बी एड - एम एड >> बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-A - समावेशी शिक्षा बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-A - समावेशी शिक्षासरल प्रश्नोत्तर समूह
|
|
बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-A - समावेशी शिक्षा
प्रश्न- मानसिक पिछड़पन के प्रमुख कारण क्या हैं? उदाहरण दीजिए। मंदबुद्धि बालकों की शिक्षा पर प्रकाश डालिए। पिछड़े तथा मंदबुद्धि बालकों में अंतर बताइए।
उत्तर -
मानसिक पिछड़पन के कारण
मानसिक पिछड़पन के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं-
-
वंश परम्परा— बालकों के मानसिक रूप से पिछड़पन का एक प्रमुख कारण वंश परम्परा भी है। यह पिछड़ापन बालकों को अपने माता-पिता से विरासत में प्राप्त होता है। यदि माता-पिता या पूर्वजों में बुद्धिहीनता हो तो यह बालकों में भी हस्तांतरित हो जाती है।
-
शारीरिक कारण— अनेक प्रकार के शारीरिक कारण भी मानसिक पिछड़पन और मंदबुद्धि के लिए उत्तरदायी हैं। गर्भावस्था में माता की सामान्य स्थिति के साथ कोई दुर्घटना, जन्म के समय आघात, रक्त की कमी, असन्तुलित भोजन, कुपोषण, प्रसव के दौरान कठिनाई आदि के कारण बालक मानसिक रूप से पिछड़ जाते हैं। सिर पर चोट लगने से भी मानसिक विकास अवरुद्ध हो जाता है।
-
संवेगात्मक कारण— संवेगात्मक कारणों के द्वारा बालक अपने संबंधों पर नियंत्रण नहीं रख पाते। वे किसी भी सामाजिक सामंजस्य नहीं बना पाते, जिससे उनका मानसिक संतुलन बिगड़ जाता है और वे मानसिक रूप से पिछड़ जाते हैं।
-
सामाजिक व आर्थिक स्थिति— सामाजिक और आर्थिक कारक भी मानसिक पिछड़पन के लिए जिम्मेदार होते हैं। जिन परिवारों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होती है, उन्हें समय पर भोजन भी उपलब्ध नहीं होता, दिन-रात कलहपूर्ण वातावरण बना रहता है, उन परिवारों के बालकों के मानसिक विकास में समय हड़ब, संघर्ष, तनाव और कुंठाएँ बनी रहती हैं जो उनके शारीरिक, मानसिक, संवेगात्मक और सामाजिक विकास में बाधा डालती हैं।
-
प्रेरणा का अभाव-जब बालकों को वातावरण में नयी प्रकार की क्रियाएँ करने की प्रेरणा नहीं मिलती तो उनकी बुद्धि का विकास रुक जाता है। इस प्रकार बालकों में प्रेरणा का अभाव भी मानसिक पिछड़पन का एक प्रमुख कारण है।
मानसिक रूप से पिछड़े बालकों की शिक्षा
मानसिक रूप से पिछड़े बालकों को अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। समाज, विद्यालय, परिवार और समुदाय में इनका सामायोजन करना बहुत कठिन कार्य होता है। अतः शिक्षकों एवं इन बालकों की समस्याओं को अधिक ध्यान देना चाहिए जिससे वे जीवन सामायोजित कर सकें और आत्म-निर्भर बन सकें।
मानसिक रूप से पिछड़े या मंदबुद्धि बालकों को पढ़ाते समय शिक्षकों को निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए—
- शिक्षक को इस प्रकार के बालकों की आवश्यकताओं को समझना चाहिए तथा उनको पूरा करने में सहायता करनी चाहिए।
- शिक्षक को इस प्रकार के बालकों में संवेगात्मक स्थिरता पैदा करने का प्रयास करना चाहिए।
- शिक्षक का व्यवहार ऐसे बालकों के साथ अत्यन्त सहानुभूति व प्रेम का होना चाहिए।
- शिक्षक को उचित समय पर सही निर्णय लेना चाहिए। गलत निर्णय के परिणाम बालकों के लिए अहितकर हो सकते हैं।
- शिक्षकों को विद्यालय में अच्छी सामाजिक आदतों का विकास करना चाहिए। बालकों को उत्पादक कार्य में सम्मिलित करने के लिए सामग्री का प्रबन्ध करना चाहिए।
- शिक्षकों को इन बालकों के लिए विशेष पाठ्यक्रम की व्यवस्था करनी चाहिए। पुस्तकालय की व्यवस्था, खेल-कूद, व्यायामशाला एवं अन्य सहायक गतिविधियों को अधिक महत्व देना चाहिए।
- शिक्षकों को इन बालकों की मानसिक क्षमता के अनुसार ही पढ़ाना चाहिए। उसकी सीखने की गति बहुत धीमी होनी चाहिए।
- शिक्षक को अध्ययन में दृश्य-श्रव्य सामग्री का अधिकतम प्रयोग करना चाहिए।
- शिक्षक को इन बालकों के लिए व्यावसायिक प्रशिक्षण की व्यवस्था करनी चाहिए।
- शिक्षकों को इस प्रकार के बालकों की मानसिक योग्यताओं को ध्यान में रखकर उनके लिए खेल-कूद, पार्क, पुस्तकालय, वाचनालय, कार्यशालाओं आदि की व्यवस्था भी करनी चाहिए।
पिछड़े तथा मंदबुद्धि बालकों में अंतर
पिछड़े बालकों तथा मंदबुद्धि बालकों में निम्नलिखित अंतर पाए जाते हैं—
- पिछड़े बालकों की बुद्धि सामान्य बालकों की बुद्धि से कम होती है, जबकि मंदबुद्धि बालकों की बुद्धि का ह्रास उनकी मानसिक मंदता के कारण हो जाता है।
- पिछड़े बालक मानसिक रूप से अस्वस्थ होते हैं, जबकि मंदबुद्धि बालक मानसिक रूप से अनुकूलित होते हैं।
- पिछड़े बालक मानसिक अस्वस्थता के कारण संवेगात्मक दृष्टि से संतुलन बनाने में असमर्थ होते हैं, जबकि मंदबुद्धि बालकों का संवेगात्मक विकास ठीक प्रकार से हो सकता है और वे संवेगात्मक समझ रखते हैं।
- पिछड़े बालक उतावले-प्रत्युत्तर रहते हैं तथा निराशा का अनुभव करते हैं, जबकि मंदबुद्धि बालकों की भावना शून्य होती है।
-
पिछड़े बालकों में रुचियाँ तथा अभिरुचियाँ होती हैं, जबकि मंदबुद्धि बालकों में संचिकाएँ तथा अभिरुचियाँ अत्यंत सीमित होती हैं।
-
पिछड़े बालक अपने शरीर की देखभाल साफ-सफाई कर सकते हैं, जबकि मंदबुद्धि बालकों के लिए ऐसा कर पाना असंभव होता है।
-
पिछड़े बालकों में नैतिकता तथा सामाजिक गुणों की समझ होती है, जबकि मंदबुद्धि बालकों में नैतिकता तथा सामाजिक गुणों का अभाव रहता है।
|