बी एड - एम एड >> बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-A - समावेशी शिक्षा बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-A - समावेशी शिक्षासरल प्रश्नोत्तर समूह
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बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-A - समावेशी शिक्षा
प्रश्न- हड्डियों के दोष से ग्रस्त या शारीरिक रूप से विकलांग बालकों के अर्थ को उचित परिभाषाओं सहित सन्दर्भ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर -
'स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क' निवास करता है। मनुष्य का सबसे बड़ा सुख काय का निरोगी होना है। अगर मनुष्य शारीरिक रूप से स्वस्थ नहीं है तो धीरे-धीरे वह मानसिक रूप से भी अस्वस्थ रहने लगता है। शारीरिक रूप से अस्वस्थ मनुष्य के लिए संसार की सभी सुख सुविधाएँ व्यर्थ हैं। मनुष्य का अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए स्वस्थ होना अति आवश्यक है। जब कोई भी मनुष्य अपने शारीरिक रूप से विकलांग होता है और जीवन के छोटे-मोटे कार्य करने में असमर्थ हो जाता है तो उसको अपने कार्यों के लिए दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता है। हमारे देश में शारीरिक रूप से विकलांग बालकों की संख्या काफी है।
आजादी से पहले विकलांग बालकों को दया के दृष्टि से देखा जाता था। वह घर तथा समाज के लोगों पर बोझ होते थे। विकलांगता को पूर्व जन्मों का फल भी देखा जाता था। मानसिक दोष वाले बालकों को भूत-प्रेत या डायन का दंश कहा जाता था तथा उनका शारीरिक उत्पीड़न किया जाता था। आजादी के पश्चात् विभिन्न विचारकों, मनोवैज्ञानिकों तथा शिक्षा-शास्त्रियों का ध्यान इन बालकों की तरफ गया। समाज के लोगों तथा सरकार ने इस दिशा में रुचि ली और उनकी उन्नति के लिए कई प्रकार के कदम उठाए गए। नई शिक्षा नीति 1986 में विकलांग बालकों के उत्थान के लिए कई प्रावधान सुझाए गए।
केंद्र सरकार द्वारा I.E.D. की स्थापना की गई है। इसके अनुसार, 12वीं कक्षा तक पढ़ने वाले छात्रों को फीस, वर्दी, पुस्तकें तथा कॉपियाँ मुफ्त दी जाती हैं।
परिभाषा - विकलांग बालक कौन है? साधारण रूप में जिस बालक के दोनों हाथ या पैर खराब हैं उसे अपंग कहा जाता है। लेकिन अगर किसी बालक के एक हाथ या पैर नहीं हैं तो उसे पूर्ण विकलांग नहीं कहा जाता। कानून के अनुसार विकलांग वह है जिसे शिक्षा प्राप्त करते समय शारीरिक कठिनाई का सामना करना पड़ता है। इसमें शारीरिक अंग का न होना, पोलियो, बीमारी, जलन आदि से अंग का नष्ट होना शामिल है। भारत में शारीरिक विकलांगता आबादी का दो प्रतिशत मानी जाती है।
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