बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-3 संस्कृत नाटक एवं व्याकरण बीए सेमेस्टर-3 संस्कृत नाटक एवं व्याकरणसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-3 संस्कृत नाटक एवं व्याकरण
प्रश्न- महाकवि कालिदास के स्थितिकाल पर प्रकाश डालिए।
अथवा
महाकवि कालिदास के समय निर्धारण में विभिन्न मतों की मीमांसा कीजिए।
अथवा
महाकवि कालिदास की तिथि का विद्वानों के मत प्रकट करते हुए निर्धारण कीजिए।
उत्तर -
कविकुलगुरु महाकवि कालिदास संस्कृत वाङ्मय के ही नहीं अपितु विश्व साहित्य में एक देदीप्यमान रत्न हैं। परन्तु उन्होंने जितनी ख्याति प्राप्त की है उतने ही वे अपने समय के विषय में मौन हैं। उन्होंने अपने समय निवास, माता-पिता एवं अभिजन आदि का कहीं भी वर्णन नहीं किया है। अतः कालिदास के विषय में कुछ कहना दुष्कर कार्य है कि उन्होंने किस देश की भूमि को अपने जन्म से सुशोभित किया? किस कुल के मान को बढ़ाया? किन माता-पिता के गौरव को बढ़ाया? आदि। फिर भी उनके स्थितिकाल के विषय में पश्चात्य तथा हमारे देश के विद्वज्जनों ने जिस गवेषणात्मक दृष्टि से कुछ जानना चाहा है, उसी को संक्षेप में प्रस्तुत कर रहे हैं.
1. सर विलियम जोन्स ने कालिदास की स्थिति राजा विक्रमादित्य की सभा में मानी है। इस प्रकार कालिदास का समय ई. सन् से कुछ पूर्व का माना गया है। विक्रमादित्य के द्वारा चलाया गया विक्रम संवत् ई. सं. 57 वर्ष पूर्व का है।
2. डॉ. वेबर, विलियम, मोनियर आदि ने कालिदास का समय ईसा की दूसरी शताब्दी से चतुर्थ शताब्दी के मध्य माना है। इसी मत को कुछ लोग गुप्तकालीन मत भी कहते हैं। उक्त लोगों के मतानुसार कालिदास की स्थिति चन्द्रगुप्त द्वितीय के समय (375 ई. से 475) में मानी गई है। डॉ. एस. के. दे ने भी कालिदास की स्थित इसी युग में मानी है।
3. तृतीय मत के अनुसार कालिदास को ईसा से षष्ठ शतक में माना गया है श्री ए.सी. चटर्जी का मत है कालिदास मालव नरेश यशोवर्मा जो विक्रमादित्य की उपाधि से विभूषित थे, के आश्रम में रहे थे। अतः ईसा की छठी शताब्दी उनका स्थितिकाल है। श्री आर. कृष्णमाचारी का विचार है कि कालिदास आचार्य दिङ्नागानाम के समकालीन थे, जैसाकि मल्लीनाथ ने अपनी टीका (दिङ्नागानाम्) की मीमांसा में कहा है। दिङ्नाग का समय छठी शताब्दी है। अतः कालिदास का भी यही समय होना चाहिए। डॉ. भाऊदा जी का कथन है कि कालिदास का नाम मातृ गुप्त था, जिन्हें उज्जयिनी के राजा विक्रमादित्य ने काश्मीर के शासक के रूप में भेजा था। ये विक्रमादित्य छठी शताब्दी में ही उज्जयिनी के शासक रहे हैं।
4. डॉ. मैक्डानल ने वत्सभट्ट (473 ई.) और कालिदास की समानता के आधार पर उनका समय पांचवी या छठी शताब्दी माना है। उनके अनुसार कालिदास के कार्यों में "गोत्ते", "गोप्ते', 'गुप्त' स्कन्द आदि शब्दों में प्राचुर्य से उनका गुप्तवंशीय नरेशों के प्रति अनुराग प्रकट होता है। अतः उनकी स्थिति उसी समय में उचित है।
डॉ. राजबली पाण्डेय, प्रो. जी. सी. झाला, प्रो. चट्टोपाध्याय, आदि कतिपय विद्वानों ने कालिदास' का स्थितकाल ई. पू. प्रथम शताब्दी माना है।
डॉ. राजबली पाण्डेय का अभिमत है कि कालिदास के समय निर्धारण के लिए विक्रमादित्य को भली-भाँति समझना आवश्यक है। वास्तविक विक्रमादित्य को समझने के लिए उसमें निम्नलिखित बातों का होना आवश्यक है -
1. मालव और उज्जयिनी राजधानी होना।
2. शकारि होना।
3. 57 ई. पू. में सम्वत् का प्रवर्तक होना।
4. कालिदास का आश्रयदाता होना।
डॉ. पाण्डेय ने ऐतिहासिक अन्वेषण के आधार पर उपर्युक्त बातें ई. पू. प्रथम शताब्दी में स्थिति विक्रमादित्य में बतलायीं तथा विक्रमादित्य के समकालीन होने के कारण कालिदास की स्थिति उस समय में मानी है। इसके अतिरिक्त कालिदास का आश्रयदाता कोई शैव राजा ही था। उसका सादृश्य गुप्तवंशीय वैष्णव सम्राट चंद्रगुप्त द्वितीय में खोजना अनुचित है। कालिदास ने रघुवंश के छठे सर्ग में जिन पाण्डव नरेशों का चित्रण किया उनकी स्थिति प्रथम शताब्दी है।
उपर्युक्त विभिन्न मतों के विश्लेषण से पता चलता है कि कालिदास की स्थिति ई. पू. प्रथम शताब्दी में रही है और वे मालवगण मुख्य शकारि विक्रमादित्य के आश्रय में उज्जयिनी नामक नगरी में रह रहे हैं
