बी एस-सी - एम एस-सी >> बीएससी सेमेस्टर-1 जन्तु विज्ञान बीएससी सेमेस्टर-1 जन्तु विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीएससी सेमेस्टर-1 जन्तु विज्ञान
प्रश्न- वाट्सन तथा क्रिक के द्वारा प्रस्तुत डी. एन. ए. की संरचना का वर्णन कीजिए तथा डी. एन. ए. के विभिन्न प्रकार बताइए।
अथवा
DNA की संरचना के वाटसन एवं क्रिक मॉडल का विस्तृत वर्णन कीजिए।
सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. सी - डी. एन. ए. और बी - डी.एन.ए. में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
2. Z डी. एन. ए. पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर -
वाट्सन एवं क्रिक का DNA मॉलिक्यूलर मॉडल
(Watson and Crick's Molecular Model of DNA)
एक्स-किरण क्रिस्टलोग्राफी तथा रासायनिक विश्लेषणों के आधार पर किये गये अध्ययन के आधार पर वाट्सन एवं क्रिक ने डी.एन.ए. की संरचना का एक मॉडल प्रतिपादित किया। इसके लिए उन्हें सन् 1962 में नोबेल पुरस्कार दिया गया। इन अध्ययनों के आधार पर यह ज्ञात हुआ कि DNA की संरचना कुण्डलीय होती है। एक ही प्राणी के शरीर के विभिन्न अंगों से अथवा एक ही जाति के विभिन्न जीवों के अलग-अलग अंगों से प्राप्त DNA का विश्लेषण करने पर यह पाया गया कि उनसे प्राप्त विभिन्न क्षारों के आपेक्षिक संघटन में कोई अंतर नहीं था।
वाटसन एवं क्रिक द्वारा दिये गये माडल की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
1. DNA का अणु दो समानान्तर स्तम्भ या लम्बे धागेनुमा पॉलिन्यूक्लिओटाइड श्रृंखलाओं का बना होता है जो एक अक्ष के चारों ओर सर्पिलाकार क्रम में रस्सी की तरह ऐंठकर एक द्विचक्राकार कुण्डलिनी का निर्माण करते हैं। अतः DNA अणु द्विचक्राकार कुण्डलिनी का बना होता है।
2. DNA का प्रत्येक स्ट्रेण्ड अनेक न्यूक्लिओटाइड के एक क्रम में श्रृंखलाबद्ध होने से बनता है।
3. DNA की यह द्विकुण्डलनीय संरचना सीढ़ी के आकार की बनी होती है जिसमें फॉस्फेट तथा डीऑक्सीराइबोज शर्करा बाहर की ओर एकान्तर क्रम में विन्यस्त रहते हैं।
4. ये दोनों श्रृंखलायें या धागे विपरीत दिशा में लूप बनाते हैं।
5. सीढ़ीनुमा रचना में नाइट्रोजन क्षार (AT व GC) अन्दर की ओर आमने-सामने स्थित होते हैं। ये क्षार बाहर की ओर डीऑक्सीराइबोज शर्करा से जुड़े रहते हैं।
6. प्यूरीन्स तथा पिरिमिडीन्स के जोड़ों में एडीनीन सदैव थायमीन के साथ तथा साइटोसिन सदैव ग्वानीन के साथ जुड़ता है।
7. शर्करा तथा फॉस्फेट के अणु फॉस्फोडायस्टर बन्ध द्वारा आपस में जुड़े होते हैं।
8. नाइट्रोजन क्षार आपस में हाइड्रोजन बन्ध द्वारा जुड़े होते हैं। एडिनीन तथा थायमीन के बीच दो हाइड्रोजन बन्ध तथा ग्वानीन व सायटोसिन के मध्य तीन हाइड्रोजन बन्ध होते हैं।
9. DNA की यह संरचना दायें क्रम में (right handed) होती है।
10. DNA की दोनों पॉलिन्यूक्लिओटाइड श्रृंखलाओं में पिरीमिडीन तथा प्यूरीन क्षारों की मात्रा बराबर होती है अर्थात् एडीनीन तथा ग्वानीन के अणुओं की संख्या सदैव थायमीन तथा सायटोसिन के बराबर होती है।
11. दोनों श्रृंखलाओं में क्षार इस प्रकार व्यवस्थित होते हैं कि एक श्रृंखला में एडीनीन है तो उसके ठीस सामने दूसरी श्रृंखला में थायमीन होगा और अगर पहली श्रृंखला में सायटोसिन है तो सामने की श्रृंखला में ग्वानीन होता है।
12. इस प्रकार DNA अणु की दोनों श्रृंखलायें एक-दूसरे की परिपूरक होती हैं अर्थात् एक श्रृंखला के न्यूक्लिओटाइड्स का क्रम दूसरी श्रृंखला के न्यूक्लिओटाइड्स के क्रम का निर्धारण करता है जिसके कारण DNA की द्विचक्राकार संरचना का निर्माण होता है। इस द्विचक्राकार कुण्डलिनी में DNA अणु की दोनों श्रृंखलायें एक-दूसरे के विपरीत दिशा (antiparallel) में होती हैं अर्थात् एक श्रृंखला में फॉस्फोडाइएस्टर बन्ध 3' 5 ' दिशा में जबकि दूसरी श्रृंखला में 5'-3' दिशा में होता है।
