बी ए - एम ए >> बी.ए._बी.एस-सी._बी.कॉम. ( III सेमेस्टर) मानव मूल्य एवं पर्यावरण अध्ययन बी.ए._बी.एस-सी._बी.कॉम. ( III सेमेस्टर) मानव मूल्य एवं पर्यावरण अध्ययनसरल प्रश्नोत्तर समूह
|
0 |
बी.ए./बी.एस-सी./बी.कॉम. ( III सेमेस्टर) मानव मूल्य एवं पर्यावरण अध्ययन
उदारीकरण में दुविधा
(Dilemma on Liberalisation)
उदारीकरण क्या है? व्यवस्था से अनावश्यक प्रतिबंधों को हटाकर उसे उदारवादी बनाने की प्रक्रिया उदारीकरण कहलाती है। आर्थिक उदारीकरण की बात करें तो इसका अर्थ व्यापार को अनावश्यक प्रतिबंधों से मुक्त करना है। नियम कानूनों को सरल बनाना ताकि स्वतंत्र बाजार व्यवस्था का निर्माण किया जा सके।
आर्थिक उदारीकरण
आर्थिक उदारीकरण प्रक्रिया के अंतर्गत व्यापार का सरलीकरण किया जाता है। व्यापारियों को एक स्वतंत्र माहौल प्रदान किया जाता है जिसमें वे बाजार कारकों के अनुसार नीतिगत फैसले कर सके और उत्पादों के दाम तय कर सके। उदारीकरण प्रक्रिया के तहत सरकार अर्थव्यवस्था की गतिविधियों में अपने हस्तक्षेप को कम कर देती है। अर्थव्यवस्था को सभी के लिए खोल दिया जाता है और बाजार पूरी तरह से माँग और पूर्ति पर आधारित रहते हैं।
बीते कुछ दशकों में आर्थिक उदारीकरण नीति के कारण अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में काफी वृद्धि देखने को मिली है। साल 1948 और 1997 के बीच अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में औसतन 6 प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई है। वैश्विक स्तर पर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को बढ़ावा मिला और विदेशी मुद्रा भंडार में अभूतपूर्व वृद्धि हुई। उदारीकरण नीति ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को भूमंडलीकरण की तरफ प्रोत्साहित किया है।
उदारीकरण के लाभ-
विदेशी निवेश में वृद्धि - उदारीकरण नीति का सबसे अधिक सकारात्मक प्रभाव विदेशी निवेश पर पड़ता है। निवेशक ऐसी अर्थव्यवस्था को आकर्षक समझते हैं जो बाजार प्रणाली पर निर्भर हो और जिसमें सरकारी नियंत्रण न्यूनतम हो।
जीडीपी विकास दर में वृद्धि - सामान्यता उन राष्ट्रों की आर्थिक स्थिति काफी मजबूत है जिन्होंने आर्थिक उदारीकरण की नीति को अपनाया है। भारत, दक्षिण अफ्रीका और चीन जैसे राष्ट्रो ने आर्थिक उदारीकरण प्रक्रिया को अपनाया। आज ये सभी देश विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है।
आधुनिकीकरण - उदारीकरण नीति अर्थव्यवस्था को वैश्वीकरण की तरफ उन्मुख करती है। वैश्वीकरण के चलते न केवल दो राष्ट्रों के बीच व्यापारिक सम्बन्ध स्थापित होते हैं बल्कि व्यापार के आधुनिक तौर तरीकों का भी आदान-प्रदान होता है।
उच्च तकनीक और श्रेष्ठ गुणवत्ता - वैश्वीकरण के इस दौर में उदारीकरण नीति से अंतरर्राष्ट्रीय व्यापार को प्रोत्साहन मिलता है। विश्व के साधन संपन्न राष्ट्र व्यापारिक मार्गों से उच्च तकनीक भी साथ लाते हैं। उद्योग में उच्च स्तर की तकनीकी वृद्धि से उत्पादों की गुणवत्ता में भी सुधार होता है।
मंदी पर लगाम - उदारीकरण प्रक्रिया के तहत सरकार व्यापार को प्रोत्साहन देने के लिए विभिन्न प्रकार के टैरिफ में छूट देती है। जिसके कारण उत्पादन की लागत कम हो जाती है। इसलिए उत्पादों के दाम भी कम होते हैं। दूसरी तरफ उदारीकरण प्रक्रिया के कारण बाजार में प्रतिस्पर्धा के अवसर बढ़ते हैं जिसका परिणाम भी उत्पादों के दामों में कमी आती है।
उदारीकरण से हानि-
