बी ए - एम ए >> एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी तृतीय प्रश्नपत्र - प्राचीन एवं मध्यकालीन काव्य एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी तृतीय प्रश्नपत्र - प्राचीन एवं मध्यकालीन काव्यसरल प्रश्नोत्तर समूह
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एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी तृतीय प्रश्नपत्र - प्राचीन एवं मध्यकालीन काव्य
प्रश्न- 'कयमास वध' के आधार पर पृथ्वीराज की मनोदशा का वर्णन कीजिए।
अथवा
कवि चन्द ने कयमास के वध के उपरांत पृथ्वीराज के मन में आने वाले ग्लानि के भाव को किस प्रकार अभिव्यक्त किया है।
उत्तर -
चन्दरबरदाई विचरित 'कयमास वध' प्रसंग में पृथ्वीराज के उस गुण का भी प्रकाशन होता जहाँ वह अपने कृत्य के लिए पश्चाताप का अनुभव करता है। कैमास का वध उसके हृदय में चुभता रहता था। वह जो सामंतों का सिरताज था उस कैमास का वध किए जाने की पीड़ा उसके हृदय को सालती रहती थी। कवि चन्द पृथ्वी की इस स्थिति का वर्णन करते हुए कहते हैं-
"नहँ सच सुक्ख गवक्ख वह, नह सच अन्दर राज।
उर अंतर कैमास दुख सामंता सिरताज॥"
अर्थात् सामन्तों के सिरताज उस पृथ्वीराज चौहान को न तो झरोखे में बैठने से सच मानों सुख प्राप्त होता था और न अन्तःपुर में ही सुख प्राप्त होता था। उसके हृदय में कयमास के वध का दुख बना ही रहता था। चौहान जब चौगान खेलता था या मंत्रियों के साथ क्रीड़ा विहार करता था, पुष्प, इत्र आदि का प्रयोग करता था तो भी उसे कयमास की स्मृति उसे सालती रहती थी। जल क्रीड़ा करता था तो उस समय भी कैमास निकलता दिखाई देता था।
"जल क्रीडल जल केलि चित्त कैमास उहासै"
कवि ने वर्णन किया है कि कैमास के दुख को वह प्रकट नहीं करता था, गुप्त रहता था पर सदैव उसके लिए विकल रहता था -
"अति उर सहलै मंत्रि दुख, करै न प्रकट मुझ्झ।
मानो कूपे छाँह ज्यों रहत राति दिन मुझ्झ॥'
अर्थात् मंत्री का दुख राजा के हृदय में बहुत अधिक था। वहाँ उसके मन में शूल सा गडता रहता था। वह प्रकट नहीं होने देता था। जैसे कुएँ की छाँह दिन-रात कुएँ में ही रहती है बाहर दिखाई नहीं देती। इस प्रकार पृथ्वीराज को अपने कृत्य की ग्लानि में दिन-रात विदग्ध होते दिखाया गया है। पृथ्वीराज स्वयं मन ही मन में जानता था कि उसके द्वारा दी गई सजा अनुपयुक्त है इसी कारण वे इस कृत्य की पूर्ति कयमास के पुत्र प्रतापसिंह को पद प्रतिष्ठा व सम्मान देकर करते हैं -
"उर सल्लै कैमास व्रप पुत्र परट्टि पट्ट।
चित्त चंचल उच्चल करिय दिय हर गय बर पट्टा'
अर्थात् कयमास की घटना राजा के हृदय में दुःख पैदा कर रही थी। उसने कैमास के पुत्र को उसके पिता की गद्दी पर बैठा दिया। जो चित्त कैमास के वध से विचलित थे उन्हें अचल अर्थात् स्थिर कर दिया गया। इस प्रकार भली प्रकार स्पष्ट हो जाता है कि पृथ्वीराज का मन पश्चाताप के भाव से पीड़ित था और चन्दरबरदाई द्वारा उसकी अस्थिर मनोदशा का सहज स्वाभाविक वर्णन प्रस्तुत किया गया है।
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- प्रश्न- विद्यापति का जीवन-परिचय देते हुए उनकी रचनाओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- गीतिकाव्य के प्रमुख तत्वों के आधार पर विद्यापति के गीतों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- "विद्यापति भक्त कवि हैं या श्रृंगारी" इस सम्बन्ध में प्रस्तुत विविध विचारों का परीक्षण करते हुए अपने पक्ष में मत प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- विद्यापति भक्त थे या शृंगारिक कवि थे?
