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बी.ए._बी.एस-सी._बी.कॉम. ( III सेमेस्टर) मानव मूल्य एवं पर्यावरण अध्ययन

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2654
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बी.ए./बी.एस-सी./बी.कॉम. ( III सेमेस्टर)  मानव मूल्य एवं पर्यावरण अध्ययन

आध्यात्मिक मूल्य

व्यक्तिगत परिपक्वता के बारे में, व्यक्ति के आध्यात्मिक मूल्य विकास के उच्चतम स्तर को प्रमाणित करते हैं। अपनी प्रकृति से आध्यात्मिकता ही एक संरचना नहीं हैं, बल्कि मानव अस्तित्व का एक तरीका है, जिसमें जिम्मेदारी और स्वतंत्रता शामिल है।

मूल्य वे हैं जो प्रत्येक व्यक्ति को अलगाव से बाहर निकलने में मदद करते है, केवल भौतिक आवश्यकताओं से ही सीमित होते हैं। उनके लिए एक व्यक्ति उच्च शक्तियों की रचनात्मक ऊर्जा का हिस्सा बन जाता है। वह उच्च स्तर के विकास पर दुनिया के साथ अंतः क्रिया में खुलने के बाद अपने भीतर की आत्मा की सीमाओं से आगे निकलने में सक्षम है।

यह ध्यान रखना महत्त्वपूर्ण है कि आध्यात्मिक मूल्य किसी व्यक्ति को कुछ क्रियाएँ करने के लिए प्रेरित करते हैं, जो साधारण, सामान्य से मूल रूप से भिन्न होते हैं। इसके अलावा, जिम्मेदारी के लिए एक शर्त के रूप में कार्य करते हैं, ये व्यक्तिगत स्वतंत्रता, अनंतता प्रदान करते हैं।

आध्यात्मिक मूल्यों के प्रकार

1. मूल्य हैं आदर्श हैं, मुख्य जीवन गाइड हैं, जो व्यक्तित्व के ब्रह्मांड को अस्तित्व के साथ जोड़ते हैं। व्यक्ति के लिए और प्रत्येक संस्कृति के इतिहास के लिए, उनके पास एक पूरी तरह व्यक्तिगत चरित्र है। इस प्रजाति में अंतर्निहित मुख्य अवधारणाएँ जीवन और मृत्यु, अच्छे और बुरे, शांति और युद्ध के विरोध हैं। अतीत, स्मृति, भविष्य, समय, वर्तमान, अनंत काल यह वैचारिक मूल्य है जो व्यक्ति द्वारा कमजोर होते हैं। वे पूरी दुनिया के बारे में एक विचार बनाते हैं, निस्संदेह, हर संस्कृति के लिए विशिष्ट है। इसके अलावा, इस तरह के दार्शनिक मूल्य इस दुनिया में मौजूद स्थान के बारे में दूसरों के संबंधों को निर्धारित करने में मदद करते हैं। व्यक्तित्व, स्वतंत्रता, मानवता और रचनात्मकता के बारे में विचार इस में हमारी सहायता करते हैं। यह ध्यान देने योग्य है कि वे दूसरी प्रजातियों से संबंधित मूल्यों पर सीमाबद्ध हैं। प्रबन्धन में सभी प्रकार के मूल्यों का अपना विशिष्ट महत्त्व है।

2. नैतिक उन आध्यात्मिक मूल्यों को संदर्भित करता है जो व्यक्ति को मौजूदा और उचित कार्यों, अवधारणाओं के बीच शाश्वत संघर्ष के संदर्भ में लोगों के साथ अपने संबंधों को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। मूल्यों की यह श्रेणी इस तरह के अनचाहे कानूनों से जुड़ी है: प्रतिबंध, सिद्धांत, मानदंड, विनिमय। यहाँ मुख्य चीजें अच्छी और बुरी हैं। उनके बारे में एक व्यक्ति का प्रतिनिधित्व, सबसे पहले, निम्नलिखित मूल्यों की व्याख्या निर्धारित करता है: गरिमा, मानवता, न्याय और दया। यह उनकी मदद से है कि मनुष्य खुद को सभी मानव जाति के हिस्से के रूप में देखने में सक्षम है। इन अवधारणाओं के लिए धन्यवाद को नैतिकता का मुख्य, "सुनहरा" नियम बनाया गया है, "दूसरों के साथ ऐसा करें जैसा आप अपने संबंध में व्यवहार करना चाहते हैं।" नैतिक मूल्य समुदायों, लोगों के समूहों के बीच संबंधों को नियंत्रित करते हैं और निम्नलिखित अवधारणाओं को भी शामिल करते हैं-