कुटीर और लघु उद्योगों को नुकसान - उदारीकरण नीति का सबसे ज्यादा दुष्प्रभाव छोटे, लघु और कुटीर उद्योगों पर होता है। उदारीकरण व्यवस्था से बड़े उद्योग और बहुराष्ट्रीय उद्योगों का विकास हुआ किन्तु आर्थिक तौर पर पिछड़े छोटे और लघु उद्योगों बुरी तरह से प्रभावित हुए।
कृषि क्षेत्र के अस्तित्व को खतरा - अगर भारत के आर्थिक उदारीकरण नीति की बात करें तो इससे निर्माण और सेवा क्षेत्र का विकास हुआ है। किन्तु आँकड़े बताते हैं की उदारीकरण प्रक्रिया के बाद कृषि क्षेत्र की स्थिति पहले से भी दयनीय हो गयी है। नयी व्यापार नीति के चलते उद्योग कारखाने की संख्या बढ़ी, नतीजन कृषि क्षेत्र से लोग अधिक आमदनी के लिए बड़े शहरों की तरफ चले गए।
पर्यावरण को नुकसान - आर्थिक उदारीकरण के चलते उद्योगों और कारखानों की संख्या में भारी इजाफा हुआ। कारखानों में काम काज के चलते प्रदूषण भी पहले से अधिक तेजी से बढ़ रहा है। नए उद्योगों के लिए जमीन की माँग बढ़ रही है जिसके कारण पेड़ों की कटाई हो रही है। आधुनिकीकरण के चलते हानिकारक उर्वरकों का उपयोग हो रहा है जिससे जमीन प्रदूषित हो रही है।
अगर वर्तमान समय को देखा जाए तो कहना गलत नहीं होगा की मुक्त बाजार व्यवस्था ही सबसे व्यवस्था सबसे उत्तम है। निम्नलिखित बिंदुओं से उदारीकरण की आवश्यकता को समझते हैं-
• वर्तमान समय भूमंडलीकरण का है। आज पूरी दुनिया एक बाजार बन कर सिमट गयी है। ऐसी परिस्थितियों में अर्थव्यवस्था का सरलीकरण अत्यंत जरूरी है। आज सभी राष्ट्रों को दुनिया के साथ कदम मिलाकर चलना होगा। इसलिए उदारीकरण की नीति आज के समय की माँग है।
• विकसित राष्ट्रों के लिए उदारीकरण नीति सबसे ज्यादा प्रभावशाली साबित हुई है। चीन, भारत, दक्षिण अफ्रीका और दक्षिण कोरिया जैसे देशों ने आर्थिक उदारीकरण को अपनाया और आज दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बन गए हैं। इसलिए कहना गलत नहीं होगा कि विकसित देशों के लिए उदारीकरण नीति संजीवनी बूटी से कम नहीं है।
• उदारीकरण प्रक्रिया के द्वारा वैश्वीकरण को बढ़ावा मिलता है। पूँजी और साधन संपन्न राष्ट्र आर्थिक तौर पर पिछड़े देशों के साथ व्यापारिक सम्बन्ध स्थापित करते हैं। परिणामस्वरूप इन गरीब देशों में पूँजी प्रवाह होता है और इन्हें विकसित होने का अवसर प्राप्त होता है।
• आर्थिक उदारीकरण का सबसे बड़ा लाभ उपभोक्ता वर्ग को मिलता है। एक तरफ व्यापारिक प्रतिस्पर्धा के बढ़ने के कारण उन्हें विकल्प भी मिल जाता है। तो दूसरी तरफ पदार्थों की गुणवत्ता भी पहले से बेहतर मिलती है। अत्यधिक प्रतिस्पर्धा के चलते दामों में गिरावट होती भी होती है। इसलिए उपभोक्ता के लिए तो दोनों हाथों में लड्डू और मुँह में खीर वाला अवसर है।
|
- अध्याय-1 मानव मूल्य (Human Values) पाठ्य सामग्री
- मूल्यों के प्रकार
- भारतीय संस्था में विकसित मूल्य
- उद्यम प्रबन्धन में मूल्य
- पेशे के प्रति वफादारी की श्रेणियाँ
- पेशे के प्रति वफादारी के मूल्य के सिद्धान्त
- समाज कार्य पेशे के प्रति निष्ठा का पालन
- प्रबन्धन में सांस्कृतिक मानवीय मूल्य
- दर्शन
- सांस्कृतिक मूल्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न - निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञांत कीजिए।
- अध्याय - 2 चरित्र निर्माण में स्वामी विवेकानन्द के सिद्धान्त (The Principles of Swami Vivekanand in Character Building) पाठ्य सामग्री
- भारत के युवाओं के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती क्या है?
- सात पापों की गाँधीवादी अवधारणा
- अहिंसा का दर्शन और गाँधी
- माता-पिता तथा अध्यापकों की भूमिका के प्रति डॉ० ए० पी० जे० अब्दुल कलाम के विचार
- माता-पिता तथा शिक्षक की भूमिका के प्रति APJ अब्दुल कलाम के विचार
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न - निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए।
- अध्याय - 3 मानव मूल्य और वर्तमानव्यवहार-मुद्दे : भ्रष्टाचार एवं रिश्वत (Human Values and Present Behaviour Issues: Corruption and Bribe) पाठ्य सामग्री
- भ्रष्टाचार के दुष्प्रभाव
- भ्रष्टाचार व असमानता
- विभिन्न क्षेत्रों में भ्रष्टाचार
- संचार माध्यमों (मीडिया) का भ्रष्टाचार
- चुनाव सम्बन्धी भ्रष्टाचार
- नौकरशाही का भ्रष्टाचार
- कॉरपोरेट भ्रष्टाचार
- शिक्षा के क्षेत्र में भ्रष्टाचार
- विविध भ्रष्टाचार
- भ्रष्टाचार और स्विस बैंक
- समाधान
- रिश्वत
- सामाजिक नेटवर्क एवं संचार में व्यक्तिगत नीति
- विशिष्ट संरचना
- ऑनलाइन शॉपिंग
- यूनाइटेड किंगडम का रिश्वत अधिनियम
- सामान्य रिश्वतखोरी अपराध
- विदेशी सरकारी अधिकारियों की रिश्वत
- अभियोजन और दंड
- अन्य प्रावधान
- रिश्वत अधिनियम का अनुपालन
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न - निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए।
- अध्याय - 4 नीतिशास्त्र के सिद्धान्त (Principles of Ethics) पाठ्य सामग्री
- महत्त्वपूर्ण परिभाषाएँ
- नीतिशास्त्र के प्रमुख सिद्धान्त
- आध्यात्मिक मूल्य
- भारत में धर्मनिरपेक्षता का अर्थ
- निगमित सामाजिक उत्तरदायित्व (Corporate social responsibility या "CSR" )
- रतन नवल टाटा
- अजीम हाशिम प्रेमजी
- बिल गेट्स
- माइक्रोसॉफ्ट
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न - निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए।
- अध्याय - 5 निर्णय निर्माण में धार्मिकता (Holistic Approach in Decision Making) पाठ्य सामग्री
- समस्या का विश्लेषण करने के तरीके
- श्रीमद्भगवत् गीता : प्रबंधन में तकनीक (The Bhagwat Gita : Techniques in Management)
- धर्म एवं जीवन प्रबंधन
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न - निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए।
- अध्याय - 6 चर्चा द्वारा दुविधाओं की व्याख्या (Elaboration of Dilemmas through Discussion) पाठ्य सामग्री
- विपणन संगठन : अर्थ व उद्देश्य
- मार्केटिंग की दुविधा
- भारतीय दवा उद्योग
- जेनेरिक दवा (Generic Drug)
- निजीकरण में दुविधा (Dilemma of Privatisation)
- सार्वजनिक उद्यमों द्वारा संतोषजनक कार्य न करने के कारण
- निजीकरण
- उदारीकरण में दुविधा (Dilemma on Liberalisation)
- भारतीय अर्थव्यवस्था पर उदारीकरण का प्रभाव
- सोशल मीडिया एवं साइबर सुरक्षा में दुविधा (Dilemmas in Social Media and Cyber Security)
- सोशल मीडिया और भारत
- सोशल मीडिया से जुड़ी समस्याएँ
- सोशल मीडिया और निजता का मुद्दा
- साइबर सुरक्षा दृष्टिकोण के समक्ष समस्याएँ
- साइबर सुरक्षा की दिशा में किये गए सरकार के प्रयास
- जैविक खाद्य पदार्थों की दुविधा (Dilemma on Organie Food)
- खाद्य मानक का महत्त्व
