बी एड - एम एड >> बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-A - समावेशी शिक्षा बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-A - समावेशी शिक्षासरल प्रश्नोत्तर समूह
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बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-A - समावेशी शिक्षा
प्रश्न- अंग-दोष या हड्डियों से ग्रस्त बालकों की पहचान तथा शिक्षा पर संदर्भ में नोट लिखें।
अथवा
अंग दोष वाले बच्चों की पहचान तथा शिक्षा व पाठ्यक्रम पर चर्चा करें।
उत्तर -
अंग दोष वाले बच्चों की पहचान तथा शिक्षा एवं पाठ्यक्रम अंग दोष वाले बच्चों की पहचान - अंग दोष वाले बच्चों को पहचान निम्न प्रकार से की जाती है -
- स्पष्ट दिखाई देने वाली विकलांगता - गर्दन, हाथ, उंगलियाँ, कमर आदि की विकलांगता।
- बैठने, खड़े होने और चलने में परेशानी को महसूस करना।
- चीजों को उठाने, पकड़ने और जमीन पर रखने में कठिनाई महसूस करना।
- प्रायः जोड़ों में दर्द की कठिनाई को पाया जाना।
- लिखने में पेन पकड़ने में कठिनाई को पाया जाना।
- अंगों में असमान्य हलचल को पाया जाना।
अंग दोष वाले बच्चों की शिक्षा - यह जरूरी है कि अध्यापक स्वयं ऐसे बच्चों को स्वीकार करें। किसी बच्चे की अपंगता का मजाक न बनाएँ और न ही उसकी क्षमताओं के लिए उसे दोष दें। कक्षा के बालकों को ऐसा व्यवहार करने से रोका जाए। साथ ही विकलांग बालकों को यह अहसास नहीं होने देना चाहिए कि वह विशेष रियायतों से पढ़ रहे हैं। जहाँ तक संभव हो, कक्षा की सभी गतिविधियों में उन्हें हिस्सा लेना चाहिए। कक्षा में बच्चे की विकलांगता के अनुसार उसे बैठने का प्रावधान किया जाना चाहिए, उदाहरण के लिए यदि पैर। बैसाखी वाले बच्चे को आगे दायीं तरफ बैठाना चाहिए ताकि अन्य बच्चों के आने-जाने में बाधा न पड़े। इस बात का पूरा ध्यान रखा जाना चाहिए कि उनकी कार्यक्षमता के अनुसार उन्हें खेलों, शारीरिक क्रियाओं व मनोरंजन हेतु की जाने वाली गतिविधियों में हिस्सा लेने के पर्याप्त मौके दिए जाएं।
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