बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 गृह विज्ञान बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 गृह विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 गृह विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- दाग धब्बे कितने वर्ग के होते हैं? इन्हें छुड़ाने के सामान्य निर्देशों को बताइये।
उत्तर -
हमारे दैनिक जीवन में अत्यन्त सतर्कता बरतते हुए भी कपड़ों पर कभी न कभी दाग-धब्बे लग ही जाते हैं। बच्चों के कपड़ों पर तो दाग-धब्बे लगना एक साधारण-सी बात है। कुछ धब्बे तो आसानी से और साधारण उपायों का प्रयोग करके ही छुड़ाये जा सकते हैं जबकि कुछ धब्बे समस्यात्मक होते हैं। इनसे आसानी से मुक्ति पाना सम्भव नहीं होता।
बिना दाग-धब्बे छुड़ाये वस्त्रों को प्रयोग करने से वे हमारी असावधानी व अकुशलता का परिचय देते हैं। गृहिणी को दाग-धब्बे छुड़ाने की कला का अनुभव व अभ्यास होना आवश्यक है। इस कला के ज्ञान के अभाव में वह अपनी अकुशलता का ही परिचय देगी।
दाग-धब्बों के वर्ग - दैनिक जीवन में विभिन्न कार्य-कलाप करते समय जो दाग-धब्बे लग जाते हैं, वे अपनी प्रकृति के अनुसार निम्नलिखित वर्गों के होते हैं-
(1) जान्तव दाग-धब्बे - दूध, अण्डे, माँस आदि के धब्बे इस वर्ग में आते हैं। ये धब्बे प्रोटीन तत्व प्रधान होते हैं। इनके लगने पर वस्त्र को गर्म जल से कदापि नहीं धोना चाहिए। गर्म जल प्रोटीन को अतिशीघ्र जमा देता है जिससे धब्बा स्थायी व पुराना हो जाता है।
(2) वानस्पतिक दाग-धब्ब - चाय, कॉफी, फल व शहद आदि के धब्बे इस वर्ग में आते हैं। ये आम्लिक होते हैं। इनको पृथक् करने के लिए क्षारीय पदार्थों की सहायता लेनी पड़ती है।
(3) चिकनाईयुक्त दाग-धब्बे - मक्खन, घी, तेल, पेन्ट वार्निश, तरकारी के रस के धब्बे चिकनाईयुक्त धब्बे कहलाते हैं। इन धब्बों को साफ करने के लिए सर्वप्रथम अवशोषक पदार्थों का प्रयोग करके चिकनाई का पायसीकरण कर लिया जाता है। चिकनाई पृथक् हो जाने पर उसमें मिश्रित अन्य धूल व अशुद्धियाँ भी स्वतन्त्र होकर मुक्त हो जाती हैं।
(4) खनिज दाग-धब्बे - जंग, स्याही व औषधियों आदि के दाग-धब्बे इस वर्ग में आते हैं। इनमें धातु (खनिज) व रंग का सम्मिलित संगठन रहता है। आम्लिक प्रतिकर्मकों (Acidic Bleach) का प्रयोग करके इनकी धातु व खनिज पर क्रिया की जाती है। तदुपरान्त अम्लीयता को क्षारीय तनु घोल से उदासीनीकरण करके रंग वाले अंश पर अभिक्रिया की जाती है।
(5) रंग के धब्बे-- ये धब्बे आम्लिक अथवा क्षारीय प्रकृति के हो सकते हैं। इन्हें छुड़ाते समय प्रतिकर्मक (Bleaching Agent) का प्रयोग करने से पूर्व ही धब्बे की प्रकृति की जाँच कर लेनी चाहिए।
(6) झुलसने के धब्बे - इस वर्ग के धब्बों में गर्म इस्त्री या किसी धातु के गर्म भाग के छू जाने पर उत्पन्न धब्बे आते हैं। वस्त्र पर झुलसने के स्थान पर भूरापन आ जाता है।
(7) पसीने के धब्ब - इसका अपना अलग वर्ग है।
(8) घास के धब्बे –घास में क्लोरोफिल की उपस्थिति के कारण इसे अलग वर्ग में रखा गया है।
दाग-धब्बे छुड़ाने के सामान्य निर्देश - दाग-धब्बे छुड़ाते समय कुछ आवश्यक बातों का स्मरण रखना चाहिए। ये सामान्य निर्देश निम्नलिखित हैं-
(1) धब्बे को ताजी अवस्था में सरलता व शीघ्रतापूर्वक हटाया जा सकता है। धब्बा जितना पुराना होता जाता है, उसे छुड़ाना कठिन होता जाता है। ताजा धब्बे को हटाना जितना आसान है, पुराने धब्बे को हटाना उतना ही अधिक समस्यात्मक |
(2) धब्बे की प्रकृति का पता लगाना चाहिए। यदि धब्बे की प्रकृति का ज्ञान न हो सके तो सर्वप्रथम ऐसी विधियों का प्रयोग किया जाना चाहिए जिससे वस्त्र को कम से कम हानि हो। धीरे-धीरे क्रमानुसार सरलतम से जटिलतम विधियों की ओर बढ़ना चाहिए।
सर्वप्रथम वस्त्र के दाग को ठण्डे पानी से धोयें, न छूटे तो गर्म जल का प्रयोग करके देखें। यदि फिर भी न छूटे तो धूप में वस्त्र को ब्लीच कर दाग छुड़ाने का प्रयत्न करें। यदि इनका भी कोई सन्तुष्टिकारक प्रभाव वस्त्र पर नहीं पड़ता तो आम्लिक व क्षारीय प्रतिकर्मकों का बारी-बारी से दाग-धब्बे हटाने में प्रयोग करें। विरंजन की विधि का तो सबसे अन्तिम साधन के रूप में प्रयोग किया जाये।
(3) प्रतिकर्मकों का प्रयोग करने में अत्यन्त सावधानी बरतें। सर्वप्रथम तो इसके तनु घोल का ही प्रयोग करें। ऊनी, रेशमी व रंगीन वस्त्रों के लिये हल्के व तनु घोल (प्रतिकर्मक) का प्रयोग ही उचित रहता है जबकि सूती व लिनन वस्त्रों पर प्रतिकर्मक का प्रयोग गर्म पानी के साथ भी किया जा सकता है।
(4) धब्बा छूटते ही प्रतिकर्मक को ब्रुश आदि से झाड़कर पृथक् कर देना चाहिए। वस्त्र को प्रतिकर्मक के सम्पर्क में तभी तक रखना चाहिए जब तक धब्बा छूट न जाय। वस्त्र को स्वच्छ पानी में एक दो बार खँगाल लेने से प्रतिकर्मक पूर्णतः अलग हो जाते हैं। प्रतिकर्मक वस्त्र पर धब्बा छूटने के पश्चात् भी लगे रहे तो वस्त्र को हानि पहुँचा सकते हैं।
(5) दाग-धब्बे छुड़ाने में कई रसायनों का प्रयोग वस्त्र पर करना पड़ता है। अतः जिस स्थान पर धब्बे छुड़ाने की प्रक्रिया सम्पन्न की जा रही है वह किसी खुले स्थान या खिड़की के समीप होना चाहिए ताकि प्रयोग के समय उत्पन्न गैसें धब्बे छुड़ाने वाले व्यक्ति पर हानिकारक प्रभाव न डाल सकें।
(6) कुछ रासायनिक पदार्थ प्रयुक्त किये जाने पर वे वस्त्र का रंग भदरंग कर देते हैं। ऐसी परिस्थिति में अमोनिया के तनु घोल में वस्त्र डाल देने या अमोनिया की खुली हुयी बोतल को वस्त्र के पास लटका कर कुछ देर रखा रहने देते हैं। इस प्रकार वस्त्र अपना मौलिक रंग ग्रहण कर लेते हैं।
(7) धब्बे छुड़ाने से पूर्व ही वस्त्रों की जाँच कर लेनी चाहिए ताकि उनके रंग कच्चे तो नहीं हैं।
(8) रंगीन वस्त्रों के दाब-धब्बे छुड़ाते समय कभी-कभी उनका रंग भी कच्चा पड़ जाता है। ऐसी स्थिति में पूर्व ही निर्णय कर लेना चाहिए कि धब्बे का बना रहना या वस्त्र का रंग बिगड़ना, इन दोनों स्थितियों में आप किस पक्ष में हैं।
(9) अनेक ज्वलनशील रासायनिक पदार्थ, जैसे एल्कोहॉल, स्प्रिट, पेट्रोल आदि अत्यन्त वाष्पशील होते हैं। जरा सी भी असावधानी से इनकी वाष्प आग को पकड़ लेती है। अतः इनकों प्रयोग करते समय अग्नि से बचाव हेतु उपाय भी अपने पास रख लेना चाहिए।
(10) दाग-धब्बे छुड़ाने की कला में व्यक्ति को अपूर्व लगन व धैर्यशीलता का परिचय देना पड़ता है। एक विधि से सफलता न मिलने पर पुनः दूसरी विधि को प्रयुक्त करना पड़ता है। प्रयोगकर्त्ता की विवेकशक्ति व सहनशक्ति ही उसे इस कार्य में उसकी सफलता में सहायक होती है।
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- प्रश्न- दाग धब्बे कितने वर्ग के होते हैं? इन्हें छुड़ाने के सामान्य निर्देशों को बताइये।
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- प्रश्न- धुलाई में प्रयुक्त होने वाले सहायक रिएजेन्ट के नाम लिखिये।
- प्रश्न- वस्त्रों को स्वच्छता से संचित करने का क्या महत्व है?
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