बी एड - एम एड >> बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-A - समावेशी शिक्षा बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-A - समावेशी शिक्षासरल प्रश्नोत्तर समूह
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बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-A - समावेशी शिक्षा
प्रश्न- धीमी गति से सीखने वाले बच्चों से क्या आशय है?
उत्तर-
कुछ बच्चे ऐसे होते हैं, जो अपनी आयु के बच्चों के समान पढ़ाई में अच्छे नहीं होते हैं। उनकी प्रगति अपनी उम्र के बच्चों से कम होती है इन पर विशेष ध्यान देने एवं सहयोग करने की आवश्यकता होती है। ऐसे बच्चों को धीमी गति से सीखने वाले बच्चे कहते हैं। इन्हें पढ़ने में अधिक समय लग जाता है। इन बच्चों की बौद्धिक क्षमता अपनी आयु के बच्चों की तुलना में कम होती है। इन बच्चों में सभी विषयों में रुचि की कमी होती है। इनका बौद्धिक स्तर एक सीमा से नीचे नहीं होता, बल्कि सभी विषयों में इनकी रूचि कम होती है। सामान्य रूप से इनकी शैक्षिक उपलब्धि 85 प्रतिशत से कम होती है। शैक्षिक उपलब्धि का स्तर इस प्रकार ज्ञात कर सकते हैं:
मान लीजिए एक बच्चा 5वीं कक्षा में पढ़ता है। कक्षा 01 में प्रवेश की आयु सामान्यतः 06 वर्ष होती है तथा 5वीं कक्षा तक पहुंचने पर बच्चा 11 वर्ष मान लिया जाता है और इसे बच्चों की शैक्षिक आयु कहा जाता है। इसके आधार पर हम बच्चे की शैक्षिक उपलब्धि ज्ञात कर सकते हैं।
शैक्षिक उपलब्धि = (शैक्षिक आयु / वास्तविक आयु) × 100
शैक्षिक आयु- कक्षा में पढ़ने वाले बच्चों की औसत आयु वास्तविक आयु बच्चों के जन्म तिथि के अनुसार आयु एक उदाहरण के सहारे से हम शैक्षिक उपलब्धि ज्ञात करना सीखेंगे।
एक बच्चा जो कक्षा 5वीं में पढ़ रहा है। उसकी शैक्षिक उपलब्धि ज्ञात कीजिए, जबकि उसकी वास्तविक आयु 14 वर्ष है। शैक्षिक उपलब्धि के ऊपर दिये सूत्र का प्रयोग करने पर
शैक्षिक उपलब्धि = (11 / 14) × 100 = 78
यह शैक्षिक उपलब्धि धीमी गति से सीखने वाले बच्चे की है। सामान्य शैक्षिक उपलब्धि 90 प्रतिशत से ऊपर होना चाहिए।
पहचान का तरीका- धीमी गति से सीखने वाले बच्चों को पहचानने का सबसे आसान तरीका है उनकी विभिन्न विषयों में परीक्षा लेना, जो बच्चे 40 प्रतिशत से कम अंक प्राप्त करते हैं, उन्हें धीमी गति से सीखने वाले बच्चे कहेंगे। यदि शैक्षिक उपलब्धि 85 प्रतिशत से कम हो, तो बच्चे धीमी गति से सीखने वाले होते हैं। सामान्य बच्चों के बीच धीमी गति से सीखने वाला बच्चा अलग ही दिखाई देता है। जैसे-
- ऐसे बच्चे कक्षा में चुपचाप बैठे रहते हैं। कक्षा में उत्तर नहीं देते हैं।
- इनका ध्यान कक्षा में नहीं रहता है, वे उत्साहहीन बैठ रहते हैं।
- कक्षा में कम उपस्थित रहते हैं।
- बार-बार बाहर जाने की इच्छा रखते हैं।
- कक्षा में इनके बहुत कम मित्र होते हैं।
- जिम्मेदारी के कार्य नहीं कर पाते हैं।
- एक ही कक्षा में बार-बार असफल होते हैं।
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