बी काम - एम काम >> बीकाम सेमेस्टर-2 व्यावसायिक प्रबन्ध बीकाम सेमेस्टर-2 व्यावसायिक प्रबन्धसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीकाम सेमेस्टर-2 व्यावसायिक प्रबन्ध - सरल प्रश्नोत्तर
अध्याय - 15 सम्प्रेषण: प्रकृति, प्रक्रिया, संजाल, बाधाएँ एवं प्रभावी सम्प्रेषण
(Communication: Nature, Process, Networks, Barriers, and Effective Communication)
सम्प्रेषण प्रबन्धकीय विधि का प्रमुख अंग है। कार्यालय के किसी भी कार्य जैसे- संगठन, नियोजन, संचालन आदि को सम्प्रेषण के बिना पूरा नहीं किया जा सकता। इसलिए यह कहा जाता है कि प्रबन्ध ही सम्प्रेषण है, अर्थात् इन दोनों में इतना अधिक घनिष्ठ सम्बन्ध है कि इन्हें एक-दूसरे से पृथक् नहीं किया जा सकता। छोटे कार्यालयों में सम्प्रेषण की कोई समस्या नहीं होती है, किन्तु बड़े संस्थानों में प्रबन्धकों व कार्यकर्त्ताओं के दूरी पर होने के कारण सम्प्रेषण की समस्या उत्पन्न हो जाती है। उपक्रम का आकार बढ़ने के साथ-साथ सम्प्रेषण की समस्या गम्भीर होने लगती है। सम्प्रेषण की बाधाओं को दूर करना तथा सम्प्रेषण को प्रभावशाली बनाना महत्वपूर्ण होता है। कोई सुयोग्य प्रबन्धक भी बिना उपयुक्त सम्प्रेषण की व्यवस्था के कुछ भी कार्य नहीं कर सकता। बिना सम्प्रेषण के प्रबन्ध निष्क्रिय होता है। इसीलिए उपक्रम में प्रभावी संदेशवाहन होना चाहिए। सम्प्रेषण को दो व्यक्तियों के बीच विचारों के विनिमय की प्रक्रिया कहा जाता है। यह विचारों के आदान-प्रदान की अवधारणा है। इस हेतु दो या दो से अधिक व्यक्तियों का होना आवयश्क होता है। उपक्रम में संदेश को प्रभावी करने हेतु इसे स्पष्ट, पूर्ण, शिष्ट, समयानुकूल होना चाहिए। प्रभावी सम्प्रेषण आधुनिक व्यवस्था एवं प्रबन्ध की आधारशिला तथा जीवन-शक्ति होता है।
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