बी एड - एम एड >> बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-A - समावेशी शिक्षा बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-A - समावेशी शिक्षासरल प्रश्नोत्तर समूह
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बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-A - समावेशी शिक्षा
प्रश्न- विकलांग व्यक्तियों के लिए संवैधानिक प्रावधानों का वर्णन कीजिए।
उत्तर -
भारत का संविधान अन्य सभी नागरिकों के लिए समानता, स्वतंत्रता, न्याय व गरिमा सुनिश्चित करता है और स्पष्ट रूप से यह विकलांग व्यक्तियों सहित एक समावेशी समाज बनाने पर ज़ोर डालता है।
विकलांग व्यक्तियों के लिए संवैधानिक (कानूनी) प्रावधान निम्नलिखित हैं:
- वर्तमान में विकलांग व्यक्तियों के पुनर्वास पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है। विकलांगों की बदली योग्यताओं को पहचाना जा रहा है और समाज के मुख्यधारा में शामिल किए जाने पर ज़ोर दिया जा रहा है। भारत सरकार ने विकलांगों के लिए तीन प्रमुख कानून लागू किए हैं:
(अ) विकलांग व्यक्ति (समान अवसर, अधिकार सुरक्षा तथा पूर्ण भागीदारी) अधिनियम 1995, जो ऐसे लोगों को शिक्षा, रोजगार, अवरोधमुक्त वातावरण का निर्माण, सामाजिक सुरक्षा आदि प्रदान करता है।(ब) ऑटिज्म, सेरिब्रल पाल्सी, मानसिक मंदबुद्धि व बहुविकलांगता के लिए राष्ट्रीय कल्याण ट्रस्ट अधिनियम 1999 में चारों वर्गों के कानूनी सुरक्षा तथा उनके स्वतंत्र जीवन हेतु सहजभव वातावरण के निर्माण का प्रावधान है।
(स) भारतीय पुनर्वास परिषद अधिनियम 1992, पुनर्वास सेवाओं के लिए मानव-बल विकास का प्रयास करता है।
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नीति फ्रेमवर्क के अलावा, गहन संरचना का विकास किया गया है। सात राष्ट्रीय संस्थान हैं जो मानव बल के विकास के लिए विभिन्न क्षेत्रों में कार्य कर रहे हैं।
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पाँच संयुक्त पुनर्वास केंद्र, चार पुनर्वास केंद्र, तथा 120 विकलांग पुनर्वास केंद्र हैं, जो लोगों को विभिन्न प्रकार की पुनर्वास सेवाएँ प्रदान करते हैं।
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विकलांग व्यक्तियों के स्व-रोजगार के लिए राष्ट्रीय अपंग तथा वित्तीय विकास निगम (NHFDC) राज्य की एजेंसियों द्वारा छूट के साथ ऋण प्रदान कराता रहा है।
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विकलांगों के कल्याण के लिए ग्रामीण स्तर, अंतरवर्ती स्तर व जिला स्तर पर पंचायतों, राज्य संस्थान प्रयासरत हैं।
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भारत एक समावेशन, अवरोध मुक्त तथा अधिकार आधारित समाज के निर्माण की दिशा में प्रयास करने के लिए विश्वव्यापी मिलेनियम फ्रेमवर्क का भी सदस्य है।
राष्ट्रीय नीति मानती है कि विकलांग व्यक्ति राष्ट्र के लिए मूल्यवान मानव संसाधन होते हैं तथा ऐसे व्यक्तियों को समान अवसर, उनके अधिकार की सुरक्षा तथा समाज में पूर्ण भागीदारी का प्रयास करती है।
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