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बीए सेमेस्टर-3 राजनीति विज्ञान
प्रश्न- आर्थिक उदारवाद के इस युग में भारत में गठबंधन की राजनीति के भविष्य की आलोचनात्मक चर्चा कीजिए।
अथवा
भारत में गठबन्धन राजनीति के भविष्य का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए।
उत्तर -
आर्थिक उदारवाद के युग में भारत में गठबंधन
की राजनीति का भविष्य : आलोचनात्मक चर्चा
1990 के दशक के प्रारम्भ के साथ ही वैश्विक राजनीति में आमूलचूल परिवर्तन आये। विश्व में शीत युद्ध के समापन के साथ ही उदारीकरण, निजीकरण व भूमण्डलीकरण जैसी धारणाओं का प्रादुर्भाव हुआ। विश्व में तनाव शैथिल्य को बढ़ावा देते हुए आर्थिक विकास के प्रयास तीव्र हुए। भारत भी आर्थिक उदारीकरण के प्रभाव से दूर न रह सका। भारत में भी आर्थिक विकास व उदारीकरण की लहर दौड़ गयी। ऐसे में गठबन्धन की सरकारें अधिक प्रभावी सिद्ध नहीं हो सकीं। राजनीतिक अस्थिरता का वातावरण आर्थिक विकास के मार्ग को अवरुद्ध करता है और कई बार तो ऐसे अवसर आये हैं कि सरकारें योजनाएँ बनाकर लागू भी नहीं कर पायीं और सरकार बदल गयी। नयी सरकार पुनः श्रम, धन व समय का व्यय करती है और अपनी नीतियों के अनुसार योजनाएँ बनाती है परन्तु गठबन्धन धर्म के पालन की वजह से कई उदारीकरण के मुद्दों पर उसे रुकना पड़ा, झुकना पड़ा। परिणामस्वरूप आर्थिक विकास प्रभावित होता है और देश के आर्थिक माहौल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
वस्तुतः उपर्युक्त परिस्थितियों के चलते भारत में गठबंधन की राजनीति का भविष्य समाप्त होता प्रतीत होता है। जनता भी अब यह तथ्य समझने लगी है कि यदि विकास चाहिये तो राजनीतिक स्थिरता व बहुमत की सरकारों का होना आवश्यक है, ताकि सरकार शीघ्रातिशीघ्र विकास की योजनाएँ बना सके और बिना किसी दबाव के उनका क्रियान्वयन भी करवा सकें। यही कारण है कि भारत में राज्य स्तरीय राजनीति में भी बहुमत की सरकारों का आगमन हुआ है तो वहीं केन्द्र में भी ऐतिहासिक रूप से 20 वर्षों से भी अधिक के गठबन्धन सरकारों के युग का अवसान हुआ और बहुमत की सरकार वर्ष 2014 में बनी। यह परिवर्तन स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं कि मतदाता भी आर्थिक उदारीकरण का लाभ पाना चाहता है। नागरिक त्वरित विकास की अपेक्षाओं पर बल देने लगे हैं और गठबन्धन की राजनीति के दोषों से भी भली प्रकार अवगत हो चुके हैं। गठबन्धन की राजनीति एक प्रकार से सौदेबाजी की राजनीति होती है और इस सौदेबाजी व खींचतान में जनहित व विकास की योजनाएँ व मुद्दे प्रभावित होते हैं। गठबन्धन की राजनीति स्वयं को तमाम छद्मावरणों, विचारधाराओं व नारों के बाद भी पाक साफ सिद्ध नहीं कर पायी है। गठबन्धन की राजनीति ऐन-केन-प्रकारेण सत्ता प्राप्ति, पदलोलुपता व संकुचित हितों की प्रतीक बनती जा रही है। ऐसे राजनीतिक परिदृश्य में आर्थिक उदारीकरण की प्रक्रिया कोरी कल्पना के समान प्रतीत होती है।