• अखंडता;
• वफादारी;
• देशभक्ति;
• ऋण;
• सम्मान;
• समष्टिवाद;
• कड़ी मेहनत;
• शिष्टाचार;
• चातुर्य।

3. सद्भावना, इसकी पहचान के निर्माण से जुड़े हैं - सौंदर्य संबंधी मूल्य। मनोवैज्ञानिक आराम की भावना होती है जब व्यक्ति दुनिया के साथ और अपने साथ संबंध स्थापित करने का प्रबंधन करता है। आध्यात्मिक मूल्यों की यह श्रेणी मानव जीवन में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है, क्योंकि वे अपनी भावनात्मक संस्कृति, मजबूत चरित्र का अनुभव करने की क्षमता, भावनाओं और मनोदशा के विभिन्न रंगों को महसूस करने की क्षमता से निकटता से संबंधित हैं। सौंदर्यशास्त्र मूल्य अखंडता, पूर्णता का प्रतिनिधित्व करता है और इसमें शामिल हैं - हास्य, सुंदरता, दुखद और उत्कृष्ट |

आध्यात्मिक और नैतिक मूल्य - नैतिक मूल्य मानदंडों का एक सेट है जो प्रत्येक व्यक्ति के नैतिक संहिता का निर्माण करता है। वे आध्यात्मिक रूप के साथ समाज के आधार के रूप में। इस प्रकार, आध्यात्मिक मूल्य जीवन के आयाम हैं, न कि नई सामग्री अधिग्रहण की संख्या और बटुए में धन की मात्रा, लेकिन नैतिक सिद्धांत सिद्धांत हैं जो किसी भी स्थिति में किसी व्यक्ति के लिए मौलिक हैं। वे किसी भी परिस्थिति में इसे तोड़ नहीं सकते।

धर्मनिरपेक्षीकरण शब्द - धर्मनिरपेक्षीकरण तथा धर्मनिरपेक्षता शब्दों की कोई निश्चित परिभाषा नहीं हैं। विभिन्न परिस्थितियों तथा परिदृश्यों के आधार पर इनके अर्थ भी भिन्न हो जाते हैं।

धर्मनिरपेक्ष शब्द की उत्पत्ति लैटिन के शब्द 'सेक्यूलर' से हुई है, जिसका अर्थ है- 'वर्तमान युग अथवा पीढ़ी'। धर्मनिरपेक्ष शब्द धर्म निरपेक्षीकरण की सामाजिक प्रक्रिया से जुड़ा है।

धर्मनिरपेक्षता को यूरोप में व्यवहार में लाया गया, वहाँ इसका उपयोग कुछ क्षेत्रों को चर्च के अधिकार से निकाल कर राज्य अथवा धर्मनिरपेक्ष संस्था के प्रभाव के अधीन हस्तांतरित करने के लिए किया गया।

धर्मनिरपेक्षीकरण की प्रक्रिया के बारे में विस्तार से चर्चा करते हुए ब्रायन आर. विलसन लिखते हैं-- धर्मनिरपेक्षीकरण की प्रक्रिया के अंतर्गत "विभिन्न सामाजिक संस्थाएँ धीरे-धीरे एक दूसरे से अलग हो जाती हैं तथा वे उन धार्मिक अवधारणाओं की पकड़ से बहुत हद तक मुक्त हो जाती हैं जिन्होंने इनके संचालन को प्रेरित तथा नियंत्रित किया था। इस बदलाव से पूर्व, अधिकतर मानवीय क्रियाओं व संगठन के विशाल क्षेत्र से संबंधित सामाजिक प्रक्रिया को पहले से तय धार्मिक सिद्धांतों के आधार पर संचालित किया जा रहा है। इसमें जीविका व अन्य कार्य, सामाजिक व व्यक्तिगत पारस्परिक संबंध न्याय कार्य-प्रणाली, सामाजिक व्यवस्था, चिकित्सा पद्धति आदि शामिल हैं।

