाँ (Non-Experimental Methods) - समाज मनोविज्ञान में सामाजिक समस्याओं का अध्ययन करने के लिए कुछ अन्य विधियाँ भी प्रयोग की जाती हैं जिनमें से कुछ प्रमुख निम्नलिखित हैं :
1. अन्तर्दर्शन विधि ( Introspection Method) - यह समाज मनोविज्ञान की प्राचीनतम अप्रयोगात्मक विधि है। इस विधि में प्रेक्षक प्रयोज्य को निर्देश देकर उसे अपने अन्दर झाँककर अपने पूर्वअनुभवों को याद करने के लिए कहता है और जो कुछ भी प्रयोज्य को याद आता है, उसके आधार पर प्रेक्षक अपने निष्कर्ष निकालता है। इस विधि की सबसे बड़ी कमी यह है कि इसमें प्रेक्षक पूर्णतः प्रयोज्य की स्मरण शक्ति एवं सहयोग पर निर्भर होता है। उसके पास प्रयोज्य पर विश्वास करने के अतिरिक्त कोई अन्य विकल्प नहीं होता न ही उसके पास प्रयोज्य द्वारा बताई गई बातों की सत्यता जानने का कोई साधन होता है। आधुनिक युग में समाज मनोविज्ञान में इस विधि का प्रयोग बहुत कम हो रहा है परन्तु मनोचिकित्सा के क्षेत्र में यह विधि आज भी उपयोगी है।
2. निरीक्षण विधि (Observation Method) - अप्रयोगात्मक विधियों में निरीक्षण विधि एक महत्वपूर्ण विधि है। इस विधि के प्रयोग पर जे. बी. वाटसन एवं अन्य सहयोगियों ने विशेष बल दिया है। इसकी व्याख्या करते हुए वाटसन ने कहा है कि किसी प्राकृतिक परिवेश में घटित होने वाले व्यवहार का आंखों देखा विवरण प्राप्त करना तथा उसका विश्लेषण करके वस्तुनिष्ठ निष्कर्ष प्रस्तुत करना 'निरीक्षण' कहा जाता है। आधुनिक युग में इस विधि का प्रयोग उन्हीं परिस्थितियों में किया जाता है, जहाँ पर प्रयोगात्मक विधि का प्रयोग कर पाना सम्भव नहीं होता क्योंकि प्रेक्षणकर्ता द्वारा द्वारा आँखों देखी घटना का विश्लेषण करके वस्तुनिष्ठ निष्कर्ष निकालना अत्यन्त दुष्कर कार्य है। निष्कर्ष में आत्मनिष्ठता का दोष आने की सम्भावना अत्यन्त प्रबल रहती है।
3. साक्षात्कार विधि (Interview Method) - किसी व्यक्ति द्वारा दूसरे व्यक्तियों से - किसी समस्या, कार्य, घटना, वस्तु, विचार या कार्यक्रम के बारे में उसके विचारों को जानने का प्रयास करना साक्षात्कार है। यह सदैव आमने-सामने होता है और इसका एक निश्चित लक्ष्य होता है। यह कार्य बातचीत या प्रश्नों के माध्यम से किया जाता है। प्रश्न मौके पर स्मरण के आधार पर या पूर्वनिर्धारित कार्यक्रम के अनुसार पूछे जा सकते हैं। इस विधि का प्रयोग करने के लिए प्रेक्षक को अत्यन्त कुशल एवं प्रशिक्षत होना चाहिए अन्यथा निष्कर्ष के दौरान आत्मनिष्ठता का दोष आने की सम्भावना अत्यन्त प्रबल रहती है।.