वर्तमान युग आर्थिक युग बन चुका है और जनता तेजी से विकास के अवसर चाहती है। ऐसे में गठबन्धन की राजनीति एक बड़ी बाधा प्रतीत होती है। गठबन्धन की राजनीति का प्रारम्भ जिन सिद्धान्तों के साथ हुआ था, वह उन पर खरी नहीं उतर सकी हैं। गठबन्धन की राजनीति के समर्थन में राजनीतिक दल यह तर्क देते हैं कि जनता को दोबारा चुनावों के खर्च के भार से बचाने के लिए मिलीजुली सरकार का निर्माण किया जा रहा है। परन्तु व्यवहारिकता में देखा जाए तो यह तर्क केवल एक छद्म आवरण प्रतीत होता है। राजनीतिक दलों का पूरा ध्यान अपने हितों व स्वार्थों की पूर्ति पर होता है और ये इससे इतना प्रेरित होती हैं कि सरकार से कभी भी समर्थन वापस लेने को तत्पर रहते हैं। साथ ही साथ विकास की नीतियों व कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में भी गठबन्धन की राजनीति बाधा का कार्य करती है। राजनीतिक दलों में आपसी सहमति न बन पाने पर योजनाएँ अधर में लटक जाती हैं यदि सरकार इच्छाशक्ति से प्रयास करना भी चाहे तो समर्थन वापसी की धमकी देकर उसे विवश कर दिया जाता है।
इस प्रकार गठबन्धन की राजनीति तमाम गुणों के बावजूद स्वयं अपने आप में ही एक बड़ा दुर्गण प्रतीत होती है। अतः ऐसे में गठबन्धन की राजनीति का भविष्य बहुत अधिक सुदृढ़ प्रतीत नहीं होता। आर्थिक उदारीकरण हेतु राजनीतिक स्थिरता चाहिए और गठबन्धन की राजनीति व सरकारें इस सन्दर्भ में अवरोध के समान प्रतीत होती हैं। अतः आर्थिक उदारीकरण के युग में गठबन्धन की राजनीति का भविष्य निःसन्देह संकटग्रस्त प्रतीत होता है। अतीत वर्तमान को सुधारकर भविष्य की आधारशिला रखने का मार्ग प्रशस्त करता है। गठबन्धन राजनीति का दूषित अतीत वर्तमान की राजनीतिक स्थितियों को परिवर्तित कर रहा है। आज भारत में केन्द्र सहित अधिकांश महत्वपूर्ण राज्यों के बहुमत की सरकारें कार्यरत हैं और गठबन्धन की सरकारों की तुलना में इनका कर्म अधिक सराहनीय रहा है। अतः ऐसे वर्तमान परिदृश्य को देखते हुए यह स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि यदि गठबन्धन की राजनीति में सकारात्मक प्रवृत्तियों को न अपनाया गया और यह अपने वर्तमान स्वरूप में बनी रही तो शीघ्र ही इसका अस्तित्व समाप्त हो सकता है।
अन्ततः उपर्युक्त सम्पूर्ण विवेचन के आधार पर निष्कर्षतया यह कहा जा सकता है कि आर्थिक # उदारीकरण के युग में भारत में गठबन्धन की राजनीति का भविष्य बहुत अच्छा प्रतीत नहीं होता। यदि राजनीतिक क्षेत्र में वर्तमान परिवर्तनों के समान परिवर्तन जारी रहे तो अन्ततः गठबन्धन की राजनीति अतीत की बात बन कर रह जाएगी।
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- प्रश्न- सन 1909 ई. अधिनियम पारित होने के कारण बताइये।
- प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, (1909 ई.) के प्रमुख प्रावधानों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, 1909 ई. के मुख्य दोषों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 1935 के भारत सरकार अधिनियम की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
- प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, 1935 ई. का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
- प्रश्न- 'भारत के प्रजातन्त्रीकरण में 1935 ई. के अधिनियम ने एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। क्या आप इस कथन से सहमत हैं?