- प्रश्न- विद्यापति को कवि के रूप में कौन-कौन सी उपाधि प्राप्त थी?
- प्रश्न- सिद्ध कीजिए कि विद्यापति उच्चकोटि के भक्त कवि थे?
- प्रश्न- काव्य रूप की दृष्टि से विद्यापति की रचनाओं का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- विद्यापति की काव्यभाषा का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित में से किन्हीं तीन पद्याशों की शब्दार्थ एवं सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (विद्यापति)
- प्रश्न- पृथ्वीराज रासो की प्रामाणिकता एवं अनुप्रामाणिकता पर तर्कसंगत विचार प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- 'पृथ्वीराज रासो' के काव्य सौन्दर्य का सोदाहरण परिचय दीजिए।
- प्रश्न- 'कयमास वध' नामक समय का परिचय एवं कथावस्तु स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कयमास वध का मुख्य प्रतिपाद्य क्या है? अथवा कयमास वध का उद्देश्य प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- चंदबरदायी का जीवन परिचय लिखिए।
- प्रश्न- पृथ्वीराज रासो का 'समय' अथवा सर्ग अनुसार विवरण प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- 'पृथ्वीराज रासो की रस योजना का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- 'कयमास वध' के आधार पर पृथ्वीराज की मनोदशा का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 'कयमास वध' में किन वर्णनों के द्वारा कवि का दैव विश्वास प्रकट होता है?
- प्रश्न- कैमास करनाटी प्रसंग का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित में से किन्हीं तीन पद्याशों की शब्दार्थ एवं सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (चन्दबरदायी)
- प्रश्न- जीवन वृत्तान्त के सन्दर्भ में कबीर का व्यक्तित्व स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कबीर एक संघर्षशील कवि हैं। स्पष्ट कीजिए?
- प्रश्न- "समाज का पाखण्डपूर्ण रूढ़ियों का विरोध करते हुए कबीर के मीमांसा दर्शन के कर्मकाण्ड की प्रासंगिकता पर प्रहार किया है। इस कथन पर अपनी विवेचनापूर्ण विचार प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- कबीर एक विद्रोही कवि हैं, क्यों? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कबीर की दार्शनिक विचारधारा पर एक तथ्यात्मक आलेख प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- कबीर वाणी के डिक्टेटर हैं। इस कथन के आलोक में कबीर की काव्यभाषा का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- कबीर के काव्य में माया सम्बन्धी विचार का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
- प्रश्न- "समाज की प्रत्येक बुराई का विरोध कबीर के काव्य में प्राप्त होता है।' विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- "कबीर ने निर्गुण ब्रह्म की भक्ति पर बल दिया था।' स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कबीर की उलटबासियों पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
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- प्रश्न- निम्नलिखित में से किन्हीं तीन पद्याशों की शब्दार्थ एवं सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (कबीर)
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- प्रश्न- निम्नलिखित में से किन्हीं तीन पद्याशों की शब्दार्थ एवं सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (सूरदास)
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- प्रश्न- तुलसी के लोक नायकत्व पर प्रकाश डालिए।
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- प्रश्न- मानस की चित्रकूट सभा को आध्यात्मिक घटना क्यों कहा गया है? समझाइए।
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- प्रश्न- निम्नलिखित में से किन्हीं तीन पद्याशों की शब्दार्थ एवं सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (तुलसीदास)
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- प्रश्न- बिहारी के दोहों में मार्मिक प्रसंगों का चयन एवं दृश्यांकन की स्पष्टता स्पष्ट कीजिए।
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- प्रश्न- निम्नलिखित में से किन्हीं तीन पद्याशों की शब्दार्थ एवं सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (बिहारी)
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- प्रश्न- घनानन्द की प्रेम व्यंजना पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- घनानन्द के काव्य वैशिष्ट्य पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- घनानन्द का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- घनानन्द की काव्य रचनाओं पर प्रकाश डालते हुए उनके काव्य की विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- घनानन्द की भाषा शैली के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- घनानन्द के काव्य का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- घनानन्द के अनुसार प्रेम में जड़ और चेतन का ज्ञान किस प्रकार नहीं रहता है?
- प्रश्न- निम्नलिखित में से किन्हीं तीन पद्याशों की शब्दार्थ एवं सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (घनानन्द)