4. प्रश्नावली विधि (Questionnaire Method)- इस विधि का उपयोग लोगों के मत व प्रतिक्रियाओं को जानने के लिये किया जाता है। यदि प्रदत्त संग्रह व्यापक रूप से करना है तथा प्रयोज्यों की प्रतिक्रियाओं को मात्रात्मक या वर्णनात्मक रूप में प्रस्तुत करना है तो पूर्वनिर्मित प्रश्नावलियों का उपयोग करने से यह कार्य सरल हो जाता है। इस विधि का प्रयोग व्यक्तिगत तथा सामूहिक दोनों रूपों में किया जा सकता है। वृहत् स्तर पर सूचना प्राप्त करने के लिए यह विधि अत्यन्त उपयोगी है।
उपरोक्त अप्रयोगात्मक विधियों का अध्ययन करने पर यह ज्ञात होता है कि आधुनिक युग में समाज मनोविज्ञान में सामाजिक व्यवहार का अध्ययन करने के लिए मुख्यतः प्रयोगात्मक विधियों का ही प्रयोग किया जाता है। अप्रयोगात्मक विधियों का प्रयोग केवल प्रायोगिक विधियों की सहयोगी विधियों के रूप में या जहाँ प्रायोगिक विधियों का प्रयोग संम्भव नहीं होता वहाँ किया जाता है।
(Difference between Experimental and
Non-experimental Methods)
क्र सं | प्रयोगात्मक विधियाँ | अप्रयोगात्मक विधियाँ |
1. |
इन विधियों में अध्ययन प्रयोगात्मक एवं नियन्त्रित प्रयोज्य या समूहों के माध्यम से किया जाता है। |
इन विधियों में प्रयोगात्मक या नियंत्रित समूहों का कोई प्रयोग नहीं होता है। |
2. | इसमें स्वतंत्र चरों में जोड़-तोड करके आश्रित चरों पर उनके प्रभाव का अध्ययन किया जाता है। | इन विधियों में चरों का कोई प्रयोग नहीं होता है |
3. |
इनमें अध्ययन नियंत्रित परिस्थितियों में किया जाता है। |
इन विधियों में परिस्थितियों को नियंत्रित नहीं किया जाता है। |
4. | इनमें प्राप्त परिणामों को ज्यों का त्यों दोहराया जा सकता है क्योंकि परि स्थितियाँ प्रयोगकर्ता के नियंत्रण में होती हैं। | इनमें प्राप्त परिणामों को दोहरा पाना सम्भव नहीं होता क्योंकि परिस्थितियों पर प्रयोगकर्ता का नियंत्रण नहीं होता है। |
5. | यह पूर्णतः वस्तुनिष्ठ विधियाँ हैं। | ये विधियाँ आत्मनिष्ठ या कम वस्तुनिष्ठ हैं। |
6. | नसे प्राप्त परिणाम पूर्णत शुद्ध एवं विश्वसनीय होते हैं। | इनसे प्राप्त परिणाम कम शुद्ध व अविश्वसनीय होते हैं। |
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- प्रश्न- समाज मनोविज्ञान के कार्यक्षेत्र की व्याख्या करें।
- प्रश्न- सामाजिक व्यवहार के स्वरूप की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- समाज मनोविज्ञान की परिभाषा दीजिए। इसके अध्ययन की दो महत्वपूर्ण विधियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- समाज मनोविज्ञान की प्रयोगात्मक विधि से क्या तात्पर्य है? सामाजिक परिवेश में इस विधि की क्या उपयोगिता है?
