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बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-A - समावेशी शिक्षा

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :215
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 2700
आईएसबीएन :0

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बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-A - समावेशी शिक्षा

प्रश्न- सामाजिक विषमता से आप क्या समझते हैं? इनके शैक्षिक अवसरों की समानता का क्या महत्व है?

उत्तर - हमारे समाज में अनेक सामाजिक समूह पाए जाते हैं, जिनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति पर्याप्त भिन्न-भिन्न है। कुछ समूह सामाजिक दृष्टि से श्रेष्ठ स्वीकार किए जाते हैं तथा समाज में उनको पर्याप्त मान-सम्मान मिलता है, लेकिन कुछ ऐसे समूह हैं जिन्हें सामाजिक दृष्टि से निम्न माना जाता है या आर्थिक दृष्टि से भी पिछड़े हुए होते हैं। इन समूहों के अनेक लोग गरीबी रेखा के नीचे जीवन व्यतीत करते हैं। इन समूहों को हम समाज के दबे-कुचले वर्ग की संज्ञा दे सकते हैं। इन्हें हम कह सकते हैं, ‘सामाजिक स्तरीकरण के अंतर्गत निम्न सामाजिक स्थिति वाले तथा छूटे वर्गों का समाज में हीन दृष्टि से देखा जाता है।’ भारतीय समाज में अछूत-नीच, छुआछूत आदि बुराइयों का शिकार बड़ी संख्या में लोग बनते हैं। ये सामाजिक हीन भावना वाले लोग जहाँ भी रहते हैं, वहाँ इन्हें सबसे निम्न स्थान प्राप्त होता है, वहाँ यह शिक्षा से भी वंचित रहते हैं। इन्हें समाज में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजातियों तथा अन्य पिछड़े वर्ग के लोग सम्मिलित हैं। इनकी संख्या काफी है। इसलिए वे अब अपने को ‘बड़ा समाज’ के नाम से पुकारते हैं।

शैक्षिक अवसरों की समानता का अर्थ

समानता का अर्थ है कि विशेष अधिकार वाला वर्ग न रहे और सबके उन्नति के समान अवसर मिलें। शैक्षिक अवसरों की समानता का तात्पर्य सभी के लिए समान शिक्षा नहीं है, बल्कि प्रत्येक बालक के शारीरिक, मानसिक, नैतिक परिस्थितियों के अनुसार शिक्षा प्रदान करना है। इसका तात्पर्य राज्य द्वारा व्यक्तियों को शिक्षा के अवसर में जाति, रंग, रुझान एवं भाषा-भाषी आदि के मध्य भेदभाव न करने से भी है।

शैक्षिक अवसरों की समानता का अर्थ बच्चे के शैक्षिक अवसर अभिभावकों की आर्थिक अवसरों पर निवार स्थान से जुड़े न हों। हाँ! बच्चे को अपनी सामाजिक व आर्थिक विकास के अवसर मिलने चाहिए। सरकार प्रत्येक नागरिक को शिक्षा के समान अवसर उपलब्ध कराए। साथ ही सभी बालकों एक न्यूनतम शैक्षिक योग्यता प्राप्त कर सकें। इस प्रकार दूरस्थ क्षेत्रों के निर्धन घर के अक्षम बालक की शिक्षा को शीर्ष पर पहुँचाना, अवसरों की समानता है।

शिक्षा के अवसरों की समानता का महत्व

यह निम्नलिखित हैं:

  1. शिक्षा मौलिक अधिकार है – भारतीय संविधान में सरकार ने कानून बनाकर शिक्षा प्राप्त करना मौलिक अधिकार माना है।
  2. बालक के व्यक्तित्व का सार्वभौम विकास – शिक्षा बालक के व्यक्तित्व का सार्वभौम विकास करती है। उसका मानसिक व बौद्धिक विकास शिक्षा प्राप्ति के बाद ही होता है। शिक्षा प्राप्त कर वह अपने आर्थिक स्तर उन्नत कर सकता है। उन्नत आर्थिक स्तर उसे समाज में प्रतिष्ठा दिलाता है। इस प्रकार बालक के व्यक्तित्व के सार्वभौम विकास के लिए शिक्षा के समान अवसरों की उपलब्धता महत्वपूर्ण है।
  3. प्रजातंत्र की सफलता – प्रजातंत्र की सफलता अच्छे व सुयोग्य नागरिकों पर निर्भर होती है। किसी भी तरह की विभाजन प्रजातंत्र पर कुठाराघात करती है क्योंकि प्रजातंत्र का आधार ही समानता है। अतः यदि प्रजातंत्र को सफल बनाना है तो अपने नागरिकों को विकसित होने के समान अवसर उपलब्ध कराना होगा।
  4. राष्ट्र का विकास – किसी भी राष्ट्र का विकास उसके नागरिकों पर ही निर्भर करता है। राष्ट्र के विकास की धारा शिक्षा है। शिक्षित नागरिक देश के उत्पादन को बढ़ाकर आर्थिक प्रगति के मार्ग प्रशस्त करते हैं। समान ज्ञान व विवेक से विश्व का नेतृत्व करने में सक्षम होते हैं। अतः राष्ट्र को यह ध्यान देना है कि नागरिकों के बिना जाति, धर्म, रंग आदि भेद के शिक्षा के समान अवसर उपलब्ध कराए।
  5. सामाजिक एकीकरण – शिक्षा सामाजिक एकीकरण का सबसे महत्वपूर्ण कारक है। शिक्षा ही बालक को विभिन्न वर्गों के बच्चों को जोड़ती है, वातावरण के साथ सामंजस्य करना सिखाती है। अतः शैक्षिक अवसरों की समानता का महत्व प्रमाणित है।

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