मूल्य के रूप में धर्मनिरपेक्षता - फ्रांसीसी क्रांति के बाद धर्मनिरपेक्षता नए राजनीति दर्शन का आदर्शवादी उद्देश्य बन बई थी। कुछ समय पश्चात 1851 में जॉर्ज जेकब होलिओक ने 'धर्मनिरपेक्षता' शब्द का प्रतिपादन किया। उसने इसे एकमात्र राजनीति व सामाजिक संगठन का तर्कसंगत आधार बताया। होलिओक ने सामाजिक समूह के धार्मिक आधार के बारे में प्रश्न उठाते हुए धर्मनिरपेक्षता को राज्य की आदर्श विचारधारा के रूप में आगे बढ़ाया। जो भौतिक साधनों द्वारा मानवीय कल्याण को प्रोत्साहित करती है तथा दूसरों की सेवा को अपना कर्तव्य समझती है।

धर्म निरपेक्षीकरण की प्रक्रिया का सामाजिक संदर्भ

यूरोप में धर्मनिरपेक्षीकरण के समय, समाज अपनी मध्ययुगीन तंद्रा को भंग कर परिवर्तन के नये क्षेत्रों की ओर अपनी आँखें खोल रहा था। प्रश्नों के लिए तर्कसंगत व प्रयोगसिद्ध उत्तरों की माँग बढ़ रही थी। चर्च में सुधारवाद की प्रक्रिया चल रही थी तथा कला-कौशल व विद्या के संबंध में नवजागरण चल रहा था।

नवजागरण काल - 14वीं तथा 16वीं शताब्दी में यूरोप में कई व्यक्ति जो पढ़ना-लिखना जानते थे, उन्होंने इस बात की ओर ध्यान देना कम कर दिया कि उनके शासक तथा पादरी उन्हें क्या बताते हैं। उन्होंने अपने लिये नये विचारों पर कार्य करना आरंभ किया। उनकी रुचि प्राचीन यूनानियों तथा रोमनों की कला तथा ज्ञान के प्रति भी बढ़ी। सोच के इस नये तरीके तथा प्राचीन ज्ञान की पुनः खोज ने इतिहास में एक ओजस्वी काल को जन्म दिया, जिसे 'रेनेसा' के नाम से जाता जाता है। इस फ्रांसीसी शब्द का अर्थ है - नवजागरण |

तर्कसंगत ज्ञान इस आंदोलन का मूल था, तथा यह बात कला, भवन निर्माण, संगीत, साहित्य आदि में प्रकट हुई। नवजागरण काल में विचार तथा शिक्षा के प्रति योगदान के रूप में प्राचीन संपदा पर बल दिया गया। नवजागरण काल में लोगों की उत्सुकता उस संसार के बारे में बढ़ी जिसमें वे रह रहे थे। धनी लोगों ने पुस्तकालयों तथा विश्वविद्यालयों का निर्माण किया। छापेखाने के आविष्कार के कारण पुस्तकें केवल पादरियों व विद्वानों को ही नहीं वरन् जनसामान्य को भी सरलता से उपलब्ध होने लगीं।

व्यापार व वाणिज्य का विकास -15वीं शताब्दी ने जीविका आधारित तथा स्थिर अर्थव्यवस्था को गतिशील तथा विश्वव्यापी व्यवस्था को और मोड़ने में भी दिशा प्रदान की। व्यापार का विकास कुछ हद तक यूरोपीय राज्यों द्वारा उनकी आर्थिक व राजनीतिक शक्ति को विकसित तथा स्थापित करने के लिए उठाये गये कदमों के कारण भी हुआ। पुर्तगाल, स्पेन, हॉलैंड तथा इंग्लैंड की राजशाही ने समुद्र पार खोजों, व्यापार तथा राज्यों को जीतने की क्रियाओं को प्रायोजित किया।

ब्रिटेन व हॉलैंड ने भी स्पेन तथा पुर्तगाल का अनुसरण किया। शीघ्र ही भारत, दक्षिण - पूर्व एशिया, अफ्रीका, वेस्ट इंडीज तथा दक्षिण अमेरिका इन देशों के आर्थिक घेरे में आ गए।

यूरोपीय बाजारों में नयी वस्तुओं, मसालों, कपड़ों, तम्बाकू कोको, हाथी दाँत, सोना, चाँदी और इन सबसे बढ़ कर अफ्रीका से लाए मानव गुलामों की बहुतायत हो गई थी। व्यापार व वाणिज्य के इस विकास का महत्त्वपूर्ण परिणाम था - मध्यम वर्ग का विकास। यह वर्ग, जिसमें व्यापारी, बैंकर, समुद्रीपोत के स्वामी शामिल थे, प्रभावशाली तथा राजनीतिक दृष्टि से शक्तिशाली वर्ग बन गया।

