बी एड - एम एड >> बीएड सेमेस्टर-2 चतुर्थ (A) प्रश्नपत्र - पर्यावरणीय शिक्षा बीएड सेमेस्टर-2 चतुर्थ (A) प्रश्नपत्र - पर्यावरणीय शिक्षासरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीएड सेमेस्टर-2 चतुर्थ (A) प्रश्नपत्र - पर्यावरणीय शिक्षा - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- समस्या समाधान विधि के लाभ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
पर्यावरण के शिक्षण में समस्या समाधान विधि को अपनाने के निम्नलिखित लाभ हैं-
(1) जीवन की समस्याओं को सुलझाने में सहायक - इस विधि से बालक जीवन में आने वाली समस्याओं को सुलझाने के लिए हमेशा तैयार रहता है। प्रत्येक व्यक्ति को जीवन में अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। विद्यालय में समस्याओं के समाधान के शिक्षण प्राप्त करने से विद्यार्थियों में से ऐसे कौशल और अनुभव आ जाते हैं जिससे वे जीवन की समस्याओं का समाधान करना सीखते हैं।
(2) स्वाध्याय की आदत का निर्माण - इस विधि से बालकों में स्वाध्याय की आदत का निर्माण होता है जो आगे चलकर जीवन में बहुत लाभकारी सिद्ध होती है। इससे अध्ययन के बारे में विद्यार्थियों को दूसरों पर निर्भर नहीं रहना पड़ता।
(3) तथ्यों का संग्रह और व्यवस्थापन - इस विधि से विद्यार्थी तथ्यों को एकत्रित करना सीखते हैं तथा इन एकत्रित तथ्यों को एकत्रित करने के पश्चात् उन्हें व्यवस्थित करना भी सीखते हैं। यह इस विधि की बहुत महत्त्वपूर्ण देन है, विशेषकर शोध कार्यों के लिए।
(4) अनुशासन को बढ़ावा - इस विधि से अनुशासन-प्रियता को बढ़ावा मिलता है क्योंकि प्रत्येक विद्यार्थी समस्या का हल निकालने में ही जुटा रहता है। अतः उसके पास अनुशासन भंग करने का अवसर ही नहीं होता।
(5) विभिन्न गुणों का विकास - समस्या समाधान विधि बालकों में सहनशीलता, उत्तरदायित्व की भावना, व्यावहारिकता, व्यापकता, गम्भीरता, दूरदर्शिता आदि अनेक गुणों को जन्म देती है।
(6) वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास - इस विधि से विद्यार्थियों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास होता है। वे पुस्तकीय ज्ञान पर आश्रित नहीं रहते। मुद्रित पाठों का अन्धानुकरण नहीं करते।
(7) स्थायी ज्ञान - इस विधि द्वारा अर्जित ज्ञान विद्यार्थियों के पास स्थायी रूप से रहता है क्योंकि विद्यार्थियों ने स्वयं समस्या का समाधान ढूँढ़कर इस ज्ञान को अर्जित किया होता है।
(8) पथ-प्रदर्शन - इस विधि से शिक्षक और विद्यार्थी को एक-दूसरे के निकट आने का अवसर मिलता है। समस्या समाधान विधि में शिक्षक के पथ-प्रदर्शन का महत्त्वपूर्ण स्थान है। विद्यार्थी समस्या का समाधान ढूंढ़ने के लिए समय-समय पर शिक्षक की सहायता लेता है। इसमें दोनों में सम्पर्क बढ़ता है।
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