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बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-C - लिंग, विद्यालय एवं समाज

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :215
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 2702
आईएसबीएन :0

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बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-C - लिंग, विद्यालय एवं समाज

प्रश्न- क्या राजनीति भी जाति को प्रभावित करती है? व्याख्या कीजिए।

उत्तर-

अभी तक हमने इसी चीज़ पर गौर किया है कि राजनीति में जाति की क्या भूमिका होती है। पर, इसका यह मतलब नहीं है कि जाति और राजनीति के बीच सिर्फ़ एकतरफा संबंध होता है। राजनीति भी जातियों को राजनीति के अखाड़े में लाकर जाति व्यवस्था और जातिगत पहचान को प्रभावित करती है। इस तरह, सिर्फ़ राजनीति ही जातिवादी नहीं होती बल्कि जाति भी राजनीति में ढल जाती है। यह चीज़ अनेक रूप लेती है। हर जाति खुद को बड़ा बनाना चाहती है। सो, पहले वह अपने समुदाय के जिन उपजातियों को छोटा या नीचा बताकर अपने से बाहर रखना चाहती थी, अब उन्हें अपने साथ लाने की कोशिश करती है।

चूँकि एक जाति अपने दम पर सत्ता पर कब्ज़ा नहीं कर सकती, इसलिए वह ज़्यादा राजनीतिक ताकत पाने के लिए दूसरी जातियों या समुदायों के साथ लेने की कोशिश करती है और इस तरह उनके बीच संवाद और मेल-मिलाप होता है।

राजनीति में नए किस्म की जातिगत गोलबंदी भी हुई है, जैसे 'अगड़ा' और 'पिछड़ा'।

इस प्रकार जाति राजनीति में कई तरह की भूमिका निभाती है और एक तरह से यही व्यापक दुनिया भर की राजनीति में चलती है। दुनिया भर में राजनीतिक पार्टियाँ वोट पाने के लिए सामाजिक समूहों और समुदायों को गोलबंद करने का प्रयास करती हैं। कुछ खास स्थितियों में राजनीति ने जातिगत विभाजन और असमानताओं वंचित और कमजोर समुदायों के लिए सत्ता पाने, आगे बढ़ाने और सत्ता में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने की गुंजाइश भी दी है। इस अर्थ में जातिगत राजनीति ने दलितों और पिछड़ी जातियों के लोगों के लिए सत्ता तक पहुँचने तथा निर्णय प्रक्रिया को बेहतर ढंग से प्रभावित करने की स्थिति की पैदा की है। अनेक पार्टियाँ और गैर-राजनीतिक संगठन खास जातियों के खिलाफ भेदभाव समाप्त करने, उनके साथ ज्यादा न्यायपूर्ण व्यवहार करने, उनके लिए भूमि-जायदाद और अवसर उपलब्ध कराने की मांग करते हैं। पर, इसके साथ ही यह भी सच है कि सिर्फ जाति को जोर देने मात्र राजनीति लोकतंत्र के लिए शुभ नहीं होती। इससे अक्सर गरीबी, विकास, भ्रष्टाचार जैसे ज्यादा बड़े मुद्दों से लोगों का ध्यान भी भटकता है। कई बार जातिवाद तनाव, टकराव और हिंसा के भी बढ़ावा देता है।

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