बी काम - एम काम >> बीकाम सेमेस्टर-2 व्यावसायिक प्रबन्ध बीकाम सेमेस्टर-2 व्यावसायिक प्रबन्धसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीकाम सेमेस्टर-2 व्यावसायिक प्रबन्ध - सरल प्रश्नोत्तर
अध्याय - 4 प्रबन्ध विचारधारा का विकास : प्रतिष्ठित, नव- प्रतिष्ठित पद्धतियाँ तथा सांयोगिक (आकस्मिकता) दृष्टिकोण
(Development of Management Thought: Classical, Neo-Classical Systems and Contingency Approach)
प्रबन्ध निर्धारित उद्देश्यों की पूर्ति के लिए व्यक्तियों के सामूहिक प्रयासों को संचालित करता है। अतएव यह परिवारों, क्लबों, धार्मिक स्थलों, कार्यक्रमों आदि सभी में विद्यमान रहता है। प्रबन्ध का विकास मानव के विकास के साथ- साथ हुआ है। प्रबन्ध उतना ही प्राचीन है जितनी कि मानव सभ्यता । प्रारम्भ में प्रबन्ध सामान्यतया व्यक्तिगत नेतृत्व के रूप में था तथा प्रबन्ध की विचारधारा का जन्म भी इसी रूप में हुआ । बाइबिल के अनुसार मूसा ने सारे इजराइल में से योग्य व कुशल व्यक्तियों को चुना तथा व्यक्तियों के समूह पर राज्य करने के लिए अध्यक्ष बनाया था। प्रबन्ध एक पुराना कार्य तथा ज्ञान की नवीन विद्या है। प्रबन्ध के विधिवत् अध्ययन एवं शोध का विकास सन् 1800 के बाद से ही शुरू हो जाता है किन्तु सन् 1900 के बाद इस दिशा में उल्लेखनीय प्रयत्न हुए है। व्यवसाय के प्रत्येक क्षेत्र में प्रबन्ध विद्यमान होता है। प्रबन्ध विचारधारा के विकास का अध्ययन प्राचीन विचारधारा, संस्थापक विचारधारा, नव संस्थापक विचारधारा तथा आधुनिक विचारधारा शीर्षकों में बाँट कर किया जा सकता है। सांयोगिक विचारधारा प्रबन्ध के क्षेत्र में आधुनिक विचारधारा है।
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