बी एड - एम एड >> बीएड सेमेस्टर-2 हिन्दी शिक्षण बीएड सेमेस्टर-2 हिन्दी शिक्षणसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीएड सेमेस्टर-2 हिन्दी शिक्षण - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- प्राथमिक स्तर के बच्चों के लिए किस प्रकार की कहानियों का चयन करना चाहिए और क्यों?
अथवा
कहानी को रोचक एवं प्रभावकारी बनाने हेतु अपने मौलिक सुझाव दीजिए।
उत्तर-
कहानियाँ मानव सभ्यता के आदिकाल से ही शिक्षा एवं मनोरंजन का साधन रही हैं। हमारे देश में वृहत् कथा मंजरी, कथा सरित्सागर, पंचतन्त्र और हितोपदेश तथा उपनिषदों की कथाओं ने मानव मात्र का मनोरंजन तो किया ही था उसे ज्ञान के सागर में गोते लगाने के लिए प्रेरित किया था।
एडीसन के अनुसार- "कहानियों द्वारा नैतिकता अपने आप हृदय में बैठ जाती है।" कहानी मानव-मन में विद्यमान सत्यम् शिवम् सुन्दरम् को उभारकर उसे आचरण में ढालने के लिए प्रेरित करती है जो कार्य ढेरों साहित्य नहीं कर सकता वह अकेली कहानी कर दिखाती है।
प्राथमिक स्तर के बच्चों के लिए कहानियाँ - बाल-मन पर कहानियों का बड़ा प्रभाव पड़ता है। मनोवैज्ञानिक तथ्य है कि बालक जो कुछ जीवन के प्रारम्भिक पाँच वर्षों में सीख लेता है, उतना जीवन पर नहीं सीख पाता इसलिए उसे इन वर्षों में अच्छी-अच्छी कहानी सुनाकर उसके चरित्र का निर्माण करना चाहिए। प्राथमिक स्तर के बच्चों के लिए कहानियों का चयन निम्नांकित रूप में करना चाहिए-
(1) कहानी नैतिक शिक्षा देने वाली हो।
(2) इसमें सत्यम् शिवम् सुन्दरम् का समावेश हो।
(3) कहानी नीतिपरक हो।
(4) प्राथमिक स्तर के बच्चे पशु-पक्षी आदि से सम्बन्धित पात्रों में अधिक रुचि रखते हैं
(5) महापुरुषों के जीवन पर आधारित कहानी सुनानी चाहिए।
(6) कहानी मनोरंजन करने में समर्थ हो जिससे बच्चों की रुचि अन्त तक बनी रहे।
(7) सत्कर्मों व सद्गुणों के लिए प्रेरित करने वाली हो।
(8) बालकों की मानसिक क्षमता के अनुरूप हो, भाषा सरल व सरस हो।
(9) कहानी में अधिक पात्र न हो जिससे बालकों में अन्त तक रोचकता बनी रहे।
(10) कहानी का अन्त सुखात्मक हो, इसमें वीभत्स एवं डरावने दृश्यों का चित्रण न हो।
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