वाटसन तथा क्रिक के अनुसार DNA का मॉडल
13. DNA अणु की दोनों श्रृंखलाओं के बीच की दूरी या DNA का व्यास 20 À होता है।
14. DNA के प्रत्येक कुण्डल या हेलिक्स में न्यूक्लिओटाइड्स के 10 जोड़े होते हैं तथा एक चक्कर की दूरी 34 A होती है। इस प्रकार एक न्यूक्लिओटाइड दूसरे न्यूक्लिओटाइड से 34 À की दूरी पर स्थित होता है।
15. वाट्सन तथा क्रिक द्वारा प्रस्तुत किये गये मॉडल जो साधारणतः जीवित तंत्रों में पाया जाता है को B-DNA कहा जाता है क्योंकि इसमें हेलिकल कुण्डल दाहिने हाथ की ओर से आरम्भ होता है।
DNA के प्रकार
(Types of DNA)
डी.एन.ए. भौतिक अवस्थाओं के आधार पर कई प्रावस्थाओं में रह सकता है। ये मुख्यतः निम्न प्रकार के होते हैं -
1. ए. डी. एन. ए. (A-DNA) - जब B-DNA क्रिस्टलों को सुखाया जाता है या जब क्रिस्टल का लवण सान्द्रण कम हो जाता है तो B-DNA का परिवर्तन A DNA में हो जाता है। यह DNA कोशा के अन्दर नहीं पाया जाता है। A DNA, Nat, K+ या Cs+ आयन्स की उपस्थिति में 75 प्रतिशत की आपेक्षिक आर्द्रता में पाया जाता है। A DNA का व्यास 23À तथा प्रति क्षार युग्म के घुमाव का मान 32.7° होता है।
2. बी. डी. एन. ए. (B-DNA) - सामान्य जीवित कोशिकाओं में बी- डी. एन. ए. पाया जाता है। इसमें ऑयनिक सान्द्रता (ionic concentration) कम होती है। यह द्विचक्राकार सीधे हाथ की ओर (दायें हाथ क्रम) चक्रण में व्यवस्थित होता है। इसमें दो चक्रों के बीच की दूरी 34A होती है। इसके प्रत्येक चक्र (helix) में 10.4 जोड़ी क्षार होते हैं तथा इसका व्यास 20Å होता है क्योंकि इसमें केन्द्रीय अक्ष के चारों ओर 34.6A का घूर्णन हो जाता है।
3. सी. डी. एन. ए. (C-DNA) - C-DNA, Li + आयन्स की उपस्थिति में 66% की आपेक्षिक आर्द्रता में पाया जाता है।
इनके अतिरिक्त कुछ और स्वरूप जैसे D रूप तथा E-रूप बहुत कम अवस्थाओं में मिलते हैं जिनकी केवल '8' तथा 7 क्षार जोड़ियाँ (base pairs) प्रति मोड़ (per turn) पाई जाती हैं। ये स्वरूप (D व E) केवल कुछ DNA अणुओं में पाये जाते हैं, जिनमें ग्वानीन अनुपस्थित होता है।
4. जेड- डी. एन. ए. या वामवर्त डी.एन.ए. (Z-DNA) - 1979 में एक अलग तरह का DNA जिसे Z-DNA कहा जाता है की खोज हुई। इस प्रकार के DNA को कृत्रिम विधि द्वारा संश्लेषित किया गया जिन्हें क्रिस्टलीय रूप में अलग किया गया। इस प्रकार को Z-DNA नाम इस कारण दिया गया क्योंकि यह टेढ़ा-मेढ़ा (zig zag) स्वरूप दर्शाता है। Z-DNA, B-DNA के अनुरूप हैं क्योंकि (i) दोनों दोहरी हैलिकल संरचनायें तथा (ii) दोनों स्वरूप G=N युग्मन दर्शाते हैं। इसमें बायें हाथ का चक्रण पाया जाता है।
Z-DNA तथा B-DNA में निम्न अन्तर पाये गये हैं-
(i)-Z-DNA बायें हाथ क्रम की (left handed) हैलिकल संरचना है जबकि B-DNA में यह नियमित होती है।
(ii) Z - DNA में शर्करा अवशेष (residue) एकान्तर (alternating) घुमाव दर्शाते हैं जिसके कारण रिपीटिंग इकाई (repeating unit) एक डाइन्यूक्लियोटाइड होती है। जबकि B-DNA में यह इकाई के मोनोन्यूक्लिओटाइड होती है तथा शर्करा अणुओं का घुमाव एकान्तर नहीं होता है।
(iii)(iv) Z-DNA में एक पूर्ण हैलिक्स 45° पर होती है जबकि B-DNA में 34Å पर होती है।
(iv) Z-DNA में प्रति हैलिक्स में 12 क्षार युग्म पाये जाते हैं तथा प्रत्येक रिपीटिंग इकाई में घुमाव का कोण 60° होता है जबकि B-DNA में 10 क्षार युग्म पाये जाते हैं तथा घुमाव का कोण 36° होता है।
(v) Z-DNA का व्यास 18 À होता है।
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