- प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, 1919 ई. के प्रमुख प्रावधानों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सन् 1995 ई. के अधिनियम के अन्तर्गत गर्वनरों की स्थिति व अधिकारों का परीक्षण कीजिए।
- प्रश्न- माण्टेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार (1919 ई.) के प्रमुख गुणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लोकतंत्र के आयाम से आप क्या समझते हैं? लोकतंत्र के सामाजिक आयामों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- लोकतंत्र के राजनीतिक आयामों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- भारतीय राजनीतिक व्यवस्था को आकार देने वाले कारकों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- भारतीय राजनीतिक व्यवस्था को आकार देने वाले संवैधानिक कारकों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- संघवाद (Federalism) से आप क्या समझते हैं? क्या भारतीय संविधान का स्वरूप संघात्मक है? यदि हाँ तो उसके लक्षण क्या-क्या हैं?
- प्रश्न- भारतीय संविधान संघीय व्यवस्था स्थापित करता है। संक्षेप में बताएँ।
- प्रश्न- संघवाद से आप क्या समझते हैं? संघवाद की पूर्व शर्तें क्या हैं? भारत के सन्दर्भ में संघवाद की उभरती हुई प्रवृत्तियों की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- भारत के संघवाद को कठोर ढाँचे में नही ढाला गया है" व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- राज्यों द्वारा स्वयत्तता (Autonomy) की माँग से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- क्या भारत को एक सच्चा संघ (True Federation) कहा जा सकता है?
- प्रश्न- संघीय व्यवस्था में केन्द्र शक्तिशाली है क्यों?
- प्रश्न- क्या भारतीय संघीय व्यवस्था में गठबन्धन की सरकारें अपरिहार्य हैं? चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- क्या क्षेत्रीय राजनीतिक दल भारतीय संघीय व्यवस्था के लिए संकट है? चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- केन्द्रीय सरकार के गठन में क्षेत्रीय राजनीतिक दलों की भूमिका की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भारत में गठबन्धन सरकार की राजनीति क्या है? गठबन्धन धर्म से क्या तात्पर्य है?
- प्रश्न- भारत के प्रमुख राजनीतिक दलों के विषय में संक्षिप्त जानकारी दीजिए।
- प्रश्न- राजनीतिक दलों का वर्गीकरण करें। दलीय पद्धति कितने प्रकार की होती है? गुण-दोषों के आधार पर विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- दलीय पद्धति के लाभ व हानियाँ क्या हैं?
- प्रश्न- भारतीय दलीय व्यवस्था में पिछले 60 वर्षों में आए परिवर्तनों के कारणों की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक उदारवाद के इस युग में भारत में गठबंधन की राजनीति के भविष्य की आलोचनात्मक चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- दलीय प्रणाली (Party System) में क्या दोष पाये जाते हैं?
- प्रश्न- दबाव समूह व राजनीतिक दलों में क्या-क्या अन्तर है?
- प्रश्न- भारत में क्षेत्रीय दलों के उदय एवं विकास के लिए उत्तरदायी तत्व कौन से हैं?
- प्रश्न- 'गठबन्धन धर्म' से क्या तात्पर्य है? क्या यह नियमों एवं सिद्धान्तों के साथ समझौता है?
- प्रश्न- क्षेत्रीय दलों के अवगुण, टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम क्या है? सामुदायिक विकास कार्यक्रम का क्या उद्देश्य है?
- प्रश्न- 73वाँ संविधान संशोधन अधिनियम की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- पंचायती राज से आप क्या समझते हैं? ग्रामीण पुननिर्माण में पंचायतों के कार्यों एवं महत्व को बताइये।
- प्रश्न- भारतीय ग्राम पंचायतों के दोषों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- ग्राम पंचायतों का ग्रामीण समाज में क्या महत्व है?