- प्रश्न- समाज मनोविज्ञान की निरीक्षण विधि का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिये।
- प्रश्न- समाज मनोविज्ञान में सर्वेक्षण विधि के महत्व का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- समाज मनोविज्ञान में क्षेत्र अध्ययन विधि से आप क्या समझते हैं? इसके प्रकार तथा गुण दोषों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- समाज मनोविज्ञान को परिभाषित कीजिए। इसकी प्रयोगात्मक तथा अप्रयोगात्मक विधियों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अन्तर- सांस्कृतिक शोध विधि क्या है? इसके गुण-दोषों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- समाज मनोविज्ञान की आधुनिक विधियों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक व्यवहार के अध्ययन की विभिन्न विधियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- समाज मनोविज्ञान के महत्व पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- अर्ध-प्रयोगात्मक विधि का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- क्षेत्र अध्ययन विधि तथा प्रयोगशाला प्रयोग विधि का तुलनात्मक अध्ययन कीजिये।
- प्रश्न- समाजमिति विधि के गुण-दोष बताइये।
- प्रश्न- निरीक्षण विधि पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- व्यक्ति प्रत्यक्षीकरण का अर्थ स्पष्ट करते हुए उसके स्वरूप को समझाइए।
- प्रश्न- प्रभावांकन के साधन की व्याख्या कीजिए तथा यह किस प्रकार व्यक्ति प्रत्यक्षीकरण में सहायक है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- दूसरे व्यक्तियों के बारे में हमारे मूल्यांकन पर उस व्यक्ति के व्यवहार का क्या प्रभाव पड़ता है? स्पष्ट कीजिए
- प्रश्न- व्यक्ति प्रत्यक्षीकरण से आप क्या समझते हैं? यह जन्मजात है या अर्जित? विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- चित्रीकरण करना किसे कहते हैं?
- प्रश्न- अवचेतन प्रत्यक्षण किसे कहते हैं?
- प्रश्न- सामाजिक प्रत्यक्षण पर संस्कृति का क्या प्रभाव पड़ता है?
- प्रश्न- छवि निर्माण किसे कहते हैं?
- प्रश्न- आत्म प्रत्यक्षण किसे कहते हैं?
- प्रश्न- व्यक्ति प्रत्यक्षण में प्रत्यक्षणकर्ता के गुणों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रत्यक्षपरक सुरक्षा किसे कहते हैं?
- प्रश्न- सामाजिक अनुभूति क्या है? सामाजिक अनुभूति का विकास कैसे होता है?
- प्रश्न- स्कीमा किसे कहते हैं? यह कितने प्रकार का होता है?
- प्रश्न- सामाजिक संज्ञानात्मक के तहत स्कीमा निर्धारण की प्रक्रिया कैसी होती है? व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- बर्नार्ड वीनर के गुणारोपण सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- केली के सह परिवर्तन गुणारोपण सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- क्या स्कीमा स्मृति को प्रभावित करता है? अपने विचार व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- क्या सामाजिक अनुभूति में सांस्कृतिक मतभेद पाए जाते हैं?
- प्रश्न- स्कीम्स (Schemes) तथा स्कीमा (Schema) में क्या अन्तर है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मनोवृत्ति से आप क्या समझते हैं? इसके घटकों को स्पष्ट करते हुए इसकी प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- अभिवृत्ति निर्माण की प्रक्रिया को स्पष्ट करते हुए अभिवृत्ति में परिवर्तन लाने के उपायों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मनोवृत्ति परिवर्तन में हाईडर के संतुलन सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- संज्ञानात्मक अंसवादिता से आप क्या समझते हैं? फेसटिंगर ने किस तरह से इसके द्वारा मनोवृत्ति परिवर्तन की व्याख्या की?