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- प्रश्न- भास का काल निर्धारण कीजिये।
- प्रश्न- भास की नाट्य कला पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भास की नाट्य कृतियों का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- अश्वघोष के जीवन परिचय का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अश्वघोष के व्यक्तित्व एवं शास्त्रीय ज्ञान की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- महाकवि अश्वघोष की कृतियों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- महाकवि अश्वघोष के काव्य की काव्यगत विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- महाकवि भवभूति का परिचय लिखिए।
- प्रश्न- महाकवि भवभूति की नाट्य कला की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- "कारुण्यं भवभूतिरेव तनुते" इस कथन की विस्तृत विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- महाकवि भट्ट नारायण का परिचय देकर वेणी संहार नाटक की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- भट्टनारायण की नाट्यशास्त्रीय समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- भट्टनारायण की शैली पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- महाकवि विशाखदत्त के जीवन काल की विस्तृत समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- महाकवि भास के नाटकों के नाम बताइए।
- प्रश्न- भास को अग्नि का मित्र क्यों कहते हैं?
- प्रश्न- 'भासो हास:' इस कथन का क्या तात्पर्य है?
- प्रश्न- भास संस्कृत में प्रथम एकांकी नाटक लेखक हैं?
- प्रश्न- क्या भास ने 'पताका-स्थानक' का सुन्दर प्रयोग किया है?
- प्रश्न- भास के द्वारा रचित नाटकों में, रचनाकार के रूप में क्या मतभेद है?
- प्रश्न- महाकवि अश्वघोष के चित्रण में पुण्य का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- अश्वघोष की अलंकार योजना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अश्वघोष के स्थितिकाल की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अश्वघोष महावैयाकरण थे - उनके काव्य के आधार पर सिद्ध कीजिए।
- प्रश्न- 'अश्वघोष की रचनाओं में काव्य और दर्शन का समन्वय है' इस कथन की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- 'कारुण्यं भवभूतिरेव तनुते' इस कथन का क्या तात्पर्य है?
- प्रश्न- भवभूति की रचनाओं के नाम बताइए।
- प्रश्न- भवभूति का सबसे प्रिय छन्द कौन-सा है?
- प्रश्न- उत्तररामचरित के रचयिता का नाम भवभूति क्यों पड़ा?
- प्रश्न- 'उत्तरेरामचरिते भवभूतिर्विशिष्यते' इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?
- प्रश्न- महाकवि भवभूति के प्रकृति-चित्रण पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- वेणीसंहार नाटक के रचयिता कौन हैं?
- प्रश्न- भट्टनारायण कृत वेणीसंहार नाटक का प्रमुख रस कौन-सा है?
- प्रश्न- क्या अभिनय की दृष्टि से वेणीसंहार सफल नाटक है?
- प्रश्न- भट्टनारायण की जाति एवं पाण्डित्य पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भट्टनारायण एवं वेणीसंहार का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- महाकवि विशाखदत्त का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- 'मुद्राराक्षस' नाटक का रचयिता कौन है?
- प्रश्न- विखाखदत्त के नाटक का नाम 'मुद्राराक्षस' क्यों पड़ा?
- प्रश्न- 'मुद्राराक्षस' नाटक का नायक कौन है?
- प्रश्न- 'मुद्राराक्षस' नाटकीय विधान की दृष्टि से सफल है या नहीं?
- प्रश्न- मुद्राराक्षस में कुल कितने अंक हैं?
- प्रश्न- निम्नलिखित पद्यों का सप्रसंग हिन्दी अनुवाद कीजिए तथा टिप्पणी लिखिए -
- प्रश्न- निम्नलिखित श्लोकों की सप्रसंग - संस्कृत व्याख्या कीजिए -
- प्रश्न- निम्नलिखित सूक्तियों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- "वैदर्भी कालिदास की रसपेशलता का प्राण है।' इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?
