बी एस-सी - एम एस-सी >> बीएससी सेमेस्टर-1 जन्तु विज्ञान बीएससी सेमेस्टर-1 जन्तु विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीएससी सेमेस्टर-1 जन्तु विज्ञान
प्रश्न- जेनेटिक कोड पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर -
आनुवंशिक कूट
(Genetic Code)
आनुवंशिक कूट DNA अणुओं या जीन्स में स्थित नाइट्रोजिनस क्षारों का वह अनुक्रम है जिसमें प्रोटीन अणुओं के संश्लेषण के संदेश निहित रहते हैं।
कोडॉन (Codon) - न्यूक्लिओटाइड्स के उस समूह को जिसमें किसी एक अमीनो अम्ल के लिए संदेश होता है, कोडॉन कहते हैं।
DNA को आनुवंशिक सूचनाओं का निहित टेप कहा जाता है जिसमें नाइट्रोजिनस क्षारों के अनुक्रमों के रूप में आनुवंशिक संदेश होते हैं। यह विभिन्न प्रकार की प्रोटीनों का संश्लेषण एवं निर्देशन करके समस्त जैविक क्रियाओं पर नियंत्रण रखता है। प्रोटीन अमीनो अम्लों के दीर्घ अणु हैं जो विशिष्ट अनुक्रमों में एक-दूसरे से संयोजित रहते हैं। जीवधारियों के शरीर में अनेक प्रोटीन्स होते हैं। इन प्रोटीन्स के निर्माण में केवल 20 अमीनो अम्ल भाग लेते हैं। विभिन्न प्रोटीन्स के लक्षणों एवं प्रकृति में अन्तर इन अमीनो अम्लों के विभिन्न अनुक्रमों में विन्यास के कारण होते हैं।
नाइट्रोजिनस क्षारों का रैखिक विन्यास प्रोटीन अणु में विभिन्न अमीनो अम्लों के अनुक्रम को निर्धारित करता है, DNA अणु में चार नाइट्रोजिनिस क्षार होते हैं (A, T, G, C) जो प्रोटीन संश्लेषण का नियमन करते हैं। प्रोटीन संश्लेषण के लिए DNA से आनुवंशिक सूचना m-RNA के माध्यम से कोशिका के कोशाद्रव्य में पहुँचती है।
एफ. एच. सी क्रिक (F.H.C. Crick) ने आनुवंशिक कूट के सम्बन्ध में एक सिद्धान्त प्रस्तुत किया। इसके अनुसार प्रत्येक अमीनो ऐसिड के लिए तीन नाइट्रोजिनस क्षारों का एक अनुक्रम या त्रिकूट (triplet code) होता है। सर्वप्रथम गैमो (Gamow) ने 1954 में त्रिकूट के विषय में अपनी राय व्यक्त की।
यह विदित है कि DNA तथा RNA में चार प्रकार के न्यूक्लिओटाइड्स होते हैं। इन्हीं चार प्रकार के न्यूक्लिओटाइड्स के विन्यास पर 20 अमीनो अम्लों के विन्यास का कूट आधारित होता है।
त्रिक कोड (Triplet Code) - तीन न्यूक्लिओटाइड से बने कोड को त्रिक कोड कहा जाता है। त्रिक कोड से 64 (4 × 4 × 4 = 64) कोडॉन या कोड शब्द बनते हैं। ये कोड 20 अमीनो अम्लों के लिए आवश्यकता से अधिक होते हैं। त्रिक कोड में अक्षरों का विन्यास किसी विशेष अमीनो अम्ल के कोड को निर्धारित करने के लिए ज्यादा महत्वपूर्ण है।
आनुवंशिक कूट निम्नलिखित लक्षण प्रदर्शित करते है -
(i) आनुवंशिक कूट का अपहास (Degneracy of Genetic Code) - आनुवंशिक कूट में अधिकतर अमीनो अम्लों को एक से अधिक कूटों द्वारा पेप्टाइड श्रृंखला में इनके विशेष स्थानों की तरफ निर्देशित किया जा सकता है। कोडिंग की इस प्रणाली को अपहासित प्रणाली (degenerate system) कहा जाता है। ये कूट जीवों को हानिकारक उत्परिवर्तनों से सुरक्षा प्रदान करते हैं तथा क्षारों के युग्मन में होने वाली त्रुटियों को कम करते हैं। एक हासित कूट वह है जिसमें अमीनो अम्ल तथा कोडॉन के बीच एक- एक का सम्बन्ध होता है जिसके कारण 64 कूटों में से 44 कूट अनावश्यक हो जाते हैं। आनुवंशिक कूट अपहासिता सामान्य रूप से त्रिक कूट के 3' - सिरे के तीसरे नाइट्रोजिनस क्षार के स्थान पर होती है। कभी-कभी अमीनो एसिल t-RNA सिन्थेटेज एन्जाइम जो उचित अमीनो अम्ल के संलग्न ता के लिए आवश्यक होता है के भूल के कारण भी अपहासिता विकसित होती है।