- प्रश्न- क्षेत्र पंचायत के संगठन तथा कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- जिला पंचायत का संगठन तथा ग्रामीण समाज में इसकी भूमिका की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भारत में स्थानीय शासन के सम्बन्ध में 'पंचायत राज' के सिद्धान्त व व्यवहार की आलोचना कीजिए।
- प्रश्न- नगरपालिका क्या है? तथा नगरपालिका के कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नगरीय स्वायत्त शासन की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- ग्राम सभा के प्रमुख कार्य बताइये।
- प्रश्न- ग्राम पंचायत की आय के प्रमुख साधन बताइये।
- प्रश्न- पंचायती व्यवस्था के चार उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- ग्राम पंचायत के चार अधिकार बताइये।
- प्रश्न- न्याय पंचायत का गठन किस प्रकार किया जाता है?
- प्रश्न- ग्राम पंचायत से आप क्या समझते तथा ग्राम सभा तथा ग्राम पंचायत में क्या अन्तर है?
- प्रश्न- ग्राम पंचायत की उन्नति के लिए सुझाव दीजिए।
- प्रश्न- ग्रामीण समुदाय पर पंचायत के प्रभाव का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में पंचायत राज संस्थाएँ बताइये।
- प्रश्न- क्षेत्र पंचायत का ग्रामीण समाज में क्या महत्व है?
- प्रश्न- ग्राम पंचायत के महत्व को बढ़ाने के लिए सरकार के द्वारा क्या प्रयास किये गये हैं?
- प्रश्न- नगर निगम के संगठनात्मक संरचना का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नगर निगम के भूमिका एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नगरीय स्वशासन संस्थाओं की समस्याओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नगरीय निकायों की संरचना पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- नगर पंचायत पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- दबाव व हित समूह में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- दबाव समूह से आप क्या समझते हैं? दबाव समूहों के क्या लक्षण हैं? दबाव समूहों द्वारा अपनाई जाने वाली कार्यप्रणाली के विषय में बतायें।
- प्रश्न- दबाव समूह अपने हित पूरा करने के लिए किस प्रकार कार्य करते हैं?
- प्रश्न- दबाव समूहों के महत्व पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- भारत के प्रमुख राजनीतिक दलों के विषय में संक्षिप्त जानकारी दीजिए।
- प्रश्न- दबाव समूह किसे कहते हैं? दबाव समूह के कार्यों को लिखिए। भारत की राजनीति में दबाव समूहों की भूमिका की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- मतदान व्यवहार क्या है? मतदान व्यवहार को प्रभावित करने वाले तत्वों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- दबाव समूह व राजनीतिक दलों में क्या-क्या अन्तर है?
- प्रश्न- दबाव समूहों के दोषों का वर्णन करें।
- प्रश्न- भारत में श्रमिक संघों की विशेषताएँ। टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- भारत में निर्वाचन पद्धति के दोषों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारत में निर्वाचन पद्धति के दोषों को दूर करने के सुझाव दीजिए।
- प्रश्न- जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1996 के अंतर्गत चुनाव सुधार के संदर्भ में किये गये प्रावधानों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- क्या निर्वाचन आयोग एक निष्पक्ष एवं स्वतन्त्र संस्था है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- चुनाव सुधारों में बाधाओं पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- मतदान व्यवहार को प्रभावित करने वाले तत्व बताइये।
- प्रश्न- चुनाव सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- अलगाव से आप क्या समझते हैं? अलगाववाद के कारण क्या हैं?
- प्रश्न- भारतीय राजनीति में धर्म की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- धर्मनिरपेक्षता से आप क्या समझते हैं? धर्मनिरपेक्षता के संवैधानिक पक्ष को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सकारात्मक राजनीतिक कार्यवाही से क्या आशय है? इसके लिए भारतीय संविधान में क्या प्रावधान किए गए हैं?
- प्रश्न- जाति को परिभाषित कीजिए। भारतीय राजनीति पर जातिगत प्रभाव का अध्ययन कीजिए। जाति के राजनीतिकरण की विवेचना भी कीजिए।
- प्रश्न- निर्णय प्रक्रिया में राजनीतिक दलों में जाति की क्या भूमिका है?
- प्रश्न- राज्यों की राजनीति को जाति ने किस प्रकार प्रभावित किया है?
