बी एड - एम एड >> बीएड सेमेस्टर-2 हिन्दी शिक्षण बीएड सेमेस्टर-2 हिन्दी शिक्षणसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीएड सेमेस्टर-2 हिन्दी शिक्षण - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- कविता का सस्वर पठन करते समय क्या-क्या सावधानियाँ रखनी चाहिए?
उत्तर-
कविता का सस्वर पठन
काव्य शिक्षण अर्थात् कविता शिक्षण में वाचन का सबसे अधिक महत्त्व होता है। कविता शिक्षण की सफलता तथा असफलता का श्रेय वाचन पर ही निर्भर करता है। कविता के सस्वर पठन के महत्त्व को स्पष्ट करते हुए रायबर्न ने कहा है कि - "अध्यापक का प्रथम कार्य, चाहे वह किसी भी कक्षा में न पढ़ रहा हो यही होगा कि वह कविता का सस्वर वाचन करे उसके उत्तम वाचन में कविता के भाव छात्र भली प्रकार समझ जाएँगे।" कविता वाचन प्रमुख रूप से निम्नलिखित तीन प्रकार से किया जाता है-
1. राग युक्त वाचन,
2. भाव युक्त वाचन,
3. मुद्रा युक्त वाचन।
सावधानियाँ - कविता का सस्वर पठन करते समय निम्नलिखित सावधानियाँ रखनी चाहिए
1. कविता के वाचन को प्रभावशाली बनाने के लिए अध्यापक को कविता के भावों से भली-भाँति परिचित होना चाहिए तथा उसे हृदयांगम भी करना चाहिए।
2. सर्वप्रथम कविता का सस्वर पठन अध्यापक द्वारा राग, भाव तथा मुद्रा युक्त तरीके से किया जाना चाहिए। तत्पश्चात् किसी ऐसे छात्र से करने को कहना चाहिए जिसका स्वर तथा वाणी अच्छी हो।
3. सस्वर पठन करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि विद्यार्थी ध्वनियों का निर्दोष तथा स्पष्ट उच्चारण करें।
4. कविता का सस्वर पठन करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि विद्यार्थी या अध्यापक की आवाज कक्षा के सम्पूर्ण छात्रों को स्पष्ट सुनाई पड़े।
5. कविता का सस्वर पठन करते समय कविता के भावों पर विशेष ध्यान देते हुए अपने मुखाकृति को भावों के अनुरूप बदलते रहना चाहिए।
6. कविता के सस्वर पठन में स्वर के उतार-चढ़ाव का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
7. सस्वर पठन करते समय अध्यापक या विद्यार्थी को अपने स्थान पर खड़े होकर तथा पुस्तक को आँखों से लगभग 30 सेन्टीमीटर की दूरी पर रखना चाहिए तथा पुस्तक इस प्रकार से पकड़नी चाहिए कि वह हाथ से 135° का कोण बनाती हो।
8. कविता का सस्वर पठन करते समय कक्षा के छात्रों की तरफ भी प्रायः देखते रहना चाहिए जिससे कक्षा का अनुशासन भी बना रहेगा तथा अध्यापक को यह भी पता चलता रहेगा कि छात्रों का ध्यान कक्षा तथा विषय में केन्द्रित है अथवा नहीं।
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