- प्रश्न- मनोवृत्ति की परिभाषा दीजिए। क्या इसका मापन संभव है? अभिवृत्ति मापन की किसी एक विधि की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मनोवृत्ति मापन में लिकर्ट विधि का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- मनोवृत्ति मापन में बोगार्डस विधि के महत्व का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अभिवृत्ति मापन में शब्दार्थ विभेदक मापनी का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अभिवृत्ति को परिभाषित कीजिए। अभिवृत्ति मापन की विधियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मनोवृत्ति को परिभाषित कीजिए। मनोवृत्ति के निर्माण को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अन्तर्वैयक्तिक आकर्षण क्या है? इसके स्वरूप तथा निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अभिवृत्ति के क्या कार्य हैं? लिखिए।
- प्रश्न- अभिवृत्ति और प्रेरणाओं में अन्तर समझाइये।
- प्रश्न- अभिवृत्ति मापन की कठिनाइयों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- थर्स्टन विधि तथा लिकर्ट विधि का तुलनात्मक अध्ययन कीजिए।
- प्रश्न- उपलब्धि प्रेरक पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अन्तर्वैयक्तिक आकर्षण में वैयक्तिक कारकों की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- “अन्तर्वैयक्तिक आकर्षण होने का एक मुख्य आधार समानता है।" विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- आक्रामकता को स्पष्ट कीजिए एवं इसके प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- क्या आक्रामकता जन्मजात होती है? एक उपयुक्त सिद्धान्त द्वारा इसकी आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- कुंठा आक्रामकता सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- क्या आक्रामकता सामाजिक रूप से एक सीखा गया व्यवहार होता है? एक उपयुक्त सिद्धान्त द्वारा इसकी आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- आक्रामकता के प्रमुख सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कुंठा-आक्रामकता सिद्धान्त को बताइए।
- प्रश्न- आक्रामकता को उकसाने वाले प्रमुख कारकों का वर्णन कीजिए। अपने उत्तर के पक्ष में प्रयोगात्मक साक्ष्य भी दें।
- प्रश्न- मानवीय आक्रामकता के वैयक्तिक तथा सामाजिक निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- समाजोपकारी व्यवहार का अर्थ और इसके निर्धारकों पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- प्रतिसामाजिक व्यवहार का स्वरूप तथा विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- सहायतापरक व्यवहार के सामाजिक व सांस्कृतिक निर्धारक का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- परोपकारी व्यवहार को किस प्रकार उन्नत बनाया जा सकता है?
- प्रश्न- सहायतापरक व्यवहार किसे कहते हैं?
- प्रश्न- सहायतापरक व्यवहार के निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अनुरूपता से क्या आशय है? अनुरूपता की प्रमुख विशेषताएँ बताते हुए इसको प्रभावित करने वाले कारकों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- अनुरूपता के सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- पूर्वाग्रह की उपयुक्त परिभाषा दीजिये तथा इसकी प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए। पूर्वाग्रह तथा विभेद में अन्तर बताइये।'
- प्रश्न- सामाजिक पूर्वाग्रहों की प्रवृत्ति की संक्षिप्त रूप में विवेचना कीजिए। इसके हानिकारक प्रभावों को किस प्रकार दूर किया जा सकता है? उदाहरण देकर अपने उत्तर की पुष्टि कीजिये।
- प्रश्न- पूर्वाग्रह कम करने की तकनीकें बताइए।
- प्रश्न- पूर्वाग्रह से आप क्या समझते हैं? इसकी विशेषताओं एवं स्रोतों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- आज्ञापालन (Obedience) पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- दर्शक प्रभाव किसे कहते हैं?
- प्रश्न- पूर्वाग्रह की प्रकृति एवं इसके संघटकों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- पूर्वाग्रह के प्रमुख प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पूर्वाग्रह के नकारात्मक प्रभाव का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- पूर्वाग्रह के विकास और सम्पोषण में निहित प्रमुख संज्ञानात्मक कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पूर्वाग्रह एवं विभेदन को कम करने के लिये कुछ कार्यक्रमों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- समूह समग्रता से आप क्या समझते हैं? समूह समग्रता को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारकों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- समूह मानदंड क्या है? यह किस प्रकार से समूह के लिए कार्य करते हैं?
- प्रश्न- समूह भूमिका किस प्रकार अपने सदस्यों के लिए कार्य करती है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- निवैयक्तिकता से आप क्या समझते हैं? प्रयोगात्मक अध्ययनों से निवैयक्तिकता की प्रक्रिया पर किस तरह का प्रकाश पड़ता है?
- प्रश्न- “सामाजिक सरलीकरण समूह प्रभाव का प्रमुख साधन है। व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- “निर्वैयक्तिता में व्यक्ति अपनी आत्म- अवगतता खो देता है। इस कथन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- समूह के प्रकार बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक श्रमावनयन से आप क्या समझते हैं? इसके कारणों का उल्लेख कीजिए और इसे किस तरह से कम किया जा सकता है? विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- आज्ञापालन (Obedience) पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- समूह निर्णय पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- सामाजिक श्रमावनयन पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- समूह की संरचना पर टिप्पणी लिखिये।