इन क्रांतिकारी परिवर्तनों के साथ ही, विचारधारा तथा धर्म-संस्था संगठन में विच्छेद उत्पन्न हुआ जिसे 'सुधारीकरण के रूप में पहचाना जाता है।

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    अनुक्रम

  1. अध्याय-1 मानव मूल्य (Human Values) पाठ्य सामग्री
  2. मूल्यों के प्रकार
  3. भारतीय संस्था में विकसित मूल्य
  4. उद्यम प्रबन्धन में मूल्य
  5. पेशे के प्रति वफादारी की श्रेणियाँ
  6. पेशे के प्रति वफादारी के मूल्य के सिद्धान्त
  7. समाज कार्य पेशे के प्रति निष्ठा का पालन
  8. प्रबन्धन में सांस्कृतिक मानवीय मूल्य
  9. दर्शन
  10. सांस्कृतिक मूल्य
  11. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञांत कीजिए।
  12. अध्याय - 2 चरित्र निर्माण में स्वामी विवेकानन्द के सिद्धान्त (The Principles of Swami Vivekanand in Character Building) पाठ्य सामग्री
  13. भारत के युवाओं के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती क्या है?
  14. सात पापों की गाँधीवादी अवधारणा
  15. अहिंसा का दर्शन और गाँधी
  16. माता-पिता तथा अध्यापकों की भूमिका के प्रति डॉ० ए० पी० जे० अब्दुल कलाम के विचार
  17. माता-पिता तथा शिक्षक की भूमिका के प्रति APJ अब्दुल कलाम के विचार
  18. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए।
  19. अध्याय - 3 मानव मूल्य और वर्तमानव्यवहार-मुद्दे : भ्रष्टाचार एवं रिश्वत (Human Values and Present Behaviour Issues: Corruption and Bribe) पाठ्य सामग्री
  20. भ्रष्टाचार के दुष्प्रभाव
  21. भ्रष्टाचार व असमानता
  22. विभिन्न क्षेत्रों में भ्रष्टाचार
  23. संचार माध्यमों (मीडिया) का भ्रष्टाचार
  24. चुनाव सम्बन्धी भ्रष्टाचार
  25. नौकरशाही का भ्रष्टाचार
  26. कॉरपोरेट भ्रष्टाचार
  27. शिक्षा के क्षेत्र में भ्रष्टाचार
  28. विविध भ्रष्टाचार
  29. भ्रष्टाचार और स्विस बैंक
  30. समाधान
  31. रिश्वत
  32. सामाजिक नेटवर्क एवं संचार में व्यक्तिगत नीति
  33. विशिष्ट संरचना
  34. ऑनलाइन शॉपिंग
  35. यूनाइटेड किंगडम का रिश्वत अधिनियम
  36. सामान्य रिश्वतखोरी अपराध
  37. विदेशी सरकारी अधिकारियों की रिश्वत
  38. अभियोजन और दंड
  39. अन्य प्रावधान
  40. रिश्वत अधिनियम का अनुपालन
  41. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए।
  42. अध्याय - 4 नीतिशास्त्र के सिद्धान्त (Principles of Ethics) पाठ्य सामग्री
  43. महत्त्वपूर्ण परिभाषाएँ
  44. नीतिशास्त्र के प्रमुख सिद्धान्त
  45. आध्यात्मिक मूल्य
  46. भारत में धर्मनिरपेक्षता का अर्थ
  47. निगमित सामाजिक उत्तरदायित्व (Corporate social responsibility या "CSR" )
  48. रतन नवल टाटा
  49. अजीम हाशिम प्रेमजी
  50. बिल गेट्स
  51. माइक्रोसॉफ्ट
  52. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए।
  53. अध्याय - 5 निर्णय निर्माण में धार्मिकता (Holistic Approach in Decision Making) पाठ्य सामग्री
  54. समस्या का विश्लेषण करने के तरीके
  55. श्रीमद्भगवत् गीता : प्रबंधन में तकनीक (The Bhagwat Gita : Techniques in Management)
  56. धर्म एवं जीवन प्रबंधन
  57. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए।
  58. अध्याय - 6 चर्चा द्वारा दुविधाओं की व्याख्या (Elaboration of Dilemmas through Discussion) पाठ्य सामग्री
  59. विपणन संगठन : अर्थ व उद्देश्य
  60. मार्केटिंग की दुविधा
  61. भारतीय दवा उद्योग
  62. जेनेरिक दवा (Generic Drug)
  63. निजीकरण में दुविधा (Dilemma of Privatisation)
  64. सार्वजनिक उद्यमों द्वारा संतोषजनक कार्य न करने के कारण
  65. निजीकरण
  66. उदारीकरण में दुविधा (Dilemma on Liberalisation)
  67. भारतीय अर्थव्यवस्था पर उदारीकरण का प्रभाव
  68. सोशल मीडिया एवं साइबर सुरक्षा में दुविधा (Dilemmas in Social Media and Cyber Security)
