बी एड - एम एड >> बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-C - लिंग, विद्यालय एवं समाज बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-C - लिंग, विद्यालय एवं समाजसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-C - लिंग, विद्यालय एवं समाज
प्रश्न- निर्धनता महिलाओं की स्थिति कैसी होती है?
उत्तर-
निर्धनता राजनीतिक के साथ-साथ एक नारीवादी मुद्दा भी है। नियंत्रण वाले लोग जनसंख्या के कुछ उन लोगों में से होते हैं, जो बहुत हाशिएयक्त (marginalised) होते हैं और जिनके साथ भेदभाव किया जाता है। इस बात की बहुत सम्भावना होती है कि ऐसे लोग निम्नतर सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि से हों। कार्य और उच्चतर शिक्षा तक पहुँचना रखने की सम्भावना ऐसे लोगों के मामले में बहुत कम होती है और इनके जीवन की दायरा तुलनात्मक रूप से छोटा होता है। नारीवाद ने तक दिया कि घरेलू हिंसा व्यक्तिगत मुद्दा नहीं है, बल्कि यह एक सामाजिक मुद्दा है। इस तर्क से निर्धनता भी नारीवाद के घरेलू हिंसा के मुद्दे के दायरे से बाहर निकालकर सार्वजनिक मंच पर लाने का प्रयास किया गया है।
कई नारीवादी महिलाएँ इस विषय में समझते हैं कि जेंडर-आधारित हिंसा एक राजनीतिक मुद्दा है और समाज में इसका जारी रहना पितृसत्ता के कारण सम्भव होता है। क्योंकि पितृसत्ता महिलाओं के जीवन पर शक्ति और नियंत्रण स्थापित करता है। खुद को लागू करती है। नियंत्रण वाली महिलाएँ और लड़कियाँ जो हिंसा का अपने बेहद महत्वपूर्ण अध्ययन में बारबरा फारे बैक्समैन फिरोज़िया ने कहा है— "निर्धनता महिलाएँ आयु-वर्ग, प्रजातियाँ, आर्थिक और सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमियाँ और लैंगिक अभिव्यक्तियों से आती हैं, जो ग्रामीण, नगरीय या उप-नगरीय समुदायों में रहती हैं।"
निर्धन महिलाएँ और लड़कियाँ निर्धनता और स्त्रीत्व के किसी न किसी में वे तरीकों से असम्पन्न पहचानो के साथ पड़ी रहती हैं, इन्हें भेदभाव और रूढ़ियों की दोहरी मार झेलनी पड़ती है, अपने जीवन के लक्ष्यों को हासिल करने में इन्हें अनेकानेक बाधाओं का सामना करना पड़ता है। जबकि कुछ सारी निर्धन महिलाएँ अपनी विविध पहचानो से अत्यधिक शक्ति, लचीलापन, और सृजनात्मकता हासिल करती हैं, उन्हें ही भेदभाव के तमाम भार भुगतने पड़ते हैं।
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