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बीएड सेमेस्टर-2 चतुर्थ (A) प्रश्नपत्र - पर्यावरणीय शिक्षा

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2759
आईएसबीएन :0

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बीएड सेमेस्टर-2 चतुर्थ (A) प्रश्नपत्र - पर्यावरणीय शिक्षा - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- वैश्विक तापमान वृद्धि पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।

उत्तर-

हरित गृह गैसों का उत्सर्जन, धरती के तापमान में वृद्धि के कारण आने वाले संकट का अंदाजा पर्यावरणविदों व वैज्ञानिकों को तो है परन्तु आम आदमी इसकी गंभीरता को नहीं समझ पा रहा है। विश्व पटल पर ग्लोबल वार्मिंग को लेकर गंभीर चिन्ता व चिन्तन के दौर चल रहे हैं। यदि वर्तमान स्थिति बनी रही तो बढ़ेगा पृथ्वी का तापमान, सूखेंगी नदियाँ और डूबेगी दुनिया। हाल में आयोजित जोहान्सबर्ग पृथ्वी सम्मेलन में ग्लोबल वार्मिंग गंभीर चिन्ता का विषय रहा। अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के मुखर विरोध, रूस के उदासीन रवैये के मध्य यूरोपीय संघ द्वारा विकासशील देशों के साथ मिलकर ग्लोबल वार्मिंग रोकने सम्बन्धी क्वेटो प्रोटोकाल को प्रभावी बनाने के पक्ष में गंभीर मुहिम चलायी गयी। इसका परिणाम यह रहा कि यूरोपीय देशों सहित रूस, चीन, कनाडा इस प्रोटोकाल के अनुमोदन पर सहमत हो गये। इससे पृथ्वी के बढ़ते तापमान पर अंकुश लगाने की आशा बलवती हुई है।

वैश्विक तापमान में लगातार वृद्धि हो रही है। 20वीं सदी का अंतिम दशक अब तक का सर्वाधिक गर्म दशक रहा। पृथ्वी के बढ़ते औसत ताप के चलते कल तक की कपोल कल्पित संभावनायें आज सच होने लगी हैं। बाढ़, सूखा, भीषण आँधी-तूफान, चक्रवात व मौसम परिवर्तन अब अधिक भयावह रूप लेने लगा है। अगर अगले कुछ वर्षों में पृथ्वी का तापमान बढ़ाने वाली गैसों पर प्रभावी अंकुश न लग सका तो आने वाला समय भारी उथल-पुथल वाला होने जा रहा है।

पृथ्वी के चारों तरफ वायुमण्डल है। इसमें नाइट्रोजन 78.09 प्रतिशत, ऑक्सीजन 20.95 प्रतिशत, आर्गन 0.93 प्रतिशत, कार्बन डाईऑक्साइड 0.03 प्रतिशत तथा शेष अन्य गैसें पायी जाती हैं। वायुमण्डल में पायी जाने वाली कुछ गैसों जैसे- कार्बन डाईऑक्साइड, मीथेन, नाइट्रस ऑक्साइड, क्लोरोफ्लोरो कार्बन, हाइड्रोफ्लोरो कार्बन, पर फ्लोरो कार्बन, ओजोन में ऊष्मा सोखने की क्षमता होती है इसीलिए इन्हें हरित गृह गैसें कहा जाता है। इन गैसों के कारण पृथ्वी पर एक विशेष तापमान की स्थिति पायी जाती है। जिसको हरित गृह प्रभाव कहा जाता है। इन गैसों की वायुमण्डल में उचित उपस्थिति पृथ्वी पर जीवन योग्य तापमान बनाये रखने के लिए जरूरी है परन्तु पिछले कुछ दशकों में इनकी बढ़ती मात्रा के चलते पृथ्वी के तापमान में विनाशकारी वृद्धि हो रही है।

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