- प्रश्न- अभिज्ञानशाकुन्तलम् के नाम का स्पष्टीकरण करते हुए उसकी सार्थकता सिद्ध कीजिए।
- प्रश्न- 'उपमा कालिदासस्य की सर्थकता सिद्ध कीजिए।
- प्रश्न- अभिज्ञानशाकुन्तलम् को लक्ष्यकर महाकवि कालिदास की शैली का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- महाकवि कालिदास के स्थितिकाल पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'अभिज्ञानशाकुन्तलम्' नाटक के नाम की व्युत्पत्ति बतलाइये।
- प्रश्न- 'वैदर्भी रीति सन्दर्भे कालिदासो विशिष्यते। इस कथन की दृष्टि से कालिदास के रचना वैशिष्टय पर प्रकाश डालिए।
- अध्याय - 3 अभिज्ञानशाकुन्तलम (अंक 3 से 4) अनुवाद तथा टिप्पणी
- प्रश्न- निम्नलिखित श्लोकों की सप्रसंग - संस्कृत व्याख्या कीजिए -
- प्रश्न- निम्नलिखित सूक्तियों की व्याख्या कीजिए -
- प्रश्न- अभिज्ञानशाकुन्तलम्' नाटक के प्रधान नायक का चरित्र-चित्रण कीजिए।
- प्रश्न- शकुन्तला के चरित्र-चित्रण में महाकवि ने अपनी कल्पना शक्ति का सदुपयोग किया है
- प्रश्न- प्रियम्वदा और अनसूया के चरित्र की तुलनात्मक समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- अभिज्ञानशाकुन्तलम् में चित्रित विदूषक का चरित्र-चित्रण कीजिए।
- प्रश्न- अभिज्ञानशाकुन्तलम् की मूलकथा वस्तु के स्रोत पर प्रकाश डालते हुए उसमें कवि के द्वारा किये गये परिवर्तनों की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- अभिज्ञानशाकुन्तलम् के प्रधान रस की सोदाहरण मीमांसा कीजिए।
- प्रश्न- महाकवि कालिदास के प्रकृति चित्रण की समीक्षा शाकुन्तलम् के आलोक में कीजिए।
- प्रश्न- अभिज्ञानशाकुन्तलम् के चतुर्थ अंक की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- शकुन्तला के सौन्दर्य का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- अभिज्ञानशाकुन्तलम् का कथासार लिखिए।
- प्रश्न- 'काव्येषु नाटकं रम्यं तत्र रम्या शकुन्तला' इस उक्ति के अनुसार 'अभिज्ञानशाकुन्तलम्' की रम्यता पर सोदाहरण प्रकाश डालिए।
- अध्याय - 4 स्वप्नवासवदत्तम् (प्रथम अंक) अनुवाद एवं व्याख्या भाग
- प्रश्न- भाषा का काल निर्धारण कीजिये।
- प्रश्न- नाटक किसे कहते हैं? विस्तारपूर्वक बताइये।
- प्रश्न- नाटकों की उत्पत्ति एवं विकास क्रम पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- भास की नाट्य कला पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'स्वप्नवासवदत्तम्' नाटक की साहित्यिक समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- स्वप्नवासवदत्तम् के आधार पर भास की भाषा शैली का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- स्वप्नवासवदत्तम् के अनुसार प्रकृति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- महाराज उद्यन का चरित्र चित्रण कीजिए।
- प्रश्न- स्वप्नवासवदत्तम् नाटक की नायिका कौन है?
- प्रश्न- राजा उदयन किस कोटि के नायक हैं?
- प्रश्न- स्वप्नवासवदत्तम् के आधार पर पद्मावती की चारित्रिक विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- भास की नाट्य कृतियों का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- स्वप्नवासवदत्तम् के प्रथम अंक का सार संक्षेप में लिखिए।
- प्रश्न- यौगन्धरायण का वासवदत्ता को उदयन से छिपाने का क्या कारण था? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'काले-काले छिद्यन्ते रुह्यते च' उक्ति की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- "दुःख न्यासस्य रक्षणम्" का क्या तात्पर्य है?
- प्रश्न- निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए : -
- प्रश्न- निम्नलिखित सूत्रों की व्याख्या कीजिये (रूपसिद्धि सामान्य परिचय अजन्तप्रकरण) -
- प्रश्न- निम्नलिखित पदों की रूपसिद्धि कीजिये।
- प्रश्न- निम्नलिखित सूत्रों की व्याख्या कीजिए (अजन्तप्रकरण - स्त्रीलिङ्ग - रमा, सर्वा, मति। नपुंसकलिङ्ग - ज्ञान, वारि।)
- प्रश्न- निम्नलिखित पदों की रूपसिद्धि कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित सूत्रों की व्याख्या कीजिए (हलन्त प्रकरण (लघुसिद्धान्तकौमुदी) - I - पुल्लिंग इदम् राजन्, तद्, अस्मद्, युष्मद्, किम् )।
- प्रश्न- निम्नलिखित रूपों की सिद्धि कीजिए -
- प्रश्न- निम्नलिखित पदों की रूपसिद्धि कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित सूत्रों की व्याख्या कीजिए (हलन्तप्रकरण (लघुसिद्धान्तकौमुदी) - II - स्त्रीलिंग - किम्, अप्, इदम्) ।
- प्रश्न- निम्नलिखित पदों की रूप सिद्धि कीजिए - (पहले किम् की रूपमाला रखें)