2. आनुवंशिक कूटों का अभिव्यापन एवं अनतिव्यापन (Overlaping and Non- overlaping Genetic Codes) - प्रारम्भ में आनुवंशिक कूट में अपह्रासिता एक विवाद का विषय बना रहा। इसके लिए अतिव्यापी अनुक्रम वाला एक त्रिक कूट प्रस्तुत किया गया। इस कूट के अन्तर्गत कोडॉन की संख्या को 64 से कम करके 20 तक किया जा सकता है। परन्तु यह धारणा सफल नहीं हुई। वर्तमान में अनतिव्यापी त्रिक कूट (non-overlaping triplet code) के पक्ष में प्रमाण दिये गये। अतिव्यापि कूट का अर्थ है कि एक ही अक्षर का दो विभिन्न कूटों या कोडॉन्स के लिए प्रयोग न किया जाना।
3. कूट की सार्वत्रिकता (Universality of Codon)Comma free codon - सभी जीवित प्राणियों चाहे वह सूक्ष्म जीव हों या बड़े प्राणी या पौधे सभी में आनुवंशिक कूट पाया जाता है। सभी में आनुवंशिक कूट भी समान होता है लेकिन प्रोटोजोआ तथा माइटोकॉण्ड्रिया में कुछ भिन्नता पायी जाती है।
4. निरर्थक कोडॉन (Non-sense Codon) - तीन त्रिक कूट UAA, UGA तथा UAG ऐसे हैं जो किसी भी अमीनो अम्ल को कोडित नहीं करते हैं, इन्हें निरर्थक कूट अथवा अन्तस्थ कूट (termination codon) कहते हैं। UAA या ओक (ochre), UAG या अम्बर (amber) तथा UGA या ओपल (opal) कोडॉन m-RNA में उपस्थित होने पर पॉलीपेप्टाइड श्रृंखला को समाप्त करने का कार्य करते हैं इस कारण अब इन्हें निरर्थक कोडॉन कहते हैं।
5. प्रारम्भ करने वाले कोडॉन (Initiating Codon) AUG - कोडॉन आरम्भन कोडॉन कहलाता है क्योंकि यह पॉलीपेप्टाइड श्रृंखला के संश्लेषण को प्रारम्भ करता है।
6. संदिग्धता (Ambiguity) - एक विशिष्ट कोडॉन सदैव एक ही अमीनो अम्ल को कोडित करता है चाहे वह किसी भी स्थान पर क्यों न हो। लेकिन कुछ विशेष परिस्थितियों में कोडॉन संदिग्ध अवस्था मे होता है क्योंकि कुछ दशाओं मे कुछ कोडान भिन्न प्रकार के अमीनो अम्लों को कोडित करते हैं। उदाहरण - ई. कोलाई (E. coli) के स्ट्रेप्टोमाइसिन संवेदी स्ट्रेन अवस्था में UUU कोडॉन सामान्यतः फिनाइल एलेनिन अमीनो अम्ल को कोडित करता है जबकि राइबोसोम की स्ट्रेप्टोमाइसिन से अभिक्रिया करने पर यह कोडॉन आइसोल्यूसीन ल्यूसीन या सिरीन को कोडित करता है।
हरितलवक का जीनोम 120kb से 210kb लम्बा होता है जबकि ऐसीटाबुलेरया नामक शैवाल में यह 400kb लम्बा होता है। यह यूकेरियोटिक कोशा के कुल डी. एन. ए. का लगभग 14% बनाता है। प्रत्येक कोशा में असंख्य हरितलवक पाये जाते हैं तथा प्रत्येक हरितलवक में इनकी संख्या 15- 20 तक होती है। यह कुण्डलित तथा हिस्टोन प्रोटीन रहित होते हैं। इनमें ओवरलैपिंग जीन्स (overlapping genes) भी पाये जाते हैं यह क्लोरमफेनीकोल नामक प्रतिजैविक के प्रति सुग्राही होते हैं तथा अपनी प्रोटीन संश्लेषण क्रिया को बंद कर देते हैं। यह लगभग 126 प्रकार की प्रोटीन का निर्माण करता है। जिसमें से 12% हरितलवक के घटकों के निर्माण में सहायक होती है जबकि कोशाद्रव्य केवल 55 प्रकार की tRNA के द्वारा प्रोटीन का निर्माण करता है। हरितलवक में पाए जाने वाले DNA को दो मुख्य समूहों में बाँटा गया है-
1. RNA Polymerase, chloroplast ribosome, tRNA का निर्माण करने वाले जीन्स।
2. Photosystem I तथा Photosystem II का निर्माण करने वाले जीन्स।
हरितलवक में फॉर्मिल मेथियोनीन (AUG formyl metheonine) को विशिष्टीकृत करता है जबकि कोशाद्रव्य में यह मेथियोनीन (metheonine) अमीनो अम्ल को विशिष्टीकृत करता है।
UGA कभी-कभी ट्रिप्टोफेन (tryptophan) नामक अमीनो अम्ल को विशिष्टीकृत करता है जबकि यह कोशाद्रव्य में टर्मिनेशन कोडॉन (termination codon) होता है। इसी प्रकार CGC ट्रिप्टोफेन को, AUU मेथियोनीन को तथा AUG AUA, AUU, AUC आरम्भन कोडॉन (initiating codon) के रूप में कार्य करते हैं।
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