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न - निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए।
- अध्याय - 7 पारितन्त्र (Ecosystem) पाठ्य सामग्री
- पारितन्त्र की संरचना एवं कार्य प्रणाली (Structure and Functioning of Ecosystem)
- आहार श्रृंखला (Food Chain)
- खाद्य जाल (Food Web)
- ऊर्जा प्रवाह (Energy Flow)
- पारिस्थितिक पिरामिड (Ecological Pyramids)
- जैव विविधता का संरक्षण (Conservation of Biodiversity)
- जर्मप्लाज्म बैंक अथवा जीन बैंक (Germplasm Bank or Gene Bank)
- स्वस्थानें एवं उत्स्थाने संरक्षण (In situ conservation & Ex-situ Conservation of Biodiversity)
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न - निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए।
- अध्याय - 8 व्यक्ति विशेष की प्रदूषण नियंत्रण में भूमिका (Role of Individual in Pollution Control) पाठ्य सामग्री
- जनसंख्या एवं पर्यावरण Population & Environment)
- दीर्घकालिक या ठोस विकास (Sustainable Development)
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए।
- अध्याय - 9 भारत एवं संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास के लक्ष्य (Sustainable Development Goals of India and UN) पाठ्य सामग्री
- यूएनडीपी की भूमिका
- सर्कुलर अर्थव्यवस्था की अवधारणा एवं उद्योग उपक्रम (Concept of circular economy and entrepreneurship)
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए।
- अध्याय - 10 पर्यावरणीय नियम (Environmental Laws) पाठ्य सामग्री
- वन अधिकार अधिनियम 2006
- स्वस्थ पर्यावरण का अधिकार
- पर्यावरणीय संरक्षण में अन्तर्राष्ट्रीय उन्नति (International Advancement in Environmental Conservation)
- वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर (WWF)
- राष्ट्रीय हरित अधिकरण (National Green Tribunal)
- NGT के महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक निर्णय
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए।
- अध्याय - 11 हवा की गुणवत्ता (Quality of Air) पाठ्य सामग्री
- संयुक्त राष्ट्र की रिर्पोट के अनुसार
- संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम
- वायु गुणवत्ता सूचकांक
- केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
- भारतीय परम्परागत पर्यावरणीय ज्ञान का महत्त्व (Importance of Indian Traditional knowledge on Environment)
- पर्यावरणीय गुणवत्ता का जैव मूल्यांकन (Bio Assessment of Environmental Quality)
- पर्यावरण का क्षेत्र
- पर्यावरण का महत्त्व
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए।
- अध्याय - 12 पर्यावरण प्रबन्धन (Environment Management) पाठ्य सामग्री
- पर्यावरण प्रबंधन की प्रणालियाँ
- पर्यावरण आकलन का महत्त्व (Importance of Environment Assessment )
- पर्यावरणीय प्रभाव आकलन के उद्देश्य
- भारत में पर्यावरणीय प्रभाव का आकलन
- पर्यावरणीय ऑडिट (Environmental Audit)
- पर्यावरण ऑडिट कितने प्रकार के होते हैं?
- पर्यावरण लेखा परीक्षा के लाभ
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए।