बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-2 समाजशास्त्र बीए सेमेस्टर-2 समाजशास्त्रसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-2 समाजशास्त्र - सरल प्रश्नोत्तर
महत्वपूर्ण तथ्य
भारत ने ग्रहण किये जा सकने वाले सभी तत्वों को ग्रहण किया। इन विविधताओं को निम्न प्रकार प्रस्तुत किया जा सकता है-
1. भौगोलिक दशाओं की विविधताएँ
2. जलवायु की विविधताएँ
3. प्रजातीय भिन्नतायें
4. भाषा की भिन्नताएँ
5. धर्म की विविधताएँ
यद्यपि भारत में विभिन्न जातियाँ निवास करती हैं, जिनकी अपनी भाषा, रहन-सहन, रीति-रिवाज, धर्म तथा आदर्श एक-दूसरे से भिन्न हैं। लेकिन भारतीय समाज व जन जीवन का गहरा अध्ययन करने पर इस बात का पता चलता है कि इन विविधताओं के पीछे आधारभूत अखण्ड मौलिक एकता भी भारतीय समाज में संस्कृति की अपनी एक विशिष्ट विशेषता है। इस निम्न प्रकार स्पष्ट किया गया है-
1. भौगोलिक एकता,
2. धार्मिक एकता
3. सांस्कृतिक एकता
हुमायूँ तथा कबीर-
1. सामाजिक एकता
2. राजनीतिक एकता
3. भाषा की एकता
4. भारत के निवासियों की एकता
5. कला की एकता
"भारतीय संस्कृति की कहानी, एकता और समाधानों का समन्वय है तथा प्राचीन परम्पराओं और नवीन मानों के पूर्ण संयोग के उन्नति की कहानी है। यह प्राचीनकाल में रही है और जब तक यह विश्व रहेगा तब तक सदैव रहेगी। दूसरी संस्कृतियाँ नष्ट हो गयी पर भारतीय संस्कृति व इसकी एकता अमर है।"
भारतीय समाज में निम्नलिखित विविधता पायी जाती है-
1. जनसंख्या सम्बन्धी भिन्नताएं
2. भाषा की विभिन्नता
3. धार्मिक विविधता
4. सांस्कृतिक भिन्नताएं
5. प्रजातीय भिन्नताएं
6. संजातीय भिन्नताएं
7. राजनीतिक भिन्नताएँ
8. प्राकृतिक विविधता
भारतीय समाज में विभिन्न धार्मिक केन्द्र अखिल भारतीय स्तर पर सामाजिक-सांस्कृतिक एकता को बढ़ाने में सबसे अधिक योगदान करते रहे हैं।
हमारी संस्कृति में दूसरी संस्कृतियों की तुलना में धार्मिक और सामाजिक त्योहारों की संख्या काफी अधिक है। होली, दिपावली, दशहरा, बुद्ध पूर्णिमा, क्रिसमस तथा ईद किसी एक धर्म के अनुयायियों से ही सम्बन्धित नहीं हैं, बल्कि सभी व्यक्ति इनमें हिस्सा लेते हैं।
भारतीय समाज की सांस्कृतिक पहचान में अध्यात्मवाद और कर्मफल की अवधारणा का बहुत अधिक महत्त्व रहा है। इनके प्रभाव से कोई व्यक्ति चाहे शिक्षित हो या अशिक्षित, सभी लोग कर्मों के अनुसार स्वर्ग और नरक पाने में विश्वास करने लगे।
भारतीय समाज का विभाजन अनेक वर्णों में होने के बाद भी परम्परागत रूप से यहाँ जजमानी -व्यवस्था विकसित की गई।
सामाजिक रीति-रिवाजों और व्यवहार के नियमों में एकरूपता लाने के लिए यहाँ के उत्तराधिकार सम्बन्धी नियमों ने भी योगदान दिया ।
परम्परागत रूप से भारत में संयुक्त परिवार व्यवस्था को ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी अधिक उपयोगी माना जाता है।
15 अगस्त, 1947 को जब भारत स्वतन्त्र हुआ, तो सरकार ने अनेक भिन्नताओं के बाद भी राष्ट्रीय एकता को अपना सबसे प्रमुख लक्ष्य माना।
भारतीय संविधान में समानता, स्वतन्त्रता और धर्मनिरपेक्षता को सबसे अधिक महत्त्व दिया गया। क्षेत्रीय भिन्नताओं को दूर करने के लिए उन क्षेत्रों के विकास पर अधिक बल दिया जाने लगा जो आर्थिक और शैक्षणिक रूप से अधिक पिछड़े हुए थे।
स्वतन्त्रता के बाद भारतीय समाज की एकता का प्रमुख आधार स्वतन्त्र न्यायपालिका है।
भारतीय समाज की एकता का एक अन्य तत्त्व जनसंचार और परिवहन के साधनों का विस्तार है।
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- अध्याय - 1 भारतीय समाज की संरचना एवं संयोजन : गाँव एवं कस्बे
- महत्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 2 नगर और ग्रामीण-नगरीय सम्पर्क
- महत्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 3 भारतीय समाज में एकता एवं विविधता
- महत्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 4 भारतीय समाज का अध्ययन करने हेतु भारतीय विधा, ऐतिहासिक, संरचनात्मक एवं कार्यात्मक परिप्रेक्ष्य
- महत्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 5 सांस्कृतिक एवं संजातीय विविधताएँ: भाषा एवं जाति
- महत्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 6 क्षेत्रीय, धार्मिक विश्वास एवं व्यवहार
- महत्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 7 भारत में जनजातीय समुदाय
- महत्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 8 जाति
- महत्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 9 विवाह
- महत्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 10 धर्म
- महत्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 11 वर्ग
- महत्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 12 संयुक्त परिवार
- महत्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 13 भारत में सामाजिक वर्ग
- महत्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय- 14 जनसंख्या
- महत्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 15 भारतीय समाज में परिवर्तन एवं रूपान्तरण
- महत्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 16 राष्ट्रीय एकीकरण को प्रभावित करने वाले कारक : जातिवाद, साम्प्रदायवाद व नक्सलवाद की राजनीति
- महत्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला