बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-2 समाजशास्त्र बीए सेमेस्टर-2 समाजशास्त्रसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-2 समाजशास्त्र - सरल प्रश्नोत्तर
महत्वपूर्ण तथ्य
एम. एन. श्रीनिवास ने भारतीय सामाजिक संरचना की प्रमुख विशेषता इसकी सामाजिक-सांस्कृतिक विविधता को बताया है।
ड्यूमो ने श्रेणीबद्धता को भारतीय समाज का प्रमुख लक्षण माना है।
योगेन्द्र सिंह ने भारतीय समाज के चार प्रमुख संरचनात्मक व परम्परागत लक्षण बताये हैं- श्रेणीबद्धता, समग्रवाद, निरन्तरता, लोकातीत्व।
मैण्डलबाम ने भारतीय समाज को समझने के लिये दो अवधारणाओं (जाति तथा धर्म) को इसकी कुंजी के समान माना।
भारत गाँवों का देश है क्योंकि आज भी हमारे देश की कुल जनसंख्या का तीन-चौथाई से अधिक भाग ग्रामीण समाज में ही निवास करता है।
गाँव के लिये पहले 'ग्रिहा' अर्थात् 'गिरोह' अथवा 'झुण्ड' तथा 'याली' इत्यादि शब्दों का प्रयोग किया जाता था।
जनसंख्या के आधार पर गाँवों को बड़े, मध्यम तथा छोटे गाँवों में विभाजित किया जा सकता है।
क्षेत्रफल की दृष्टि से गाँव के दो प्रकार विस्तृत व सीमित हैं।
नगरीय लक्षणों के आधार पर गाँवों को नगरीकृत गाँव, अर्द्ध-नगरीकृत गाँव तथा ग्रामीण गाँव में विभाजित किया जा सकता है।
अर्थव्यवस्था के आधार पर कृषि प्रधान गाँवों, उद्योग प्रधान गाँवों तथा मिश्रित अर्थव्यवस्था वाले गाँवों में भेद किया जा सकता है।
सुविधाओं की दृष्टि से गाँवों को पूर्ण सुविधायुक्त गाँव, आंशिक सुविधायुक्त गाँव एवं असुविधायुक्त गाँव जैसी श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है।
'कस्बे' को गाँव और नगर के बीच की श्रेणी माना जाता है।
कस्बे को उपनगर भी कहा जाता है।
किसी पिछड़े हुए अथवा ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले लोगों का जब किसी नगर के साथ सम्पर्क स्थापित होता है तो उनमें धीरे-धीरे नगरीय लक्षण आने प्रारम्भ हो जाते हैं। इसी से गाँव का रूप एक कस्बे के रूप में बदल जाता है।
प्रो. एस. सी. दुबे ने - भारतीय गाँवों का वर्गीकरण छः आधारों पर किया है ये छः आधार हैं-
(1) आकार, जनसंख्या तथा भूमि क्षेत्र
(2) नृजातीय रचना तथा जातीय संरचना
(3) भू-स्वामित्व के प्रतिमान
(4) पृथकता की मात्रा
(5) स्थानीय परम्पराएँ
(6) सत्ता संरचना तथा शक्ति संस्तरण
1991 ई. के अनुसार भारत में 5,58,088 गाँव थे।
ए. आर. देसाई का कहना है कि - गाँव, ग्रामीण समाज की इकाई है। यह एक रंगमंच है जहाँ ग्रामीण जीवन का प्रमुख भाग स्वयं प्रकट होता है और कार्य करता है।
गाँवों के प्रमुख लक्षण या विशेषताएँ हैं- कृषि व्यवसाय, भाग्यवादिता एवं अशिक्षा, नारी की निम्न स्थिति, धार्मिक विचारों की प्रधानता, व्यवसाय में विशेषीकरण का अभाव, संयुक्त परिवारों की प्रधानता, प्रकृति से प्रत्यक्ष सम्बन्ध, जनसंख्या का कम घनत्व, सजातीयता अधिक स्थायी जीवन, सामाजिक गतिशीलता का अभाव, जाति व्यवस्था का महत्व है।
जे. एच. कोल्वे ने - सरल सेवा ग्राम, सीमित सरल सेवा ग्राम, अर्द्ध-पूर्ण मध्यवर्ती ग्राम, अंशतः विशिष्टीकृत पूर्ण केन्द्र, नगरीय उच्च विशिष्टीकृत प्रकार के ग्राम बताये हैं।
मैटजन ने - गाँव के दो प्रकार केन्द्रित गाँव, बिखरे गाँव बताये हैं।
वार्डिन एच. नेटसन ने - गाँव का वर्गीकरण सन्याष्टि कृषि ग्राम पंक्तिनुमा ग्राम समुदाय, व्यापार 'केन्द्र समुदाय के रूप में प्रस्तुत किया हैं।
ऐतिहासिक आधार पर गाँव छः प्रकार के होते हैं - कृषकों का सामूहिक स्वामित्व ग्राम, कृषकों के सामूहिक किरायेदारी ग्राम, कृषकों के व्यक्तिगत स्वामित्व ग्राम, कृषकों के व्यक्तिगत किरायेदारी ग्राम, व्यक्तिगत कृषक मजदूरों के ग्राम, राज्य व धर्म कृषक मजदूरों के ग्राम
संरचना के आधार पर दो प्रकार के ग्राम होते हैं समूह ग्राम, बिखरे हुए ग्राम।
सामाजिक विभेदीकरण, स्तरीकरण, गतिशीलता एवं भू-स्वामित्व (सोरोकिन, जिमरमैन व गाल्पिन) ने निम्न आधारों पर ग्रामीण समुदाय को वर्गीकृत किया है कृषक के संयुक्त स्वामित्व के गाँव, कृषक के संयुक्त पट्टेदारी के गाँव कृषक के व्यक्तिगत स्वामित्व के गाँव जिसमें कुछ पट्टेदार और श्रमिक भी सम्मिलित हैं, कृषक के व्यक्तिगत पट्टेदारी के गाँव जमींदारों के कर्मचारियों द्वारा बसे गाँव, सार्वजनिक कर्मचारियों और श्रमिकों द्वारा बसे हुए गाँव।
बेडेल पावेल ने - भूमि व्यवस्था के आधार पर ग्रामों का वर्गीकरण इस प्रकार किया है- रैयतवाड़ी ग्राम, सामूहिक ग्राम।
एम. एन. श्रीनिवास ने - मैसूर के गाँव रामपुरा की सामुदायिक एकता का अध्ययन किया।
आकार के आधार पर नगरीय बस्तियों को कई भागों में बाँटा गया है उनमें से एक कस्बा भी है। कस्बा उस बस्ती को कहा जाता है जिसमें 500 से लेकर 10,000 तक व्यक्ति रहते हैं। गंगा-यमुना के दोआब के दोआब में 30,000 से 35,000 की आबादी वाले कस्बे देखे जा सकते हैं।
भारत में कस्बे का निर्धारण 1981 की जनगणना के आधार पर किया है।
कस्बे में जन घनत्व 1000 व्यक्ति प्रति मील होता है।
2001 की जनगणना के अनुसार लगभग 5 लाख 80 हजार गाँवों का भारत में समावेश है। इनमें से 3.38 लाख गाँव केवल उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, उड़ीसा तथा महाराष्ट्र प्रान्त में हैं। गाँव वह है जहाँ कृषि को मुख्य व्यवसाय के रूप में अपनाया गया हो अर्थात् जहाँ लोगों की आय का मुख्य साधन कृषि हो।
बरट्राण्ड ने - 'ग्रामीणता' के निर्धारण में दो आधारों-
(i) कृषि द्वारा आय अथवा जीवनयापन
(ii) कम घनत्व वाला जनसंख्या क्षेत्र को प्रमुख माना।
रेटजल महोदय ने - कस्बे की तीन विशेषताएँ बताई हैं-
(i) निवासियों की न्यूनतम जनसंख्या 2000 से अधिक होती है
(ii) कस्बे में व्यापार एवं उद्योगों की प्रधानता होती है
(iii) मकानों का केन्द्रीकरण |
भारतीय गाँवों में सामाजिक स्तरीकरण का प्रमुख आधार जाति है।
डॉ. मजूमदार ने भारतीय गाँव को एक जीवन-विधि माना है।
'घोष' तथा 'ग्राम' - इन दो प्रकार के गाँवों का उल्लेख भारतीय इतिहास के धर्मशास्त्र युग में मिलता है।
सन् 1951 की जनगणना में भारतीय गाँवों के वर्गीकरण का आधार जनसंख्या थी।
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- अध्याय - 1 भारतीय समाज की संरचना एवं संयोजन : गाँव एवं कस्बे
- महत्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 2 नगर और ग्रामीण-नगरीय सम्पर्क
- महत्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 3 भारतीय समाज में एकता एवं विविधता
- महत्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 4 भारतीय समाज का अध्ययन करने हेतु भारतीय विधा, ऐतिहासिक, संरचनात्मक एवं कार्यात्मक परिप्रेक्ष्य
- महत्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 5 सांस्कृतिक एवं संजातीय विविधताएँ: भाषा एवं जाति
- महत्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 6 क्षेत्रीय, धार्मिक विश्वास एवं व्यवहार
- महत्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 7 भारत में जनजातीय समुदाय
- महत्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 8 जाति
- महत्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 9 विवाह
- महत्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 10 धर्म
- महत्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 11 वर्ग
- महत्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 12 संयुक्त परिवार
- महत्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 13 भारत में सामाजिक वर्ग
- महत्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय- 14 जनसंख्या
- महत्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 15 भारतीय समाज में परिवर्तन एवं रूपान्तरण
- महत्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 16 राष्ट्रीय एकीकरण को प्रभावित करने वाले कारक : जातिवाद, साम्प्रदायवाद व नक्सलवाद की राजनीति
- महत्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला