बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 भूगोल बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 भूगोलसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 भूगोल - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- संविधान के 72वें संशोधन द्वारा पंचायती राज संस्थाओं में जो परिवर्तन किये गये हैं उनका उल्लेख कीजिये।
उत्तर -
ग्रामीण स्तर पर सत्ता में जनता की भागीदारी सुनिश्चित करने के उद्देश्य से संविधान में 72वाँ संशोधन किया गया। यह संशोधन सम्बन्धी विधेयक 22 दिसम्बर, 1992 को लोकसभा द्वारा पारित किया गया था। इसको 17 राज्यों के विधान- मण्डलों की स्वीकृति मिल जाने के पश्चात् अप्रैल, 1993 में लागू कर दिया गया। इस संशोधन के अन्तर्गत संविधान में पंचायती राज के लिये एक नया खण्ड 9 शामिल करने की व्यवस्था की गयी है। इस संशोधन का उद्देश्य पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान करना है।
स्वर्गीय राजीव गाँधी, श्री विश्वनाथ प्रतापसिंह और अन्त में पी० वी० नरसिंह राव सरकार द्वारा अलग-अलग स्वरूपों में तीन बार प्रस्तुत इस संशोधन विधेयक को अन्ततः संसद ही संयुक्त समिति के अनुमोदन के बाद ही लोक सभा की स्वीकृति मिली थी। इस संविधान में संशोधन 19 ग्राम पंचायतों के सामयिक चुनाव सुनिश्चित कराने तथा इनमें महिलाओं, पिछड़े वर्गों और अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों के आरक्षण तथा स्थानीय स्तर पर नियोजन तथा संसाधन जुटाने के अधिकारों का प्रावधान किया गया है।
इस संवैधानिक संशोधन का भारतीय संसद के इतिहास में अलग महत्व है। इस सम्बन्ध में विधेयक पहली बार राजीव गाँधी सरकार ने 1989 में लोक सभा में पारित कराया था लेकिन राज्य सभा में इसके लिये पर्याप्त बहुमत सम्भव नहीं हुआ था। बाद में विश्वनाथ प्रताप सिंह सरकार ने विधेयक लोकसभा में प्रस्तुत किया था, लेकिन इस सरकार के पहले ही पतन हो जाने के कारण यह पारित नहीं हो सका था। तीसरी बार वर्तमान नरसिंह राव सरकार ने 1991 में इस सम्बन्ध में एक विधेयक लोक सभा में प्रस्तुत किया था। इस विधेयक को 22 दिसम्बर, 1992 को 317 मतों से लोकसभा ने स्वीकार किया। अन्ततः यह विधेयक अधिनियम में परिवर्तित होकर अप्रैल, 1993 में लागू कर दिया गया।
संविधान के इस 72वें संशोधन द्वारा राज्य विधान मण्डलों को अधिकार दिया गया है कि वे पंचायतों को आर्थिक विकास योजना बनाने और कर एवं शुल्क लगाने के लिये प्राधिकृत कर सकें इस संशोधन की व्यवस्थाओं के अनुसार ग्राम पंचायतों का कार्य और अधिकार सम्बन्धी राज्यों के विधान मण्डलों द्वारा तय किया जायेगा। ये ग्राम पंचायतें पंचायती राज व्यवस्था की बुनियाद होगी।
इस संविधान संशोधन के फलस्वरूप आठवीं पंचवर्षीय योजना के दौरान देश की पंचायतों को तीस हजार करोड़ रुपये की ग्रामीण विकास योजनाओं के स्थानीय संचालन का अधिकार मिल गया है। इस संशोधन द्वारा पहली बार ग्रामीणों द्वारा सीधे निर्वाचित पंच स्थानीय स्तर पर योजना बनायेंगे और उसके क्रियान्वयन पर निगरानी रखेंगे।
इस संशोधन के जरिये संविधान में 11वीं अनुसूची जोड़ी गयी है जिसके परिणामस्वरूप राज्य विधान मण्डल, कृषि भूमि सुधार, लघु सिंचाई, ग्रामीण आवास पेय जल, सड़क, पुलिया, ग्राम विद्युतीकरण जैसी ग्रामीण विकास एवं सामाजिक न्याय से सम्बन्धित कार्यक्रमों का कार्यान्वयन पंचायतों के हवाले कर सकेंगी। इस संशोधन के प्रावधानों के फलस्वरूप पंचायत तथा राज्य में अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों की जनसंख्या के अनुपात में पंचों और सरपंचों के स्थान आरक्षित होंगे। इस संशोधन के अन्तर्गत राज्य सरकारों को अधिकार दिये गये हैं कि वे उपरोक्त आरक्षणों के अलावा पिछड़े वर्गों के लिये अतिरिक्त आरक्षण का प्रावधान कर सकें।
इस संशोधन के माध्यम से ग्राम क्षेत्र खण्ड (ब्लॉक) एवं जिला स्तर की पंचायतों के लिये हर पाँच वर्ष में चुनाव कराना अनिवार्य कर दिया गया है। किसी भी पंचायत के भंग होने या उसका निलम्बन होने की स्थिति में छः माह के दौरान चुनाव कराना अनिवार्य होगा। इस संशोधन के प्रावधानों के अनुसार संविधान में हाल में जोड़ी गयी 11वीं अनुसूची में शामिल 29 कार्यक्रमों का स्थानीय कार्यान्वयन पंचायतों के हवाले कर सकेंगी। ये कार्यक्रम हैं- कृषि, लघु सिंचाई, डेयरी, मुर्गी पालन, मछली पालन, वनरोपण, वन-उत्पाद, लघु उद्योग, कृषि उपज, परीक्षण खादी, ग्रामीण एवं कुटीर उद्योग, ग्रामीण, आवास, पेय जल, ईंधन व चाय, सड़क पुलिया तथा आवागमन की अन्य सुविधाएँ, ग्रामीण विद्युतीकरण तथा बिजली का वितरण।
ग्राम पंचायतों को राज्य सरकारों द्वारा दिये जा सकने वाले अन्य कार्यभार हैं- गैर परम्परागत ऊर्जा स्रोत, गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम, शिक्षा और प्राथमिक तथा माध्यमिक स्कूल, तकनीकी एवं व्यावसायिक शिक्षा, प्रौढ़ एवं अनौपचारिक शिक्षा, पुस्तकालय साँस्कृतिक कार्यक्रम, बाजार हाट और मेले, स्वास्थ्य, सफाई, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र डिस्पेन्सरी तथा अस्पताल, परिवार कल्याण, महिला एवं बाल विकास कार्यक्रम, समाज कल्याण एवं विकलांग कार्यक्रम अनुसूचित जाति एवं जनजाति तथा अन्य कमजोर वर्गों के लिये चलाये जा रहे कार्यक्रम, सार्वजनिक वितरण प्रणाली तथा सामाजिक सम्पत्ति का रख-रखाव।
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- प्रश्न- प्रादेशिक भूगोल में प्रदेश (Region) की संकल्पना का विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रदेशों के प्रकार का विस्तृत वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- प्राकृतिक प्रदेश को परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- प्रदेश को परिभाषित कीजिए एवं उसके दो प्रकारों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- प्राकृतिक प्रदेश से क्या आशय है?
- प्रश्न- सामान्य एवं विशिष्ट प्रदेश से क्या आशय है?
- प्रश्न- क्षेत्रीयकरण को समझाते हुए इसके मुख्य आधारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- क्षेत्रीयकरण के जलवायु सम्बन्धी आधार कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- क्षेत्रीयकरण के कृषि जलवायु आधार कौन से हैं? इन आधारों पर क्षेत्रीयकरण की किसी एक योजना का भारत के संदर्भ में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत के क्षेत्रीयकरण से सम्बन्धित मेकफारलेन एवं डडले स्टाम्प के दृष्टिकोणों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- क्षेत्रीयकरण के भू-राजनीति आधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- डॉ० काजी सैयदउद्दीन अहमद का क्षेत्रीयकरण दृष्टिकोण क्या था?
- प्रश्न- प्रो० स्पेट के क्षेत्रीयकरण दृष्टिकोण पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भारत के क्षेत्रीयकरण से सम्बन्धित पूर्व दृष्टिकोण पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- प्रादेशिक नियोजन से आप क्या समझते हैं? इसके उद्देश्य भी बताइए।
- प्रश्न- प्रादेशिक नियोजन की आवश्यकता क्यों है? तर्क सहित समझाइए।
- प्रश्न- प्राचीन भारत में नियोजन पद्धतियों पर लेख लिखिए।
- प्रश्न- नियोजन तथा आर्थिक नियोजन से आपका क्या आशय है?
- प्रश्न- प्रादेशिक नियोजन में भूगोल की भूमिका पर एक निबन्ध लिखो।
- प्रश्न- हिमालय पर्वतीय प्रदेश को कितने मेसो प्रदेशों में बांटा जा सकता है? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय प्रायद्वीपीय उच्च भूमि प्रदेश का मेसो विभाजन प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय तट व द्वीपसमूह को किस प्रकार मेसो प्रदेशों में विभक्त किया जा सकता है? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- "हिमालय की नदियाँ और हिमनद" पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- दक्षिणी भारत की नदियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पूर्वी हिमालय प्रदेश का संसाधन प्रदेश के रूप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में गंगा के मध्यवर्ती मैदान भौगोलिक प्रदेश पर विस्तृत टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- भारत के उत्तरी विशाल मैदानों की उत्पत्ति, महत्व एवं स्थलाकृति पर विस्तृत लेख लिखिए।
- प्रश्न- मध्य गंगा के मैदान के भौगोलिक प्रदेश पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- छोटा नागपुर का पठार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- प्रादेशिक दृष्टिकोण के संदर्भ में थार के मरुस्थल की उत्पत्ति, महत्व एवं विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- क्षेत्रीय दृष्टिकोण के महत्व से लद्दाख पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- राजस्थान के मैदान पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- विकास की अवधारणा को समझाइये |
- प्रश्न- विकास के प्रमुख कारक कौन-कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सतत् विकास का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सतत् विकास के स्वरूप को समझाइये |
- प्रश्न- सतत् विकास के क्षेत्र कौन-कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सतत् विकास के महत्वपूर्ण सिद्धान्त एवं विशेषताओं पर विस्तृत लेख लिखिए।
- प्रश्न- अल्प विकास की प्रकृति के विभिन्न दृष्टिकोण समझाइए।
- प्रश्न- अल्प विकास और अल्पविकसित से आपका क्या आशय है? गुण्डरफ्रैंक ने अल्पविकास के क्या कारण बनाए है?
- प्रश्न- विकास के विभिन्न दृष्टिकोणों पर संक्षेप में टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- सतत् विकास से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- सतत् विकास के लक्ष्य कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- आधुनिकीकरण सिद्धान्त की आलोचना पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- अविकसितता का विकास से क्या तात्पर्य है?
- प्रश्न- विकास के आधुनिकीकरण के विभिन्न दृष्टिकोणों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- डॉ० गुन्नार मिर्डल के अल्प विकास मॉडल पर विस्तृत लेख लिखिए।
- प्रश्न- अल्प विकास मॉडल विकास ध्रुव सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए तथा प्रादेशिक नियोजन में इसकी सार्थकता को समझाइये।
- प्रश्न- गुन्नार मिर्डल के प्रतिक्षिप्त प्रभाव सिद्धांत की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- विकास विरोधी परिप्रेक्ष्य क्या है?
- प्रश्न- पेरौक्स के ध्रुव सिद्धान्त पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- गुन्नार मिर्डल के सिद्धान्त की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- क्षेत्रीय विषमता की अवधारणा को समझाइये
- प्रश्न- विकास के संकेतकों पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भारत में क्षेत्रीय असंतुलन की प्रकृति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- क्षेत्रीय विषमता निवारण के उपाय क्या हो सकते हैं?
- प्रश्न- क्षेत्रीय विषमताओं के कारण बताइये। .
- प्रश्न- संतुलित क्षेत्रीय विकास के लिए कुछ सुझाव दीजिये।
- प्रश्न- क्षेत्रीय असंतुलन का मापन किस प्रकार किया जा सकता है?
- प्रश्न- क्षेत्रीय असमानता के सामाजिक संकेतक कौन से हैं?
- प्रश्न- क्षेत्रीय असंतुलन के क्या परिणाम हो सकते हैं?
- प्रश्न- आर्थिक अभिवृद्धि कार्यक्रमों में सतत विकास कैसे शामिल किया जा सकता है?
- प्रश्न- सतत जीविका से आप क्या समझते हैं? एक राष्ट्र इस लक्ष्य को कैसे प्राप्त कर सकता है? विस्तारपूर्वक समझाइये |
- प्रश्न- एक देश की प्रकृति के साथ सामंजस्य से जीने की चाह के मार्ग में कौन-सी समस्याएँ आती हैं?
- प्रश्न- सतत विकास के सामाजिक घटकों पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सतत विकास के आर्थिक घटकों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- सतत् विकास के लिए यथास्थिति दृष्टिकोण के बारे में समझाइये |
- प्रश्न- सतत विकास के लिए एकीकृत दृष्टिकोण के बारे में लिखिए।
- प्रश्न- विकास और पर्यावरण के बीच क्या संबंध है?
- प्रश्न- सतत विकास के लिए सामुदायिक क्षमता निर्माण दृष्टिकोण के आयामों को समझाइये |
- प्रश्न- सतत आजीविका के लिए मानव विकास दृष्टिकोण पर संक्षिप्त चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- सतत विकास के लिए हरित लेखा दृष्टिकोण का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- विकास का अर्थ स्पष्ट रूप से समझाइये |
- प्रश्न- स्थानीय नियोजन की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारत में नियोजन के विभिन्न स्तर कौन से है? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नियोजन के आधार एवं आयाम कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में विभिन्न पंचवर्षीय योजनाओं में क्षेत्रीय उद्देश्यों का विवरण प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक विकास में नियोजन क्यों आवश्यक है?
- प्रश्न- भारत में नियोजन अनुभव पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भारत में क्षेत्रीय नियोजन की विफलताओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- नियोजन की चुनौतियां और आवश्यकताओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- बहुस्तरीय नियोजन क्या है? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पंचायती राज व्यवस्था के ग्रामीण जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- ग्रामीण पुनर्निर्माण में ग्राम पंचायतों के योगदान की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- संविधान के 72वें संशोधन द्वारा पंचायती राज संस्थाओं में जो परिवर्तन किये गये हैं उनका उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- पंचायती राज की समस्याओं का विवेचन कीजिये। पंचायती राज संस्थाओं को सफल बनाने हेतु सुझाव भी दीजिये।
- प्रश्न- न्यूनतम आवश्यक उपागम की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- साझा न्यूनतम कार्यक्रम की विस्तारपूर्वक रूपरेखा प्रस्तुत कीजिये।
- प्रश्न- भारत में अनुसूचित जनजातियों के विकास हेतु क्या उपाय किये गये हैं?
- प्रश्न- भारत में तीव्र नगरीयकरण के प्रतिरूप और समस्याओं की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- पंचायती राज व्यवस्था की समस्याओं की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- प्राचीन व आधुनिक पंचायतों में क्या समानता और अन्तर है?
- प्रश्न- पंचायती राज संस्थाओं को सफल बनाने हेतु सुझाव दीजिये।
- प्रश्न- भारत में प्रादेशिक नियोजन के लिए न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम के महत्व का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम के सम्मिलित कार्यक्रमों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत के नगरीय क्षेत्रों के प्रादेशिक नियोजन से आप क्या समझते हैं?