  69. सोशल मीडिया और भारत
  70. सोशल मीडिया से जुड़ी समस्याएँ
  71. सोशल मीडिया और निजता का मुद्दा
  72. साइबर सुरक्षा दृष्टिकोण के समक्ष समस्याएँ
  73. साइबर सुरक्षा की दिशा में किये गए सरकार के प्रयास
  74. जैविक खाद्य पदार्थों की दुविधा (Dilemma on Organie Food)
  75. खाद्य मानक का महत्त्व
  76. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए।
  77. अध्याय - 7 पारितन्त्र (Ecosystem) पाठ्य सामग्री
  78. पारितन्त्र की संरचना एवं कार्य प्रणाली (Structure and Functioning of Ecosystem)
  79. आहार श्रृंखला (Food Chain)
  80. खाद्य जाल (Food Web)
  81. ऊर्जा प्रवाह (Energy Flow)
  82. पारिस्थितिक पिरामिड (Ecological Pyramids)
  83. जैव विविधता का संरक्षण (Conservation of Biodiversity)
  84. जर्मप्लाज्म बैंक अथवा जीन बैंक (Germplasm Bank or Gene Bank)
  85. स्वस्थानें एवं उत्स्थाने संरक्षण (In situ conservation & Ex-situ Conservation of Biodiversity)
  86. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए।
  87. अध्याय - 8 व्यक्ति विशेष की प्रदूषण नियंत्रण में भूमिका (Role of Individual in Pollution Control) पाठ्य सामग्री
  88. जनसंख्या एवं पर्यावरण Population & Environment)
  89. दीर्घकालिक या ठोस विकास (Sustainable Development)
  90. वस्तुनिष्ठ प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए।
  91. अध्याय - 9 भारत एवं संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास के लक्ष्य (Sustainable Development Goals of India and UN) पाठ्य सामग्री
  92. यूएनडीपी की भूमिका
  93. सर्कुलर अर्थव्यवस्था की अवधारणा एवं उद्योग उपक्रम (Concept of circular economy and entrepreneurship)
  94. वस्तुनिष्ठ प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए।
  95. अध्याय - 10 पर्यावरणीय नियम (Environmental Laws) पाठ्य सामग्री
  96. वन अधिकार अधिनियम 2006
  97. स्वस्थ पर्यावरण का अधिकार
  98. पर्यावरणीय संरक्षण में अन्तर्राष्ट्रीय उन्नति (International Advancement in Environmental Conservation)
  99. वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर (WWF)
  100. राष्ट्रीय हरित अधिकरण (National Green Tribunal)
  101. NGT के महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक निर्णय
  102. वस्तुनिष्ठ प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए।
  103. अध्याय - 11 हवा की गुणवत्ता (Quality of Air) पाठ्य सामग्री
  104. संयुक्त राष्ट्र की रिर्पोट के अनुसार
  105. संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम
  106. वायु गुणवत्ता सूचकांक
  107. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
  108. भारतीय परम्परागत पर्यावरणीय ज्ञान का महत्त्व (Importance of Indian Traditional knowledge on Environment)
  109. पर्यावरणीय गुणवत्ता का जैव मूल्यांकन (Bio Assessment of Environmental Quality)
  110. पर्यावरण का क्षेत्र
  111. पर्यावरण का महत्त्व
  112. वस्तुनिष्ठ प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए।
  113. अध्याय - 12 पर्यावरण प्रबन्धन (Environment Management) पाठ्य सामग्री
  114. पर्यावरण प्रबंधन की प्रणालियाँ
  115. पर्यावरण आकलन का महत्त्व (Importance of Environment Assessment )
  116. पर्यावरणीय प्रभाव आकलन के उद्देश्य
  117. भारत में पर्यावरणीय प्रभाव का आकलन
  118. पर्यावरणीय ऑडिट (Environmental Audit)
  119. पर्यावरण ऑडिट कितने प्रकार के होते हैं?
  120. पर्यावरण लेखा परीक्षा के लाभ
  121. वस्तुनिष्ठ प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए।

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