- प्रश्न- क्षेत्रीयतावाद (Regionalism) से क्या अभिप्राय है? इसने भारतीय राजनीति को किस प्रकार प्रभावित किया है? क्षेत्रवाद के उदय के क्या कारण हैं?
- प्रश्न- भारतीय राजनीति पर क्षेत्रवाद के प्रभावों का अध्ययन कीजिए।
- प्रश्न- क्षेत्रवाद के उदय के लिए कौन-से तत्व जिम्मेदार हैं?
- प्रश्न- भारत में भाषा और राजनीति के सम्बन्धों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- उर्दू और हिन्दी भाषा को लेकर भारतीय राज्यों में क्या विवाद है? संक्षेप में चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- भाषा की समस्या हल करने के सुझाव दीजिए।
- प्रश्न- साम्प्रदायिकता से आप क्या समझते हैं? साम्प्रदायिकता के उदय के कारण और इसके दुष्परिणामों की चर्चा करते हुए इसको दूर करने के सुझाव बताइये। भारतीय राजनीति पर साम्प्रदायिकता का क्या प्रभाव पड़ा? समझाइये।
- प्रश्न- साम्प्रदायिकता के उदय के पीछे क्या कारण हैं?
- प्रश्न- साम्प्रदायिकता के दुष्परिणामों की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- साम्प्रदायिकता को दूर करने के सुझाव दीजिये।
- प्रश्न- भारतीय राजनीति पर साम्प्रदायिकता के प्रभाव का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- जाति व धर्म की राजनीति भारत में चुनावी राजनीति को कैसे प्रभावित करती है। क्या यह सकारात्मक प्रवृत्ति है या नकारात्मक?
- प्रश्न- "वर्तमान भारतीय राजनीति में धर्म, जाति तथा आरक्षण प्रधान कारक बन गये हैं।" इस पर अपना दृष्टिकोण स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'जातिवाद' और सम्प्रदायवाद प्रजातंत्र के दो बड़े शत्रु हैं। टिप्पणी करें।
- प्रश्न- उत्तर प्रदेश के बँटवारे की राजनीति को समझाइए।
- प्रश्न- जन राजनीतिक संस्कृति के विकास के कारण का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 'भारतीय राजनीति में जाति की भूमिका' संक्षिप्त मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- चुनावी राजनीति में भावनात्मक मुद्दे पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भ्रष्टाचार से क्या अभिप्राय है? भ्रष्टाचार की समस्या के लिए कौन से कारण उत्तरदायी हैं? इस समस्या के समाधान के लिए उपाय बताइए।
- प्रश्न- भ्रष्टाचार के लिए कौन-कौन से कारण उत्तरदायी हैं?
- प्रश्न- भ्रष्टाचार उन्मूलन के कौन-कौन से उपाय हैं?
- प्रश्न- भारत में राजनैतिक, व्यापारिक-औद्योगिक तथा धार्मिक क्षेत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भ्रष्टाचार क्या है? भारत के आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक, व्यापारिक एवं धार्मिक क्षेत्रों में व्याप्त भ्रष्टाचार का वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- भ्रष्टाचार के प्रभावों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार की रोकथाम के सुझाव दीजिये।
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- प्रश्न- राष्ट्रपति शासन क्या है? यह किन परिस्थितियों में लागू होता है? राष्ट्रपति शासन लगने से क्या परिवर्तन होता है?
- प्रश्न- दल-बदल की समस्या (भारतीय राजनैतिक दलों में)।
- प्रश्न- राष्ट्रपति और प्रधानमन्त्री के सम्बन्धों पर वैधानिक व राजनीतिक दृष्टिकोण क्या है? उनके सम्बन्धों के निर्धारक तत्व कौन-से हैं?
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- प्रश्न- संविधान के क्रियाकलापों पर पुनर्विलोकन हेतु स्थापित राष्ट्रीय आयोग (2002) की दलबदल नियम पद संस्तुति, टिप्पणी कीजिए।